History

Jahangir History in Hindi – मुगल सम्राट जहाँगीर का इतिहास

Jahangir History in Hindi – मुगल सम्राट जहाँगीर का इतिहास

Jahangir History in Hindi

सम्राट अकबर के पुत्र जहांगीर (Jahangir) का जन्म 31 अगस्त 1569 को फतेहपुर सीकरी में हुआ था | अकबर की राजपूत रानी जोधाबाई उसकी माँ थी | आध्यात्मिक संत शेख सलीम चिश्ती की मन्नत से बेटे का जन्म होने के कारण ही उसका नाम “सलीम” रखा गया

वयस्क होने पर सलीम ने पिता अकबर के विरूद्ध विद्रोह करके इलाहाबाद में अपने स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी | वह सेना लेकर आगरा की ओर बढ़ा , पर सम्राट की शक्ति के सामने उसे वापस इलहाबाद लौटना पड़ा |

1605 ईस्वी में अकबर की मृत्यु के बाद सलीम जहांगीर (Jahangir) के नाम से गद्दी पर बैठा | इस बार उसके पुत्र खुसरो ने उसके विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी लेकिन कुछ ही समय में खुसरो की मृत्यु हो गयी | सत्ता संघर्ष के चलते जहांगीर (Jahangir) ने पहले अकबर के विश्वस्त मंत्री अबुल फजल की और फिर खुसरो की मदद करने की गलतफहमी में सिखों के गुरु अर्जुन देव की हत्या करा दी | 1611 में जहांगीर ने गयास बेग की पुत्री मेहरुनिस्सा से विवाह किया और उसे “नूरजहाँ” का खिताब अता फरमाया |

नाम (Name) मिर्जा नूर-उद-दीन बेग मोहम्मद खान सलीम
जन्म तिथि (Birthday) 31 अगस्त 1569, फतेहपुर सीकरी, मुगल साम्राज्य
मृत्यु तिथि (Death) 28 अक्टूबर 1627, राजोरी, कश्मीर
पिता (Father Name) अकबर
माता (Mother Name) मरियम
पत्नी (Wife Name) नूर जहां, साहिब जमाल, जगत गोसेन,

मलिक जहां, शाह बेगम, खास महल,

करमसी, सलिहा बानु बेगम, नूर-अन-निसा बेगम,

बच्चे (Children) खुसरो मिर्जा, खुर्रम मिर्जा (शाहजहां),

परविज मिर्जा, शाहरियर मिर्जा, जहांदर मिर्जा,

इफत बानू बेगम, बहार बानू बेगम, बेगम सुल्तान बेगम,

सुल्तान-अन-निसा बेगम, दौलत-अन-निसा बेगम,

मुगल शासक के रुप में जहांगीर – Jahangir Mughal Emperor

साल 1605 में अकबर की मृत्यु के बाद सुल्तान सलीम को मुगल ‘बादशाह’ का ताज पहनाया गया और उन्हें जहाँगीर नाम की उपाधि दी गई। वहीं जब मुगल शासक जहांगीर की उम्र 36 साल की थी, तब उन्हें मुगल साम्राज्य की जिम्मेदारी एक आदर्श शासक के रुप में संभाली और कई सालों तक मुगल सिंहासन संभाला।

उन्होंने अपने शासनकाल में मुगल साम्राज्य का जमकर विस्तार किया और विजय अभियान चलाया। वहीं जो क्षेत्र उनके पिता अकबर द्धारा नहीं हासिल किए गए थे, उन्होंने सबसे पहले ऐसे निर्विवाद क्षेत्रों को जीतने के प्रयास किए। मुगल सम्राट जहांगीर ने अपना सबसे पहला सैन्य अभियान मेवाड़ के शासक अमर सिंह के खिलाफ चलाया।

जिसके बाद अमर सिंह को जहांगीर के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा और फिर दोनों शासकों के बीच साल 1615 ईसवी में शांति संधि हुई। मेवाड़ में मुगल साम्राज्य का विस्तार करने के बाद अपना विजय अभियान चलाते हुए, जहांगीर ने दक्षिण भारत में मुगलों का आधिपत्य जमाने के मकसद से दक्षिण में फोकस करना शुरु किया।

