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bihar board class 12 history notes | ईंटें मनके तथा अस्थियाँ

bihar board class 12 history notes | ईंटें मनके तथा अस्थियाँ

भारतीय इतिहास के विषय : भाग-1 (कक्षा-12)
                    [Themes in Indian History : Part-I (Class-XII)]
                                                       हड़प्पा सभ्यता
                                          BRICKS, BEADS AND BONES
                                           (The Harappan Civilisation)
                                                  महत्वपूर्ण तथ्य एवं घटनायें
संस्कृति : इस शब्द का प्रयोग पुरावस्तुओं के ऐसे समूह के लिए किया जाता है जो एक
विशिष्ट शैली के होते हैं और सामान्य रूप से एक साथ, एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा
कालखंड से संबद्ध पाये जाते हैं।
हड़प्पा सभ्यता का काल : 2600 ई. पू. और 1900 ई. पू. के मध्य ।
प्रथम धातुकालीन सभ्यता : भारत की प्रथम धातुकालीन सभ्यता सिन्धु घाटी की सभ्यता
थी । इसे हड़प्पा संस्कृति कहते हैं।
सी.ई.: आजकल ए.डी. (A.D.) की जगह सी.ई. का प्रयोग होता है । सी.ई. कॉमन एरा
(Common Era) है।
• बी.सी.ई : आजकल बी.सी. (B.C) की जगह बी.सी.ई. (Before Common Era) का
प्रयोग होता है।
विश्व के अधिकांश देशों में इनका प्रयोग होने लगा है।
बी.पी. : इसका तात्पर्य बिफोर प्रेजेंट (Before Present) है।
विशाल स्नानागार : आंगन में बना एक आयताकार जलाशय है जो चारों ओर से गलियारों
से घिरा हुआ है । जलाशय के तल तक जाने के लिए इसके उत्तरी और दक्षिणी भाग में
दो सीढ़ियां बनी थीं । इसके तीन ओर कक्ष बने हुए थे जिनमें एक में बड़ा कुंआ था । संभवतः
इसका प्रयोग किसी प्रकार के विशेष आनुष्ठानिक स्थान के लिए किया जाता था ।
गणेश्वर-जोधपुर संस्कृति : खेतड़ी क्षेत्र (राजस्थान) में मिले साक्ष्यों को पुरातत्वविदों ने
गणेश्वर-जोधपुरा संस्कृति का नाम दिया है। यहाँ ताँबे की वस्तुओं की असाधारण सम्पदा
मिली थी। संभवतः यहाँ तांबा हड़प्पा सभ्यता के लिए जाता था ।
कनिंधम : भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रथम निदेशक थे। इन्होंने 19वीं शताब्दी के
मध्य में पुरातात्विक उत्खनन आरम्भ किये ।
1875 ई.: हड़प्पाई मुहर पर कनिंघम ने रिपोर्ट लिखा ।
1921 ई. : माधो स्वरूप वत्स द्वारा हड़प्पा में उत्खन कार्य का शुभारम्भ हुआ ।
1925 ई. : मोहनजोदड़ो में उत्खनन आरम्भ हुए ।
1946 ई. : आर.ई.एम. हीलर द्वारा हड़प्पा में उत्खनन हुआ ।
1955 ई. : एस.आर. राव द्वारा लोथल में खुदाई शुरु हुई।
1960 ई. : बी.बी. लाल तथा बी.के. थापर के नेतृत्व में कालीबंगन में उत्खनन आरंभ हुआ।
1986 ई.: अमरीकी दल द्वारा हड़प्पा में खुदाई शुरु हुई ।
1990 ई. : आर.एस. बिष्ट द्वारा धौलावीरा में उत्खनन शुरु हुआ ।
नागरिक जीवन : सिन्धु घाटी की सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी । मकान पक्की ईंटों के
बने थे और गंदे पानी की निकासी की उत्तम व्यवस्था थी । नगर में सड़कें बनी हुई थी,
जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी।
सामाजिक जीवन : हड़प्पा समाज विविध व्यवसायों के लोग थे । वे सूती और ऊनी कपड़ा
धारण करते थे । स्त्री और पुरुष दोनों आभूषण पहनते थे । उनका मुख्य भोजन गेहूँ, जौ,
फल, मांस, मछली था ।
आर्थिक जीवन : सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन, व्यापार,
घातुकर्म, मृदभाण्ड बनाना और कपड़ा बुनना आदि था ।
धार्मिक जीवन : लोग प्रकृति, मातृदेवी, लिंग, पीपल और पशुओं की पूजा करते थे ।
कला : हड़प्पा सभ्यता के लोग मिट्टी की मुहरें बनाते थे और बक्सों पर सुन्दर चित्रकारी
करते थे । वे धातुओं पर सुन्दर वस्तुएं बनाते थे ।
हड़प्पा सभ्यता का पतन : अकाल, सूखा, बाढ़, नदी का मार्ग बदलना आदि ।
               एन.सी.आर.टी. पाठ्यपुस्तक एवं कुछ अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
(NCERT Textbook & Some Other Important Questions for Examination)
                                             बहुविकल्पीय प्रश्न
                                (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1. सिन्धु सभ्यता का क्षेत्रफल किस आकार का था ?
(क) आयताकार
(ख) वर्गाकार
(ग) वृत्ताकार
(घ) त्रिभुजाकार                                        उत्तर-(घ)
प्रश्न 2. हड़प्पा से सर्वप्रथम बड़ी संख्या में ईंटें प्राप्त हुई हैं-
(क) 1826 में
(ख) 1831 में
(ग) 1920 में
(घ) 1921 में                                            उत्तर-(क)
प्रश्न 3. सिन्धु सभ्यता से संबंधित स्थल रोपड़ का उत्खनन कार्य कराया था-
(क) एस. एस. तलवार
(ख) रविंद्र सिंह विष्ट
(ग) वाई. डी. शर्मा
(घ) एन. जी. मजूमदार                                उत्तर-(ग)
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से वह कौन-सा स्थान है जहाँ से हल चलाने का साक्ष्य प्राप्त
हुआ है ?
(क) रंगपुर
(ख) हड़प्पा
(ग) आलमगीरपुर
(घ) कालीबंगा                                           उत्तर-(घ)
प्रश्न 5. पंजाब में हड़प्पा के अतिरिक्त किस स्थान से सैंधव सभ्यता के प्राचीन
अवशेष प्राप्त हुए हैं ?
(क) रहमान ढेरी
(ख) सराय खोला
(ग) जलीलपुर
(घ) उपर्युक्त सभी                                    उत्तर-(घ)
प्रश्न 6. सिन्धु सभ्यता से संबंधित कौन-सा पुरास्थल गुजरात प्रदेश में स्थित है ?
(क) भोगत्रार
(ख) हुलास
(ग) सराय खोला
(घ) संघोल                                             उत्तर-(क)
प्रश्न 7. हड़प्या लिपि से सर्वाधिक साम्य रखती है-
(क) खरोष्ठी लिपि
(ख) ब्राह्मी लिपि
(ग) द्रविड़ लिपि
(घ) देवनागरी लिपि                               उत्तर-(ग)
प्रश्न 8. हड़प्पा सभ्यता से संबंधित स्थल कुंतासी स्थित है-
(क) राजस्थान में
(ख) उत्तर प्रदेश में
(ग) गुजरात में
(घ) कहीं नहीं                                      उत्तर-(ग)
प्रश्न 9. सिन्धु घाटी की सभ्यता समकालीन मानी जाती है-
(क) सुमेरिया सभ्यता
(ख) चीन सभ्यता
(ग) मेसोपोटामिया की सभ्यता
(घ) बेबीलोन की सभ्यता                       उत्तर-(ग)
प्रश्न 10. सिन्धुकालीन भवनों के निर्माण में प्रयोग किया जाता था-
(क) कच्ची ईंटों का
(ख) पक्की ईंटों का
(ग) टाइल्सों का
(घ) उपर्युक्त सभी ।                            उत्तर-(ख)
प्रश्न 11. हड़प्पा सभ्यता के लोग उपासना करते थे-
(क) विष्णु की
(ख) वरुण की
(ग) मातृदेवी की
(घ) इंद्र की।                                      उत्तर-(ग)
12. राखालदास बनर्जी को मोहनजोदड़ो अवशेष कब मिले ?
                                  [B.Exam/B.M.2009A,B.Exam.2013 (A)]
(क) 1920 ई०
(ख) 1921 ई०
(ग) 1922 ई०
(घ) 1923 ई०                                  उत्तर-(ग)
13. सिन्धु घाटी सभ्यता किसके समकालीन नहीं मानी जाती है। [B.M.2009A]
(क) चीन की सभ्यता
(ख) मिस्र की सभ्यता
(ग) मेसोपोटामिया की सभ्यता
(घ) क्रीट की सभ्यता                           उत्तर-(क)
14. सिन्धु घाटी के निवासी किस देवी-देवता की पूजा नहीं करते थे ? [B.M.2009A]
(क) विष्णु
(ख) प्रकृति देवी
(ग) पीपल का पेड़
(घ) शिव                                             उत्तर-(क)
15. सिन्धु घाटी सभ्यता में हल का प्रमाण मिला है-                [B.M.2009A]
(क) हड़प्पा
(ख) मोहनजोदड़ो
(ग) रोपड़
(घ) कालीबंगा                                    उत्तर-(घ)
16. हड़प्पा संस्कृति की जानकारी कब हुई ?                      [B.M.2009A]
(क) 1921
(खं) 1925
(ग) 1930
(घ) 1935                                            उत्तर-(क)
17. मोहनजोदड़ो की जानकारी किस पुरातत्वविद से मिली- [B.M.2009A]
(क) दयाराम साहनी
(ख) रखालदास बनर्जी
(ग) जॉन मार्शल
(घ) गोडेन चाइल्ड                                    उत्तर-(ख)
18. सिन्धु घाटी सभ्यता में समाज का स्वरूप था-            [B.M.2009A]
(क) मातृसत्तात्मक
(ख) पित्तृसत्तात्मक
(ग) दोनों
(घ) दोनों में कोई नहीं                               उत्तर-(क)
19. विशाल स्नानागार के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए हैं ?
                                   [B.Exam/B.M. 2009A, B.Exam. 2013 (A)]
(क) हड़प्पा
(ख) कालीबंगा
(ग) मोहनजोदड़ो
(घ) लोथल                                       उत्तर-(ग)
20. हड़प्या किस नदी के किनारे है ?               [B.M.2009A]
(क) सिन्धु
(ख) सतलज
(ग) सरस्वती
(घ) रावी                                           उत्तर-(घ)
21. सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु क्या है ? [B.M.2009A]
(क) मुहरें
(ख) सिक्के
(ग) मनके
(घ) खिलौना गाड़ियाँ                             उत्तर-(क)
22. हड़प्पा क्षेत्र की खोज का श्रेय किसे है ?                   [B.M.2009A]
(क) रखालदास बनर्जी
(ख) दयाराम साहनी
(ग) व्हीलर
(घ) मार्शल                                            उत्तर-(ख)
23. इनमें से किसका संबंध हड़प्पा-सभ्यता से नहीं है ? [B.M.2009]
(क) कालीबंगा
(ख) घोताबीरा
(ग) चान्हुदड़ो
(घ) अमरावती                                        उत्तर-(घ)
24. हड़प्पा सभ्यता किस युग की सभ्यता है ? [R.M.2009A, B.Exam. 2010 (A)]
(क) पूर्व पाषाण युग
(ख) नव पाषाण युग
(ग) काँस्य युग
(घ) लौहयुग                                              उत्तर-(ग)
25. हड़प्पा सभ्यता का स्वरूप क्या है?                    [B.M.2009A]
(क) ग्रामीण सभ्यता
(ख) शहरी सभ्यता
(ग) भोजन संग्राहक सभ्यता
(घ) कबीलाई                                             उत्तर-(ख)
26. एलोरा के कैलाश मंदिन का निर्माण किस राजवंश ने किया ?
