10TH SST

bseb 10 class geography note book

आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था

bseb 10 class geography note book

class – 10

subject – geography

lesson 5 – आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था

आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था

महत्वपूर्ण तथ्य – बाढ़ , सूखा , सुनामी , चक्रवात , भूस्खलन , हिमस्खलन , शीत लहर जैसी विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं से हम किसी न किसी रूप में प्रभावित रहते हैं ।
विश्व में कहीं भी जहाँ बड़ी अथवा तीव्र आपदाओं का प्रकोप होता है वहाँ की सामान्य संचार व्यवस्थाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं । सूचनाओं के आदान – प्रदान या सम्पर्क के टूट जाने से राहत या बचाव कार्य बाधित हो जाते हैं जिससे आपदा का रूप और भी विकराल हो जाता है ।
सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के कई कारण हैं जिसमें प्रमुख हैं — केबुल टूट जाना , बिजली आपूर्ति का बाधित होना , संचार भवनों के ध्वस्त होने पर संचार यंत्रों का क्षतिग्रस्त होना , ट्रांसमिशन टीवर का क्षतिग्रस्त होना आदि ।
उदाहरण के तौर पर उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र के बाढ़ में टेलीफोन केन्द्रों के जलमग्न होने , तारों के क्षतिग्रस्त होने , सड़क तथा रेल संचार बाधित होने के कारण जिला मुख्यालयों का आस – पास के राज्यों से सम्पर्क टूट गया जिससे राहत एवं बचाव कार्य प्रभावित हुआ ।
संचार का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन , सार्वजनिक टेलीफोन सेवा है जिसके द्वारा सभी सरकारी एवं निजी कार्यालयों , यानों , अग्निशमन केन्द्रों , अस्पतालों और घरों को जोड़ा जाता है । दुर्भाग्यवश भूकंप , चक्रवात , बाढ़ , सूनामी एवं भूस्खलन जैसी बड़ी बुनियादी ढांचा छतिग्रस्त हो जाता है । वैकल्पिक संचार साधनों में रेडियो संचार एवं अथवा हेम रेडियो एवं उपग्रह संचार आदि प्रमुख हैं । रेडियो तुरंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होती हैं , जिसे एटीना द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जाता है ।
एमेच्योर रेडियो को रेडियो भी कहा जाता है ।
इसके लिए आधारीय इन्फ्रास्ट्रक्यचर की आवश्यकता नहीं होती हैं । ऐमेच्योर शब्द का अर्थ है वाणिज्यीक प्रयोजनों के लिए रेडियो संचार का प्रयोग करना । हमारे देश में लगभग 15,000 लाइसेंस होल्डर एमेच्योर रेडियो आपरेटर हैं । अंतरिक्ष में उपग्रह कई प्रकार के होते हैं । जिन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए प्रक्षेपित किया जाता है । इनमें संचार उपग्रह और सुदूर संवेदी उपग्रह प्रमुख हैं ।
संचार उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित रेडियो रिले स्टेशन हो है । इसमें ” सेट काम ” उपग्रह आधारित संचार के लिए और ” सेटफोन ” उपग्रह आधारित फोन टर्मिनल के लिए प्रयोग किए जाते हैं ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने का मुख्य कारण है
( क ) केबुल का टूट जाना ( ख ) संचार टावरों की दूरी ( ग ) टावरों की ऊँचाई में कमी ( घ ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर— ( क )
2. संचार का सबसे लोकप्रिय साधन है :
( क ) सार्वजनिक टेलीफोन ( ख ) मोबाईल ( ग ) वॉकी – टॉकी ( घ ) रेडियो
उत्तर- ( क )
3. सुदूर संवेदी उपग्रह ( रिमोट सेंसिंग उपग्रह ) का प्रयोग किसलिए होता है ?
( क ) दूर संचार के लिए ( ख ) मौसम विज्ञान के लिए ( ग ) संसाधनों की खोज के लिए एवं ( घ ) दूरदर्शन के लिए
उत्तर- ( ग )

