BIHAR BOARD CLASS 9TH MATH | चतुर्भुज
BIHAR BOARD CLASS 9TH MATH | चतुर्भुज
Bihar Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज)
चतुर्भुज
प्रश्नावली 8.1
1. एक चतुर्भुज के कोण 3:5:9:13 के अनुपात में हैं। इस चतुर्भुज के सभी कोण
ज्ञात कीजिए।
हल : माना कोण है (3x)°, (5x)°, (9x)° और (13x)°
तब 3x+5x+9x+13x = 360
⇨ 30x = 360
⇨ x = 360/30 =12
.: कोण हैं (3×12)°, (5×12)°, (9×12)° और (13 x 12)° अर्थात् 36°, 60°, 180°
और 156° हैं।
2. यदि एक समांतर चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों, तो दर्शाइए कि वह एक आयत है ।
हल : समांतर चतुर्भुज ABCD में, AC = BD.
सिद्ध करना है : ABCD एक आयत है।
प्रमाण : ∆ABC और ∆DCB में, दिया है
AB= DC
[समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ]
BC = BC [उभयनिष्ठ]
और AC = DB [दिया है।]
.: सर्वांगसम की SSS रचना द्वारा,
∆ABC = ∆DCB
⇨ ∠ABC ≈∆DCB ….(1)
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
लेकिन AB || DC और BC उनको काटते हैं
.: ∠ACB + ∠DCB = 180° …..(2)
[क्रमागत आंतरिक कोणों का योग 180° होता है।]
⇨ 2∠ABC = 180°
⇨ ∠ABC = 90°
इस प्रकार, ∠ABC = ∠DCB = 90°
⇨ ABCD एक समांतर चतुर्भुज है जिसका एक कोण 90° है।
अत: ABCD एक आयत है।
3. दर्शाइए कि यदि किसी चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें, तो वह एक समचतुर्भुज होता है।
हल : चतुर्भुज ABCD में विकर्ण AC और BD
बिन्दु O पर काटते हैं, जिससे कि AO= OC, BO
=OD और AC⊥ BD प्राप्त होते हैं।
सिद्ध करना है : ABCD एक समचतुर्भुज है।
प्रमाण : चूँकि चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC
और BD एक-दूसरे को समकोण पर समद्विभाजित
करते हैं।
.: AC, रेखाखंड BD का लंब समद्विभाजक है
⇨ A और C दोनों B और D से समान दूरी पर हैं
⇨ AB = AD और CB = CD …. (1)
साथ ही, BD रेखाखंड AC का लंबीय समद्विभाजक है
⇨ B और D दोनों A और C से समान दूरी पर स्थित हैं
⇨ AB = BC और AD = DC ….(2)
समी. (1) व (2) से, AB = BC = CD = AD
इसी प्रकार ABCD एक चतुर्भुज है, जिसके विकर्ण एक-दूसरे को समकोणों पर समद्विभाजित करते हैं और चारों भुजाएँ बराबर हैं।
अतः, ABCD एक समचतुर्भुज है।
दूसरा प्रमाण : पहले हम सिद्ध करेंगे कि ABCD एक समचतुर्भुज है।
∆AOD और ∆COB में,
AO = OC [दिया है।]
OD = OB [दिया है।]
∠AOD = ∠COB [उर्ध्वाभिमुख कोण]
सर्वांगसम की SAS रचना द्वारा,
∆AOD≈ ∆COB
⇨ ∠OAD = ∠OCB …..(1)
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग समान होते हैं।]
अब रेखा AC, AD और BC को बिंदु A तथा C पर क्रमशः इस प्रकार काटती है कि
∠OAD = ∠OCB [समी. (1) से]
अर्थात् आंतरिक एकांतर कोण बराबर होते हैं।
.: AD || BC
इसी प्रकार, AB || CD
अतः, ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
अब हम सिद्ध करेंगे कि समांतर चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
∆AOD और ∆COD में,
OA = OC [दिया है।]
∠AOD = ∠COD [दोनों समकोण हैं।]
OD = OD [उभयनिष्ठ]
.: सर्वांगसम की SAS रचना द्वारा,
∆AOD≈ ∆COD
⇨ AD = CD …..(2)
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
अब ABCD एक समचतुर्भुज है
[ऊपर सिद्ध है।]
⇨ AB = CD और AD = BC
[समचतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।]
⇨ AB = CD = AD = BC [समी. (2) से]
अतः, चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
4. दर्शाइए कि एक वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
हल : दिया है : एक वर्ग ABCD
सिद्ध करना है : AC = BD, AC ⊥ BD और
OA = OC,OB = OD.