हालांकि वे इस पर अपना पूरी तरह से नियंत्रण करने में तो कामयाब नहीं हो सके, लेकिन उनके सफल प्रयासों से बीजापुर के शासक, अहमदनगर और मुगल साम्राज्य के बीच शांति समझौता किया गया, जिसके बाद कुछ किले और बालाघाट के क्षेत्र मुगलों को दे दिए गए।

जबकि जहांगीर ने अपने पुत्र खुर्रम उर्फ शाहजहां के नेतृत्व में साल 1615 में उत्तरी भारत में मुगल साम्राज्य का विस्तार किया। इस दौरान उनकी सेना ने कांगड़ा के राजा को हार की धूल चटाई और अपने विजयी अभियानों को दक्करन तक आगे बढ़ाया। इस तरह मुगल साम्राज्य का विस्तार होता चला गया।

सलीम और अनारकली की मोहब्बत की कहानी – Salim And Anarkali Love Story Hindi 

सलीम और अनारकली एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। परंतु ये बात बादशाह अकबर को पसंद नही थी, और अकबर ने दोनो को अलग करने के लिए कई हथकंडे लगाए, पर अलग नही करने सके। अंत: सलीम ने अनारकली के लिए बग़ावत कर दिया पर सलीम की हर हुई। उस समय बादशाह अकबर ने कहा या तुम अपने आप को मौत के हवाले कर दो या अनारकली को हमारे हवाले कर दो, लेकिन सलीम ने अपने प्यार के खातिर अपने आप को मौत से गले लगाने के लिए तैयार हो गाए। परंतु उसी समय अनारकली और खुद के बादशाह अकबर के हवाले कर दी, और सलीम का जान बचा ली इसके बाद बादशाह अकबर ने उसे दीवारो मे चुनावा दिया और सिसक कर एक जिंदा मोहब्बत ने दम तोड़ दिया।

जहांगीर का विवाह और बच्चे – Jahangir Marriage and Children

अकबर का इकलौता बारिस होने के कारण और वैभव-विलास में पालन-पोषण की वजह से जहांगीर एक बेहद शौकीन और रंगीन मिजाज का शासक था, जिसने करीब 20 शादियां की थी, हालांकि उनकी सबसे चहेती और पसंदीदा बेगम नूर जहां थीं। वहीं उनकी कई शादियां राजनीतिक कारणों से भी हुईं थी।

16 साल की उम्र में जहांगीर की पहली शादी आमेर के राजा भगवान राज की राजकुमारी मानबाई से हुई थी। जिनसे उन्हें दो बेटों की प्राप्ति हुई थी। वहीं जहांगीर के बड़े बेटे खुसरो मिर्जा के जन्म के समय मुगल सम्राट जहांगीर ने अपनी पत्नी मानबाई को शाही बेगम की उपाधि प्रदान की थी।

इसके बाद जहांगीर कई अलग-अलग राजकुमारियों से उनकी सुंदरता पर मोहित होकर शादी की। आपको बता दें साल 1586 में जहांगीर ने उदय सिंह की पुत्री जगत गोसन की सुंदरता पर मोहित होकर उनसे विवाह किया। जिनसे उन्हें दो पुत्र और दो पुत्रियां पैदा हुईं।

हालांकि, इनमें से सिर्फ एक ही पुत्र खुर्रम जीवित रह सका, अन्य संतान की बचपन में ही मौत हो गई। बाद में उनका यही पुत्र सम्राट शाहजहां के रुप में मुगल सिंहासन पर बैठा और मुगल साम्राज्य का जमकर विस्तार किया, वहीं शाहजहां को लोग आज भी सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल के निर्माण के लिए याद करते हैं।

जहांगीर के अपनी सभी पत्नियों से पांच बेटे खुसरो मिर्जा, खुर्रम मिर्जा (शाहजहां), परविज मिर्जा, शाहरियर मिर्जा, जहांदर मिर्जा और इफत बानू बेगम, बहार बानू बेगम, बेगम सुल्तान बेगम, सुल्तान-अन-निसा बेगम,दौलत-अन-निसा बेगम नाम की पुत्रियां थी।