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के प्रमुख कारणों को लिखिए ।
उत्तर – सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के कई कारण है ( i ) केबुल टूट जाना । ( ii ) बिजली आपूर्ति का बाधित होना । ( iii ) संचार भवनों के ध्वस्त होने पर संचार यंत्रों का क्षतिग्रस्त हो जाना और ( iv ) ट्रांसमीशन टावर का क्षतिग्रस्त हो जाना आदि ।

2. प्राकृतिक आपदा में उपयोग होने वाले किसी एक वैकल्पिक संचार माध्यम की चर्चा कीजिए ।
उत्तर – प्राकृतिक आपदा में प्रयोग होने वाले वैकल्पिक साधन में से एक का वर्णन ( i ) एमेच्योर अथवा हैम रेडियो ऐमेच्योर रेडियो को हेम रेडियो भी कहा जाता है । इसके लिए आधारीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है इसका प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय दूर संचार नियमों के अनुसार होती है , जिनका नियंत्रण भारत में संचार मंत्रालय के अधीन बेतार आयोजना एवं समन्वय स्कंध द्वारा किया जाता है । निर्धारित नियमों के अनुसार इन फ्रीक्वेंसियों का प्रयोग केवल अनुसंधान , शिक्षा एवं व्यक्तिगत प्रयोजनों के लिए होता है । ऐमेच्योर शब्द का अर्थ है और वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए रेडियो संचार का प्रयोग करना । इसके संचालन के लिए सीमित ऊर्जा की आवश्यकता होती है , जिसकी पूर्ति जेनरेटरों या  बैटरियों से आसानी से की जा सकती है । हमारे देश में लगभग 15,000 लाइसेंस होल्डर एमेच्योर रेडियो ऑपरेटर हैं!
भारत में यह संचार प्रणाली एक सृजनशील ” हॉबी ” के रूप में विकसित हो रहा है । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) द्वारा हैम ( HAM ) के लिए एक सुक्ष्म तरंग वाले सेटेलाइट का निर्माण किया गया है । इसे वैकल्पिक संचार माध्यमों में सबसे अधिक प्रभावशाली अनुभव किया गया है । 1999 में उड़ीसा में आए भीषण चक्रवात और 2001 में गुजरात में भूकम्म के दौरान ” एमैच्यूर ” स्वयंसेवकों ने प्रशंसनीय कार्य किया है ।

  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

1. प्राकृतिक आपदा में वैकल्पिक संचार माध्यमों का विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर
( 1 ) रेडियो संचार ( Radio Communication ) रेडियो तरंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होती है , जिसे एटिना द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जाता है । रेडियो तरंगे निम्न , उच्च और अत्यधिक उच्च फ्रीक्वेंसी की हो सकती है । रेडियो रिसीवर को किसी खास फ्रीक्वेंसी पर रखकर हम खास संकेत प्राप्त कर सकते हैं । जैसे – लम्बी दूरी से सम्पर्क साधने के लिए फ्रीक्वेंसी की तरंगों तथा बहुत अधिक फ्रीक्वेंसी वाली तरंगों का प्रयोग कम दूरी के लिए किया जाता है । ( ii ) हेम रेडियो — ऐमेच्योर रेडियो को हेम रेडियो भी कहा जाता है । इसके लिए आधारीय इन्फ्रास्ट्रक्यर की आवश्यकता नहीं होती है । हेम रेडियो में कुछ विशेष फ्रीक्वेंसी की तरंगों का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय दूर संचार नियमों के अनुसार होती है , जिनका नियंत्रण भारत में संचार मंत्रालय के अधीन बेतार आयोजन एवं समन्वय स्कंध द्वारा किया जाता है । नियमों के अनुसार , इन फ्रीक्वेंसियों का इस्तेमाल केवल अनुसंधान , शिक्षा एवं व्यक्तिगत प्रयोजनों के लिए होता है । हमारे देश में लगभग 15000 लाइसेंस होल्डर एमेच्योर रेडियो ऑपरेटर हैं । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान ( ISRO ) द्वारा हैम के लिए एक सूक्ष्म तरंग वाले सेटेलाइट का निर्माण किया जा रहा है । इसे वैकल्पिक साधनों में सबसे ज्यादा अधिक प्रभावशाली अनुभव किया गया है ।
( iii ) उपग्रह संचार — भारत में अंतरिक्ष में संचार उपग्रह और सुदूर संवेदी उपग्रहों की प्रस्थापना दूरदर्शन , मौसम विज्ञान और आपदा संबंधी चेतावनी देने के लिए की गई है । संचार उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित रेडियो रिले स्टेशन ( कामसेंट्स , सेटकाम्स , सेटफोन ) है । इसमें ” सेटकाम ” उपग्रह आधारित संचार के लिए तथा ‘ सेटफोन ‘ उपग्रह आधारित फोन टर्मिनल के लिए प्रयोग किए जाते हैं । संचार उपग्रह का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मोबाइल एवं e- कम्युनिकेशन होता है । एक उपग्रह में हजारों की संख्या में ट्रांसपोडर होते हैं । ये ट्रांसपोंडर डाटा टेलीविजन , इमेज और कुछ ट्रांसमीशनों को प्राप्त करते हैं और पुनः इन्हें प्रसारित करते हैं । पृथ्वी पर घटने वाली किसी भी आपदा से इसे कोई नुकसान नहीं होता इसलिए यह विधी आपदा के समय सबसे अधिक विश्वसनीय है । भारत सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों / जिलों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों को आपदाओं से निबटने के लिए पोर्टेबल उपग्रह फोन से लैस कर रही है ।