प्रमाण : चूंकि ABCD एक वर्ग है इसलिए AB
||DC और AD || BC.
अब, AB || DC और तिर्यक रेखा AC उन्हें
क्रमश: A और C पर काटती है।
.: ∠BAC = ∠DCA [आंतरिक एकांतर कोण बराबर होते हैं।]
∠BAO = ∠DCO ….(1)
पुनः, AB || DC और BD उन्हें क्रमश: B और D पर काटती है
.: ∠ABD = ∠CDB [चूंकि आंतरिक एकांतर कोण बराबर होते हैं।]
⇨ ∠ABO = ∠CDO …..(2)
अब ∆AOB और ∆COD में,
∠BAO = ∠DCO [समी. (1) से]
AB = CD [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।]
और, ∠ABO = ∠CDO [समी. (2) से]
.: सर्वांगसम की ASA रचना द्वारा
∆AOB ≈ ∆COD
⇨ OA = OC और OB=OD
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
अतः विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
∆ADB और ∆BCA में,
AD = BC [वर्ग की भुजाएँ बराबर होती हैं]
∠BAD = ∠ABC [प्रत्येक कोण 90°]
और, AB = BA [उभयनिष्ठ]
.: सर्वांगसम की SAS रचना द्वारा
∆ AD≈ ∆ BCA
⇨ AC = BD
[चूंकि सर्वांगसम त्रिभुज के सदृश भाग बराबर होते हैं]
अतः विकर्ण बराबर हैं।
अब ∆AOB और ∆AOD में,
OB = OD [चूंकि समांतर चतुर्भुज में विकर्ण एक-दूसरे को
समद्विभाजित करते हैं।]
AB = AD [चूंकि वर्ग की भुजाएँ बराबर होती हैं।]
और AO = AO [उभयनिष्ठा]
.: सर्वांगसम की SSS रचना द्वारा,
∆AOB≈ ∆AOD
⇨ ∠AOB = ∠AOD [सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश
भाग बराबर होते हैं]
लेकिन
∠AOB+ ∠AOD = 180°
.: AOB = ∠AOD = 90°
⇨ AO ⊥ BD
⇨ AC ⊥ BD
अतः विकर्ण समकोणों पर काटते हैं।
5. दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों और परस्पर समद्विभाजित करें,
तो वह एक वर्ग होता है।
हल : दिया है : एक चतुर्भुज ABCD में विकर्ण
AC = BD, AO = OC, BO=OD और AC ⊥ BD हैं।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
प्रमाण : पहले हम सिद्ध करेंगे कि ABCD एक
समांतर चतुर्भुज है।
∆AOD और ∆COB में,
AO = OC [दिया है।]
OD = OB [दिया है।]
∠AOD = ∠COB [उर्ध्वाभिमुख कोण]
सर्वांगसम की SAS रचना द्वारा
∆AOD ≈ ∆COB
⇨ OAD = ∠OCB ….(1)
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
अब रेखा AC रेखा AD और रेखा BC को क्रमश: A और C पर काटती हैं, जिससे
कि
∠OAD = ∠OCB [समी. (1) से]
अर्थात् आंतरिक एकांतर कोण बराबर होते हैं।
.: AD || BC
इसी प्रकार, AB || CD
अत: ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
अब हम सिद्ध करेंगे कि यह एक वर्ग है
∆AOB और ∆AOD में,
AO = BO [उभयनिष्ठ]
∠AOB = ∠AOD [प्रत्येक = 90°, दिया है।]
और, OB = OD [चूंकि समांतर चतुर्भुजों के विकर्ण एक-दूसरे
को समद्विभाजित करते हैं।]
.: सर्वांगसम की SAS रचना द्वारा
∆AOB≈∆AOD
⇨ AB = AD
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
परंतु AB = CD और AD = BC
[समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।]
.: AB= BC = CD = AD ….(2)
अब ∆ ABD और ∆BAC में,
AB = BA [उभयनिष्ठ]
AD = BC [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएं बराबर होती हैं।]
और BD = AC [दिया है।]
.: सर्वांगसम की SSS रचना द्वारा
∆AB≈ ∆BAC
⇨ ∠DAB = ∠CBA
