Bihar Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन
Bihar Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन
BSEB Class 12 Chemistry विलयन Text Book Questions and Answers
पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. यदि 22 g बेन्जीन में 22 g कार्बन टेट्राक्लोराइड घुली हो तो बेन्जीन एवं कार्बन टेट्राक्लोराइड के द्रव्यमान प्रतिशत की गणना कीजिए।
गणना : विलयन का द्रव्यमान = बेन्जीन का द्रव्यमान + कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान
22 g + 22 g = 44 g
बेन्जीन का द्रव्यमान प्रतिशत
= 50%
वैकल्पिक रूप में,
कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान प्रतिशत = 100 – बेन्जीन का द्रव्यमान प्रतिशत
= 100 – 50.00
= 50%
प्रश्न 2. एक विलयन में बेन्जीन का 30 द्रव्यमान % कार्बन टेट्राक्लोराइड में घुला हुआ हो तो बेन्जीन के मोल-अंश की गणना कीजिए।
गणना:
माना विलयन का द्रव्यमान = 100 g
अत: बेन्जीन का द्रव्यमान = 30 g
कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान = 100 – 30 = 70 g
बेन्जीन के मोलों की संख्या
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रत्येक विलयन की मोलरता की गणना कीजिए –
(क) 30g, Co(NO3)2.6H2O4.3 लीटर विलयन में घुला हुआ हो
(ख) 30 mL 0.5 MH2SO4 को 500 mL तनु करने पर।
गणना:
(क) Co(NO3)2.6H2O का मोलर द्रव्यमान
= [58.7 + 2(14 + 48) + 6 × 18] g mol-1
= 290.7 g mol-1
CO (NO3)2.6H2O के मोल की संख्या
प्रश्न 4. यूरिया (NH2CONH2) के 0.25 मोलर, 2.5 kg जलीय विलयन को बनने के लिए आवश्यक यूरिया के द्रव्यमान की गणना कीजिए।
गणना:
यूरिया (NH2CONH2) के 0.25 विलयन का अर्थ है,
यूरिया के मोल = 0.25 mol
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 1 kg = 1000 g
यूरिया (NH2CONH2) का मोलर द्रव्यमान
=1 4 + 2 + 12 + 16 + 14 + 2
= 60 g mol-1
∴ यूरिया के 0.25 मोल = 0.25 mol × 60 g mol-1
= 15g
विलयन का कुल द्रव्यमान = 1000 + 15 g
= 1015 g = 1.015 kg
अत: 1.015 kg विलयन में यूरिया है = 15 g
∴ 2.5 kg विलयन में आवश्यक यूरिया
प्रश्न 5. 20% (w/w) जलीय KI का घनत्व 1.202g mL-1 हो तो KI विलयन की –
(क) मोललता
(ख) मोलरता
(ग) मोल-अंश की गणना कीजिए।
गणना:
20% (w/w) जलीय KI विलयन का अर्थ हैं,
KI का द्रव्यमान = 20g
जल में विलयन का द्रव्यमान = 100 g
∴ विलायक का द्रव्यमान (जल)
100 – 20 = 80 g = 0.080 kg
(क) मोललता की गणना –
KI का मोलर द्रव्यमान = 39 + 127 = 166 g mol-1
प्रश्न 6. सड़े हुए अण्डे जैसी गन्ध वाली विषैली गैस H2S गुणात्मक विश्लेषण में उपयोग की जाती है। यदि H2S गैस की जल में STP पर विलेयता 0.195 M हो तो हेनरी स्थिरांक की गणना कीजिए।
गणना:
H2S गैस की विलेयता = 0.195 M = 0.195 mol, विलायक (जल) के 1 kg में,
1 kg विलायकक (जल)
प्रश्न 7. 298 K पर CO2 गैस की जल में विलेयता के लिए हेनरी स्थिरांक का मान 1.67 × 108 Pa है। 500 mL सोडा जल 2.5 atm दाब पर बन्द किया गया। 298 K ताप पर घुली हुई CO2 की मात्रा की गणना कीजिए।
गणना:
KH = 1.67 × 108 × Pa
PCO2 = 2.5 atm
= 2.5 × 101325 Pa
हेनरी नियम लागू करने पर,
प्रश्न 8. 350 K पर शुद्ध द्रवों A एवं B के वाष्पदाब क्रमशः 450 एवं 750 mm Hg हैं। यदि कुल वाष्प दाब 600 mm Hg हो तो द्रव मिश्रण का संघटन ज्ञात कीजिए। साथ ही वाष्प प्रावस्था का संघटन भी ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न 9. 298 K पर शुद्ध जल का वाष्प दाब 23.8 mm Hg है। 850g जल में 50g यूरिया (NH2 CONH2) घोला जाता है। इस विलयन के लिए जल के वाष्प दाब एवं इसके आपेक्षिक अवनमन का परिकलन कीजिए।
हल:
दिया है:
P0 = 23.8 mm
w2 = 50 g M2 (यूरिया) = 60 g mol-1
w1 = 850 g M1 (जल) = 18 g mol-1
हमें जल के वाष्प दाब, ps तथा आपेक्षिक अवनमन (P0 – ps)/P0 की गणना करती है।
राउल्ट का नियम लागू करने पर,
प्रश्न 10. 750 mm Hg दाब पर जल का क्वथनांक 99.63°C है। 500g जल में कितना सुक्रोस मिलाया जाए कि इसका 100°C पर क्वथन हो जाए।
हल:
सुक्रोस (C12H22O11) का आण्विक द्रव्यमान
= 12 × 12 + 22 × 1 + 11 × 16
= 342 g mol-1
यहाँ
= 0.122 kg = 122g
प्रश्न 11. ऐस्कॉर्बिक अम्ल (विटामिन C, C6H8O6) के उस द्रव्यमान का परिकलन कीजिए, जिसे 75g ऐसीटिक अम्ल में घोलने पर उसके हिमांक में 1.5°C की कमी हो जाए। Kf = 3.9 K kg mol-1
