Dr Farooq Abdullah | फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला
जन्मः 21 जनवरी 1937, सौरा, जम्मू-कश्मीर
कार्य क्षेत्र: राजनेता, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री
फारूक अब्दुल्ला भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के एक प्रसिद्ध राजनेता हैं। वह जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वे केंद्र सरकार में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं। वह शेख अब्दुल्ला के पुत्र हैं, जो नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के दिग्गज नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री थे। शेख अब्दुल्ला को ‘‘ कश्मीर का शेर‘‘ कहा जाता था। फारूक अब्दुल्ला ने अपने समय में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन कई बार अलग हुआ और कांग्रेस समर्थक राज्यपाल सरकार भी भंग की गई। जब उनकी पार्टी ने 1987 में चुनाव जीता तब धांधली की भी कई अफवाहें उड़ीं थीं। 1980 और 1990 के दशक में उनके प्रशासन के दौरान जम्मू कश्मीर राज्य में बेरोजगारी बढ़ी और राज्य उग्रवाद से ग्रस्त रहा, इस कारण हजारों कश्मीरियों को जान गंवानी पड़ी। इस अवधि में कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह जीवन गुजारना पड़ा। फारूक अब्दुल्ला कश्मीर मसले पर अपना नजरिया भारत समर्थक के साथ-साथ स्वायत्त समर्थक के तौर पर स्पष्ट करते हैं। अपने बच्चों की शादी गैर-मुस्लिम परिवार में करके वह स्वयंभू धर्मनिरपेक्षतावादी की छवि पेश करते हैं।
शुरुआती जीवन
फारूक अब्दुल्ला शेख अब्दुल्ला (जो कश्मीर के प्रख्यात राष्ट्रवादी नेता थे)के पुत्र हैं। उन्होंने 1930 तथा 1940 के दशक में जम्मू कश्मीर में सामंत डोगरा शासन को समाप्त करने के लिए लगातार काम किया। फारूक की पढ़ाई श्रीनगर में शेखबाग (लाल चौक) स्थित सी.एम.एस. ट्रायंडले बिस्कोए स्कूल में हुई। उनकी मां का नाम अकबर जहां बेगम था। उन्होंने राजस्थान के जयपुर में एस.एम.एस. मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. की डिग्री लेकर स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
कॅरिअर
अगस्त 1981 में उन्हें नेशनल कांफ्रेंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह कई बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उनके पिता शेख अब्दुल्ला एक राष्ट्रीय नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इंग्लैंड चले गए जहां डॉक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। यहां उनकी घनिष्ठता एक ब्रिटिश नागरिक नर्स मॉली से हुई, जिससे उन्होंने शादी कर ली। सन 1987 में जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया। इस वक्त जम्मू कश्मीर के लोगों की चिंता के कई कारण थे। बेरोजगारी और आतंकवादी हावी था, जिस पर नियंत्रण करने में फारूक असफल साबित हुए। हजारों धार्मिक अल्पसंख्यक घाटी छोड़कर चले गए। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे। 1987 में जब उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की, तब कांग्रेस ने भी उन पर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया। इस अवधि के दौरान उग्रवाद चरम पर पहुंच गया और प्रशिक्षित उग्रवादियों ने भारत से पाकिस्तान तक अपना रास्ता बना लिया। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री की पुत्री का अपहरण हो गया। इसके चलते अब्दुल्ला सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और राज्य में फिर से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 1982 से 1984 के बीच उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान राज्यपाल जगमोहन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया लेकिन कांग्रेस के साथ बातचीत करके वह 1986 में वापस सत्ता में आए। वर्ष 2002 में उनकी सरकार चुनाव में मुफ़्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली आई.एन.सी.-पी.डी.पी. गठबंधन से हार गई। फारूक अब्दुल्ला को एक अच्छे वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है। उनकी पार्टी भारतीय संविधान में कश्मीर की स्वायत्ता के पक्ष में है तथा नियंत्रण रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा निर्धारित करने की वकालत करती है। फारूक अब्दुल्ला दिल्ली गोल्फ क्लब, रॉयल स्प्रिंग गोल्फ कोर्स, कश्मीर एंड सेंट एंडयू स्कॉटलैंड गोल्फ क्लब के सदस्य हैं। वह जम्मू कश्मीर क्रिकेट संघ के भी अध्यक्ष ।
टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)
1980: 7वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।
1982: जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए चुने गए और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बने।
1983: दूसरी बार विधानसभा पहुंचे और मुख्यमंत्री बने।
1987: तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीता और दोबारा मुख्यमंत्री बने।
1996: चौथी बार विधानसभा चुनाव जीतकर राज्य के मुख्यमंत्री बने।
2002: पहली बार राज्यसभा सदस्य बने।
2008: पाचवीं बार जम्मू कश्मीर विधानसभा के सदस्य बने।
2009: दूसरी बार पुनः राज्यसभा के सदस्य चुने गए।
2009: 15वीं लोकसभा में दूसरी बार लोकसभा सदस्य बने।
2009: जम्मू व कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस संसदीय पार्टी के लोकसभा में नेता बने।
2009: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के केंद्रीय मंत्री बने।
2009: जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष बने।