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
6. समांतर चतुर्भुज ABCD का विकर्ण AC कोण
A को समद्विभाजित करता है (देखिए
आकृति)। दिखायें कि
(i) यह ∠C को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
हल : (i) दिया है : चतुर्भुज ABCD जिसमें
विकर्ण AC, ∠A को समद्विभाजित करता है।
सिद्ध करना है : विकर्ण AC, ∠C को
समद्विभाजित करता है।
प्रमाण : चूँकि ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है,
अत: AB ∥ DC
अब AB∥DC और AC उन्हें काटता है।
.: ∠1 = ∠3 …..(1) [आंतरिक एकांतर कोण]
पुन: AD∥ BC और AC उन्हें काटता है
.: ∠2=∠4 ….(2) [आंतरिक एकांतर कोण)
लेकिन यह दिया गया है कि AC,∠A का समद्विभाजक है।
.: ∠1 – ∠2 …..(3)
समी. (1),(2) और (3) से,
∠3=∠4
अत: AC,∠C को समद्विभाजित करता है।
(ii) सिद्ध करना है : ABCD एक समचतुर्भुज है।
भाग (i) से : समी. (1), (2) और (3) से, ∠1 = ∠2 = ∠3=∠4
अब ∆ABC में, ∠1 = ∠4
⇨ AB = BC [त्रिभुज में समान कोणों के सामने की
भुजाएँ समान होती हैं।]
इसी प्रकार, ∆ADC में AD = DC
साथ ही, ABCD एक समांतर चतुर्भुज है
.: AB =CD,AD = BC
इन्हें जोड़ने पर प्राप्त होता है,
AB = BC = CD = DA
अत: ABCD एक समचतुर्भुज है।
7. ABCD एक समचतुर्भुज है । दर्शाइए कि विकर्ण AC कोणों A और C दोनों को
समद्विभाजित करता है तथा विकर्ण BD कोणों B और D दोनों को समद्विभाजित
करता है।
हल : दिया है : ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
सिद्ध करना है : (i) विकर्ण AC कोण A और
कोण C को समद्विभाजित करता है।
(ii) विकर्ण ED कोण B और कोण D को
समद्विभाजित करता है
प्रमाण : ∆ADC में,AD = DC
[समांतर चतुर्भुज की भुजाएँ बराबर होती हैं।]
⇨∠DAC = ∠DCA ….(1)
[त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।]
अब AB || DC और AC उन्हें समद्विभाजित करती है।
∠BCA = ∠DAC …..(2) [एकांतर कोण]
समी. (1) व (2) से,
∠DCA = ∠BCA
⇨ AC कोण C को समद्विभाजित करता है।
∆ABC में, AB = BC [समांतर चतुर्भुज की भुजाएँ बराबर होती हैं।]
∠BCA = ∠BAC ….(3)
[त्रिभुज की समान भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं ।]
समी. (2) और (3) से,
∠BAC= ∠DAC
⇨ AC कोण A को समद्विभाजित करता है
अतः, विकर्ण AC कोण A तथा कोण C को समद्विभाजित करता है।
इसी प्रकार, विकर्ण BD कोण B तथा कोण D को समद्विभाजित करता है।
8. ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC दोनों कोणों A और C को समद्विभाजित
करता है । दर्शाइए कि (i) ABCD एक वर्ग है (ii) विकर्ण BD दोनों कोणों B और D को समद्विभाजित करता है।
हल : दिया है : ABCD एक आयत है जिसमें
विकर्ण AC कोण A और कोण C को समद्विभाजित
करता है ।
सिद्ध करना है : (i) ABCD एक वर्ग है।
(ii) विकर्ण BD कोण B और कोण D को
समद्विभाजित करता है।
प्रमाण : (i) चूँकि आयत ABCD में AC कोण A और कोण C को समद्विभाजित करता है।
.: ∠1 = ∠2 = ∠3 = ∠4
[चूँकि प्रत्येक = 90°/2=45°]
.: ∆ADC में, ∠2 = ∠4
⇨ AD = CD [समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ।]
इस प्रकार, आयत ABCD एक वर्ग है।
(ii) वर्ग में विकर्ण कोणों को समद्विभाजित करता है।