हल:
ऐस्कॉर्बिक अम्ल का आण्विक द्रव्यमान
= 6 × 12 + 8 × 1 + 6 × 16
= 176 g mol-1
प्रश्न 12. 1,85,000 मोलर द्रव्यमान वाले एक बहुलक के 1.0g को 37°C पर 450 mL जल में घोलने से उत्पन्न विलयन के परासरण दाब का पास्कल में परिकलन कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार, V = 450 mL = 0.450 L
T = 37°C = 37 + 273 = 310 K
R = 8.314 k Pa LK-1 mol-1
= 8.314 × 103 Pa LK-1 mol-1
यहाँ घुलनशील विलेय के मोलों की संख्या
Additional Important Questions and Answers
अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. विलयन को परिभाषित कीजिए। कितने प्रकार के विभिन्न विलयन सम्भव हैं? प्रत्येक प्रकार के विलयन के सम्बन्ध में एक उदाहरण देकर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
विलयन:
विलयन दो या दो से अधिक अवयवो का समांगी मिश्रण होता है जिसका संघटन निश्चित परिसीमाओं के अन्तर्गत ही परिवर्तित हो सकता है। समांगी मिश्रण से तात्पर्य यह है कि मिश्रण में सभी स्थानों पर पर इसका संघटन व गुण समान होते हैं। किसी विलयन में उपस्थित अवयवों की कुल संख्या के आधार पर द्विअंगी विलयन (दो अवयव), त्रिअंगी विलयन (तीन अवयव), चतुरंगी विलयन (चार अवयव) आदि कहलाते हैं।
सामान्यतः जो अवयव अधिक मात्रा में उपस्थित होता है, वह विलायक कहलाता है, जबकि कम मात्रा में उपस्थित अन्य अवयव विलेय कहलाता है। दूसरे शब्दों में, विलेय वह पदार्थ है, जो घुलता है तथा विलायक वह पदार्थ है, जिसमें यह विलेय घुलता है। उदाहरणार्थ-यदि नमक को जल से भरे बीकर में डाला जाता है, तो ये जल में घुलकर विलयन बना लेते हैं। इस स्थिति में नमक विलेय तथा जल विलायक है।
विलयन के प्रकार:
विलेय तथा विलायक की भौतिक अवस्था के आधार पर, विलयनों को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
उपर्युक्त नौ प्रकार के विलयनों में से तीन विलयन – द्रव में ठोस, द्रव में गैस तथा द्रव में द्रव अतिसामान्य विलयन हैं। ऐसे विलयन जिनमें जल विलायक के रूप में होता है, जलीय विलयन कहलाते हैं तथा जिन विलयनों में जल विलायक के रूप में नहीं होता, निर्जलीय विलयन कहलाते हैं। सामान्य निर्जलीय विलायकों के उदाहरण हैं-ईथर, बेन्जीन, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि।
विलयन के प्रकारों की व्याख्या निम्नलिखित है –
1. गैसीय विलयन (Gaseous solution):
सभी गैसें तथा वाष्प समांगी मिश्रण बनाती हैं तथा इन्हें विलयन कहा जाता है। वायु गैसीय विलयन का एक सामान्य उदाहरण है।
2. द्रव विलयन (Liquid solution):
ये विलयन ठोसों अथवा गैसों को द्रवों में मिश्रित करने पर अथवा दो द्रवों को मिश्रित करने पर बनते हैं। उदाहरणार्थ : साधारण ताप पर सोडियम तथा पोटैशियम धातुओं की सममोलर मात्राएँ मिश्रित करने पर द्रव विलयन प्राप्त होता है।
3. ठोस विलयन (Solid solution):
ठोसों के मिश्रणों की स्थिति में ये विलयन अत्यन्त सामान्य होते हैं। उदाहरणार्थ : गोल्ड तथा कॉपर ठोस विलयन बनाते हैं क्योंकि गोल्ड परमाणु कॉपर क्रिस्टल में कॉपर परमाणुओं को प्रतिस्थापित कर देते हैं। दो अथवा दो से अधिक धातुओं की मिश्र धातुएँ ठोस विलयन होती हैं।
प्रश्न 2. एक ऐसे ठोस विलयन का उदाहरण दीजिए जिसमें विलेय कोई गैस हो।
उत्तर: अध्यापक की सहायता से करें।
प्रश्न 3. निम्न पदों को परिभाषित कीजिए –
- मोल-अंश
- मोललता
- मोलरता
- द्रव्यमान-प्रतिशत
उत्तर:
1. मोल-अंश:
विलयन में उपस्थित किसी एक घटक या अवयव के मोलों की संख्या तथा विलेय एवं विलायक के कुल मोलों की संख्या के अनुपात को उस अवयव का मोल-अंश कहते हैं। इसे x से व्यक्त करते हैं।
4. द्रव्यमान-प्रतिशत:
किसी विलयन के 100 ग्राम में घुले विलेय की ग्राम में मात्रा द्रव्यमान प्रतिशत कहलाती है।
इसे w/w से व्यक्त करते हैं।
उदाहरणार्थ:
यदि किसी विलयन की सान्द्रता 10% है तो इसका अर्थ यह है कि विलयन के 100 g में 10 g विलेय घुला है तथा 90g विलायक है।
प्रश्न 4. प्रयोगशाला कार्य के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला सान्द्र नाइट्रिक अम्ल द्रव्यमान की दृष्टि से नाइट्रिक अम्ल का 68% जलीय विलयन है। यदि इस विलयन का घनत्व 1.504g mL-1 हो तो अम्ल के इन नमूने की मोलरता क्या होगी?