                                      [B.Exam/B.M.2009A,B.Exam.2012(A)]
(क) चालुक
(ख) चोल
(ग) पल्लव
(घ) राष्ट्रकूट                                              उत्तर-(घ)
27. हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर कौन था ?
                                    [B.Exam. 2010A, B.Exam.2012(A)]
(क) मोहनजोदड़ो
(ख) कालीबंगा
(ग) लोथल
(घ) रंगपुर                                                उत्तर-(क)
                                        अति लघु उत्तरीय प्रश्न
                    (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. सांस्कृतिक पद परिभाषा दीजिए । भारतीय इतिहास से एक उदाहरण दें।
(Define the term culture. Give one example from Indian history.)
उत्तर-पुरातत्त्वविद् सांस्कृतिक शब्द का इस्तेमाल पुरानी वस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते
हैं जो एक समान शैली के होते हैं और जो आमतौर पर एक साथ, एक खास भौगोलिक क्षेत्र
और कालांश से संबंध रखते हैं।
उदाहरण (Example)― भारतीय उपमहाद्वीप में हड़प्पाई संस्कृति सबसे पुरानी शहरी
संस्कृति है इसे सिन्धु घाटी की सभ्यता भी कहते हैं ।
प्रश्न 2. हड़प्पाई सभ्यता से संबंधित विशिष्ट पदार्थों के नाम लिखें ये पदार्थ कहाँ
से प्राप्त होते हैं ?
(Mention the names of distinctive objects related with Harappan culture.
From where do we find these objects ?)
उत्तर-हड़प्पाई संस्कृति से संबंधित विशिष्ट वस्तुओं में हम मोहरें, मनके, बाटो, पत्थर के
ब्लेड और पकी हुई ईंटें आदि इनमें शामिल हैं।
उपर्युक्त सभी वस्तुएँ भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं।
प्रश्न 3. हड़प्पाई संस्कृति के नामकरण और अवस्थाओं का उल्लेख कीजिए ।
(Mention the naining and stages of the Harappan Culture.)
उत्तर-हड़प्पाई सभ्याता का नामकरण हड़प्पा नामक स्थान, जहाँ पर यह संस्कृति पहली बार
खोजी गई थी, के नाम पर किया गया था । इस संस्कृति को दो निम्न अवस्थाएँ हैं-
(i) प्रारंभिक संभ्यताएँ ।
(ii) उत्तरकालीन हड़प्पाई अथवा परिपक्व हड़प्पाई संस्कृति ।
प्रश्न 4. हड़प्पावासियों द्वारा सिंचाई के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले साधनों के नामों
का उल्लेख कीजिए। [B.M.2009A, B.Exam. 2009A, B.Exam.2013 (A)]
हड़प्यावासियों द्वारा व्यवहत सिंचाई के साधनों का उल्लेख करें।
(Mention means of imigation used by the Harappan.)
उत्तर-हड़प्पावासियों द्वारा मुख्यतः नहरें, कुएँ और जल संग्रह करने वाले स्थानों को सिंचाई
के रूप में प्रयोग में लाया जाता था।
(i) अफगानिस्तान में सौतुगई नामक स्थल से हड़प्पा नहरों के चिह्न प्राप्त हुए हैं।
(ii) हड़प्पा के लोगों द्वारा सिंचाई के लिए कुओं का भी इस्तेमाल किया जाता था ।
(iii) गुजरात के धोलावीरा नामक स्थान से पानी की बावली (तालाब) मिला है । इसे कृषि
की सिंचाई के लिए पानी देने के लिए जल संग्रह के लिए प्रयोग किया जाता था ।
प्रश्न 5. बर्तनों के विभिन्न प्रयोगों का उल्लेख कीजिए । सिन्धु घाटी में यह बर्तन
किन-किन चीजों से बनाए जाते थे?
(Mention the different uses of vessels in the valley of what things these
vessels were made ?)
उत्तर-कुछ बर्तन (जैसे चक्की, अनाज या खाद्य पदार्थ) पीसने के लिए प्रयोग किये जाते
थे। इन वर्तनों की चीजों को मिलाने के लिए अलग रखने के लिए और खाना पकाने के लिए
भी इस्तेमाल किया जाता था । यह पात्र पत्थरों, धातुओं और चिकनी मिट्टी के बनाये जाते थे।
प्रश्न 6. सेडल कुरेंस पद की व्याख्या कीजिए।
(Explain the term Saddle querians.)
उत्तर–यह एक भद्दे पत्थर की बनी हुई हाथ के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली चक्की मात्र
होती थी । इसका आकार ठीक घोड़ों की पीठ पर रखी जाने वाली काठी की शक्ल के अनुसार
होता था। इसे सिन्धुवासी अनाज पीसने के लिए प्रयोग करते थे। ये सभ्यता से संबंधित अनेक
स्तर से भारी संख्या से प्राप्त हुई है और ऐसा लगता है कि ये अनाज को पीसने के लिए केवल
मात्र साधन थे। संभवतः यह भद्दे सख्त पत्थर से बनाये जाते थे। ये पत्थर मजबूत चट्टानों या पथरीली रेत के बने होते थे और इन्हें देखने पर ऐसा लगता है कि कुछ मजबूत या कठोर कार्यों के लिए इन्हें उपयोग में लाया जाता था ।
प्रश्न 7. सिन्धु घाटी के लोगों द्वारा पाले जाने और उन्हें ज्ञात जंगली के नाम लिखिए।
Mention the names of animals domesticated and known as wild species by the people of the Indian valley.
उत्तर-(i) हड़प्पाई लोगों के द्वारा पालतू मवेशियों में प्रमुख थे-भेड़, बकरी, भैंस तथा सूअर।
(ii) हड़प्पाई लोगों को वराह (सूअर) हिरण तथा घड़ियाल जैसे जंगली जानवरों की जानकारी थी।
प्रश्न 8. पुरातत्व से आप क्या समझते हैं ?                               [B.M.2009A]
उत्तर-पुरातत्व वह विज्ञान है जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्भ में छिपी हुई सामग्रियों की
खुदाई कर अतीत के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। किसी भी जाति की
सभ्यता के इतिहास को जानने में पुरातत्व एक महत्वपूर्ण एवं विश्वसनीय स्रोत है। संपूर्ण हड़प्पा
सभ्यता का ज्ञान पुरातत्व पर ही आधारित है।
प्रश्न 9. पुरातत्त्वविदों द्वारा ज्ञात की गई पहले स्थल का नाम लिखिए जिन्होंने बुरी
तरह से स्थान को बर्बाद कर दिया है।
(What was the name of the first site discovered by archaeologists who had badly destroyed this site.)
उत्तर-(i) हड़प्पा पुरातत्त्वविदों द्वारा खोजा गया प्रथम स्थल था ।
(ii) हड़प्पा को बुरी तरह से ईंट चोरों ने बर्बाद कर दिया था ।
प्रश्न 10. ‘यह दिखाई देना कि हड़प्पाई लोग अपने एकांतता के लिए बहुत ही रुचि
रखते थे’ इस पर संक्षेप में विचार व्यक्त लिखिए ।
(“It is very interesting to note that the Harappans were concern for primary Bricfly commently.)
उत्तर-यह एक रोचक पहलू है. कि हड़प्पाई लोग अपनी एकांतता (Privacy) को बहुत
ज्यादा महत्त्व दिया करते थे । घरों में भूमितल पर बनी दीवारों में खिड़कियाँ नहीं हैं। इसके
अतिरिक्त मुख्य द्वार से घर के आंतरिक भाग या आँगन का सीधा अवलोकन नहीं किया जा सकता था । हर घर में अलग-अलग स्नानघर होते थे, ये सभी तथ्य उनकी एकांतता के प्रति लगाव को दर्शाते हैं।
प्रश्न 11. किन्हीं उन दो बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए जो यह संकेत दें कि हमारा ज्ञान
हड़प्पाई लोगों के जीवन के प्रति अधूरा है ।
(Mention any two points indicating that our knowledge about some
important aspects of the Harappans life in incomplete.)
उत्तर-(i) आज की तिथि तक विद्वानों ने हड़प्पाई संस्कृति की लिपि को पढ़ने में सफलता
प्राप्त नहीं की है।
(ii) अभी तक हमें खोजों द्वारा यह ज्ञात नहीं हुआ है कि कुलीन लोगों को कहाँ दफनाया
जाता था ।
(iii) कुछ विद्वान यह मानते हैं कि हड़प्पाईवासियों के जहाँ कोई एक शासक या राजा नहीं
था और कुछ लोग ये मानते हैं कि हड़प्पा के शहरों में अनेक प्रभावशाली व्यक्ति मिलकर प्रशासन
चलाते थे । संदेह में हम हड़प्पाई लोगों के राजनैतिक जीवन के बारे में कुछ भी नहीं जानते ।
प्रश्न 12. चान्हुदड़ों के लोगों के शिल्पकारों के नाम लिखिए ।
(Write the names of craft of the people of Chanhundaro.)
उत्तर-(i) मनके बनाना, (ii) शैल काटना, (iii) धातु कार्य, (iv) मोहरें बनाना, (v) बाँटा बनाना।
प्रश्न 13. उन तीन केन्द्रों के नाम लिखिए जहाँ विशिष्ट ड्रिल से जुड़े हुए मनकों को
बनाने के लिए इस्तेमाल किये अवशेष प्राप्त हुए हैं?
(Write the names of three centres where specialised drills related with
beads making have been found?)
उत्तर-6) चान्हुदड़ो, (ii) लोथल, (iii) धोलावीरा ।
प्रश्न 14. उन दो केन्द्रों के नाम लिखिए जहाँ पर विशेष रूप से शंखों का प्रयोग करके
कुछ पदार्थ बनाए जाते थे ? (Write the names of two centres where specialised
making up shell objects were very popular?)
उत्तर-(i) नागेश्वर, (ii) बालाकोट-दो प्रमुख शंख बनाने के केन्द्र हैं जहाँ पर इनसे चूड़ियाँ,
करछियाँ, पच्चीकारी की वस्तुएँ बनाई जाती थीं।
प्रश्न 15. सिन्धु घाटी सभ्यता के दो सबसे बड़े शहरों के नाम लिखिए ।
(Write names of two biggest cities of the Indus Valley civilisation.)
उत्तर-(i) मोहनजोदड़ो, (ii) हड़प्पा ।
प्रश्न 16. हड़प्पा सभ्यता के लोगों द्वारा वस्तुओं को तैयार करने के लिए जिन तीन
कच्चे मालों को स्थानीय स्रोतों और तीन बाह्य प्राप्त कच्चे मालों के नाम लिखिए।
(Write the names of local raw material and three outside materials used
by the people of Harappan Civilisation to prepare goods?)
उत्तर-(i) चिकनी मिट्टी, (ii) पत्थर, (iii) घटिया लकड़ी।
विभिन्न धातुएँ जैसे ताँबा, रांगा और सोना तथा कांसा बाहर से मँगाया जाता था । बहुत
बढ़िया किस्म की लकड़ी भी मेसोपोटामिया से मँगाई जाती थी।
प्रश्न 17. भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर तीन उन क्षेत्रों के नाम लिखिए जिनके हड़प्पाई
लोगों के साथ व्यापारिक संबंध थे।
(Write the names of three outside regions of subcontinent of India, who
had trade and other type of relations with the Harappans.)