अत : BD कोण B और कोण D को समद्विभाजित करता है।
9. समांतर चतुर्भुज ABCD के विकर्ण BD पर दो
बिंदु P और Q इस प्रकार स्थित हैं कि DP= BQ
है (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि
(i) ∆APD ≈ ∆CQB
(ii) AP = CQ
(ii) ∆AQB ≈ ∆CPD
(iv) AQ= CP
(v) APCQ एक समांतर चतुर्भुज है।
हल : दिया है : ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
विकर्ण BD पर बिंदु P और Q इस प्रकार स्थित हैं
कि DP = BQ.
सिद्ध करना है : (i) ∆APD ≈ ∆CQB
(ii) AP= CQ
(iii) ∆AQB ≈ ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समांतर चतुर्भुज है।
रचना : AC को मिलाएँ जो BD से O बिंदु पर मिलती है।
प्रमाण : (i)∆APD और ∆CQB में,
AD = CB [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ।]
AP = CQ [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ]
DP = BQ [दिया है।]
.: सर्वांगसम की SSS रचना द्वारा,
∆APD≈ ∆CQB
(ii) AP = CQ [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ।]
(iii) ∆AQB और ∆CPD में,
AB = CD [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ।]
AQ = CP [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ।]
BQ = DP [दिया है।]
.: सर्वांगसम की SSS रचना द्वारा
∆AQB≈∆CPD
(iv) AQ = CP [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ।]
(v) हम जानते हैं कि समांतर चतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
इस प्रकार, AC और BD एक-दूसरे को O बिंदु पर काटते हैं।
.: OB=OD
लेकिन BQ = DP [दिया है]
⇨OB – BQ =OD-DP ⇨ OQ= OP
इस प्रकार, चतुर्भुज APCQ में विकर्ण AC और PQ इस प्रकार हैं कि OQ = OP और
OA = OC अर्थात् विकर्ण AC और PQ एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
अतएव, APCQ एक समांतर चतुर्भुज है।
10. ABCD एक समांतर चतुर्भुज है तथा AP और CQ
शीर्षों A और C से विकर्ण BD पर क्रमशः लम्ब
हैं (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि
(i) ∆APB≈∆CQD
(ii) AP=CQ
हल : (i) चूँकि ABCD एक समांतर चतुर्भुज है। अत: DC ||AB.
अब, DC ||AB और तिर्यक रेखा BD उन्हें B और D पर प्रतिच्छेदित करती है।
.: ∠ABD = ∠BDC [आंतरिक एकांतर कोण]
अब, ∆APB और ∆CQD में,
∠ABP = ∠QDC [चूँकि ∠ABD = ∠BDC]
∠APB = ∠CQD [प्रत्येक = 90°]
और, AB = CD [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ।]
.: सर्वांगसम की AAS रचना द्वारा,
∆APB ≈ ∆CQD
(ii) चूँकि ∆APB≈ ∆CQD
.: AP = CQ
[चूँकि सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
11. ∆ABC और ∆ DEF में, AB = DE,AB || DE, BC = EF और BC || EF हैं। शीर्षों A, B और C को क्रमशः शीर्षों D, E और F से जोड़ा जाता है ( देखिए आकृति)। दर्शाइए कि
(i) चतुर्भुज ABED एक समांतर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समांतर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समांतर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC ≈ ∆DEF है।
हल : दिया है : दो ∆ABC और ∆DEF इस प्रकार हैं कि AB = DE और
AB || DE साथ ही BC = EF और BC || EF.
