6th Sanskrit

Bihar Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 3 संख्याज्ञानम्

Bihar Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 3 संख्याज्ञानम्

Bihar Board Class 6th Sanskrit संख्याज्ञानम् Text Book Questions and Answers

Summary

एक: बालकः पठति (पु.)
अर्थ –
एक लड़का पढ़ता है।

एका बाला पठति (स्त्री)
अर्थ –
एक लड़की पढ़ती है।

एक पुष्पं विकसति (नपु०)
अर्थ –
एक फूल खिलता है।

द्वौ अश्वौ धावतः (पु.)
अर्थ –
दो घोडे. दौड़ते हैं।

द्वे महिले गायतः (स्त्री०)
अर्थ –
दो महिलाएँ गाती हैं।

द्वे चक्रे भ्रमतः (नपु०)
अर्थ –
दो चक्के घूमते हैं।

त्रयः खगाः कूजन्ति (पु.)
अर्थ –
तीन पक्षियाँ बोलते हैं।

तिम्रः बालिकाः क्रीडन्ति (स्त्री)
अर्थ –
तीन लड़कियाँ खेलती हैं।

त्रीणि पत्राणि पतन्ति (नपु.)
अर्थ –
तीन पत्ते गिरते हैं।

खट्वायाः चत्वारः पादाः सन्ति (पु.)
अर्थ –
खटिया के चार पैर हैं।

चतस्रः महिलाः भ्रमन्ति (स्त्री०)
अर्थ –
चार महिलाएं घूमती हैं।

अत्र चत्वारि पुष्पाणि सन्ति (नपु०)।
अर्थ –
यहाँ चार फूल हैं।

पाञ्च पाण्डवाः गच्छन्ति(पु.)
अर्थ –
पाँच पाण्डव जाते हैं।

‘भ्रमरस्य पट् पादाः सन्ति ।
अर्थ –
भौरा के छः पैर हैं।

सप्त तारकाः गगने भान्ति।
अर्थ –
सात तारे आकाश में चमकते हैं।

अत्र अप्टो फलानि सन्ति
अर्थ –
यहाँ आठ फल हैं।

नव पतंगा:
अर्थ-
नौ पतंगें।

दश मोटरयानानि सन्ति।
अर्थ-
दस मोटरगाड़ियाँ हैं।

एकादशा फलानि गुच्छे सन्ति।
अर्थ –
ग्यारह फल गुच्छा में हैं।

अत्र द्वादश कन्दुकानि सन्ति।
अर्थ-
यहाँ बारह गेन्दें हैं।

तत्र त्र्यांदश पुस्तकानि तिष्ठन्ति।
अर्थ –
वहाँ तेरह पुस्तकें रखी हैं।

चतुर्दश छात्रः नृत्यन्ति।
अर्थ –
चौदह छात्र नाच रहे हैं।

जले पञ्चदश मीनाः तरन्ति।
अर्थ –
जल में पन्द्रह मछलियाँ तैरती हैं।

पुरा भारते षोडश जनपदाः आसन्
अर्थ –
प्रचीनकाल में भारत में सोलह जनपद थे।

इमानि सप्तदश चक्राणि चलन्ति।
अर्थ –
ये सतरह चक्के चलते हैं।

पुराणानि अष्टादश सन्ति।
अर्थ –
पुराणे अठारह हैं।

ऊनविंशति भ्रमराः भ्रमन्ति।
अर्थ –
उन्नीस भौरें घूमते हैं।

विंशति चटकाः बिहरन्ति।
अर्थ –
बीस चिड़ियाँ बिहार करती हैं।

शब्दार्था:-एकः (पु०) -एका बालकः -लड़का/बालक। पठति -पढ़ता है/पढ़ती है। एका (स्त्री०)-एका बाला – लड़की/बालिका। एकम् (नंपु०) – एका द्वौ (पुं०) – दो। अश्वौ – दो घोड़े। धावत: – दौड़ते हैं। द्वे (स्त्री0) दो, महिले – दो स्त्रियाँ/महिलाएँ। चक्रे – (दो) पहिये। द्वे (नंपु०) – दो। भ्रमतः (द्विवचन)- घूमते हैं। त्रयः(पुं०) – तीन। खगाः – चिड़ियाँ/पक्षियाँ। तिम्रः (स्त्री०) – तीन। क्रीडन्ति – खेलती हैं।खेलती हैं। त्रीणि (नंपु०) – तीन। पत्राणि – पत्ते। पतन्ति – गिरते हैं। चत्वारः (पुं०) – चार। पादाः – पैर। सन्ति – हैं। चतम्रः (स्त्री०) – चार। भ्रमन्ति – घूमती/घूमते हैं। वृक्ष – पेड़ में। चत्वारि (नंपु०)– चार। पुष्पाणि – फूल। पञ्च – पाँच। पाण्डवाःपाण्डव। भ्रमरस्य – भ्रमर का/भौर का। घट् – छः। सप्त- सात। तारकाः – तारे।

