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What was the name of the five sons of Panchali – पांचाली

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What was the name of the sons of Panchali

पांचाली के पांच पुत्र, पांच पांडवो से हुए. पांचाली ने पांचो पांडवो से शादी कि थी जैसा कि विदित ही है कुंति के कहने पर. पांचाली कि सुंदरता पर पांचो पांडव अति आकर्षित थे. ऋषि नारद के सुमति देने के अनुसार पांचो भाइयो मे द्रोपदी के कारण कोई मतभेद न हो,

जैसा कि तिलोत्तमा अप्सरा के सुंदरता के कारण दो राक्षस भाइयो सुंड और उपसुंद मे हुआ था, दोनों भाई तिलोत्तमा कि सुंदरता पर मोहित होकर आपस मे एक दूसरे से ईर्ष्या करने लगे और लड़कर मर गए.

इसी बात को ध्यान रख कर नारद मुनि के समझाने से आपस मे सभी पांचों पांडवों ने तय किया गया कि हर भाई द्रोपदी के साथ एक एक साल रहेगा. इस समय मे कोई दूसरा भाई द्रोपदी के साथ नहीं होगा अन्यथा उसे कुछ समय वनवास करना पड़ेगा.

इस तरह पांचो भाइयों से द्रोपदी को पांच पुत्र हुए जिनके नाम इस तरह है. इनको उपपांडव भी कहा गया तथा सभी महारथी थे. सभी अपने पिताओं कि तरह ही गुणवान और उस विशेष कला मे माहिर थे जिसमे उनके पिता को विशेषग्यता थी.

युधिष्ठिर से पुत्र प्रतिवंध

भीम से सुतसोम

अर्जुन से श्रुतकर्मा

नकुल से शतानीक

सहदेव से श्रुतसेन

इन सबका जन्म हस्तिनापुर मे या इंद्रप्रस्थ मे हुआ.शादी के बाद पांडव कुछ समय इंद्रप्रस्थ के निर्माण से पहले द्रोपदी के साथ हस्तिनापुर मे रहे. हो सकता है एक या दो उपपांडव यही पैदा हुए हो, बाकि तीन या चार इंद्रप्रस्थ मे जन्म लिए हो.

द्रोपदी कि शादी के बाद पांडव हस्तिनापुर मे दो वर्ष से अधिक नहीं रहे फिर राज्य के बटवारा हो गया और पांडवों को खांडवपृस्थ मिला जो कि उजाड़, खतरनाक, असुरक्षित प्रदेश था. खांडवप्रस्थ को पांडवो ने बसाया और बहुत सुंदर राजधानी इंद्रप्रस्थ बनाई, इसमें विश्वकर्मा जी ने भी सहयोग किया और मई दानव ने भी अपनी विशेष कला के उत्कृस्ट नमूने बनाये. फिर पांडवों ने राजसूय यज्ञ किया.

राजसूय यज्ञ के समय सभी उपपांडव पैदा हो चुके थे. लगता है 15–20 साल तो खांडव प्रस्थ को बनाने मे लगे ही होंगे. इसी बीच अर्जुन इंद्रप्रस्थ निर्माण के बाद बारह वर्ष के लिए दिव्यास्त्र लेने के लिए इंद्र के पास देवलोक भी गए थे. इसी बीच शिवजी से पशुपति अस्त्र भी लिया था.

इनके जन्म के बारे मे कोई विशेष कहानी नहीं है महा भारत मे बल्कि ये योनिजा ही थे.

भीम का पुत्र घटोत्कच जो हिडिम्बा से पैदा हुया था राक्षस थ इन सबसे बढ़ा था. वही अर्जुन पुत्र अभिमन्यु जो कृष्ण कि बहन सुभद्रा से था इन सबसे छोट था. महाभारत के युद्ध के समय इनके शादी व्याह कि कोई चर्चा नहीं हुयी है जबकि अभिमन्यु और घटोत्क्च का शादी हो चूका था.

पांडव ज़ब द्यूत मे इंद्रप्रस्थ हार गए तो इनको पांचाल मे राजा द्रुपद के यहा छोडा गया और अभिमन्यु द्वारिका मे रहा सुभद्रा के साथ. पांचाल मे ही इनकी शिक्षा दीक्षा हुयी. वही ये महारथी बने और द्रस्टद्युम्न को इनकी शिक्षा दीक्षा कि जिम्मेदारी मिली. द्रस्टद्युम्न ने इनको महारथी बना दिया. ये महाभारत युद्ध मे युद्ध के आखिरी दिन 18वें दिन तक लडे और अंतिम दिन इनको रात मे सोते हुए को अश्वत्थामा ने द्वेष वस अपने पिता का बदला लेने कि भावना से पांडव समझकर मार डाला था.

 

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