सिद्ध करना है : (i) चतुर्भुज ABED एक समांतर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समांतर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF.
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समांतर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF
(vi)∆ABC≈∆DEF.
प्रमाण : (i) चतुर्भुज ABED में,
AB = DE और AB || DE
⇨ सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समानांतर होता है।
⇨ ABED एक समांतर चतुर्भुज है।
(ii) अब चतुर्भुज BEFC में,
BC = EF और BC || EF
⇨सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समानांतर होता है।
⇨BEFC एक समांतर चतुर्भुज है।
(iii) अब, AD. = BE और AD || BE …..(1)
[चूँकि ABED एक समांतर चतुर्भुज है]
और CF = BE और CF || BE
[चूँकि BEFC एक समांतर चतुर्भुज है।]
समी. (1) और (2) से,
AD = CF और AD || CF.
(iv) चूँकि AD = CF और AD || CF
⇨सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समानांतर होता है।
⇨ ACFD एक समांतर चतुर्भुज है।
(v) चूँकि ACFD एक समांतर चतुर्भुज है।
.: AC = DF और AC || DE.
(vi) ∆ABC और ∆DEF में,
AB = DE [समांतर चतुर्भुज ABED की सम्मुख भुजाएँ]
BC = EF [समांतर चतुर्भुज BEFC की सम्मुख भुजाएँ]
और, CA = FD [समांतर चतुर्भुज ACFD की सम्मुख भुजाएँ]
.: सर्वांगसम की SSS रचना द्वारा
∆ABC ≈ ∆DEF.
12. ABCD एक समलंब है, जिसमें AB || DC और AD = BC है ( देखिए आकृति)।
दर्शाइए कि
(i) ∠A=∠B
(ii) ∠C=∠D
(iii) ∆ ABC ≈ ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD है।
हल : दिया है : ABCD एक समलंब है जिसमें
AB || DC और AD = BC है।
सिद्ध करना है: (i) ∠AD =∠B
(ii) ∠C=∠D
(iii) ∆ABC ≈ ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD
रचना : AB रेखाखंड खींचिए और एक CE || AD रेखा खींचिए ।
प्रमाण : (i)चूंकि AD ||CE और तिर्यक रेखा AE उन्हें क्रमशः A और E पर प्रतिच्छेद
करती है।
.: ∠A+∠E = 180° ….(1)
चूंकि AB || CD और AD ||CE. अत: AECD एक समांतर चतुर्भुज है।
⇨ AD = CE
⇨ BC = CE [चूंकि AD = BC (दिया है)]
इस प्रकार, ∆BCE में,BC = CE
⇨ ∠CBE = ∠CEB
⇨ 180-∠B = ∠E
⇨ 180-∠E = ∠B ….(2)
समी. (1) व (2) से, ∠A = ∠B
(ii) चूंकि ∠A = ∠B
⇨ ∠BAD = ∠ABD
⇨ 180° – ∠BAD = 180° – ∠ABD
⇨ ∠ADB = ∠BCD
⇨ ∠D = ∠C अर्थात् ∠C = ∠D.