हल:
द्रव्यमान की दृष्टि से नाइट्रिक अम्ल के 68% जचलीय विलयन से तात्पर्य यह है कि –
नाइट्रिक अम्ल का द्रव्यमान = 68g
विलयन का द्रव्यमान = 100 g
नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का मोलर द्रव्यमान
= 1 + 14 + 48 = 64 g mol-1
प्रश्न 5. ग्लूकोस का एक जलीय विलयन 10% (w/w) है। विलयन की मोललता तथा विलयन में प्रत्येक घटक का मोल-अंश क्या है? यदि विलयन का घनत्व 1.2g mL-1 हो तो विलयन की मोलरता क्या होगी?
हल: 10% (w/w) ग्लूकोस के जलीय विलयन का अर्थ है कि 10 g ग्लूकोस 100 g विलयन अर्थात् 90 g जल (= 0.090 kg) में उपस्थित है।
प्रश्न 6. यदि 1g मिश्रण में Na2CO3 एवं NaHCO3 के मोलों की संख्या समान हो तो इस मिश्रण से पूर्णतः क्रिया करने के लिए 0.1 M – HCl के कितने mL की आवश्यकता होगी?
हल: मिश्रण में अवयवों के मोलों की संख्या ज्ञात करना-माना मिश्रण में Na2CO3 के x g उपस्थित हैं।
∴ मिश्रण में उपस्थित NaHCO3 = (1 – x) g
Na2CO3 का मोलर द्रव्यमान = 2 × 23 + 12 + 3 × 16
= 84 g mol-1
NaHCO3 का मोलर द्रव्यमान = 23 + 1 + 12 + 3 × 16
= 84 g mol-1
प्रश्न 7. द्रव्यमान की दृष्टि से 25% विलयन के 300g एवं 40% के 400g को आपस में मिलाने पर प्राप्त मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत साद्रण निकालिए।
हल:
विलेय की कुल मात्रा = 75 + 160 = 235g
40% विलयन के 400 g में उपस्थित विलेय
= 40/100 × 100
= 160 g
विलयन का कुल द्रव्यमान = 300 + 400 = 700 g
25% विलयन के 300 g में उपस्थित विलेय
= 25/100 × 300 = 75 g
परिणामी विलयन में विलेय का प्रतिशत = 235/700 × 100
= 33.57%
उत्तर विलयन में विलायक का प्रतिशत = 100 – 33.57
= 66.43%
प्रश्न 8. 222.6g एथिलीन ग्लाइकॉल, C2H4 (OH)2 तथा 200 g जल को मिलाकर प्रतिहिम मिश्रण बनाया गया। विलयन की मोललता की गणना कीजिए। यदि विलयन का घनत्व 1.072 g mL-1 हो तो विलयन की मोलरता निकालिए।
हल:
प्रश्न 9. एक पेय जल का नमूना क्लोरोफॉर्म (CHCl3) से, कैंसरजन्य समझे जाने की सीमा तक बहुत अधिक संदूषित है। इसमें संदूषण की सीमा 15 ppm (द्रव्यमान में) है –
- इसे द्रव्यमान प्रतिशत में व्यक्त कीजिए।
- जल के नमूने में क्लोरोफॉर्म की मोललता ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न 10. ऐल्कोहॉल एवं जल के एक विलयन में आण्विक अन्योन्य क्रिया की क्या भूमिका है?
उत्तर: ऐल्कोहॉल में प्रबल हाइड्रोजन बन्ध होता है। चूंकि जल तथा ऐल्कोहॉल को मिश्रण करने पर आण्विक अन्योन्य क्रिया दुर्बल हो जाती है; अतः ये धनात्मक विलयन प्रदर्शित करते हैं। इसके फलस्वरूप जल तथा ऐल्कोहॉल की तुलना में विलयन का वाष्प-दाब उच्च तथा क्वथनांक कम होगा।
प्रश्न 11. ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों की विलेयता में हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?