उत्तर-(i) ओमन, (ii) दिलमून, (iii) मेसोपोटामिया ।
प्रश्न 18. हड़प्पाई लोगों के यातायात के तीन साधनों के नाम लिखिए ।
(Write the names of three means of transport of the Harrappans.)
उत्तर-(i) बैलगाड़ी, (ii) नावें, (iii) जहाज ।
प्रश्न 19. हड़प्पा के लोगों द्वारा अपनी लिपि में जितने चिह्न प्रयोग में लाए जाते थे
उनकी लगभग संख्या लिखिए ।
(Write the numbers of signs used by the Harappan in their script.)
उत्तर-हड़प्पाई लोगों की लिपि में लगभग 315 और 400 के बीच चिह्नों का प्रयोग किया
जाता था।
प्रश्न 20. उन वस्तुओं के नाम लिखें जो हड़णावासियों द्वारा लिखने के लिए प्रयोग
में लाये गये।
(Name the articles on which we find the proof of writing by the Harappans.)
उत्तर-(i) मोहरें (ii) ताँबे के उपकरण (औजार) । (iii) काले धारीधार जारों के रिमों पर।
(iv) ताँबे और चिकनी मिट्टी की बनी हुई सारणियों पर । (v) जेवरातों पर । (vi) हड्डियों की
सलाखों पर । (vii) निशान लगे हुए पटों (Board) पर । (viii) घुलनशील पदार्थों पर भी लिखाई
की जाती थी । घुलनशील यह पदार्थ समय से गुजरने के साथ-साथ समाप्त हो गये ।
प्रश्न 21. क्या आप ऐसा सोचते हैं कि हड़प्पा के लोगों में साक्षरता बहुत ज्यादा फैली
हुई गी? (Doyouthink that literacy was widespread among the Harappans?)
उत्तर-हम निश्चित रूप से बिल्कुल भी नहीं बता सकते हैं कि हड़प्पा के लोगों में साक्षरता
बहुत ज्यादा फैली हुई थी । हाँ, हम नियमित रूप से कह सकते हैं कि अनेक लोग साक्षर थे तभी
विभिन्न वस्तुओं पर लिपि के प्रयोग साध्य (प्रमाण) उपलब्ध होते हैं।
प्रश्न 22. विकसित हड़प्पा संस्कृति से पूर्व आरंभिक सांस्कृतिक विद्यमान थी, व्याख्या
alfet ! (“Explain that before mature Harappan cultures some carly cultures use to prevailed.’)
उत्तर-हड़प्पाई संस्कृति अथवा सिन्धु घाटी सभ्यता क्षेत्र में विकसित हड़प्पा से पहले भी
कई संस्कृतियाँ अस्तित्व में थीं। ये संस्कृतियाँ अपनी विशिष्ट मृदभाण्ड शैली से संबंद्ध थीं तथा ।
इनके संदर्भ में हमें कृषि, पशुपालन – कुछ शिल्पकारी के साक्ष्य भी मिलते हैं । बस्तियाँ
आम तौर पर छोटी होती थी और इनम बड़े आकार की संरचनाएँ लगभग न के बराबर थीं ।
कुछ स्थलों पर बड़े पैमाने पर अग्निकुण्ड तथा कुछ अन्य स्थलों के त्याग दिये जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि आरंभिक हड़प्पा तथा हड़प्पा सभ्यता के बीच क्रम-भंग था ।
प्रश्न 23. सिन्धु घाटी सभ्यता में नालों के निर्माण का संक्षेप में उल्लेख कीजिए ।
(Mention in short laying out of drains in India valley civilization.)
उत्तर-नालों का निर्माण (Laying out drains)-हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी
विशिष्टताओं में से एक ध्यानपूर्वक नियोजित जल निकास प्रणालो थी । यदि आप निचले शहर
के नक्शे को देखें तो आप यह जान पायेंगे कि सड़कों तथा गलियों को लगभग एक ‘ग्रिड’ पद्धति
में बनाया गया था और ये एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं । ऐसा प्रतीत होता है कि पहले
नालियों के साथ गलियों को बनाया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण
किया गया था । यदि घरों के गंदे पानी को गलियों की नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर
की कम-से-कम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था ।
प्रश्न 24.’सिन्धु घाटी के कुछ स्थल दुर्ग निर्माण की विभिन्न विशेषताओं को दर्शाते
हैं।’ संक्षेप में उल्लेख कीजिए । (‘The citadel situated at different sites depict
different features.’ Explain in short.)
उत्तर-दुर्ग (Citadels)― यद्यपि ज्यादातर हड़प्पा बस्तियों में एक छोटा ऊँचा पश्चिमी तथा
एक बड़ा लेकिन निचला पूर्वी भाग है, पर इस नियोजन में विविधताएँ भी हैं। धौलावीर तथा
लोथल (गुजरात) जैसे स्थलों पर पूरी बस्ती किलेबन्द थी तथा शहर के कई हिस्से भी दीवारों
से घेर कर अलग किये गये थे। लोथल में दुर्ग दीवार से घिरा तो नहीं था पर कुछ ऊँचाई पर
बनाया गया था।
प्रश्न 25. गृह आँगन में कौन-कौन सी गतिविधियाँ की जाती थी ?
(Which activities were performed at domestic courtyard ?)
उत्तर-हड़प्पाई सभ्यता केन्द्रों से संबंधित भवनों के आँगनों में संभवतः खाना पकाने और
कटाई करने जैसी गतिविधियों का केन्द्र का था, खासतौर से गर्म और शुष्क मौसम में । घर के
मुख्य द्वार से आँगन को सीधा नहीं देखा जा सकता था। प्रायः इस स्थान का घर के सदस्यों
की एकांतता (Privacy) को बनाये रखने के लिए प्रयोग किया जाता था ।
प्रश्न 26. हड़प्पा संस्कृति को कांस्य युग सभ्यता क्यों कहते हैं ?
(Why Bronze Age is called the Harappan civilization culture ?)
उत्तर-(i) हड़प्पा के लोगों को ताँबे में टिन मिलाकर काँसा बनाने की विधि आती थी।
(ii) काँसे की सहायता से ही हड़प्पा के लोग उन्नति के शिखर पर पहुँच सके । उन्होंने एक
नगरीय सभ्यता का विकास किया । अतः हड़प्पा संस्कृति को कांस्य युग सभ्यता कहते हैं।
प्रश्न 27. हड़प्पा संस्कृति की खोज के समय व विस्तार के विषय में लिखें।
(Write down about the period and extension of area of the Harappan
culture:)
उत्तर-(i) समय (Period) सन् 1921-25 में दो नगरों-हड़प्पा व मोहनजोदड़ो की खोज
राखालदास बनर्जी और दयाराम साहनी ने की थी।
(ii) सभ्यता का विस्तार क्षेत्र (Extension of the civilisation)-पंजाब, सिन्धु,
बिलोचिस्तान, मिण्टगुमरी, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली ।
प्रश्न 28. हड़प्पा संस्कृति की ‘माप-तोल प्रणाली और वैदिक काल के ग्रामीणी’ के
विषय में व्याख्या करें।
(Explain the measurement of the Harappan Culture and Gramini of the
VedicPeriod.) )
उत्तर-(i) खुदाई में 16 के गुण में बाँटा प्राप्त हुए हैं, जैसे-16, 64, 160,320,640 आदि ।
कई प्रकार के माप सम्बन्धी फीते भी मिले हैं।
(ii) वैदिक सामाजिक व्यवस्था की प्रथम इकाई परिवार था । ग्रामीणी गाँव का मुखिया होता
था, वह आपसी झगड़ों का निर्णय करता था और वह अपराधी को दंड भी दे सकता था । ग्रामीणी की नियुक्ति राजा करता था ।
प्रश्न 29. अन्य सभ्यताओं की अपेक्षा सिन्धु घाटी की सभ्यता के विषय में हमारी
जानकारी कम क्यों है ?
(Why we have less knowledge about Indus valley civilisation in comparison of other civilisation ?)
उत्तर-(i) उस काल की लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
(ii) केवल पुरातात्त्विक अवशेषों का अध्ययन करते हुए अनुमान के आधार पर ही सिन्धुघाटी
सभ्यता के विषय में (सभ्यता का समय व विकास आदि का) ज्ञान प्राप्त कर पाए हैं जबकि
अन्य सभ्यताओं के सम्बन्ध में जानकारी का मुख्य आधार उनकी लिपि का पढ़ा जाना है ।
प्रश्न 30. किस आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि हड़प्पा संस्कृति में व्यक्तिगत
स्वच्छता और नागरिक सफाई पर ध्यान दिया जाता था ?
(On what basis is it guessed that special attention was paid on individual
and civic cleanliness in the Harappans culture ?)
उत्तर-(i) खुदाई में एक विशाल स्नानागार का मिलना, घरों में कुएं व स्नानागार का होना
इस बात को स्पष्ट करता है कि लोग सफाई का ध्यान रखते थे ।
(ii) नगर की सफाई के लिये शहर से बाहर बड़े-बड़े कूड़ेदान थे तथा घरों से निकलने वाली
नालियाँ एक बड़े नाले में मिलती थीं । कुछ नालियाँ ढंकी हुई थीं। नगर स्वच्छ और सड़कें चौड़ी
थीं । अतः सफाई का विशेष ध्यान रखने के कारण हम कह सकते हैं कि हड़प्पा संस्कृति विकसित व सभ्य संस्कृति थी।
प्रश्न 31. हड़प्पाई सभ्यता के विस्तार और उसकी बस्तियों के बारे में चर्चा करें । इसे
हड़प्पाई सभ्यता क्यों कहा जाता है ?                  [B.Exam./B.M.2009A]
(Mentioning the extent and centres of Harappa culture and why it is
called Harappa civilisation?)
उत्तर-हड़प्पाई संस्कृति का विस्तार बहुत अधिक था। यह लगभग 12,99,600 वर्ग
किलोमीटर में फैली हुई थी। इसमें पंजाब, सिन्धु, राजस्थान, गुजरात तथा बिलोचिस्तान के कुछ
भाग और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती भाग सम्मिलित थे । इस प्रकार इसका विस्तार उत्तर
में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के मुहाने तक और पश्चिम में बिलोचिस्तान के मकरान
समुद्र तट से लेकर उत्तर-पूर्व में मेरठ तक था । इसके मुख्य केन्द्र हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल,
कोटदीजी, चाहुँदड़ो, आलमगीरपुर आदि थे। उस समय कोई अन्य संस्कृति इतने बड़े क्षेत्र में
विकसित नहीं थी।
इस संस्कृति को हड़प्पाई संस्कृति का नाम इसलिए दिया जाता है, क्योंकि सर्वप्रथम इस
सभ्यता से संबोधित जिस स्थान की खोज हुई, वह हड़प्पा था । यह स्थान अब पाकिस्तान में है।
प्रश्न 32. हड़प्पा संस्कृति के किन्हीं चार नगरों के नाम लिखिये ।
(Mention the names of any four cities of Harppan culture.)
उत्तर-हड़प्पा संस्कृति के चार नगर निम्नलिखित हैं-
1. हड़प्पा, 2. मोहनजोदड़ो, 3. रोपड़, 4. कालीबंगा 5. लोथल, 6. बनावली (कोई से चार
लिखिए) ।
प्रश्न 33. सिन्यु घाटी की सभ्यता के विनाश के दो कारण बताइए ।
(Give two reasons for the decline of the Indus valley civilisation.)