(iii) ∆ABC और ∆ BAD में,
BC = AD [दिया है।]
AB = BA [उभयनिष्ठ]
∠A = ∠B [सिद्ध किया गया है।]
.: सर्वांगसम की SAS रचना द्वारा,
∆ABC≈ ∆BAD
(iv) चूँकि ∆ABC ≈∆BAD
AC = BD
[सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग बराबर होते हैं।]
प्रश्नावली 8.2
1. ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और
DA के मध्य-बिन्दु हैं (देखिए आकृति)। AC उसका एक विकर्ण है । दर्शाइए कि
(i) SR || AC और SR = 1/2 AC है।
(ii) PQ = SR है।
(iii) PQRS एक समांतर चतुर्भुज है।
हल : दिया है : एक चतुर्भुज ABCD जिसमें P,
Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और
DA के मध्य-बिन्दु है, साथ ही AC इसका विकर्ण
है।
सिद्ध करना है : (i) SR || AC और SR = 1/2 AC
(ii) PQ = SR
(iii) PQRS एक समांतर चतुर्भुज है।
प्रमाण : (i) ∆ACD में,
AD का मध्य-बिन्दु S है और CD का मध्य-बिन्दु R है।
तब SR || AC और SR = 1/2 AC [मध्य-बिन्दु प्रमेय]
(ii) ∆ABC में, भुजा AB का P मध्य-बिन्दु है और भुजा BC का मध्य-बिन्दु Q है।
तब PQ|| AC
और PQ = 1/2 AC [मध्य-बिन्दु प्रमेय]
इस प्रकार, हमने सिद्ध किया कि :
PO||AC
SR ||AC
⇨ PQ|| SR
PQ=1/2 AC
साथ ही, SR =1/2 AC
⇨PQ = SR
(iii) चुंकि PQ = SR और PQ || SR
⇨ सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समानांतर होता है।
⇨ PQRS एक समांतर चतुर्भुज है।
2. ABCD एक समचतुर्भुज है और P, Q, R और S क्रमशः भुजाएँ AB, BC, CD और DA के मध्य-बिंदु हैं । दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक आयत है।
हल : दिया है : ABCD एक समचतुर्भुज है जिसमें
P,Q,R और S क्रमशः AB, BC, CD और DA
के मध्य-बिन्दु हैं। चतुर्भुज PQRS बनाने के लिए
PQ. QR, RS और SP को मिलाया गया है।
सिद्ध करना है : PQRS एक आयत है।
रचना : AC को मिलाएँ।
प्रमाण : ∆ABC में P और Q रेखा AB और BC
के मध्य-बिंदु हैं।
.: PQ || AC और PQ =1/2 AC ….(1)
इसी प्रकार, ADC में R और S रेखा CD और PD के मध्य-बिंदु हैं।
.: SR || AC और SR= 1/2 AC …..(2)
समी. (1) और (2) से,
PQ || RS और PQ = SR
अब, चतुर्भुज PQRS में इसकी सम्मुख भुजाओं PQ और SR का एक युग्म बराबर और
समानांतर है।
.: PQRS एक समांतर चतुर्भुज है।
.: AB = BC [समचतुर्भुज की भुजाएँ]
⇨ 1/2AB =1/2BC ⇨ PB = BQ
∠3 = ∠4
[एक त्रिभुज के बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण]
अब, ∆APS और ∆CQR में,
AP=CQ [समान भुजाओं AB, BC के आधे]
AS = CR [समान भुजाओं AD,CD के आधे]
PS = QR
[समांतर चतुर्भुज PQRS की सम्मुख भुजाएँ]
∆APS≈∆CQR [SSS सर्वांगसम प्रमेय]
⇨ ∠1= ∠2 [C.P.C.T.]