2. निम्नलिखित पर नोट लिखिए :
( i ) हेम रेडियो , ( ii ) उपग्रह संचार ।
उत्तर– ( i ) हेम रेडियो ऐमेच्योर रेडियो को हेम रेडियो भी कहते हैं । इसके लिए आधारीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है । वास्तव में हेम रेडियो में कुछ विशेष फ्रीक्वेंसी की तरंगों का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय दूर संचार नियमों के अनुसार होता है जिनका नियंत्रण भारत में संचार मंत्रालय के अधीन बैतार आयोजना एवं समन्वय स्कंध द्वारा किया जाता है । नियमानुसार इन फ्रीक्वेंसियों का इस्तेमाल केवल अनुसंधान , शिक्षा एवं व्यक्तिगत प्रयोजनों के लिए होता है । इसके संचालन के लिए सीमित ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिनकी पूर्ति जेनरेटरों या बैटरियों द्वारा आसानी से की जा सकती है । हमारे देश में लगभग 15000 लाइसेंस होल्डर लोग हैं । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) द्वारा हैम ( HAM ) के लिए एक सूक्ष्म तरंग वाले सेटेलाईट का निर्माण किया गया है । हैम रेडियो ने प्राकृतिक आपदाओं में अन्य संचार साधनों के अवरुद्ध होने पर भी सफलतापूर्वक कार्य किया है । 1999 में उड़ीसा में आए भीषण चक्रवात और 200 kg . में गुजरात के भूकम्प के दौरान एमैच्योर स्वयंसेवकों ने प्रशंसनीय सेवा प्रदान की है । ( ii ) उपग्रह संचार अंतरिक्ष में प्रस्थापित उपग्रह कुई प्रकार के होते हैं जिन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए प्रक्षेपित किया जाता है । इनमें संचार उपग्रह और सुदूर संवेदी उपग्रह प्रमुख हैं । भारत में दूरदर्शन , मौसम विज्ञान और आपदा संबंधी चेतावनी देने के लिए इंडियन नेशनल सेटेलाईट ( इनसेट ) और संसाधनों की खोज एवं प्रबंधन के लिए इंडियन रिमोट सेंसिंग सेटेलाईट ( आई . आर . एस . ) शामिल हैं ।
“सेटकाम” उपग्रह आधारित संचार के लिए और ” सेटफोन ” उपग्रह आधारित फोन टर्मिनल के लिए प्रयोग किए जाते हैं । संचार उपग्रह का मुख्य कार्य मोबाइल और कम्युनिकेशन होता है । एक उपग्रह में हजारों की संख्या में ” ट्रासपोंडर ” होते हैं । ये टॉपॉडटर डाटा , टेलीविजन इमेज और कुछ ट्रांसमीशनों को प्राप्त करते हैं और पुनः इन्हें प्रसारित करते हैं । पृथ्वी पर घटने वाली किसी भी आपदा से इन्हें कोई भी नुकसान नहीं पहुँचता इसलिए यह आपदा के सबसे अधिक विश्वसनीय हैं ।

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