उत्तर: द्रव में गैस का घुलना एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है, अत: ताप बढ़ाने पर साम्य पश्च दिशा स्थानान्तरित होता है और दाब में कमी हो जाती है। फलत: विलेयता में सदैव कमी आने की प्रवृत्ति होती है।
प्रश्न 12. हेनरी का नियम तथा इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर: हेनरी का नियम:
सर्वप्रथम गैस की विलायक में विलेयता तथा दाब के मध्य मात्रात्मक सम्बन्ध हेनरी ने दिया। इसे हेनरी का नियम कहते हैं। इसके अनुसार, स्थिर ताप पर विलायक के प्रति एकांक आयतन में घुला गैस का द्रव्यमान विलयन के साथ साम्यावस्था में गैस के दाब के समानुपाती होता है।
डाल्टन, जो हेनरी के समकालीन थे, ने भी स्वतन्त्र रूप से निष्कर्ष निकाला कि किसी द्रवीय विलयन में गैस की विलेयता गैस के आंशिक दाब पर निर्भर करती है। यदि हम विलयन में गैस के मोल-अंश को उसकी विलेयता का माप मानें तो यह कहा जा सकता है कि किसी विलयन में गैस का मोल-अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है।
अत: विकल्पतः हेनरी के नियम को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है –
किसी गैस का वाष्प-अवस्था में आंशिक दाब (p), उस विलयन में गैस के मोल-अंश (x) के समानुपाती होता है।
p ∝ x
या p = KH·x
यहाँ KH हेनरी स्थिरांक है।
समान ताप पर भिन्न-भिन्न गैसों के लिए KH का मान भिन्न-भिन्न होता है। KH का मान गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है।
हेनरी नियम के अनुप्रयोग:
हेनरी नियम के उद्योगों में अनेक अनुप्रयोग हैं एवं यह कुछ जैविक घटनाओं को समझने में सहायक होता है।
इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित प्रकार हैं –
1. सोडा-जल एवं शीतल पेयों में CO2 की विलेयता बढ़ाने के लिए बोतल को अधिक दाब पर बन्द किया जाता है।
2. गहरे समुद्र में श्वास लेते हुए गोताखोरों को अधिक दाब पर गैसों की अधिक घुलनशीलता का सामना करना पड़ सकता है। अधिक बाहरी दाब के कारण श्वास के साथ ली गई वायुमण्डलीय गैसों की विलेयता रुधिर में अधिक हो जाती है।
जब गोताखोर सतह की ओर आते हैं, बाहरी दाब धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसके कारण घुली हुई गैसें बाहर निकलती हैं, इससे रुधिर में नाइट्रोजन के बुलबुले बन जाते हैं। यह केशिकाओं में अवरोध उत्पन्न कर देता है और एक चिकित्सीय अवस्था उत्पन्न कर देता है जिसे बेंड्स (Bends) कहते हैं।
यह अत्यधिक पीड़ादायक एवं जानलेवा होता है। बेंड्स से तथा नाइट्रोजन की रुधिर में अधिक मात्रा के जहरीले प्रभाव से बचने के लिए, गोताखोरों द्वारा श्वास लेने के लिए उपयोग किए जाने वाले टैंकों में, हीलियम मिलाकर तनु की गई वायु को भरा जाता है (11.7% हीलियम, 56.2% नाइट्रोजन तथा 32.1% ऑक्सीजन)।
3. अधिक ऊँचाई वाली जगहों पर ऑक्सीजन का आंशिक दाब सतही स्थानों से कम होता है अतः इन जगहों पर रहने वाले लोगों एवं आरोहकों के रुधिर और ऊतकों में ऑक्सीजन की सान्द्रता निम्न हो जाती है। इसके कारण आरोहक कमजोर हो जाते हैं और स्पष्टतया सोच नहीं पाते। इन लक्षणों को ऐनॉक्सिया कहते हैं।
प्रश्न 13. 6.56 × 10-3 g एथेनयुक्त एक संतृप्त विलयन में एथेन का आंशिक दाब 1 bar है। यदि विलयन में 5.00 × 10-2 g एथेन हो तो गैस का आंशिक दाब क्या होगा?
हल:
सम्बन्ध M = KH × p से,
प्रथम स्थिति से, 656 × 10-3 g = KH × 1 bar
KH = 6.56 × 10-3 g bar-1
द्वितीय स्थिति में,
5.00 × 10-2 g = (6.56 × 10-2 g bar-1) × p
प्रश्न 14. राउल्ट के नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन का क्या अर्थ है तथा ∆मित्रण के चिह्न इन विचलनों से कैसे सम्बन्धित हैं?