जहांगीर की पसंदीदा बेगम नूरजहां से रिश्ते – Jahangir and Nur Jahan

ऐसा कहा जाता है कि जब पहली बार मुगल सम्राट जहांगीर ने मिर्जा ग्यास बेद की बेटी मेहरून्निसा उर्फ नूरजहां को देखा था। तो वे उनकी खूबसूरती से इतने मोहित हो गए थे, कि उन्होंने उनसे निकाह करने का फैसला लिया था। आपको बता दें कि मेहरून्निसा को अपने पति अलीकुली बेग की मौत के बाद अकबर की विधवा सलीमा बेगम की सेवा के लिए नियुक्त किया गया था।

1611 ईसवी में सम्राट जहांगीर ने मेहरून्निसा की खूबसूरती पर लट्टू पर विधवा मेहरुन्निसा से शादी कर ली। वहीं शादी के बाद सम्राट जहांगीर ने उसे नूरमहल और नूरजहां की उपाधि दी थी। इसके साथ ही जहांगीर ने अपने राज्य की सारी शक्तियां भी नूरजहां बेगम के हाथों में सौंप दी थी।

नूरजहां को इतिहास में एक साहसी महिला के रुप में भी जाना जाता है, क्योंकि वह जहांगीर के साथ उनके राजकाज में हाथ बंटाती थी, वहीं जहांगीर अपने शासनकाल में सभी महत्वपूर्ण फैसलें नूरजहां की सलाह से ही लेता था। वहीं 1626 ईसवी में नूरजहां बेगम ने इतमाद-उद-दौला का मकबरे का निर्माण करवाया था, यह मुगलकालीन वास्तुकला से बनाई गई पहली ऐसी इमारत थी जो सफेद संगमरमर से बनी थी।

चित्रकला का गूढ़ प्रेमी था जहांगीर – Jahangir Painter

मुगल सम्राट जहांगीर चित्रकला का बेहद शौकीन था, वे अपने महल में कई अलग-अलग तरह के चित्र इकट्ठे करते रहते थे उसने अपने शासनकाल में चित्रकला को काफी बढ़ावा भी दिया था। यही नहीं जहांगीर खुद के एक बेहतरीन आर्टिस्ट थे। मनोहर और मंसूर बिशनदास जहांगीर के शासनकाल के समय के मशहूर चित्रकार थे।

जहांगीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल भी कहा जाता है। वहीं मुगल सम्राट ने जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा में भी लिखा है कि “कोई भी चित्र चाहे वह किसी मृतक व्यक्ति या फिर जीवित व्यक्ति द्वारा बनाया गया हो, मैं देखते ही तुरंत बता सकता हुँ कि यह किस चित्रकार की कृति है।”

अपने बेटे खुसरों के खिलाफ विद्रोह और पांचवे सिख गुरु की हत्या – Jahangir and Khusrau Mirza

मुगल सम्राट जहांगीर जब मुगल सिंहासन की बागडोर संभाल रहे थे, तभी उनके सबसे बड़े बेटे खुसरो ने सत्ता पाने के लालच में अपने पिता जहांगीर पर 1606 ईसवी में षणयंत्र रच आक्रमण करने का फैसला लिया था। जिसके बाद जहांगीर की सेना और खुसरो मिर्जा के बीच जलांधर के पास युद्ध हुआ और जहांगीर की सेना खुसरो को हराने में सफल रही और इसके बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया।

इसके कुछ समय बाद ही खुसरो की मृत्यु हो गई थी। वहीं जहांगीर को जब पता चला कि खुसरो द्धारा उनके खिलाफ विद्रोह में सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुन देव ने मद्द की है, तो उन्होंने अर्जुन देव की हत्या करवा दी।

“न्याय की जंजीर” के लिए जहांगीर को किया जाता है याद – Nyay ki Zanjeer

जहांगीर ने कुशल और आदर्श शासक के रुप में अपने शासनकाल में न्याय व्यवस्था को ठीक करने के भी उचित कदम उठाए। जहांगीर जनता के कष्टों और मामलों को खुद भी सुनता था। और उनकी समस्याओं का हल करने की पूरी कोशिश करता था, एवं उन्हें न्याय दिलवाता था।

इसके लिए जहांगीर ने आगरे के किले शाहबुर्ज और यमुना तट पर स्थित पत्थर के खंबे में एक सोने की जंजीर बंधवाई थीं जिसमें करीब 60 घंटियां भी लटकी हुई थी, जो कि “न्याय की जंजीर” के रुप में प्रसिद्ध हुई। दरअसल, कोई भी फरियादी मुश्किल के समय इस जंजीर को पकड़कर खींच सकता था और सम्राट जहांगीर से न्याय की गुहार लगा सकता था।