गगने – आकाश में। भान्ति -चमकते हैं। अष्टौ – आठ। नव – नौ। पतंगा: – पतंग/फतिंगे। दश – दस। मोटरयानानि – मोटरगाड़ियाँ। एकादश – ग्यारह। गुच्छे – गुच्छा में। द्वादश – बारह। अत्र – यहाँ। कन्दुकानि – गेंदें। तत्र – वहाँ। त्रयोदश – तेरह। पुस्तकानि – पुस्तकें। तिष्ठन्ति – रखी हैं। चतुर्दश- चौदह। नृत्यन्ति – नाचते हैं/नाचती हैं। जले- जल में । पञ्चदश – पन्द्रह। मीनाः – मछलियाँ। तरन्ति – तैरते हैं । तैरती हैं। पुरा – पहले/प्राचीन काल में। षोडश – सोलह। जनपदाः – जनपदें। आसन् – थे। इमानि (नंपु०) – ये। सप्तदश – सतरह। चक्राणि – चक्के। चलन्ति – चलते हैं। चलती हैं। एतानि (नप०) – ये। अष्टादश – अठारह। पुराणानि – पुराणे। ऊनविंशतिः – उन्नीस। विंशतिः – बीस। चटकाः -पक्षियाँ/चिड़ियाँ। विहरन्ति – बिहार करती हैं। विहार करते हैं।

व्याकरणम्

लिङ्ग-संस्कृत शब्द तीन लिंगों में विभक्त हैं –

पुंल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग । लिङ्ग सभी सुबन्त शब्दों में अनिवार्य रूप से रहता है। कुछ शब्द केवल पुल्लिङ्ग हैं। जैसे-गज, मीन,. साधु, मुनि, राम, बालक, नर इत्यादि। कुछ शब्द केवल स्त्रीलिङ्ग हैं। जैसे-बालिका, लता, रमा, शाला (घर), विद्या, शिक्षिका, देवी, धेनु (गाय), भूमि इत्यादि । कुछ शब्द केवल नपुंसकलिङ्ग में होते हैं। जैसे-फल, धन, पात्र, अंग, गृह, उपवन, वारि, दधि इत्यादि । कोश ग्रन्थों में संस्कृत शब्दों के लिङ्ग बताये जाते हैं। विशेषण शब्दों का लिङ्ग उनके विशेष्य के अनुसार होता है।

जैसे –

पुँल्लिङ्ग –

1. अयम् बालकः चतुरः अस्ति।
(बालक पल्लिंग है अतः उसके साथ जुड़े अयम् और चतरः दोनों .. पुंल्लिंग हैं।)

2 अयम् गजः विशालः अस्ति ।
(गज के पुंल्लिग होने से अयम् और विशालः पुंल्लिंग हैं।)

स्त्रीलिङ्ग –

1. इयम् महिला कुशला अस्ति ।
(महिला स्त्रीलिंग है अतः उसकी विशेषता बतानेवाला कुशला शब्द तथा निर्देशक इयम् शब्द स्त्रीलिंग में हैं।)

2 इमाः बालिकाः सुरूपाः सन्ति।
(बालिकाः के अनुसार इमाः और सुरूपाः स्त्रीलिंग बहुवचन में)

नपुंसकलिङ्ग –

1. इदम् पुष्पम् सुन्दरम् अस्ति।
(पुष्प नपुंसकलिंग में है अतः इदम् और सुन्दरम् भी उसी लिंग)

2. इमॉनि फलानि पक्वानि सन्ति ।
(फलानि के अनुसार इमानि, पक्वानि हैं।)
वचन – संस्कृत भाषा में शब्दों के तीन वचनों में प्रयोग होते हैं
एकवचन, द्विवचन और बहुवचन । सभी लिङ्गों में ये वचन होते हैं।

जैसे-

  • पुल्लिङ्ग – बालकः – बालको – बालकाः।
  • स्त्रीलिंग – बालिका – बालिके – बालिकाः ।
  • नपुंसकलिङ्ग – फलम् – फले – फलानि।

इनके निर्देशक सर्वनाम शब्द इस प्रकार हैं-

  • पुल्लिङ्ग – अयम् – इमो – इमे।
  • स्त्रीलिङ्ग – इयम् – इमे – इमाः ।
  • नपुंसकलिङ्ग – इदम् – इमे – इमानि ।

क्रियापदों में भी वचन इन शब्दों के कारण ही आते हैं। कुछ

उदाहरण देखें-

पुल्लिङ्ग –

  • अयम् बालक : पठति (एकवचन)।
  • इमौ बालको धावत: (द्विवचन)।
  • इमे गजाः चलन्ति (बहुवचन)।