उत्तर: जब कोई विलयन सभी सान्द्रताओं पर राउल्ट के नियम का पालन नहीं करता तो वह अनादर्श विलयन (Non – ideal solution) कहलाता है। इस प्रकार के विलयनों का वाष्प-दाब राउल्ट के नियम द्वारा निर्धारित किए गए वाष्प-दाब से या तो अधिक होता है या कम। यदि यह अधिक होता है तो यह विलयन राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है और यदि यह कम होता है तो यह ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।
1. राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन:
राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन की स्थिति में A – B अन्योन्यक्रियाएँ A – A तथा B – B अन्योन्यक्रियाओं की तुलना में कमजोर होती हैं अर्थात् विलेय-विलायक अणुओं के मध्य अन्तराआण्विक आकर्षण बल विलेय-विलेय और या विलायक-विलायक अणुओं की तुलना में कमजोर होते हैं। इस प्रकार के विलयनों में से A अथवा B के अणु शुद्ध अवयव की तुलना में सरलता से पलायन कर सकते हैं। इसके फलस्वरूप वाष्प-दाब में वृद्धि होती है जिससे धनात्मक विघटन होता है।
2. राउल्ट नियम से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन:
इस प्रकार के विलयनों में A – A व B – B के बीच अन्तराआण्विक आकर्षण बल A – B की तुलना में कमजोर होता है; अत: इस प्रकार के विलयनों में A तथा B अणुओं की पलायन प्रवृत्ति शुद्ध अवयव की तुलना में कम होती है। इसके फलस्वरूप विलयन के प्रत्येक अवयव का वाष्प-दाब राउल्ट नियम के आधार पर अपेक्षित वाष्प-दाब से कम होता है।
प्रश्न 15. विलायक के सामान्य क्वथनांक पर एक अवाष्पशील विलेय का 2% जलीय विलयन का 1.004 bar वाष्य दाब है। विलेय का मोलर द्रव्यमान क्या है?
हल:
क्वथनांक पर शुद्ध जल का वाष्प दाब
(p0) = 1 atm = 1.013 bar
विलयन का वाष्प दाब (ps) = 1.004 bar
विलयन का द्रव्यमान = 100 g
विलायक का द्रव्यमान = 98 g
तनु विलयन (2%) के लिए राउल्ट का नियम लागू करने पर,
प्रश्न 16. हेप्टेन एवं आक्टेन एक आदर्श विलयन बनाते हैं। 373 K पर दोनों द्रव घटकों के वाष्य दाब क्रमशः 105.2 kPa तथा 46.8 kPa हैं। 26.0 g हेप्टेन एवं 35.0g आक्टेन के मिश्रण का वाष्य दाब क्या होगा?
हल:
हेप्टेन (C7H16) का मोलर द्रव्यमान
= 100 g mol-1
आक्टेन (C8H18) का मोलर द्रव्यमान = 114 g mol-1
xऑकटेन = 1 – 0.456 = 0.544
pहेणटेन = 0.456 × 105.2 kPa
= 47.97 kPa
Pऑकटेन = 0.544 × 46.8 kPa
= 25.46 kPa
Pकुल = 47.97 + 25.46
= 73.43 kPa
प्रश्न 17. 300 K पर जल का वाष्प दाब 12.3 kPa है। इसमें बने अवाष्पशील विलेय के एक मोलल विलयन का वाष्प दाब ज्ञात कीजिए।
हल: एक मोलल विलयन का अर्थ है, विलायक के 1 kg में उपस्थित विलेय के 1 mol,
अतः विलायक के मोलों की संख्या
प्रश्न 18. 114 g ऑक्टेन में किसी अवाष्पशील विलेय (मोलर द्रव्यमान 40g mol-1) की कितनी मात्रा घोली जाए कि आक्टेन का वाष्प दाब घटकर मूल का 80% रह जाए?
हल: माना अवाष्पशील विलेय (मोलर. द्रव्यमान 40g mol-1) की आवश्यक मात्रा = Wg
प्रश्न 19. एक विलयन जिसे एक अवाष्पशील ठोस के 30g को 90 g जल में विलीन करके बनाया गया है। उसका 298 K पर वाध्य दाब 2.8 kPa है। विलयन में 18g जल और मिलाया जाता है जिससे नया वाष्य दाब 298 K पर 2.9 kPa हो जाता है। निम्नलिखित की गणना कीजिए –
- विलेय का मोलर द्रव्यमान
- 298 K पर जल का वाष्प दाब।
गणना:
1. माना विलेय का मोलर द्रव्यमान = M g mol-1
विलेय के मोलों की संख्या (n2) = 30/M mol
विलायक के मोलों की संख्या
प्रश्न 20. शक्कर के 5% (द्रव्यमान)जलीय विलयन का हिमांक 271 K है। यदि शुद्ध जल का हिमांक 273.15 K है तो ग्लूकोस के 5% जलीय विलयन के हिमांक की गणना कीजिए।
गणना:
शक्कर विलयन के लिए
प्रश्न 21. दो तत्व A एवं B मिलकर AB एवं AB2 सूत्र वाले दो यौगिक बनाते हैं। 20g बेन्जीन में घोलने पर 1g AB2 हिमांक को 2.3 K अवनमित करता है, जबकि 1.0g AB4 से 1.3 K का अवनमन होता है। बेन्जीन के लिए मोलर अवनमन स्थिरांक 5.1 K kg mol-1 है। A एवं B के परमाण्वीय द्रव्यमान की गणना कीजिए।
हल: माना तत्व A का परमाणु द्रव्यमान ‘a’ तथा तत्व B का परमाणु द्रव्यमान ‘b’ है।
यौगिक AB2 के लिए –
20 g बेन्जीन में 1 g यौगिक AB2 का अर्थ है कि 1000g बेन्जीन में 500 g AB2 है।
समीकरण (1) को (2) में से घटाने पर,
2b = 85.28
या b = 42.64
b का मान समीकरण (1) में रखने पर,
α + 2 × 42.64 = 110.87
a = 110.87 – 85.28
= 25.59
अतः तत्व A का परमाणु द्रव्यमान = 25.59
तथा तत्व B का परमाणु द्रव्यमान = 42.64
प्रश्न 22. 300 K पर 36 g प्रति लीटर सान्द्रता वाले ग्लूकोस के विलयन का परासरण दाब 4.98 bar है। यदि इसी ताप पर विलयन का परासरण दाब 1.52 bar हो तो उसकी सान्द्रता क्या होगी?
हल:
IT = 4.98 bar, T = 300 K,
V = 1 L,
ग्लकोस का भार w2 = 36 g
ग्लूकोस (C6H12O6) का मोलर द्रव्यमान
= 6 × 12 +1 × 12 + 6 × 16
= 72 + 12 + 96
= 180 g mol-1
प्रश्न 23. निम्नलिखित युग्मों में उपस्थित सबसे महत्त्वपूर्ण अन्तरआण्विक आकर्षण बलों का सुझाव दीजिए –
- n – हेक्सेन व n – ऑक्टेन
- I2 तथा CCl4
- NaClO4 तथा H2O
- मेथेनॉल तथा ऐसीटोन
- ऐसीटोनाइट्राइल (CH3CN) तथा ऐसीटोन (C3H6O)
उत्तर:
- इन दोनों में अन्तरआण्विक अन्योन्य क्रियायें लण्डन प्रकीर्ण बल है क्यों ये दोनों अधूवी हैं।
- इनके मध्य लण्डन प्रकीर्ण बल हैं।
- NaClO4 तथा H2O में अन्तराआण्विक अन्योन्य क्रियायें आयन-द्विध्रुव अन्योन्यक्रियायें क्योंकि NaClO4 विलयन Na+ तथा ClO4– आयन देता हैं और जलध्रुवी है।
- चूँकि दोनों ध्रुवी अणु हैं, अत: इनमें अन्तराआण्विक अन्योन्य क्रियायें द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य – क्रियायें है।
- इन दोनों के मध्य द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य क्रियायें हैं।
प्रश्न 24. विलेय-विलायक आकर्षण के आधार पर निम्नलिखित को n – ऑक्टेन की विलेयता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
KCl, CH3OH, CH3 CN, साइक्लोहेक्सेन।
उत्तर: चूँकि KCl एक आयनिक यौगिक है और nऑक्टेन अध्रुवी है, अत: KCl n – ऑक्टेन में अघुलनशील है। साइक्लोहेक्सेन तथा n – ऑक्टेन दोनों अध्रुवी हैं, अतः ये दोनों पूर्णतया मिश्रित हो जाते हैं। CH3OH तथा CH3CN दोनों अध्रुवी हैं परन्तु CH3CN, CH3OH से कम ध्रुवी हैं, अतः n – ऑक्टेन में CH3CN की घुलनशीलता अधिक है क्योंकि विलायक अध्रुवी है। विलेयता का क्रम निम्नलिखित है –
KCl < CH3OH < CH3 CN < साइक्लोहेक्सेन
प्रश्न 25. पहचानिए कि निम्नलिखित यौगिकों में से कौन-से जल में अत्यधिक विलेय, आंशिक रूप से विलेय तथा अविलेय हैं –
- फिनॉल
- टॉलूईन
- फॉर्मिक अम्ल
- एथिलीन ग्लाइकॉल
- क्लोरोफार्म
- पेन्टेनॉल।
उत्तर:
- फिनॉल जल में आंशिक रूप से विलेय है क्योंकि फिनॉल में ध्रुवी – OH समूह होता है और अध्रुवी ऐरोमैटिक फेनिल (CH6H5) समूह होने से यह जल में अत्यधिक विलेय नहीं है।
- चूँकि टालूईन अध्रुवी है तथा जलध्रुवी है, अत: यह जल में अविलेय है।
- फार्मिक अम्ल जल में अत्यधिक विलेय है, क्योंकि फॉर्मिक अम्ल जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बना सकता है।
- चूँकि एथिलीन ग्लाइकॉल जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाता है, अतः यह जल में अत्यधिक विलेय है।
- चूँकि क्लोरोफार्म एक कार्बनिक द्रव है, अतः यह जल में अविलेय है।
- चूँकि पेन्टेनॉल में – OH समूह ध्रुवी है और हाइड्रोकार्बन भाग (C5H11-) अध्रुवी होता है, अतः यह जल में आंशिक रूप से विलेय है।
प्रश्न 26. यदि किसी झील के जल के घनत्व 1.25 gmL-1 है तथा उसमें 92 gNa+ आयन प्रति किलो जल में उपस्थित हैं। तो झील में Na+ आयन की मोललता ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न 27. अगर Cus का विलेयता गुणनफल 6 × 10-16 है तो जलीय विलयन में उसकी अधिकतम मोलरता ज्ञात कीजिए।
गणना:
यदि Cus की mol L-1 में विलेयता S हो, तो
प्रश्न 28. जब 6.5 g ऐस्पिरीन (C9H8O4) को 450g ऐसीटोनाइट्राइल (CH3CN) में घोला जाये तो ऐस्पिरीन का ऐसीनाइट्राइल में भार प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
हल:
ऐस्पिरीन का भार प्रतिशत
= 1.424%
प्रश्न 29. नैलॉर्फीन (CH19H21NO3) जो कि मॉर्फीन जैसी होती है, का उपयोग स्वापक उपभोक्ताओं द्वारा स्वापक छोड़ने से उत्पन्न लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। सामान्यतया नैलॉफीन की 1.5 mg खुराक दी जाती है। उपर्युक्त खुराक के लिए 1.5 × 10-3 m जलीय विलयन का कितना द्रव्यमान आवश्यक होगा?