करीब 40 गज लंबी इस “न्याय की जंजीर” को बनवाने में काफी ज्यादा लागत खर्च हुई थी। वहीं जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए आज भी याद किया जाता है।

मुगल सम्राट जहांगीर की मृत्यु – Jahangir Death

साल 1627 में जब मुगल सम्राट जहांगीर कश्मीर से वापस लौट रहा था, तभी रास्ते में लाहौर (पाकिस्तान) में तबीयत बिगड़ने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, जहांगीर के मृत शरीर को अस्थायी रूप से लाहौर में रावी नदी के किनारे बने बागसर के किले में दफनाया गया था।

फिर बाद में वहां जहांगीर की बेगम नूरजहां द्धारा जहांगीर का भव्य मकबरा बनवाया गया, जो आज भी लाहौर में पर्यटकों के आर्कषण का मुख्य केन्द्र है। वहीं जहांगीर की मौत के बाद उसका बेटा खुर्रम (शाहजहां) मुगल सिंहासन का उत्तराधिकारी बना।

एक नज़र मे जहाँगीर का इतिहास

  • सलीम का पहला विवाह 1585 ई. में आमेर के राजा भगवानदास की पुत्री और मानसिंह की बहन मानबाई से हुआ था | इसी पत्नी से खुसरो का जन्म हुआ था |
  • सलीम का दूसरा विवाह उदयसिंह (मारवाड़) की पुत्री जगत् गोंसाई (जोधाबाई) के साथ हुआ था | इसी से खुर्रम का जन्म था |
  • मानबाई को सलीम ने “शाह बेगम” का पद प्रदान किया था किन्तु बाद में उसने सलीम की आदतों से दुखी होकर आत्महत्या कर ली थी |
  • अकबर के दो पुत्रो दानियाल और मुराद की मृत्यु पहले ही हो गयी थी अतएव अकबर की मृत्यु के बाद 3 नवम्बर 1605 ई. को आगरा के किले में सलीम का राज्याभिषेक हुआ |
  • जहांगीर ने गद्दी पर बैठते ही आगरे के किले की शाहबुर्जी और यमुना के किनारे खड़े पत्थर के एक खम्भे के बीच “न्याय की प्रसिद्ध जंजीर” लगवाई थी जिसमे 60 घंटिया थी तथा बारह घोषणाये प्रकाशित करवाई |
  • जहांगीर की बारह घोषणाओं को आईने जहाँगीरी कहा जाता है | जहांगीर की बारह घोषणाओं में से एक “एम्मा” भूमि का प्रमाणकरण था जो वाक्याते-जहाँगीरी में प्रार्थना एवं प्रशंसा के लिए दी गयी भूमि के रूप में वर्णित है |
  • जहांगीर को गद्दी पर बैठते ही सर्वप्रथम 1606 ई. में खुसरो के विद्रोह का सामना करना पड़ा |
  • खुसरो को सिक्खों के पाँचवे गुरु अर्जुन देव का आशीर्वाद प्राप्त था | इसके अतिरिक्त उसे मानसिंह तथा खाने आजम (अजीज कोका ) का परोक्ष रूप से समर्थन प्राप्त था |
  • खुसरो को आशीर्वाद एवं आर्थिक सहायता देने के कारण जहांगीर ने उन पर राजद्रोह का आरोप लगाकर फांसी की सजा दी थी | गुरु अर्जुन देव की समाधि लाहौर दुर्ग के ठीक बाहर स्थित है |
  • खुसरो और जहांगीर के बीच युद्ध जालन्धर के निकट भेरावल नामक स्थान पर हुआ था | जिसके खुसरो खां पराजित हुआ और जहांगीर ने उसे अँधा करवा दिया और 1622 ई. में शाहजहाँ ने एक हत्यारे से उसकी हत्या करवा दी |
  •  जहांगीर ने 1602 ई. में अपने मित्र वीरसिंह बुंदेला द्वारा अबुल फजल की हत्या करवा दी और वीरसिंह को अपने शासनकाल में 3000 घुड़सवारो का मनसब प्रदान किया था |

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