उत्तर-सिन्धु घाटी की सभ्यता के विनाश के (अनुमानतः) कारण निम्नांकित हैं-
(i) यह कल्पना की जाती है कि सिन्धु नदी की बाढ़ों ने इस सभ्यता को नष्ट कर दिया हो।
(ii) क्वेटा जैसे किसी बड़े भूकम्प ने इस सभ्यता को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया हो ।
(iii) भंयकर सूखा तथा उसके कारण जलाभाव एवं रेगिस्तान का विस्तार ।
(iv) किसी खुंखार विदेशी आक्रमणकारी जाति अथवा जातियों या प्राकृतिक विपत्ति, महामारी
भी इसके विनाश का कारण हो सकती है । (कोई से दो करण लिखिए)।
                                               लघु उत्तरीय प्रश्न
                                (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. लगभग 100 से 150 शब्दों में हड़प्पाई लोगों के निर्वाह के तरीकों का विवरण
alfag (Describe in about 100 to 150 words the subsistence strategies of the harappan.)
उत्तर-हड़प्पा सभ्यता के निवासी कई प्रकार के पेड़-पोधों से प्राप्त उत्पाद और जानवरों,
जिनमें मछली भी शामिल हैं, से प्राप्त भोजन करते थे। जले अनाज के दानों तथा बीजों की खोज
से पुरातत्त्वविद् आहार संबंधी आदतों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में सफल हो पाये हैं ।
इनका अध्ययन पुरा-वनस्पत्तिज्ञ करते हैं जो प्राचीन वनस्पति के अध्ययन के विशेषज्ञ होते हैं।
हड़प्पा स्थलों से मिले अनाज के दानों में गेहूँ, जौ, दाल, सफेद चना तथा तिल शामिल हैं । बाजरे
के दाने गुजरात के स्थलों से प्राप्त हुए थे । चावल के दाने अपेक्षाकृत कम पाये गये हैं ।
हड़प्पा स्थलों से मिली जानवरों की हड्डियों में मवेशियों, भेड़, बकरी, भैंस तथा सूअर की
हड्डियाँ शामिल हैं । पुरा-प्राणिविज्ञानियों अथवा जीव-पुरातत्त्वविदों द्वारा किये गये अध्ययनों से
संकेत मिलता है कि ये सभी जानवर पालतू थे । जंगली प्रजातियों जैसे वराह (सूअर), हिरण तथा घड़ियाल की हड्डियाँ भी मिली हैं । हम यह नहीं जान पाये हैं कि हड़प्पा-निवासी स्वयं इन जानवरों का शिकार करते थे अथवा अन्य आखेटक-समुदायों से इनका माँस प्राप्त करते थे। मछली तथा पक्षियों की हड्डियाँ भी मिली हैं।
प्रश्न 2. हड़प्पा सभ्यता के शहरों में लोगों को उपलब्ध भोजन सामग्री की सूची
बनाइए। इन वस्तुओं को उपलब्ध कराने वाले समूहों की पहचान कीजिए ।
(List the items of food available to people in Harappan cities Identify the
groups who would have provided these.)              [N.C.E.R.T. T.B.Q-1]
उत्तर-(i) पेड़-पौधों के उत्पाद, (ii) माँस, (iii) मछली, (iv) अनाज-जैसे गेहूँ, जौ, दालें,
सफेद चना, तिलहन, बाजरा और चावल, (v) दूध ।
समूह-संग्रहकर्ता, आखेटक, मछुआरे, किसान, व्यापारी आदि ।
प्रश्न 3. हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख देवताओं एवं धार्मिक प्रथाओं की विवेचना
कीजिए।                                                    [B.M.2009A]
उत्तर-हड़प्पावासी बहुदेववादी और प्रकृति पूजक थे। मातृदेवी इनकी प्रमुख देवी थी। मिट्टी
की बनी अनेक स्त्री मूर्तियाँ, जो मातृदेवी की प्रतीक है, बड़ी संख्या में मिली हैं। देवताओं में प्रधान पशुपति या आद्य-शिव थे। मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर पर योगीश्वर की मूर्ति को पशुपति महादेव माना गया है। सिन्धुवासी नाग कूबड़दार सांढ़, लिंग योनि पीपल के वृक्ष की भी पूजा करते थे।
जल पूजा, अग्नि पूजा और बलि प्रथा भी प्रचलित थी। मंदिरों और पुरोहितों का अस्तित्व नहीं था।
प्रश्न 4. मोहनजोदड़ो का एक नियोजित शहरी केन्द्र के रूप में प्रमुख विशेषताओं का
लगभग 100 से 150 शब्दों में लिखिए ।                          [B.M.2009A]
(Discuss the main features of Mohenjodaro as a planned Urban Centre.
In about 100 to 150 words.)
उत्तर-एक नियोजित शहरी केन्द्र के रूप में मोहनजोदड़ो (A Planned urban
centre-Mohenjodaro)-
(i) संभवतः हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू शहरी केन्द्रों का विकास था । आइये
ऐसे ही एक केन्द्र, मोहनजोदड़ो को और सूक्ष्मता से देखते हैं। हालांकि मोहनजोदड़ो सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल है, सबसे पहले खोजा गया स्थल हड़प्पा था ।
(ii) बस्ती दो भागों में विभाजित है, एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा
कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया । पुरातत्त्वविदों ने इन्हें क्रमशः दुर्ग और निचला शहर
का नाम दिया है । दुर्ग की ऊँचाई का कारण यह था कि यहाँ की संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरे
पर बनी थीं। दुर्ग को दीवार से घेरा गया था ।
(iii) निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था । इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों
पर बनाया गया था जो नींव का कार्य करते थे । अनुमान लगाया गया है कि यदि एक श्रमिक
प्रतिदिन एक घनीय मीटर मिट्टी ढोता होगा, तो मात्र आधारों को बनाने के लिए ही चालीस लाख
श्रम-दिवसों, अर्थात् बहुत बड़े पैमाने पर श्रम की आवश्यकता पड़ी होगी ।
(iv) शहर का सारा भवन-निर्माण कार्य चबूतरा पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित था ।
इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्यान्वयन । नियोजन के अन्य लक्षणों में ईंटें शामिल हैं, जो भले धूप में सुखाकर अथवा भट्टी में पकाकर बनाई गई हों, एक निश्चित अनुपात की होती थी, जहाँ लम्बाई और चौड़ाई, ऊँचाई की क्रमशः चार गुनी और दोगुनी होती थी। इस प्रकार की ईंटें सभी हड़प्पा बस्तियों में प्रयोग में लाई गई थी।
प्रश्न 5. पुरातत्त्वविद् हड़प्पाई समाज में सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं का पता किस
प्रकार लगाते हैं ? वे कौन-सी भिन्नताओं पर ध्यान देते हैं ? [N.C.E.R.T. TB.Q-2]
(How do archaeologists trace socio-economic differences in Harappan
society? What are the differences that they notice ?)
उत्तर-पुरातत्त्वविद् हड़प्पाई समाज में सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं का पता लगाने के लिए
उत्खनन करते हैं, वे अन्य विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की मदद लेकर लोगों की शारीरिक रचना के बारे
में अध्ययन करके अवशेषों के आधार पर लिंग, शारीरिक रचना आदि को जानते हैं। वे अस्थियों
का अध्ययन जीव-वैज्ञानिकों की मदद से करके विभिन्न मानव प्रजातियाँ पशु पक्षियों के बारे में
अध्ययन करते हैं।
पुरातत्त्वविद्, पुरातत्त्व में मिले उपकरणों, औजारों, धातु, पदार्थों, बर्तनों आदि के आधार पर
लोगों को सामाजिक, आर्थिक स्तर के बारे में निष्कर्ष निकालते हैं । बहुमूल्य आभूषणों, बर्तनों
आदि का प्रयोग करने वाले समाज के और आर्थिक दृष्टि से सामान्य लोग माने जाते हैं जबकि
घटिया वर्तन और कम कीमती आभूषणों का प्रयोग करने वाले निर्धन लोग होते हैं। पुरातत्त्वविद्
निम्न प्रकार की विशेषताओं पर ध्यान देते हैं-
(i) शारीरिक बनावट ।
(ii) सामाजिक स्थिति ।
(iii) विभिन्न लोगों की विभिन्न आर्थिक स्थिति ।
(iv) विभिन्न लोगों द्वारा किये जाने वाले भिन्न-भिन्न व्यवसाएँ ।
(v) विभिन्न लोगों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न यातायात के साधन ।
(vi) क्षेत्रीय आधार पर सामाजिक विभिन्नताएँ जैसे खानपान, मनोरंजन के साधनों की
विभिनता, मकानों का आकार और बनावट की भिन्नता ।
(vii) कब्रों में मिले शवों के साथ पदार्थों और धार्मिक परंपराओं या रीति-रिवाजों की
भिन्नता।
(viii) विलासिता और गैर-विलासिता की वस्तुओं के आधार पर लोगों के जीवन स्तर और
राजनीतिक जीवन से संबंधित विभिन्नताओं का अध्ययन ।
प्रश्न 6. “हड़प्पाई शहरों में दुर्ग में ऐसी संरचनाओं के साक्ष्य मिलते हैं जिन्हें सार्वजनिक
उद्देश्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता था।” व्याख्या करें।
(“In the Harappan cities we find evidence of structure in citadels we show that those structures were probably use for special public purpose’ Explain it.)
उत्तर-दुर्ग में स्थित विभिन्न संरचनाओं एवं विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोजन (Different
structure in the Citadel and special Public Purpose)-दुर्ग पर हमें ऐसी संरचनाओं
के साक्ष्य मिलते हैं जिनका प्रयोग संभवतः विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था। इनमें एक माल-गोदाम-एक ऐसी विशाल संरचना है जिसके ईंटों से बने केवल निचले हिस्से शेष हैं, जबकि ऊपरी हिस्से, जो संभवतः लकड़ी से बने थे; बहुत पहले ही नष्ट हो गये थे-और विशाल स्नानागार सम्मिलित हैं।
विशाल स्नानागार आँगन में बना एक आयताकार जलाशय है जो चारों ओर से एक गलियारे
से घिरा हुआ है । जलाशय के तल तक जाने के लिए इसके उत्तरी दक्षिणी भाग में दो सीढ़ियाँ
बनी थीं । जलाशय के किनारों पर ईंटों को जमाकर तथा जिप्सम के गारे के प्रयोग से इसे जलबद्ध किया गया था । इसके तीन ओर कक्ष बने हुए थे जिनमें से एक में एक बड़ा कुआँ था । जलाशय से पानी एक बड़े नाले में बह जाता था। इसके उत्तर में एक गली के दूसरी और एक अपेक्षाकृत छोटी संरचना थी जिसमें आठ स्नानघर बनाये गये थे । एक गलियारे के दोनों ओर चार-चार
स्नानघर बने थे । प्रत्येक स्नानघर से नालियाँ, गलियारे के साथ-साथ बने एक नाले में मिलती थीं । इस संरचना का अनोखापन तथा दुर्ग क्षेत्र में कई विशिष्ट संरचनाओं के साथ इनके मिलने से इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है कि इसका प्रयोग किसी प्रकार के विशेष आनुष्ठानिक स्नान के लिए किया जाता था ।
प्रश्न 7. क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि हड़प्पा सभ्यता के शहरों की जल
निकासी प्रणाली नगर-योजना की ओर संकेत करती है? अपने उत्तर के कारण बताएँ ।
(Would you agree that the drainage system in Harappan cities indicates
town planning? Give reasons for your answer?) [N.C.E.R.T.T.B.Q-3]
उत्तर-हाँ, हम इस तथ्य से सहमत हैं कि हडप्पा के शहरों की जल निकास प्रणाली
नगर-योजना की ओर संकेत करती है। अपने उत्तर के पक्ष में हम निम्न कारण बता सकते हैं-
(i) नालों का निर्माण हड़प्पाई शहरों की सबसे अनूठी विशिष्टता है । यह स्वयं में इस बात
का प्रमाण है कि सिन्धुवासी नियोजित जल निकासी प्रणाली को अपनाए हुए थे ।
(ii) शहरों के नक्शों को देखने पर जान पड़ता है कि सड़कों और गलियों को लगभग एक
ग्रिड पद्धति से बनाया गया था और वह एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
(iii) हरी बनावट को देखने से ऐसा जान पड़ता है कि पहले नियोजित ढंग से नालियों के
साथ-साथ गलियों को बनाया गया था और उनके निकट आवासों का निर्माण किया गया था।
यदि घरों के गंदे पानी को घरों की नालियों से जोड़ना था जो प्रत्येक घर की कम-से-कम एक
दीवार से गली से सटा होना जरूरी था ।
प्रश्न 8. मुहरें और मुद्रांकन पर एक टिप्पणी लिखिए । [B.M.2009A]
(Write a short note on Seal and Sealing.)
