History

Harivansh Rai Bachchan | हरिवंश राय बच्चन की जीवनी

Harivansh Rai Bachchan | हरिवंश राय बच्चन की जीवनी

Harivansh Rai Bachchan :- हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन 20 वी सदी के नयी कविताओ के एक विख्यात भारतीय कवी और हिंदी के लेखक थे. उनका जन्म प्रतापगढ़ जिले के बाबुपत्ति गाव में श्रीवास्तव कायस्थ परिवार में हुआ, वे हिंदी कवी सम्मलेन के विख्यात कवी थे. ऊनकी सबसे प्रसिद्ध कृति “मधुशाला” है. और वे भारतीय सिनेमा के विख्यात अभिनेता, अमिताभ बच्चन के पिता भी है. 1976 में, उन्हें उनके हिंदी लेखन ने प्रेरणादायक कार्य के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

पूरा नाम :-  हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन
जन्म  :- 27 नवम्बर 1907
जन्मस्थान  :- बाबुपत्ति गाव ( प्रतापगढ़ जि. )
पिता :- प्रताप नारायण श्रीवास्तव
माता  :- सरस्वती देवी
विवाह :- श्यामा बच्चन, उनके मृत्यु के बाद तेजी बच्चन से विवाह
सन्तान  :-अमिताभ और अजिताभ

Harivansh Rai Bachchan Biography:- हरिवंश राय बच्चन की जीवनी
अल्लाहाबाद के कायस्थ परिवार में जन्म लिए हरिवंश राय बच्चन के पूर्वज बाबु पत्ति, रानीगंज तहसील से थे जो प्रतापगढ़ (उ.प्र.) जिले में आता है. वे प्रताप नारायण श्रीवास्तव और सरस्वती देवी के बड़े बेटे थे. उन्हें बच्चन के नाम से जाना जाता था. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा जिल्हा परिषद स्कूल से पूर्ण की और अपने परिवार की प्रथा को ही आगे चालू रखते हुए कायस्थ पाठशाला में उर्दू की शिक्षा ली.बाद में अल्लाहाबाद विद्यापीठ और बनारस हिन्दू विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूर्ण की. इन सब के चलते हुए वे महात्मा गाँधी के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए. अल्लाहाबाद विद्यालय से उन्हें 42 मेम्बरों की सूचि में “भूतकाल का गर्वि छात्र” का सम्मान दिया गया था.उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा जिल्हा परिषद स्कूल से पूर्ण की और अपने परिवार की प्रथा को ही आगे चालू रखते हुए कायस्थ पाठशाला में उर्दू की शिक्षा ली. और बाद में अल्लाहाबाद विद्यापीठ और बनारस हिन्दू विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूर्ण की. इन सब के चलते हुए वे महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए. अल्लाहाबाद विद्यालय से उन्हें 42 मेम्बरों की सूचि में “भूतकाल का गर्वि छात्र” का सम्मान दिया गया था.उन्होंने ये जाना की जिस रास्ते पर वे चल रहे है वो रास्ता वो नहीं है जो वो चाहते है, इसलिए वे वापिस विद्यापीठ गये. और इस तरह 1941 से 1952 तक उन्होंने अल्लाहाबाद विद्यापीठ के इंग्लिश विभाग में रहते हुए इंग्लिश पढाई और बाद में 2 साल सेंट कैथरीन कॉलेज, कैम्ब्रिज में बिताये. वही कैम्ब्रिज विद्यापीठ से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवी डब्लू.बी. यीट्स की कविताओ पर शोध कर पीएच्.डी पूरी की. और उसी समय से वे अपने नाम के पीछे श्रीवास्तव के जगह बच्चन का उपयोग करने लगे. अंग्रेजी में कैम्ब्रिज विद्यापीठ से पीएच्.डी पूरी करने वाले वे दुसरे भारतीय थे. बाद में भारत वापिस आने के बाद उन्होंने बच्चो को पढाना शुरू किया और आल इंडिया रेडियो, अल्लाहाबाद की सेवा भी की.

Harivansh rai bachchan student life:-अंग्रेजी में कैम्ब्रिज विद्यापीठ से पीएच्.डी पूरी करने वाले वे दुसरे भारतीय थे. बाद में भारत वापिस आने के बाद उन्होंने बच्चो को पढाना शुरू किया और आल इंडिया रेडियो, अल्लाहाबाद की सेवा भी की.1926 में, 19 साल की आयु में, बच्चन ने उनकी पहली शादी की, उनकी पत्नी का नाम श्यामा था, जो केवल 14 साल की ही थी. और 24 साल की छोटी सी उम्र में ही टी.बी होने के बाद 1936 में उसकी मौत हो गयी. बच्चन ने तेजी बच्चन के साथ 1941 में दूसरी शादी की. और उनको दो बेटे भी हुए, अमिताभ और अजिताभ.1955 में, हरिवंशराय बच्चन दिल्ली में एक्सटर्नल विभाग में शामिल हुए जहा उन्होंने बहोत सालो तक सेवा की और हिंदी भाषा के विकास में भी जुड़े. उन्होंने अपने कई लेखो द्वारा हिंदी भाषा को प्रध्यान्य भी दिया. एक कवी की तरह वो अपनी कविता मधुशाला के लिए प्रसिद्ध है. ओमर खय्याम की ही तरह उन्होंने भी शेकस्पिअर मैकबेथ और ऑथेलो और भगवत गीता के हिंदी अनुवाद के लिए हमेशा याद किये जायेंगे. इसी तरह नवम्बर 1984 में उन्होंने अपनी आखिरी कविता लिखी “एक नवम्बर 1984” जो इंदिरा गांधी हत्या पर आधारित थी.1966 में हरिवंशराय बच्चन का भारतीय राज्य सभा के लिए नामनिर्देशित हुआ और इसके तीन साल बाद ही सरकार ने उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया.

Harivansh rai bachchan award:-1976 में, उनके हिंदी भाषा के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.और उनके सफल जीवनकथा, क्या भूलू क्या याद रखु, नीदा का निर्मन फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक के लिए सरस्वती सम्मान दिया गया. इसी के साथ उन्हें नेहरू पुरस्कार लोटस पुरस्कार भी मिले है. अगर हम उन के बारे में प्रस्तावना जान्ने की कोशिश करे तो वन उन्होंने बहोत आसान बताई है, मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन- यही उनका परिचय है.1976 में, उनके हिंदी भाषा के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.और उनके सफल जीवनकथा, क्या भूलू क्या याद रखु, नीदा का निर्मन फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक के लिए सरस्वती सम्मान दिया गया. इसी के साथ उन्हें नेहरू पुरस्कार लोटस पुरस्कार भी मिले है. अगर हम उन के बारे में प्रस्तावना जान्ने की कोशिश करे तो वन उन्होंने बहोत आसान बताई है, मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन- यही उनका परिचय है.बच्चन जी की मृत्यु 18 जनवरी 2003 को 96 साल की आयु में बहोत से शारीरिक पुर्जो के ख़राब हो जाने के कारन हुई. और उनकी पत्नी तेजी बच्चन उनके जाने के तक़रीबन 5 साल बाद दिसम्बर 2007 में 93 साल की आयु में भगवान को प्यारी हुई.

“लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती !

नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,

मन का विश्वास रगों में साहस भरते जाता है,
चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,

आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती”

 

One thought on “Harivansh Rai Bachchan | हरिवंश राय बच्चन की जीवनी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *