H. D. Deve Gowda | एच.डी. देवगौड़ा
एच.डी. देवगौड़ा
जन्मः 18 मई 1933 हरदनहल्ली गांव, हासन, कनार्टक
कार्य क्षेत्र: राजनीति, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री
हरदनहल्ली डोडे गौड़ा देव गौड़ा एक भारतीय राजनीतिग्य हैं। वे भारत के 11वें प्रधानमंत्री और कनार्टक राज्य के 14वें मुख्यमंत्री थे। वे राजनीतिक पार्टी जनता दल के नेता हैं। उन्होंने अंजानेया सहकारी समिति के मुखिया और बाद में तालुक विकास बोर्ड होलनारासिपूरा के सदस्य के तौर पर राजनीति जगत में जगह बनाई। एच.डी. देवगौड़ा संयुक्त मोर्चा सरकार के नेता के रूप में भारत के प्रधानमंत्री चुने गए थे। इन्होंने 1 जून, 1996 को प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण किया था पर ये ज़्यादा समय तक प्रधानमंत्री पद पर नहीं रह सके और लगभग 10 महीने तक प्रधानमंत्री रहने के बाद उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
शुरुआती जीवन
एच.डी. देवगौड़ा का जन्म 18 मई 1933 को कनार्टक के हासन जिले के होलनरसिपुरतालुक में हरदनहल्ली गांव में हुआ था। वे डोडे गोवड़ा और देवअम्मा के पुत्र हैं। वह किसान परिवार से संबंध रखते हैं और उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लिया हुआ है। पढ़ाई पूरी करने के बाद 20 वर्ष की आयु में गोवड़ा राजनीति में आ गए। उन्होंने चिनम्मा से विवाह किया और उनके चार पुत्र हैं – एच.डी. बालकृष्ण गौड़ा, एच.डी. रेवन्ना, डा. एच.डी. रमेश और एच.डी. कुमार स्वामी हैं। उनकी दो पुत्रियां भी हैं जिनका नाम एच.डी. अनुसुइया और एच.डी. शैलजा है। उनके एक पुत्र एच.डी. कुमारस्वामी कनार्टक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
राजनैतिक जीवन
गौड़ा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छोटी उम्र में की। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर सन 1962 तक पार्टी के कार्यकर्ता रहे। इसके बाद उन्होंने कनार्टक विधानसभा के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्होंने लगातार तीन बार चुनाव में जीत दर्ज की (चौथी (1967-71), पांचवी ( 1972.77) और छठवीं (1978.83))। वे राज्य विधानसभा में 1972-1976 तक और 1976-1977 तक विपक्ष के नेता रहे। सन 1975 में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गए आपातकाल के दौरान वे 18 महीने जेल में रहे। इस दौरान उन्होंने कई किताबें पढ़कर और उस दौर में जेल में बंद नेताओं से बात करके अपना राजनीतिक ज्ञान बढ़ाया। इस ज्ञान से उनका राजनैतिक व्यक्तित्व और विचार दोनों ही निखरे। 22 नवंबर 1982 को गौड़ा ने छठवीं विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद वह सातवीं और आठवीं विधानसभा में लोकनिर्माण व सिंचाई मंत्री बने। सिंचाई मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सिंचाई की कई नई योजनाएं शुरू कीं। 1987 में उन्होंने मंत्रीमंडल छोड़ दिया और सिंचाई के लिए अपर्याप्त धन दिए जाने का विरोध किया। 1989 में उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा। 222 विधानसभा सीटों में से जनता दल पार्टी को सिर्फ 2 सीटें ही मिलीं।
इसके बाद 1991 में वह हासन संसदीय क्षेत्र से संसद के लिए निर्वाचित हुए। उन्होंने कर्नाटक के लोगों खासतौर पर किसानों की समस्याएं उठाने में अहम भूमिका निभाई। आम जनता के साथ-साथ उन्हें संसद में भी सभी से बहुत सम्मान मिला। वह दो बार जनता दल के नेता बने। इसके बाद वह जनता दल पार्टी की ओर से विधायक दल के नेता चुने गए और 11 दिसंबर 1994 को कनार्टक के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। इस बड़ी सफलता के बाद उन्होंने भारी मतों के साथ रामनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीता। 1995 में एच.डी. देवगौड़ा ने अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री फॉरम तथा अन्य विकास के विषयों के लिए स्विटजरलैंड तथा मध्य पूर्व के देशों की यात्राएं की। 1996 में कांग्रेस पार्टी को लोक सभा चुनाव में हार मिली और प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव को पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद एच.डी. देवगोवड़ा देश के 11वें प्रधानमंत्री बने। यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने में असफल रही और यूनाइटेड फ्रंट गठबंधन (क्षेत्रीय, गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों का संयुक्त समूह) ने सरकार बनाई। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वह 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
योगदान
एच.डी. देवगौड़ा अपने राजनैतिक जीवन में किसानों की स्थिति बेहतर करने के लिए काम किया है। उन्होंने कर्नाटक के विकास के लिए भी बहुत कुछ किया। जब वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने आरक्षण व्यवस्था की शुरूआत की, जिसके तहत अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान था। उन्होंन हुबली में ‘‘ईदगाह‘‘ मैदान की समस्या को हल किया और राज्य के विकास के लिए पूरे प्रदेश का सर्वे कराने की घोषणा की। सर्वे पूरा होने के बाद राज्य सरकार ने कई नई योजनाओं को लागू किया।
टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)
1933: कर्नाटक के हसन जिले में हरदनहल्ली गांव में जन्म हुआ।
1953: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सम्मिलित हुए।
1972-76: विपक्ष के नेता बने
1975: आपातकाल के दौरान जेल भेजे गए।
1982: छठी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।
1987: मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया।
1989: चुनाव में हार मिली।
1991: लोकसभा के लिए हासन संसदीय क्षेत्र से चुने गए।
1994: जनतादल पार्टी के विधायक दल के नेता बनकर राज्य के 14वें मुख्यमंत्री बने।
1995: सिंगापोर और मध्य पूर्व देशों की यात्रा की।
1996: भारत के 11वें प्रधानमंत्री बने।