10th sanskrit

piyusham sanskrit class 10 – अच्युताष्टकम्

अच्युताष्टकम्

piyusham sanskrit class 10

class – 10

subject – sanskrit

lesson 3 – अच्युताष्टकम्

अच्युताष्टकम्

अच्युतं केशवं रामानारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभ
जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ।।1 ।।
                   अच्युतं केशवं सत्यधामाधवं
                   माधवं श्रीधर राधिकाराधितम् ।
                    इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं
                    देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ।। 2 ।।
विष्णवे जिष्णव शडिखने चक्रिणे
रूक्मिणीरागिणे जानकीजानये ।
वल्लवी – वल्लभाया – चितायात्मने
कंसविध्वंसे वंशिने ते नमः ।। 3 ।।
                   कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण
                   श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
                   अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज
                  द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ।।4 ।।
राक्षसेक्षोभित : सीतया शोभितो
दण्डकारण्य – भूपुण्यता – कारणः ।
लक्ष्मणेनान्वितो वानरै- : सेवितो
वगस्त्यसम्पूजितो राघवः पातु माम् ।।5 ।।
                       धेनुकारिष्ट – कानिष्ट – कृदद्वेषिहा
                       कैशिहा कसहशिकावादकः ।
                         पूतनाकोषक : सूरजाखेलनो
                     बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ।। 6 ।।

विधुदुधोतवटास्फुरद्वाससं प्रावृडऽम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोरः स्थलं
लोहिताध्रिद्वयं वोरिजाक्षं भजे ।।7 ।।
                                कुञ्चितैः कुन्तलैाजमानाननं
                             रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयोः ।
                             हारकेपूरक कङ्कणप्रोज्जवलं
                किङ्किणीमञ्जुलं श्यामलं तं भजे ।। 8 ।। ( तुम अगर साथ देने का वादा करो – इति लयेन )

अर्थ – अच्चुत , केशव , रामनारायण , कृष्ण , दामोदर वासुदेव हरि , श्रीधर , माधव , गोपिका वल्लभ जानकी नायक और रामचन्द्र नाम धारण करने वाले आपको भेजता हूँ ।
अर्थ – अच्युत , केशव , सत्यभामा के प्राणप्रिय , माधव , श्रीधर राधिका द्वारा पूजे जाने वाले , इन्दिरा के हृदय मंदिर में रहने वाले देवकीनन्दन नन्द के पुत्र कहलाने वाले हे प्रभु ! मैं आपके शरण में हूँ ।
विष्णु , जिष्णु , शंखिन , चक्रिन् रुक्मिणी रागिन् जानकीजानि ,वल्लवी – वल्लभाया – चितायात्मन , कंस विध्वंसकारिन और वंशिन नाम धारण करने वाले आपको प्रणाम है ।
हे कृष्ण ! गोविन्द ! राम ! नारायण ! श्रीपते । वासुदेवाजित ! श्रीनिधे ! अच्युतानन्द माधवाधोक्षज ! द्वारकानायक । द्रौपदी रक्षक ! आपको प्रणाम है ।
राक्षसों में क्षोभ पहुँचाने वाले , सीता से शोभित होने वाले , दण्डकारण्य भूमि को पुण्यमयी करनेवाले , लक्ष्मण से युक्त रहने वाले वानरों से सेवित तथा अगस्त द्वारा पूजे गये राघव मेरे पापों को दूर करें ।।
धेनुका के उत्पातों को समाप्त करने वाले , द्वेषि को नाश करने वाले , केशि को मारने वाले , कंस को संघार करने वाले देव पुत्रियों के साथ खेल रचाने वाले बाल – गोपाल कहलाने वाले भगवान श्री कृष्ण सदैव मेरी रक्षा करें ।
चन्द्र की चाँदनी जैसा चमकता हुआ वस्त्र धारण करने वाले , खिला हुआ कमल जैसा सुन्दर शरीर वाले , जिनका वक्षस्थल वनमाला से शोभित हो रहा है । जिनकी दोनों आँखें कमल सादृश लाल रंग वाली हो , उस भगवान् श्री कृष्ण को भेजता हूँ ।
अध खिले कुन्त फूल के सादृश्य दाँत से जिनका मुखमंडल चमक रहा है । मणि से दोनों गालों ( झूल रहा है , हार से पूर्ण शोभा पानेवाले कंगन से शोभित , पयजनियाँ जिनके पैर में मधुर ध्वनि कर रही है , ऐसे श्यामल रंगवाले हे भगवान श्री कृष्ण ! आपको प्रणाम है ।
( यह पाठ – ‘ तुम अगर साथ देने का वादा करो ‘ के लय से गाया जा सकता है । )

                        अभ्यास

प्रश्न : 1. विष्णोः पञ्च पर्यायवाचिनः लिखत ।
उत्तरम् – अच्युतः केशवः रामनारायण : वासुदेवः कृष्णः आदयः ।
प्रश्न : 2. कविः कं भजितुम् इच्छति ?
उत्तरम् – कविः श्रीकृष्णं भजितुम् इच्छति ।

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