उत्तर-मुहरों और मुद्रांकनों का प्रयोग लम्बी दूरी के संपर्कों को सुविधाजनक बनाने के लिए
होता था । कल्पना कीजिए कि सामान से भरा एक थैला एकसान से दूसरे स्थान तक भेजा
गया । उसका मुख रस्सी से बाँधा गया और गाँठ पर थोड़ी गीली मिट्टी जमा कर एक या अधिक
मुहरों से दबाया गया, जिससे मिट्टी मुहरों की छाप पड़ गई। यदि इस थैले के अपने गंतव्य स्थान
पर पहुँचने तक मुद्रांकन अक्षुण्ण रहा तो इसका अर्थ था कि थैले के साथ किसी प्रकार की
छेड़-छाड़ नहीं की गई थी। मुद्रांकन से प्रेषक की पहचान का भी पता चलता था ।
प्रश्न 9. ‘हड़प्पाई लिपि एक रहस्यमय लिपि थी।’ स्पष्ट कीजिए ।
 (The Harappan script was an ‘enigmatic script’make clear.)
उत्तर-सामान्यतः हड़प्पाई मुहरों पर एक पंक्ति में कुछ लिखा है जो संभवतः मालिक के
नाम व पदवी को दर्शाता है। विद्वानों ने यह सुझाव भी दिया है इन पर बना चित्र (आम तौर
पर एक जानवर) अनपढ़ लोगों को सांकेतिक रूप से इसका अर्थ बताता था ।
अधिकांश अभिलेख संक्षिप्त है: सबसे लम्व अभिलेख में लगभग 6 चिह्न हैं । हालांकि यह
लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है, पर निश्चित रूप से यह वर्णमालीय (जहाँ प्रत्येक चिह्न
एक स्वर अथवा व्यंजन को दर्शाता है) नहीं थी क्योंकि इसमें चिह्नों की संख्या कहीं अधिक
है-लगभग 375 से 400 के बीच । ऐसा प्रतीत होता है कि यह लिपि दाई से बाईं ओर लिखी जाती थी क्योंकि कुछ मुहरों पर दाई और चौड़ा अंतराल है और बाईं ओर यह संकुचित है जिससे लगता है कि उत्कीर्णक ने दाईं ओर से लिखना आरम्भ किया और बाद में बाईं ओर स्थान कम पड़ गया।
अब हम उन विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को देखते हैं जिन पर लिखावट मिली हैं मुहरें, ताँबे
के औजार, मर्तबानों के अँवठ, ताँबे, तथा मिट्टी की लघुपट्टिकाएँ, आभूषण, अस्थि-छड़े और
यहाँ तक कि एक प्राचीन सूचना पट्ट । याद रखें हो सकता है कि नष्टप्राय वस्तुओं पर भी लिखा
जाता हो । क्या इसका यह अर्थ लगाया जा सकता है कि साक्षरता व्यापक थी ?
प्रश्न 10. हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाई। कोई
भी एक प्रकार का मनका बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। [N.C.E.R.T. T.B.Q-4]
(List the materials used to make beads in the Harappan civilsation.
Describe the process by which any one kind of beard was made.)
उत्तर-हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए निम्न पदार्थ प्रयोग में लाए जाते थे-
I.सूची (List)
(i) कानालियन (सुन्दर लाल रंग का) (ii) जैस्फर (iii) स्फटिक (iv) टिज तथा सेलखड़ी
जैसे-ताँबा, कांसा, सोने जैसी धातुएँ तथा शंख । (v) फ्यॉन्स और पकी मिट्टी ।
II. मनके बनाने की प्रक्रिया (Process of bead making)
(i) मनके बनाने की तकनीकों में प्रयुक्त पदार्थ के अनुसार भिन्नताएँ थीं । सेलखड़ी, जो एक
बहुत मुलायम पत्थर है, पर आसानी से कार्य हो जाता था । कुछ मनके सेलखड़ी चूर्ण के लेप
को साँचे में ढाल कर तैयार किये जाते थे । इससे ठोस पत्थरों से बनने वाले केवल ज्यामितीय
आकारों के विपरीत कई विविध आकारों के मनके बनाये जा सकते थे । सेलखड़ी के सूक्ष्म मनके
कैसे बनाये जाते थे, यह प्रश्न प्राचीन तकनीकों का अध्ययन करने वाले पुरातत्वविदों के लिए एक
पहेली बना हुआ है।
(ii) पुरातत्त्वविदों द्वारा किये गये प्रयोगों ने यह दर्शाया है कि कार्नीलियन का लाल रंग, पीले
रंग के कच्चे माल तथा उत्पादन के विभिन्न चरणों में मनकों को आग में पकाकर प्राप्त किया
जाता था । पत्थर के पिण्डों को पहले अपरिष्कृत आकारों में तोड़ा जाता था, और फिर बारीकी
से शल्क निकाल कर इन्हें अन्तिम रूप दिया जाता था । घिसाई, पॉलिश और इनमें छेद करने
के साथ ही यह प्रक्रिया पूरी होती थी चन्हुदड़ो, लोथल और हाल में ही धौलावीरा से छेद करने
के विशेष उपकरण मिले हैं।
प्रश्न 11. हड़प्पा संस्कृति के बारे में जानकारी के क्या स्रोत हैं ?
(What are sources of knowledge about the Harappa culture ?)
उत्तर-हड़प्पा संस्कृति के बारे में जानकारी कराने वाले अनेक स्रोत उपलब्ध हैं। सर्वप्रथम
हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो जैसे विभिन्न नगरों की खुदाई से प्राप्त विभिन्न भवनों, गलियों, बाजारों,
स्नानागारों आदि के अवशेष हड़प्पा संस्कृति पर प्रकाश डालते हैं। इन अवशेषों से हड़प्पा संस्कृति के नगर निर्माण एवं नागरिक प्रबन्ध के विषय में भी पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है।
दूसरे, कला के विभिन्न नमूनों से जैसे मिट्टी के खिलौनों, धातुओं की मूर्तियों (विशेषकर
नाचती हुई लड़की की ताँबे की प्रतिमा) आदि से हड़प्पा के लोगों की कला एवं कारीगरी पर
पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।
मोहरों (Seals) से जो अपने में ही हड़प्पा संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर काफी जानकारी
प्राप्त होती है। इनसे हड़प्पा संस्कृति से सम्बन्धित लोगों के धर्म, पशु-पक्षियों एवं पेड़-पौधों तथा
लिपि के उपस्थिति से यह अनुमान लगाया जाता है कि हड़प्पाई लोग पढ़े-लिखे थे। इस लिपि
के पढ़े जाने के बाद उनके सम्बन्ध में कई महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होंगी।
प्रश्न 12. सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा बनाये गये मिट्टी के बर्तनों की क्या
विशेषताएँ थीं ? (What were the characteristics of the clay-vessels made by the people of Indus-civilisation?)
उत्तर-(1) सिन्धु घाटी के लोगों द्वारा प्रयोग में लाये जाने वाले बर्तन चाक पर बने हुए होते
थे। यह बात स्वयं में स्पष्ट करती है कि यह संस्कृति पूरी तरह विकसित थी।
(2) रूप और आकार की दृष्टि से इन बर्तनों की विविधता तथा सुन्दरता आश्चर्यजनक है।
(3) पतली गर्दन वाले बड़े आकार के घड़े तथा लाल रंग के बर्तनों पर काले रंग की चित्रकारी
आदि हड़प्पा के बर्तनों की विशेषताएँ हैं।
(4) इन बर्तनों पर अनेक प्रकार के वृक्षों, त्रिभुजों, वृत्तों व बेलों आदि का प्रयोग करके अनेक
प्रकार के खिलौने तथा नमूने बनाये गये हैं।
प्रश्न 13. मोहनजोदड़ो के सार्वजनिक स्नानागार के विषय में लिखिए।
Write down about the public bathroom of Mohen Jodaro.
उत्तर-मोहनजोदड़ो में बना सार्वजनिक स्नानागार अपना विशेष महत्त्व रखता है। यह सिन्धु
घाटी के लोगों की कला का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान है कि यह स्नानागार (तालाब)
धार्मिक अवसरों पर आम जनता के नहाने के प्रयोग में लाया जाता था। यह तालाब इतना मजबूत बना हुआ है कि हजारों वर्षों के बाद भी यह वैसे का वैसा ही बना हुआ है। इसकी दीवारें काफी चौड़ी बनी हुई हैं जो पक्की ईंटों और विशेष प्रकार के सीमेंट से बनी हुई हैं ताकि पानी अपने आप बाहर न निकल सके । तालाब (स्नानाघर) में नीचे उतरने के लिए सीढ़ियाँ भी बनी हुई हैं। पानी निकलने के लिए नालियों का भी प्रबन्ध है।
प्रश्न 14. सिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन पर प्रकाश डालें। [B.M.2009A]
उत्तर-सिंधु सभ्यता के धार्मिक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न थीं-
(i) मातृदेवी की पूजा होती थी।
(ii) पशुपति की पूजा प्रचलित थी। कूबड़ वाला बैल पूजनीय था।
(iii) पीपल वृक्ष की भी पूजा होती थी।
(iv) नागपूजा, स्वास्तिक (सूर्यपूजा) अग्निपूजा (वेदी) के भी संकेत मिलते हैं।
(v) एक मूर्ति में एक स्त्री के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाई देता है। यह संभवतः
धरती देवी की मूर्ति है। संभव है कि हड़प्पावासी धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा
करते हैं।
कुल मिलाकर हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन काफी हद तक आज के हिन्दू धर्म के ही
समान था। यद्यपि इस सभ्यता से कहीं भी मंदिर जैसे अवशेष नहीं प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 15. सिन्धु घाटी सभ्यता के विभिन्न केन्द्रों से जो मोहरें (Seals) मिली हैं, उनका
क्या महत्त्व है ? (What is the importance of seals that are received from the
different centres of Indus valley?)
अथवा, “पक्की मिट्टी की मूर्तिकाएँ और मोहरें हड़प्पा की धार्मिक प्रथाओं पर प्रचुर
प्रकाश डालती हैं।” विवेचन करें। (The statue of clay and seals throw plenty of
light on the religious traditions of Harappa people? Explain.)
उत्तर-सिन्धु घाटी के लोगों की पक्की मिट्टी की मूर्तिकाएँ और मोहरें वहाँ की
संस्कृति का विशिष्ट उदाहरण हैं। यह हड़प्पा के लोगों की धार्मिक प्रथाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालती है।
ये लोग शिव, पार्वती आदि की पूजा करते थे, यह सब कुछ इन्हीं से पता चलता है। कला
की दृष्टि से सिन्धु घाटी के लोगों द्वारा बनाई गई मूर्तिकाएँ अपना जवाब नहीं रखती। मोहरों पर
खुदे हुए साँड, गेंडे, हाथी, बारहसिंगा के चित्र देखते ही बनते हैं। ये चित्र अपनी सुन्दरता तथा
वास्तविकता में अद्वितीय हैं। एक अन्य प्रकार से भी ये मोहरें प्रसिद्ध हैं। कुछ मोहरों पर अभिलेख खुदे हुए हैं जो ऐतिहासिक दृष्टि से बड़े महत्त्वपूर्ण हैं। अभी उन पर खुदी हुई लिपियाँ पढ़ी नहीं जा सकी है। जब विद्वान इसे पढ़ने में सफल हो जाएँगे तो इन मोहरों का महत्त्व और भी बढ़ जाएगा, इस बात से कौन इंकार कर सकता है।
प्रश्न 16. सिंधु घाटी के लोगों के नगर व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी
हैं ? (What are the main characteristics of city arrangement of the people of Indus valley ?)
अथवा, हड़प्पा नगरों का विन्यास कैसा था ? इनकी विलक्षणताओं का वर्णन करें।
(Which type was the city organisation of Harappa ? Describe its
characterstics?)                                      [B.Exam.2012(A)]
उत्तर-सिंधु घाटी के लोग नगरों में रहने वाले थे। वे नगर स्थापना में बड़े कुशल थे।
उन्होंने हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगन, लोथल, रोपड़ जैसे अनेक नगरों का निर्माण किया ।
उनकी नगर व्यवस्था के समन्ध में निम्नलिखित विशेषताएँ मुख्य रूप से उल्लेखनीय हैं-
1. हड़प्पा संस्कृति के नगर एक विशेष योजना के अनुसार बनाये गये थे। इन लोगों ने
बिल्कुल सीधी (90° के कोण पर काटती हुई) सड़कों व गलियों का निर्माण किया था, ताकि डॉ.
मैके के अनुसार-“चलने वाली वायु उन्हें अपने आप ही साफ कर दे।”
2. उनकी जल निकासी की व्यवस्था बड़ी शानदार थी। नालियाँ बड़ी सरलता से साफ हो
सकती थीं।
3. किसी भी भवन को अपनी सीमा से आगे कभी नहीं बढ़ने दिया जाता था और न ही बर्तन
पकाने वाली किसी भी भट्टी को नगर के अन्दर बनने दिया जाता था । अर्थात् अनाधिकृति निर्माण (unauthorised constructions) नहीं किया जाता था।
प्रश्न 17. उत्तर हड़प्पाई सभ्यता पर एक टिप्पणी लिखिए। [B.M. 2009A]
(Write short note on Later Harappan culture?)
उत्तर-उत्तर हड़प्पाई सभ्यता (Later Harappan Civilisation)-हड़प्पा संस्कृति के
पतन के साथ-साथ नगरवाद के लक्षण समाप्त होने लगे थे। इस बात की जानकारी उत्तरकालीन
हड़प्पा संस्कृति से संबंधित अवशेषों से मिलती है। स्थान-स्थान पर आभूषणों की निधियाँ गढ़ी
मिली हैं। एक स्थान पर मानव खोपड़ियों का ढेर पाया गया है। मोहनजोदड़ो की ऊपरी सतहों
में नए प्रकार की कुल्हाड़ियाँ तथा छुरियाँ मिली हैं। ये वस्तुएँ किसी बाहरी आक्रमण का संकेत
देती हैं। हड़प्पा के अंतिम चरण के एक कब्रिस्तान में नए लोगों के अवशेष मिले हैं। यहाँ के
ऊपरी स्तरों पर जो मृदभांड मिले हैं वे भी नए प्रकार के हैं। पंजाब तथा हरियाणा से मिलने
वाले उत्तरकालीन हड़प्पा के मृदभांड वैदिक लोगों से जुड़े हैं। इनसे संबंधित स्थल देहाती बस्तियाँ मात्र ही हैं। ये सभी बातें भारत के प्रथम नगरवाद की समाप्ति को ही दर्शाती हैं।
प्रश्न 18. मोहनजोदड़ो तथा हंइप्पा के अतिरिक्त किन्हीं पाँच स्थलों का लगभग 100-
150 शब्दों में विवरण कीजिए।
Give description in about 100-150 words about any five sites (places) of
the Indus Valley civilisation except Mohanjodaro and Harappa.
उत्तर-1. चान्हूदड़ो (Chaniudaro) : यह एक मात्र सिंधु शहर है जिसमें नगर दुर्ग नहीं
है। मोहनजोदड़ो की तरह यहाँ भी कई बार बाढ़ आने के चिह्न हैं।
2. कालीबंगा (Kalibanga) : यहाँ से सिंधु शहरों में से एक है जहाँ से आद्य-हड़प्पा
(Proto-Harappan) तथा हड़प्पा संस्कृतीय साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। आद्य-हड़प्पा चरण में खेत
जोते जाते थे, लेकिन हड़प्पा काल में उन्हें जोता नहीं जाता था बल्कि खोदा जाता था। नगर दुर्ग
में पुरातत्त्वविदों ने दो चबूतरे खोजे हैं जो यज्ञ करने के काम आते होंगे।
3. लोथल (Lothal) : ईंट के कृत्रिम गोदी बाड़े वाला यह एकमात्र सिंधु शहर है। यह
सिंधुप्रवासियों का मुख्य बंदरगाह रहा होगा। चावल की खेती का प्राचीनतम (1800 ई. पृ.)
उदाहरण लोथल से प्राप्त हुआ है। इसके अलावा एकमात्र स्थल अहमदाबाद के निकट रंगपुर
है जहाँ से चावल का भूसा प्राप्त हुआ है।
4. बनवाली (Banwali) हरियाणा में : यहाँ से आद्य-हड़प्पा तथा हड़प्पा संस्कृति के चरण
प्राप्त हुए हैं।
5. सुर्कोतड़ा (Surkotra) : यह एकमात्र सिंधु स्थल है जहाँ से वास्तव में घोड़े के अवशेष
प्राप्त हुए हैं।
यह पत्थर के टुकड़ों को दीवार से घिरा हुआ था जिसके कोनों पर तथा बड़ी दीवारों के
बीच वर्गाकार बुर्ज बने हुए थे।
6. धौलावीरा (Dhaulavira) : सिंधु शहरों की खोज में नवीनतम, यह गुजरात में स्थित
है तथा सिंधु सभ्यता के विशालतम स्थलों में से एक है।
यहाँ की विशिष्ट विशेषता यह है कि यह अन्य शहरों की तरह दो नहीं, तीन भागों में बँटा
हुआ है। इसके दो भागों की मजबूत घेराबंदी की गई थी। (कोई से पाँच)
                                           दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
                           (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1. मोहनजोदड़ो की कुछ विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए [N.C.E.R.T. T.B.Q.6]
 (Describe some of the distinction features of Mohenjodaro.)
उत्तर-मोहनजोदड़ो की कुछ विशिष्टताएँ (Some of the distinction features of
Mohenjodaro):
1. मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा नियोजित शहरी केन्द्र था। यह सबसे प्रसिद्ध
पुरास्थल है चाहे इसकी खोज हड़प्पा से बाद ही हुई थी।
2. मोहनजोदड़ो शहर को नियोजकों ने दो भागों में विभाजित किया है। एक भाग छोटा है
लेकिन वह हिस्सा अधिक ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा भाग कहीं अधिक बड़ा है लेकिन
नीचे बनाया गया। पुरातत्त्वविदों ने इन्हें क्रमशः दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है।
3. मोहनजोदड़ो के प्रथम भाग अर्थात् दुर्ग की ऊंँचाई का कारण यह था कि यहाँ की
संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरे पर बनी थीं। दुर्ग को दीवार से घेरा गया था जिसका अर्थ है
कि इसे निचले शहर से अलग किया गया था।
4. मोहनजोदड़ो का दूसरा भाग अर्थात् निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था। इसके
अलावा अनेक मकानों को ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया था जो नींव का काम करते थे।
5. मोहनजोदड़ो के निर्माण में लाखों श्रमिकों ने अपना परिश्रम दिया होगा। एक अनुमान
लगाया गया कि यदि एक मजदूर हर रोज एक घनीय मीटर मिट्टी ढोता होगा, तो मात्र आधारों (नींवों) के निर्माण के लिए ही चालीस लाख श्रम-दिवसों यानी बहुत बड़े पैमाने पर श्रम की जरूरत पड़ी होगी।
6. मोहनजोदड़ो शहर का सम्पूर्ण भवन-निर्माण कार्य चबूतरों पर एक निश्चित क्षेत्र तक
सीमित था। इसलिए ऐसा जान पड़ता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर
उसके अनुसार कार्यान्वयन ।
7. मोहनजोदड़ो शहर के नियोजन के अन्य लक्षणों में ईंटें शामिल हैं, जो भले धूप में सुखाकर
या भट्टी में पकाकर बनाई गई हों, एक निश्चित अनुपात की होती थीं, जहाँ लम्बाई और चौड़ाई,
ऊँचाई का क्रमशः चार गुनी और दोगुनी होती थीं। इस तहर की ईंटें सभी हड़प्पाई बस्तियों में
उपयोग में लाई जाती थीं।
8. मोहनजोदड़ो में सुनियोजित ढंग से नालों का निर्माण किया गया ।
9. मोहनजोदड़ो का निचला शहर आवासीय भवनों (गृह स्थापत्य) के सबसे अच्छे
उदाहहरण पेश करता है। इनमें से अनेक एक आँगन पर केन्द्रित थे जिसके चारों तरफ कमरे
बने थे। आँगन कई कामों में आता था तथा इस शहर के लोग परिवार जनों की एकांतता
(Privacy) के प्रति जागरूक थे। इस शहर के प्रत्येक घर में ईंटों का फर्श बना होता था तथा
प्रत्येक घर का अपना एक पृथक् स्नानघर होता था। 10 मोहनजोदड़ो के दुर्ग भाग में विशिष्ट
सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए माल-गोदाम तथा विशाल स्नानगार भी बनाया गया था।
प्रश्न 2. हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख रणों का वर्णन कीजिए।
[B.Exam/B.M.2009A,B.Exam.2010 (A), B.Exam.2012(A), B.Exam.2013(A)]
उत्तर-हड़प्पा सभ्यता के पतन के मुख्य कारणों की चर्चा निम्नलिखित रूप से की जा सकती है-
(i) बाढ़-इस मत के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगर नदियों के ही किनारे थे। अत:
बाढ़ द्वारा इनका पतन हुआ होगा। खुदाई में मिली बालू की मोटी परतें इस मत की पुष्टि करती हैं।
(ii) अग्नि कांड-खुदाई में जली हुई मोटे स्तरों की प्राप्ति से कुछ विद्वान अग्निकांड से इस
सभ्यता के पतन की बात करते हैं।
(iii) बाह्य (आर्य) आक्रमण-खुदाई से प्राप्त नरकंकालों, वेदों में दस्युओं, दुर्गों के विनाश
का वर्णन के आधार पर बाह्य आक्रमण द्वारा पतन के विचार को भी नजरअंदाज नहीं किया जा
सकता।
(iv) लगातार गेहूँ उत्पादन से भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी से भी इस सभ्यता के पतन
के विचार को बल मिलता है।
इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन, नदियों द्वारा मार्ग बदलने, जल प्लावन के सिद्धांत भी इस
संदर्भ में उल्लेखरीय हैं।
प्रश्न 3. हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची
बनाइए तथा चर्चा कीजिए कि ये किस प्रकार किये जाते होंगे ? [N.C.E.R.T. T.B.Q.7]
(List the raw materials required for energy production in the Harappan
civilisation and discuss how these might have been obtained ?)
उत्तर-I. हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची
(List of the raw materials required for craft production in the Harappan
civilisations):
(1) चिकनी मिटी । (2) पत्थर । (3) ताँबा । (4) टिन या जस्ता । (5) काँसा । (6) सोना । (7)
शंख । (8) जैस्पर (एक तरह का उत्पादन) 1 (9) चक्कियाँ । (10) मिट्टी के बर्तन । (11) सुइयाँ । (12) झाँवा । (13) फयान्स (घिसी हुई रेत, अथवा बालू तथा रंग, और चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पका कर बनाया गया पदार्थ । (14) तकलियाँ । (15) सुगंधित पदार्थ। (16) मनके ।
(17) कार्नालियन (सुंदर लाल रंग) । (18) स्फटिक । (19) क्वार्ट्ज । (20) सेलखड़ी (एक बहुत
मुलायम पत्थर) । (21) पीले रंग के कच्चे माल । (22) लाजवर्ड मणि (नीले रंग के अफगानी
पत्थर) । (23) विविध प्रकार की लकड़ियाँ । (24) अस्थियाँ । (25) कपास या सूत, ऊन आदि ।
II. कच्चे मालों की प्राप्ति विधि (Methods of achieving raw materials):
हड़प्पा सभ्यता के केन्द्रों से कुछ शिल्पकारी के साक्ष्य भी मिलते हैं।
(1) वस्त्र निर्माण के लिए वे कपास कृषि से तथा ऊन भेड़ों से प्राप्त करते थे।
(2) हड्डियों की कुछ चीजें बनाई जाती थीं जो विभिन्न मवेशियों से प्राप्त की जाती थीं।
जंगली जानवरों की हड्डियाँ, मछलियों की हड्डियाँ तथा पक्षियों की हड्डियाँ आखेटकों या स्वयं
शिकार करके प्राप्त की जाती थीं।
(3) ईंटों, मिट्टी के बर्तन तथा मृणमूर्तियों एवं खिलौने के निर्माण के लिए आसपास के चिकनी
मिट्टी के क्षेत्रों से प्राप्त की जाती थी। चोलिस्तान (पाकिस्तान) बनवाली (हरियाण) से मिले
मिट्टी के हल इस बात के साक्ष्य हैं कि यहाँ बढ़िया चिकनी मिट्टी मिलती थी।
(4) लकड़ी के हत्थों (जिनके पत्थर के फलन बिठाये जाते थे) बनाने के लिए लकड़ी की
विभिन्न वस्तुओं, उपकरणों, औजारों के निर्माण के लिए लकड़ी आसपास के जंगलों से प्राप्त की
जाती होगी तथा बढ़िया किस्म की लकड़ी मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक) से आयात की जाती होगी।
(5) कताई के लिए रुई तथा ऊन क्रमशः खेतों तथा भेड़ों से प्राप्त की जाती थी।
(6) सुगंधित द्रव्यों को बनाने के लिए फयान्स (जैसे कीमती पदार्थ) मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा
से प्राप्त किये जाते थे।
(7) ताँबा राजस्थान के खेतड़ी, अफगानिस्तान तथा सोना दक्षिण भारत (संभवतः कोलार
से प्राप्त किया जाता था)।
(8) चान्हुदड़ो जैसे छोटी बस्ती के शिल्पकार मनके बनाने के लिए शंख समुद्री किनारे पर
बसाई गई बस्तियों से प्राप्त करते थे। वे विभिन्न धातुओं के विभिन्न स्थानों (जैसे ताँबा राजस्थान
तथा अफगानिस्तान, टिन या जस्ता मेसोपोटामिया तथा सोना दक्षिण भारत) से प्राप्त करते थे।
(9) पुरातत्त्वविदों द्वारा किये गये प्रयोगों ने यह दर्शाया है कि कार्नीलिया का लाल रंग, पीले
रंग के कच्चे माल तथा उत्पादनों के विभिन्न चरणों में मनकों को आम में पकाकर प्राप्त किया
जाता था।
(10) पत्थर के पिंडों को पहले अपरिष्कृत आकारों में (भद्दे आकरों में) तोड़ा जाता था और
फिर बारीकी से शल्क निकाल कर इन्हें अंतिम रूप दिया जाता था। घिसाई-पॉलिश और इनमें
छेद करने के साथ ही यह प्रक्रिया पूरी होती थी।
(11) नागेश्वर तथा बालाकोटा (जो दोनों बस्तियाँ समुद्र तट के समीप स्थित हैं) । शंख
से बनी चूड़ियाँ, करछियाँ, पच्चीकारी की वस्तुएँ तथा शंख आदि चान्हुदड़ो, लोथल, मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा के लोगों को कच्चे मालों के रूप में भेजते थे जिनसे वे रुई शिल्प कलाओं में प्रयोग करते थे।
(12) कुछ पत्थर, कुछ विशेष प्रकार की लकड़ी तथा धातु जलोढ़क मैदान से बाहर के क्षेत्रों
से मँगाने पड़ते थे । सुदूर अफगानिस्तान में स्थित शोर्तुघई से अत्यन्त कीमती माने जाने वाले नीले रंग के पत्थर लाजवर्द मणि के सबसे अच्छे स्रोत के समीप स्थित था से मँगवाये जाते थे। गुजरात के भड़ौच से कार्नालियन, दक्षिणी राजस्थान तथा उत्तरी गुजरात से सेलखड़ी नामक कीमती सुन्दर पत्थर मंगवाया जाता था।
(13) ताँबा अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित ओमान से भी लाया जाता था।
प्रश्न 4. चर्चा कीजिए कि पुरातत्त्वविद् किस प्रकार अतीत का पुनर्निर्माण करते हैं ?
(Discuss how archaeologists reconstruction the past?) [N.C.E.R.T.T.B.Q.8)
उत्तर-पुरातत्वविद् प्राचीन स्थलों का उत्खनन करके विभिन्न वस्तुएँ प्राप्त करते हैं और
विभिन्न वैज्ञानिकों की मदद से उनका अन्वेषण, व्याख्या और विश्लेषण आदि करके कुछ निष्कर्ष
निकालते हैं।
(i) पुरातत्त्व वस्तुओं की पहचान एक विशेष प्रकार की प्रक्रिया द्वारा की जाती है। उदाहरण
के लिए भोजन तैयार करने की प्रक्रिया में अनाज पीसने के यंत्र तथा उन्हें आपस में मिलाने, मिश्रण कले तथा पकाने के लिए बर्तनों की आवश्यकता थी। इन सभी को पत्थर, धातु तथा मिट्टी से बनाया जाता था। यहाँ एक महत्त्वपूर्ण हड़प्पा स्थल मोहनजोदड़ो में हुए उत्खननों पर सबसे
आरंभिक रिपोटों में से एक से कुछ उद्धरण दिये जा रहे हैं :
अवतल चक्कियाँ. . . . .बड़ी संख्या में मिली हैं……..और ऐसा प्रतीत होता
है कि अनाज पीसने के लिए प्रयुक्त ये एकमात्र साधन थीं। साधारणतः ये चक्कियाँ स्थूलतः
कठोर, कंकरीले, अग्निज अथवा बलुआ पत्थर से निर्मित यों और आम तौर पर इनसे अत्यधिक
प्रयोग के संकेत मिलते हैं। चूँकि इन चक्कियों के तल सामान्यतया उत्तल हैं, निश्चित रूप से इन्हें
जमीन में अथवा मिट्टी में जमा कर रखा जाता होगा जिससे इन्हें हिलने से रोका जा सके। दो
मुख्य प्रकार की चक्कियाँ मिली हैं वे जिन पर एक दूसरा छोटा पत्थर आगे-पीछे चलाया जाता
था, जिससे निचला पत्थर खोखला हो गया था तथा दूसरा वे जिनका प्रयोग संभवतः केवल सालन या तरी बनाने के लिए जड़ी-बूटियों तथा मसालों को कूटने के लिए किया जाता था। इन दूसरे प्रकार के पत्थरों को हमारे श्रमिकों द्वारा ‘सालन पत्थर’ का नाम दिया गया है तथा हमारे बावर्ची ने एक यही पत्थर रस्बेई में प्रयोग के लिए संग्रहालय से उधार माँगा है।
की तुलना आजकल की चक्कियों से बनी।
(iii) पुरातत्त्वविद यह जानने के लिए कि क्या किसी संस्कृति विशेष में रहने वाले लोगों के
बीच सामाजिक तथा आर्थिक भिन्नताएँ थी, सामान्यतः कई विधियों का प्रयोग करते हैं। इन्हीं
विधियों में से एक शवाधानों का अध्ययन है। आप संभवतः मिस्र के विशाल पिरामिडों, जिनमें
से कुछ हड़प्पा सभ्यता के समकालीन थे, से परिचित हैं। इनमें से कई पिरामिड राजकीय
सावधान थे, जहाँ बहुत बड़ी मात्रा में धन-संपत्ति दफनाई गई थी।
(iv) सामाजिक भिन्नता को पहचानने की एक अन्य विधि है ऐसी पुरावस्तुओं का अध्ययन
जिन्हें पुरातत्त्वविद् मोटे तौर पर, उपयोगी तथा विलास की वस्तुओं में वर्गीकृत करते हैं।
(v) शिल्प-उत्पादन के केन्द्रों की पहचान के लिए पुरातत्त्वविद् सामान्यत: निम्नलिखित को
ढूँढ़ते हैं-प्रस्तर पिण्ड, पूरे शंख तधा ताँबा-अयस्क जैसा कच्चा माल; औजार; अपूर्ण वस्तुएँ:
त्याग दिया गया माल तथा कूड़ा-करकट । यहाँ तक कि कूड़ा-करकट शिल्प कार्य के सबसे अच्छे संकेतकों में से एक हैं। उदाहरण के लिए, यदि वस्तुओं के निर्माण के लिए शंख अधवा पत्थर को काटा जाता था तो इन पदार्थो के टुकड़े कूड़े के रूप में उत्पादन के स्थान पर फेंक दिये जाते थे।
प्रश्न 5. हड़प्पाई समाज में शासकों द्वारा किये जाने वाले संभावित कार्यों की चर्चा
कीजिए।                                                          [N.C.E.R.T. T.B.Q.9]
Discuss the functions that may have been performed by rulers in Harappan society.