अब, ∠1+ ∠SPQ+ ∠3= 180° [रैखिक युग्म स्वतः सिद्ध]
.: ∠1+ ∠SPQ+ ∠3=∠2+∠PQR+∠4
लेकिन ∠1=∠2 and ∠3=∠4 [ऊपर सिद्ध है।]
.: ∠SPQ=∠PQR …..(3)
चुंकि SP || RQ उन्हें काटते हैं,
.: ∠SPQ+∠PQR = 180° …(4)
समी. (3) व (4) से,
∠SPQ= ∠PQR = 90°
इस प्रकार, PQRS एक समांतर चतुर्भुज है जिसका एक कोण SPQ = 90°
अत: PQRS एक आयत है।
3. ABCD एक आयत है, जिसमें P, Q, Rऔर S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA
के मध्य-बिंदु हैं । दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
हल : दिया है : ABCD एक आयत है, जिसमें P, Q, R और S भुजाओं AB, BC, CD
और DA के क्रमशः मध्य-बिंदु हैं। चतुर्भुज PQRS प्राप्त करने के लिए PQ, QR, RS
और SP को मिलाया गया है।
सिद्ध करना है : PQRS एक समचतुर्भुज है।
रचना : AC को मिलाया।
प्रमाण : ∆ABC में P और Qभुजाओं AB और
BC के मध्य-बिंदु हैं।
.: PQ = AC
PQ =1/2AC ….(1)
इसी प्रकार, ∆ADC में R और S भुजाओं CD और AD के मध्य-बिंदु हैं।
.: SR ||AC और SR =1/2AC …..(2)
समी. (1) और (2) से,
PQ || SR और PQ = SR ….(3)
अब, चतुर्भुज PQRS में इसकी सम्मुख भुजाओं PQ और SR का एक युग्म समानांतर और
समान है। [समी. (3) से]
PQRS एक समांतर चतुर्भुज है …..(4)
अब, AD = BC [आयत ABCD की सम्मुख भुजाएँ।]
⇨ 1/2AD =1/2BC ⇨ AS = BQ
∆APS और ∆BPQ में,
AP = BP [चुंकि P रेखा AB का मध्य-बिंदु है]
∠PAS= ∠PBQ [प्रत्येक = 90°]
AS = BQ [ऊपर सिद्ध है।]
.: ∆APS ≈ ∆BPQ [SAS सर्वांगसम स्वतः सिद्ध]
⇨ PS = PQ ….(5) [C.P.C.T.]
समी. (4) और (5) से, हम समचतुर्भज PQRS प्राप्त करते हैं।
4. ABCD एक समलंब है, जिसमें AB || DC है।
साथ ही, BD एक विकर्ण है और E भुजा AD
का मध्य-बिंदु है। E से होकर एक रेखा AB के
समांतर खींची गई है, जो की F पर प्रतिच्छेद
करती है ( देखिए आकृति)। दर्शाइए कि F भुजा
BC का मध्य-बिंदु है।
हल : दिया है : समलंब चतुर्भुज ABCD में,
AB || DC
E भुजा AD का मध्य-बिंदु है, EF || AB.
सिद्ध करना है : F, BC का मध्य-बिंदु है।
रचना : DB को मिलाया। यह EF को G पर काटती है।
प्रमाण : ∆DAB में, E भुजा AD का मध्य-बिंदु है [दिया है।]
EG||AB [.: EF||AB]
.: विलोम मध्य-बिंदु प्रमेय द्वारा G भुजा DB का मध्य-बिंदु है।
∆BCD में G भुजा BD का मध्य-बिंदु है [सिद्ध है]
GF || DC [चुंकि AB||DC,EF||ABD DC||EF]
.: विलोम मध्य-बिंदु प्रमेय द्वारा F, भुजा BC का मध्य-बिंदु है।
5. एक समांतर चतुर्भुज ABCD में E और F क्रमशः
भुजाओं AB और CD के मध्य-बिंदु हैं (देखिए
आकृति) । दर्शाइए कि रेखाखंड AF तथा EC
विकर्ण BD को समत्रिभाजित करते हैं।
हल : दिया है: समांतर चतुर्भुज ABCD में E और
F भुजाओं AB और CD के मध्य-बिंदु हैं, जिसका
विकर्ण BD है।
सिद्ध करना है : BQ = QP = PD
प्रमाण : ABCD एक समांतर चतुर्भुज [दिया गया है।]
.: AB || DC और AB = DC [समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ।]
E भुजा AB का मध्य-बिंदु है। [दिया है।]