हल:
1.5 × 10-3 m विलयन का अर्थ है कि नैलॉर्फीन के 1.5 × 10-3 mol जल के 1 kg में घुले हैं।
नैलॉर्फीन (C19H21NO3) का मोलर द्रव्यमान
= 19 × 12 + 21 × 1 + 14 + 3 × 16
= 228 + 21 + 14 + 48
= 311 g mol-1
∴ 1.5 × 10-3 mol C19H21NO3
= 1.5 × 10-3 × 311 g = 0.467 g = 467 mg
∴ विलयन का द्रव्यमान
= 1000 g + 0.467 g
= 1000.467g
चूँकि नैलॉर्फीन के 467 mg के लिए आवश्यक विलयन = 1000.467g
इसलिए 1.5 mg नैलॉर्फीन के लिए आवश्यक विलयन
प्रश्न 30. बेन्जोइक अम्ल का मेथेनॉल में 0.15 m विलयन बनाने के लिए आवश्यक मात्रा की गणना कीजिए।
गणना:
0.15 m विलयन से तात्पर्य यह है कि बेन्जोइक अम्ल के 0.15 mole विलायक के 1 kg में उपस्थित हैं।
बेन्जोइक अम्ल (C6H5COOH) का मोलर द्रव्यमान
= 6 × 12 + 5 × 1 + 12 + 2 × 16 + 1
= 72 + 5 + 12 + 32 + 1
= 122 g mol-1
∵ बेन्जोइक अम्ल के 0.15 mol
0.15 × 122 g
= 18.3 g
∴ 1 kg विलयन में बेन्जोइक अम्ल = 18.3 g
∴ बेन्जोइक अम्ल के 0.15 mol के 1 किलो में उपस्थित है।
अतः बेन्जोइक अम्ल का मेथेनॉल में 0.15 m विलयन बनाने के लिए आवश्यक बेनजोइक अम्ल
= 18.3g प्रति किलो
प्रश्न 31. ऐसीटिक अम्ल, ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल एवं ट्राइफ्लुओरो ऐसीटिक अम्ल की समान मात्रा से जल के हिमांक में अवनमन इनके उपर्युक्त दिए गए क्रम में बढ़ता है। संक्षेप में समझाइए।
उत्तर: हिमांक में अवनमन का क्रम निम्नलिखित प्रकार हैं –
फ्लुओरीन, अत्यधिक विद्युत ऋणी है जिससे इसमें उच्च इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रेरकीय प्रभाव होता है। इसके फलस्वरूप ऐसीटिक अम्ल सबसे दुर्बल अम्ल है और ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल सबसे प्रबल अम्ल है।
अतः ऐसीटिक अम्ल जल में अल्प मात्रा में आयनीकृत होता है और ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल जल में अत्यधिक आयनित होता है। अधिक आयनित होने पर हिमांक में अवनमन अधिक होता है। अतः ऐसीटिक अम्ल के लिए हिमांक में अवनमन न्यूनतम होगा और ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल के लिए हिमांक में अवनमन अधिकतम होगा।
प्रश्न 32. CH3 – CH2 – CHCl – COOH के 10g को 250 g जल में मिलाने से होने वाले हिमांक का अवनमन परिकलित कीजिए।
(Ka = 1.4 × 100-3, Kf = 1.86 Kkg mol-1)
हल:
CH3 – CH2 – CHCl – COOH का मोलर द्रव्यमान
= 12 + 3 + 12 + 2 + 12 + 1 + 35.5 + 12 + 32 + 1
= 122.5 g mol-1
वान्ट हॉफ गुणक (i) की गणना –
प्रश्न 33. CH2FCOOH के 19.5 g को 500 g H2O में घोलने पर जल के हिमांक में 1.0°C का अवनमन देखा गया। फ्लुओरोएसीटिक अम्ल का वान्ट हॉफ गुणक तथा वियोजन स्थिरांक परिकलित कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार,
प्रश्न 34. 293 K पर जल का वाष्य दाब 17 535 mm Hg है। यदि 25g ग्लूकोस को 450g जल में घोलें तो 293 K पर जल का वाष्य दाब परिकलित कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार
p0 = 17.535 mm Hg,
W2 = 25 g,
W1 = 450g
ग्लूकोस, (C6H12O6) का मोलर द्रव्यमान
(M2) = 180 g mol–
(जल, H2O) का मोलर द्रव्यमान (M1) = 18g mol-1
राउल्ट का नियम लागू करने पर,
