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Why is drug testing done on mice-दवा की टेस्टिंग चूहों पर क्यों होती

Why is drug testing done on mice

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1. पहला कारण यह है कि चूहा और मानव दोनों स्तनधारी हैं।दोनों के शरीर की कोशिकाएं भी समान होती हैं। इसलिए दवाई जो असर चूहे पर करेगी वही इंसान पर भी करेगी। हालांकि समान तो चिंपांज़ी भी हैं पर उनका इस्तेमाल नीचे दिए गए दो कारण से नहीं किया जाता।

2. चूहे को लैब में रखना, पालना, संभालना बहुत आसान है ।क्योंकि यह बहुत ही छोटे होते हैं।पर किसी और जानवर के साथ ऐसा बहुत मुश्किल होगा।

3. मान लीजिए अगर किसी दवाई का असर देखना है कि -“यदि दवाई मां-बाप को दी जाती है तो उसका बच्चों पर क्या असर होगा तो, इसके लिए चूहा बहुत ही बेहतर विकल्प है।चूहे का बेहतर विकल्प होने का कारण यह है कि चूहा 21 दिन बाद 8-10 बच्चे देता है। ज्यादा बच्चे देने के कारण काफी सारे बच्चों पर दवाई के असर को अध्ययन किया जा सकता है।चूहा बच्चे भी 21 दिन बाद दे देता है तो दवाई के असर को अध्ययन करने के लिए केवल 21 दिन का ही इंतजार करना पड़ेगा।

4.मान लीजिए आप को पोलियो दवाई का असर देखना है। अगर आप यह पोलियो दवाई इंसान के बच्चे को 2 साल की उम्र में पिलाते हैं तो दवाई असर कर भी रही है या नहीं इसका असर आपको 15 साल बाद पता लगेगा क्योंकि पोलियो बीमारी 15 साल के आसपास शरीर को अपंग करती है।परंतु वहीं चूहे में देखे तो पोलियो होने के 6 महीने बाद ही चूहा अपंग हो जाता है। इसलिए चूहे में 6 महीने बाद ही पोलियो के असर का अध्ययन किया जा सकता है।चूहे की ज़िंदगी 2 साल ही होती है जिससे उसके जीवन की सारी गतिविधियों इंसानों से जल्दी होती है।चूहा जल्दी बड़ा होगा,जल्दी बच्चे पैदा करेगा,जल्दी मर भी जाएगा।कई सालों की रिसर्च से यह भी पता लगाया जा चुका है कि इंसान और चूहे की उम्र का अनुपात क्या है।यह मैने चित्र द्वारा दिखाया है।

5.यह सबसे – सबसे ज़्यादा ज़रूरी कारण है।यह कारण समझने में थोड़ा मुश्किल है इसलिए ध्यान से पढ़ें। जब भी कोई दवाई चूहे को दी जाती है तो चूहे की प्रतिरोध क्षमता दवाई के प्रति कुछ ना कुछ प्रतिक्रिया करती है। उदाहरण के तौर पर यदि चूहे को” दवाई 1″ दी गई है तो चूहे का प्रतिरोध उस दवाई को कुछ अलग प्रकार में बदल सकता है। मान लीजिए किसी चूहे को” दवाई 1″ दी गई ।चूहा का प्रतिरोध दी गई दवाई को” दवाई 2″ में बदल सकता है। अब चूहे के शरीर पर लक्षण “दवाई 1” के नहीं बल्कि “दवाई 2″ कि दिखाई देंगे। अब यदि वैज्ञानिक को चूहे के शरीर पर ” दवाई 1″ के लक्षण देखने हैं तो किसी ना किसी तरीके से उसका प्रतिरोध क्षमता खत्म करनी होगी! चूहा उन जानवरों में से एक है जिसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता खत्म करना वैज्ञानिकों के लिए सबसे आसान है। जब चूहे की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाएगी तो वह “दवाई 1” को “दवाई -2” में नहीं बदल पाएगा और शरीर में लक्षण भी “दवाई 1” के ही दिखाएगा।


जब भी चूहों की बात होती है मैं खुद को चूहों के बारे में एक बहुत ही रोचक जानकारी दिए बिना रह नहीं पाती हूं।पहले यह तस्वीर देखिए।

यह क्या है? यह एक इंसान का कान है जिसको चूहे के शरीर में एक ढांचा डाल कर तैयार किया जाता है। ढांचा 2 महीने बाद गल जाता और कान को निकाल के इंसान के सर्जरी कर के लगा दिया जाता है। जैसे जैसे इंसान बढ़ता है वैसे वैसे कान भी बढ़ता है।

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