स्त्रीलिङ्ग –

  • इयम् लता पतति (एकवचन)।
  • इमे बालिके धावतः (द्विवचन)।
  • इमाः महिलाः गायन्ति (बहुवचन)।

नपुंसकलिङ्ग –

  • इदम् पुष्पम् शोभनम् अस्ति (एकवचन)।
  • इमे पत्रे पततः (द्विवचन)।
  • इमानि फलानि पक्वानि सन्ति (बहुवचन) ।

नोट- हिन्दी में संख्यावाचक शब्दों के लिङ्ग में समानता है।
संस्कृत में एक से चार तक की संख्याएँ तीनों लिङ्गों में पृथक्-पृथक् होती हैं।

  • जैसे- पुलिङ्ग – स्त्री० – नपु०
  • एक- एकः – एका – एकम्
  • दो – द्वौ – द्वे – द्वे
  • तीन – त्रयः – दिसः – त्रीणि
  • चार – चत्वारः – चतस्रः – चत्वारि

नोट- पाँच से आगे को संख्याएँ तीनों लिंगों में एक समान होती हैं।

  • जैसे – पुलिङ्ग – स्त्री० – नपुः
  • पाँच – पञ्च – पञ्च – पञ्च
  • छ: – पटं – पट् – षद्

अभ्यासः

मौखिक

प्रश्न 1. उच्चारण करें –

प्रश्न (क)

  1. एक: – एका – एकम्
  2. दो: – दू  – दोऊ
  3. त्रयः – तितः – त्रीणि
  4. चत्वारः – चतस्रः – चत्वारि
  5. पञ्च
  6. षट्
  7. सप्त
  8. अप्ट
  9. नव
  10. दश
  11. एकादश
  12. द्वादश
  13. त्रयोदश
  14.  चतुर्दश
  15. पञ्चदश
  16. पोडश
  17. सप्तदश
  18. अष्टदश
  19. नवदश (एकोनविंशतिः ऊनविंशतिः)
  20. विंशतिः।

प्रश्न (ख) प्रथमा विभक्ति में-

शब्द – लिङ्ग-एकवचन-द्विवचन-बहुवचन
बालक – पुल-बालकः-बालकौ-बालकाः
उत्तर-

लिखिति-

प्रश्न 2. चित्र को देखकर संख्या लिखें-
उत्तर-

  1. चत्वारि कन्दुकानि ।
  2. द्वे पुष्पे।
  3. द्वौ बालको।
  4. एका बालिका।
  5. पञ्च कदली-फलानि ।

प्रश्न 3. नीचे लिखी संख्याओं के संस्कृतपद लिखें-
यथा-

  1. ग्यारह – एकादश
  2. सात – सप्त
  3. पाँच – पञ्च
  4. तेरह – त्रयोदश
  5. उन्नीस – एकोनविंशति
  6. आठ – अष्ट
  7. अठारह – अष्टादश

प्रश्न 4. निम्नांकित संख्याओं को बढ़ते क्रम में पुनः लिखें –
(पञ्च, अष्टादश, द्वादश, नव, त्रयोदश, सप्त, एकादश, अष्ट।)
उत्तर- पञ्च, सप्त, अष्ट, नव, एकादश, द्वादश, त्रयोदश, अष्टादश ।

प्रश्न 5. वर्गों को जोड़कर शब्द :- यथा-क् + ऋ + प् + ण् + अः
उत्तर- कृष्णः

(क) ब् + आ + ल् + अ + क् + अ:
उत्तर- वालकः।

(ख) प् + अ + त् + अ + न् + त् + इ
उत्तर- पतन्ति ।

(ग) न् + ऋ + त् + य् + अ + म्
उत्तर- नृत्यम्।

(घ) व् + अ + र् + ष् + आ
उत्तर- वर्षा ।

प्रश्न 6. उचित संख्यावाचक शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

  1. मम …………. कर्णो स्तः ।
  2. गजस्य …………… पादाः भवन्ति ।
  3. मम …………… नासिका अस्ति ।
  4. द्विचक्रिकायां ………….. चक्रे भवतः।
  5. दशरथस्य …………… पुत्राः आसन् ।

उत्तर-

  1. दौ
  2. चत्वारः
  3. एका
  4. द्वे
  5. चत्वारः

प्रश्न 7. रेखा खींचकर मिलान करें-

  1. पट – (क) देवाः
  2. पञ्च – (ख) हस्ती
  3. द्वौ – (ग) मुखम्
  4. एकम् – (घ) वेदाः
  5. त्रयः – (ङ) ऋतवः
  6. चाजारः – (च) पाण्डवाः

उत्तर-

  1. पट् – (ङ) ऋतवः
  2. पञ्च – (च) पाण्डवाः
  3.  द्वौ – (ख) हस्तौ
  4. एकम् – (ग) मुखम्
  5. त्रयः – (क) देवाः
  6. चत्वारः – (घ) वेदाः

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