.: AE =1/2AB …..(1)
F, CD, का मध्य-बिंदु है।
CF=1/2 CD
CF = 1/2AB ….(2) [चुंकि CD = AB]
समी. (1) व (2) से, AE = CF
साथ ही, AE||CF [चुंकि AB||DC]
इस प्रकार चतुर्भुज AECF को सम्मुख भुजाओं का एक युग्म समानांतर और समान हैं।
चतुर्भुज AECF एक समांतर चतुर्भुज है।
⇨ EC || AF
⇨ EQ ∥ APऔर OC || PF
∆BPA में, E भुजा BA का मध्य-बिंदु है [दिया है।]
EQ ∥ AP [सिद्ध है।]
BQ = QP …(3)
[मध्य-बिंदु प्रमेय का प्रतिलोम]
इसी प्रकार ∆CQD को लेने पर, हम सिद्ध कर सकते हैं कि
DP = QP ….(4)
समी. (3) व (4) से हमें प्राप्त होता है
BQ = QP = PD
अत: AF और CE विकर्ण BD को समत्रिभाजित करते हैं।
6. दशाईए कि किसी चतुर्भुज की सम्मुख भुजाओं के मध्य-बिंदुओं को मिलाने वाले रेखाखंड परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
हल : दिया है : चतुर्भुज ABCD में, P,Q, R और S
क्रमश: AB, BC, CD और DA के मध्य-बिंदु हैं।
PR और QS एक-दूसरे को O पर प्रतिच्छेदित करते
हैं।
सिद्ध करना है : OP = OR, OQ = OS.
रचना : PQ,QR, RS, SP,AC और BD को मिलाया ।
प्रमाण : ∆ABC में, P और Q क्रमश: AB और BC
के मध्य-बिंदु हैं।
.: PQIIAC और PQ=1/2AC
इसी प्रकार हम सिद्ध कर सकते हैं कि
RS ||AC और RS=1/2AC
.: PQ || SR और PQ = SR
इस प्रकार, चतुर्भुज PQRS की सम्मुख भुजाओं का एक युग्म समानांतर और समान हैं।
.: चतुर्भुज PQRS एक समांतर चतुर्भुज है।
चूँकि समांतर चतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
.: समांतर चतुर्भुज PQRS के विकर्ण PR और QS अर्थात् चतुर्भुज ABCD की सम्मुख भुजाओं के मध्य-बिंदुओं से मिलने वाले रेखाखंड एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
7. ABC एक त्रिभुज है जिसका कोण C समकोण है । कर्ण AB के मध्य-बिंदु Mसे होकर BC के समांतर खींची गई रेखा AC को D पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि
(i) D भुजा AC का मध्य-बिंदु है।
(ii) MD ⊥AC है।
(iii) CM = MA =1/2AB है।
हल : दिया है : ∆ABC बिंदु C पर समकोण है।
M कर्ण AB का मध्य-बिंदु है। साथ ही MD || BC
सिद्ध करना है : (i) D भुजा AC का मध्य-बिंदु है
(ii) MD⊥AC
(iii) CM = MA =1/2AB
प्रमाण : (i) ∆ABC में, M भुजा AB का मध्य-बिंदु है और MD || BC. अत: D भुजा AC का मध्य-बिंदु है।
अर्थात् AD = DC …..(1)
(ii) चूँकि MD || BC
अत: ∠ADM = ∠ACB [सदृश कोण]
⇨ ∠ADM = 90° [चूँकि ZACEB = 90°] (दिया है)
परंतु ∠ADM + ∠CDM = 180°
[ चूँकि ∠ADM और∠CDM एक रैखिक युग्म के कोण हैं।]
.: 90°+∠CDM = 180° ⇨∠CDM = 90°
इस प्रकार, ∠ADM = ∠CDM = 90° …..(2)
⇨ MD⊥AC
(iii) ∆AMD और ∆CMD में,
AD=CD [समी. (1) से]
∠ADM = ∠CDM [समी. (2) से]
और, MD = MD [उभयनिष्ठ]
.: सर्वांगसम SAS रचना से
∆AMD = ∆CMD
⇨ MA = MC
[ चूँकि सर्वांगसम त्रिभुजों के सदृश भाग समान होते हैं।]
साथ ही, MA 1/2AB, चूँकि M भुजा AC का मध्य-बिंदु है
अतः CM = MA=1/2AB.
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