Niels Bohr Biography In Hindi – वैज्ञानिक नील्स बोर की जीवनी
Niels Bohr Biography In Hindi – वैज्ञानिक नील्स बोर की जीवनी
Niels Bohr Biography In Hindi
नील्स बोर का जन्म 1885 में हुआ था नील्स बोर (Niels Bohr) का नाम आज विश्व के समस्त विद्यार्थी जानते है क्योंकि छोटी कक्षाओ से ही हर विद्यार्थी को परमाणु संरचना का ज्ञान कराया जाता है और उसमे नील्स बोर का नाम अवश्य आता है इन्होने बोर का सिद्धांत प्रतिपादित किया था | इनसे पहले रदरफोर्ड नामक वैज्ञानिक ने यह बताया था कि परमाणु के केन्द्रीय भाग में नाभिक होता है जिसमे न्युट्रोन और प्रोटोन होते है
पूरा नाम | नील्स बोर (Niels Bohr) |
जन्म दिनांक | 7 अक्टूबर, 1885 |
जन्म भूमि | डेनमार्क |
मृत्यु | 18 नवम्बर, 1962 |
कर्म-क्षेत्र | भौतिकी |
राष्ट्रीयता | डेनिश |
शिक्षा | कोपेनहेगन विश्वविद्यालय |
सम्मान | भौतिकी में नोबेल पुरस्कार |
नील्स बोर ने अणु की प्रकृति संबंधी बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां संसार को दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रॉन सामान्य तो आपने विनिश्चित वृतो में ही चक्कर काटते हैं किंतु जब अणु मे से विद्युत गुजारी जाती है तब ये अपनी लिक से हटकर कुछ बड़ी परिधि में पहुंच जाते हैं और पुनः वापस लौटते हैं। जिससे उनमें चमक पैदा होती है। नील्स की अणु कल्पना ने हमारी दुनिया ही बदल डाली थी। वो अणु शक्ति का प्रयोग विश्व शांति के लिए करने का समर्थन करते थे।
नील्स बोर का जन्म 7 अक्टूबर, 1885 को डेनमार्क में हुआ था। उनके पिता क्रिश्चन बोर, कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में फिजियोलॉजी के प्रोफ़ेसर थे। नील्स बोर शुरू से ही एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे और उन की संपूर्ण शिक्षा दीक्षा कोपनहेगन विश्वविद्यालय में हुई। 22 वर्ष की आयु में डेनिस विज्ञान सोसाइटी ने उन्हें ‘सर्फेस टेंशन’ संबंधी उनके मौलिक अध्ययनों पर एक स्वर्ण पदक भी दिया था।
नील्स बोर ने अपनी अणु कल्पना के आधार पर तथा कुछ क्वांटम सिद्धांत के आधार पर अणु की प्रकृति-संबंधी इस समस्या का समाधान उपस्थित करने की कोशिश की कि क्या सचमुच विभिन्न द्रव्यों द्वारा विसर्जित प्रकाश के वर्ण-रूपों की पूर्ण-कल्पना हम कुछ कर सकते हैं- इन वर्ण-रूपों के आधार पर क्या वस्तु के स्वरूप की कुछ कल्पना, कुछ पूर्वाभास, कर सकते हैं।?
बोर ने एक नया विचार इस संबंध में इस प्रकार अभिव्यक्त किया कि यह इलेक्ट्रॉन सामान्यत: तो अपने विनिश्चय वृतों में ही चक्कर काटते हैं किंतु अब अणु में से बिजली गुजारी जाती है तब झट से कूदकर यह अपनी लिक में से ही अगली, और पहले से कुछ बड़ी, परिधि में पहुंच जाते हैं और वहां से फिर वापस- उसी पुरानी परिधि में आ जाते हैं। अर्थात परिधि-परिवर्तन की इस उछल-कूद का ही परिणाम होता है यह अद्भुत चमक-दमक जो एक प्रकार से अणु-अणु का एक और लक्षण-सा ही बन जाती है।
नील्स बोर को इस महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए 1922 में भौतिकविद का नोबेल पुरूस्कार दिया गया।
बोहर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- बोह्र मॉडल का परमाणु
- 1 9 22 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार
- वर्नर हाइजेनबर्ग के साथ क्वांटम यांत्रिकी के कोपेनहेगन व्याख्या का विकास करना
नील्स बोहर कोट्स
“एक विशेषज्ञ एक ऐसा व्यक्ति है जिसने सभी गलतियां की हैं जो बहुत ही संकीर्ण क्षेत्र में की जा सकती हैं।”
“सही वक्तव्य के विपरीत एक झूठा कथन है लेकिन गहरा सत्य के विपरीत एक और गहरा सच हो सकता है। “
“हर महान और गहरी कठिनाई अपने आप में खुद का समाधान है यह हमें अपनी सोच को बदलने के लिए मजबूर करता है। “
सन 1962 में यह महान वैज्ञानिक भगवान को प्यारा हो गया | इन्होने अपने जीवनकाल में परमाणु की अनेक जटिलताओ को सुलझाया | नील्स बोर को हम कभी नही भुला पायेंगे | नील बोर भारत भी आये और उन्होंने यहा भौतिकी पर कई भाषण भी दिए | बोर (Niels Bohr) का हाइड्रोजन परमाणु का सिद्धांत विश्वप्रसिद्ध है जो हमारे देश में दसवी और बारहवी के बच्चो को पढाया जाता है | परमाणु भौतिकी में उनके द्वारा दिए गये सिद्धांतो को हमेशा याद रखा जाएगा