प्रश्न 35. 298 K पर मेथेन की बेन्जीन पर मोललता का हेनरी स्थिरांक 4.27 × 105 mm Hg है। 298 K तथा 760 mm Hg दाब पर मेथेन की बेन्जीन में विलेयता परिकलित कीजिए।
हल:
यहाँ KH = 4.27 × 105 mm Hg
p = 760 mm Hg
हेनरी का नियम लागू करने पर,
p = KH गैस
प्रश्न 36. 100 g द्रव A (मोलर द्रव्यमान 140 g mol-1) को 1000 g द्रव B (मोलर द्रव्यमान 180 g mol-1) में घोला गया। शुद्ध द्रव B का वाष्प दाब 500 Torr पाया गया। शुद्ध द्रव A को वाष्प दाब तथा विलयन में उसका वाष्प दाब परिकलित कीजिए यदि विलयन का कुल वाष्प दाब 475 Torr हो।
हल:
द्रव A (विलेय) के मोलों की संख्या
द्रव B (विलायक) के मोलों की संख्या
विलयन में द्रव A के मोल-अंश
∴ विलयन में द्रव B के (xB) = 1 – 0.114 = 0.886 ,
दिया है –
प्रश्न 37. 328 K पर शुद्ध ऐसीटोन एवं क्लोरोफॉर्म के वाष्प दाब क्रमशः 741.8 mm Hg तथा 632.8 mm Hg हैं। यह मानते हुए कि संघटन के सम्पूर्ण परास में ये आदर्श विलयन बनाते हैं, image 53 को फलन के रूप में आलेखित कीजिए। मिश्रण के विभिन्न संघटनों के प्रेक्षित प्रायोगिक आँकड़े निम्नलिखित हैं –
उपर्युक्त आँकड़ों को भी उसी ग्राफ में आलेखित कीजिए और इंगित कीजिए कि क्या इसमें आदर्श विलयन से धनात्मक अथवा ऋणात्मक विचलन है?
हल:
चूँकि p कल के लिए वक्र नीचे की ओर गिरता है; अत: विलयन आदर्श व्यवहार से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 38. संघटनों के सम्पूर्ण परास में बेन्जीन तथा टॉलूईन आदर्श विलयन बनाते हैं। 300 K शुद्ध बेन्जीम तथा नैफ्थेलीन का वाष्प दाब क्रमशः 50.71 mm Hg तथा 32.06 mm Hg है। यदि 80 g बेन्जीन को 100 g नैफ्थेलीन में मिलाया जाए तो वाष्प अवस्था में उपस्थित बेन्जीन के मोल-अंश परिकलित कीजिए।
हल:
बेन्जीन (C6H6) का मोलर द्रव्यमान
= 78 g mol-1
टॉलूईन (C6H5 CH3) का मोलर द्रव्यमान
= 92 g mol-1
∴ बेन्जीन के 80 g में मोलों की संख्या
प्रश्न 39. वायु अनेक गैसों की मिश्रण है। 298 K पर आयतन में मुख्य घटक ऑक्सीजन और नाइट्रोजन लगभग 20% एवं 79% के अनुपात में हैं। 10 वायुमण्डल दाब पर जल वायु के साथ साम्य में है। 298 K पर यदि ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के हेनरी स्थिरांक क्रमशः 3.30 × 10-7 mm तथा 6.517 × 107 mm है, तो जल में इन गैसों का संघटन ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार,
KF (O2) = 3.30 × 107 mm
तथा KH (N2) = 6.51 × 107 mm
साम्यावस्था में जल के साथ वायु का कुल दाब = 10 atm.
आयतन की दृष्टि से वायु में 20% ऑक्सीजन तथा 79% नाइट्रोजन है,
∴ ऑक्सीजन का आंशिक दाब
प्रश्न 40. यदि जल का परासरण दाब 27°C पर 0.75 वायुमण्डल हो तो 2.5 लीटर जल में घुले CaCl2 (i = 2.47) की मात्रा परिकलित कीजिए।
हल:
CaCl2 का मोलर द्रव्यमान
= 40 + 2 × 35.5
= 111 g mol-1
घुली मात्रा = 0.0308 × 111 g
= 3.42g
प्रश्न 41. 2 लीटर जल में 25°C पर K2SO4 के 25 mg को घोलने पर बनने वाले विलयन का परासरण दाब, यह मानते हुए ज्ञात कीजिए कि K2SO4 पूर्णतः वियोजित हो गया है।
हल:
घुला हुआ K2SO4 = 25 mg = 0.025 g
विलयन का आयतन = 2 L
T = 25°C = 25 + 273 = 298 K
K2SO4 का मोलर द्रव्यमान = 2 × 39 + 32 + 4 × 16
= 174 g mol-1
चूँकि K2SO4 निम्नलिखित प्रकार पूर्णतया वियोजित हो – जाता है –