उत्तर-विद्वानों की राय है-
(i) हड़प्पाई समाज में शासकों द्वारा जटिल फैसले लेने और उन्हें कार्यान्वित करने जैसे
महत्त्वपूर्ण कार्य किये जाते थे। वे इसके लिए एक साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि हंडप्पाई
पुरावस्तुओं में असाधारण एकरूपता को ही लें, जैसा कि मृदमांडों, मुहरों, बाटों तथा ईंटों से स्पष्ट है।
(ii) बस्तियों की स्थापना के बारे में निर्णय लेना बड़ी संख्या में ईंटों को बनाना, शहरों में
विशाल दीवारें, सार्वजनिक इमारतें, उनके नियोजन करने का कार्य, दुर्ग के निर्माण से पहले चबूतरों का निर्माण कार्य के बारे में निर्णय लेना, लाखों की संख्या में विभिन्न कार्यों के लिए श्रमिकों की व्यवस्था करना जैसे महत्त्वपूर्ण और कठिन कार्य संभवतः शासक ही करता था।’
(iii) कुछ पुरातत्त्वविद् यह मानते हैं कि सिन्धु घाटी की समकालीन सभ्यता मेसोपोटामिया
के समान हड़प्पाई लोगों में भी एक पुरोहित राजा होता था। जो प्रासाद (महल) में रहता था।
लोग उसे पत्थर की मूर्तियों में आकार देकर सम्मान करते थे। संभवतः धार्मिक अनुष्ठान उन्हीं
के द्वारा किया या कराया जाता था। हाँ ये सत्य है कि हड़प्पा सभ्यता की आनुष्ठानिक प्रथाएँ
अभी तक ठीक प्रकार से समझी नहीं जा सकी हैं और न ही यह जानने के सावन उपलव्य हैं
कि क्या जो लोग इन अनुष्ठानों का निष्पादन करते थे, उन्हीं के पास राजनैतिक सत्ता होती थी।
(iv) कुछ पुरातत्त्वविद् इस मत के हैं कि हड़प्पाई समाज में शासक नहीं थे, तथा सभी की
सामाजिक स्थिति समान थी। दूसरे पुरातत्त्वविद् यह मानते हैं कि यहाँ कोई एक नहीं बल्कि कई
शासक थे जैसे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि के अपने अलग-अलग राजा होते थे। कुछ और यह
तर्क देते हैं कि यह एक ही राज्य था जैसा कि पुरावस्तुओं में समानताओं, नियोजित बस्तियों के
साक्ष्यों, ईंटों के आकार में निश्चित अनुपात तथा बस्तियों के कच्चे माल के स्रोतों के समीप
संस्थापित होने से स्पष्ट है। अभी तक की स्थिति में अंतिम परिकल्पना सबसे युक्तिसंगत प्रतीत
होती है क्योंकि यह कदाचित् संभव नहीं लगता कि पूरे के पूरे समुदायों द्वारा इकट्ठे ऐसे जटिल
निर्णय लिये तथा कार्यान्वित किये जाते होंगे।
प्रश्न 6. ‘सिन्धु सभ्यता के अंत’ में विषय पर विशेषणात्मक बोध लिखिए।
(Write a critical essay on the end of the Indus valley civilisation.)
उत्तर-सिन्धु सभ्यता का अंत, एक विश्लेषण (Critical stuay of the end of the
Indus valley civilisation):
(i) अंत का समय और जनसंख्या का प्रवासन (Period of end and Migration of
Population) : ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिनके अनुसार लगभग 1800 ईसा पूर्व तक चोलिस्तान जैसे क्षेत्रों में अधिकांश विकसित हड़प्पा स्थलों को त्याग दिया गया था। इसके साथ ही गुजरात,
हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नई बस्तियों में आबादी बढ़ने लगी थी।
(ii) भौतिक संस्कृति में बदलाव (Transforation of MateriaiCulture): ऐसा लगता
है कि उत्तर हड़प्पा के क्षेत्र 1900 ईसा पूर्व के बाद भी अस्तित्व में रहे। कुछ चुने हुए हड़प्पा
स्थलों की भौतिक संस्कृति में बदलाव आया था जैसे सभ्यता की विशिष्ट पुरावस्तुओं-बाटों, मुहरों
तथा विशिष्ट मनकों का समाप्त हो जाना । लेखन, लंबी दूरी का व्यापार तथा शिल्प विशेषज्ञता
भी समाप्त हो गई । सामान्यतः थोड़ी वस्तुओं के निर्माण के लिए थोड़ा ही माल प्रयोग में लाया जाता था।
(iii) उत्तर हड़प्पा संस्कृतियाँ (Later Harappan Cultures) : आवास निर्माण की
तकनीकों का हास हुआ तथा बड़ी सार्वजनकि संरचनाओं का निर्माण अब बंद हो गया। कुल
मिलाकर पुरावस्तुएँ तथा बस्तियाँ इन संस्कृतियों में एक ग्रामीण जीवनशैली की ओर संकेत करती हैं। संस्कृतियों को “उत्तर हड़प्पा” अथवा “अनुवर्ती संस्कृतियाँ” कहा गया।
(iv) संभावित विघटन के कारण (Possible causes of Disintigration) : सिन्धु घाटी
या हड़प्पाई संस्कृति के संभावित पतन अथवा विघटन के कारणों के विषय में कई व्याख्याएँ दी
गई हैं। इनमें जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, अत्यधिक बाढ़, नदियों का सूख जाना और/या
मार्ग बदल लेना तथा भूमि का अत्यधिक उपयोग सम्मिलित हैं। इनमें से कुछ ‘कारण’ कुछ
बस्तियों के संदर्भ में तो सही हो सकते हैं, परंतु पूरी सभ्यता के पतन की व्याख्या नहीं करते ।
प्रश्न 7. हड़प्पा सभ्यता की अन्य समकालीन सभ्यताओं से तुलना करें।
(Compare the Harappa civilization with other contemporary civilizations.)
अथवा, विश्व के अन्य भागों की कौन-कौन सी कांस्य युग सभ्यताएँ, हड़प्पा-संस्कृति
की समकालीन थीं ? उनमें से किस-किस के साथ हड़प्पा लोगों के व्यापारिक सम्पर्क थे ?
(Which were the bronze age civilizations of the other parts of the world,
the contemporary of Harappa culture ? With which of them were the
commercial contacts of it?)
उत्तर-सिन्धु घाटी में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो आदि की खोजों ने अब यह सिद्ध कर दिया
कि मेसोपोटामिया, मिस्र, क्रीट और चीन की भाँति भारत में । सभ्यता का विकास हुआ। इन
सब देशों में लगभग एक जैसे अवशेष और खण्डहर पाये गये हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि ये
सब सभ्यताएँ प्राय: समकालीन थीं। इन सभी सभ्यताओं में कुछ-न-कुछ बातें समान पाई जाती
हैं जो इस प्रकार हैं:
(i) इन सभ्यताओं के लोगों ने सबसे पहले जिस लिपि का प्रयोग किया, वह चित्रलिपि थी।
(ii) सूत कातना और कपड़ा बुनना, ये सभी सभ्यताओं के लोग जानते थे।
(iii) मिट्टी के बर्तन बनाना और उनको रंगना भी सभी लोग जानते थे।
(iv) ये सब सभ्यताएँ लोहे का प्रयोग करना नहीं जानती थीं। घर के बर्तन व हथियार बनाने
में ताँबे व पीतल का प्रयोग होता था ।
(v) सभी सभ्यताओं के लोग मकान बनाने में पक्की ईंटों का प्रयोग करते थे।
(vi) सभी सभ्यताओं के लोगों का आर्थिक व सामाजिक जीवन प्रायः एक-जैसा था।
राजनैतिक तथा धार्मिक क्षेत्र की भी अनेक बातें परस्पर मिलती-जुलती थीं।
यही नहीं, इन देशों में किसी न किसी प्रकार के परस्पर व्यापारिक सम्बन्ध भी थे क्योंकि
सभी स्थानों पर अनेक प्रायः एक समान अवशेष व खण्डहर मिले हैं। सिन्धु घाटी की वस्तुएँ
अधिकतर मेसोपोटामिया में मिली हैं जो यह सिद्ध करती हैं कि मेसोपोटामिया और सुमेरियन लोगों के साथ सिन्धु घाटी के लोगों का मेल-मिलाप अधिक था। सुमेरियन लोगों का एक ओर तो
चीन के साथ दूसरी ओर मिस्र के साथ सम्बन्ध थे। क्रीट के निवासी मिस्र और सुमेरिनयन, दोनों
के निवासियों से परिचित थे। इस प्रकार अपासी मेल-जोल का एक जाल-सा फैला हुआ था
जिसके फलस्वरूप इन प्राचीन सभ्यताओं ने एक-दूसरे से कुछ-न-कुछ सीखा होगा। इस प्रकार
कहा जा सकता है कि उपरोक्त सभी सभ्यताएँ प्रायः एक समान थीं और उनमें व्यापरिक व सामाजिक सम्बन्ध थे।
प्रश्न 8. हड़प्पा संस्कृति की मुख्य देन या उपलब्धियाँ कौन-कौन-सी हैं ?
What are the main contribution or achievements of Harappa culture ?
उत्तर-हड़प्पा संस्कृति में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जिनको सामने रखकर कुछ इतिहासकार
अब यह मानने लगे हैं कि अवश्य ही यह सभ्यता, अन्य सभ्यताओं से श्रेष्ठ है और इसकी संसार
को बड़ी देन हैं। निम्नलिखित क्षेत्रों में सिन्धु घाटी के लोगों की उन्नति उनकी श्रेष्ठ सभ्यता का
स्पष्ट प्रमाण है:
(1) श्रेष्ठतम तथा सुनियोजित नगर (Best and well planned city)-हड़प्पा के नगरों
की स्थापना ऐसे मनोवैज्ञानिक एवं सुनियोजित ढंग से की गई थी जिसका उदाहरण प्राचीन संसार
में कहीं नहीं मिलता। आज की भाँति आवश्यकतानुसार सड़कें व गलियाँ छोटी और बड़ी दोनों
प्रकार की बनाई गई थीं। डॉ० मैके जैसे लोग भी इन नगरों की प्रशंसा किये बिना न रह सके।
उनके कथनानुसार गलियाँ एवं बाजार इस प्रकार के बनाये गये थे कि वायु अपने आप ही उनको
साफ कर दे।
(2) श्रेष्ठतम, सुनियोजित एवं सुव्यवस्थित निकास व्यवस्था (Best and well-planmed
drainage)-सफाई का जितना ध्यान यहाँ के लोग रखते थे, उतना शायद ही किसी दूसरे देश
के लोग रखते हों। इतनी पक्की और छोटी-छोटी नालियाँ आजकल भी हमें आश्चर्य में डाले बिना
नहीं रहतीं।
(3) श्रेष्ठतम व निपुण नागरिक प्रबन्ध (Best and the most efficient civic
organization)-नगर प्रबन्ध भी सर्वोत्तम ढंग का था । ऐसा संसार के किसी दूसरे प्राचीन देश
में देखने में नहीं आता । स्थान-स्थान पर पीने के पानी का विशेष प्रबन्ध था। गलियों में प्रकाश
का भी प्रबन्ध था। यात्रियों के लिए सराएँ और धर्मशालाएँ बनी हुई थीं और नगर की गन्दगी
को बाहर ले जाकर खाइयों में डलवा दिया जाता था। वे लोग आधुनिक युग की भाँति स्वास्थ्य
के नियमों से अच्छी तरह परिचित थे। इसीलिये तो उन्होंने बर्तन बनाने की भट्टी को भी नगर
के अन्दर नहीं बनने दिया था।
(4) सुन्दर और उपयोगी कला (Art-borth with beauty and utility)-यहाँ की कला
में दो विशेष गुण थे, जो अन्य देशों की कला में एक साथ देखने को कम मिलते हैं-
(i) इस सभ्यता में बनावटीपन लेशमात्र का भी न था। इसके घरों अथवा भवनों का निर्माण
लोगों की उपयोगिता या आराम को ध्यान में रखते हुए हुआ था।
(ii) उपयोगिता के साथ-साथ मकानों में सुन्दरता भी थी। मैसोपोटामिया के मकान चाहे
अधिक सुन्दर व अच्छे हों, परन्तु उनमें कृत्रिमता अधिक थी और वे इतने उपयोगी भी नहीं थे।
उधर, मिस्र में भवन तो अनेक थे परन्तु उनमें कला का अभाव है।
प्रश्न 9. हड़पा सभ्यता के लोगों के आर्थिक तथा सामाजिक जीवन के बारे में आप
क्या समझते हैं ? (Or, What do you know about the economicaid social life of
the people of Harappa civilisation.)
उत्तर-(व) लोगों का सामाजिक तथा आर्थिक जीवन (Social and economic life
of the people)-मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा की खुदाई में जो वस्तुएँ मिली हैं, उनसे हम सिन्धु
घाटी के लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन का भी अनुमान लगा सकते हैं। खुदाई में जो
हड्डियाँ और खोपड़ियाँ मिली हैं उनसे उस सभ्यता के लोगों का द्रविड़ या आर्य होने का अनुमान
है परंतु कुछ लोग उन्हें सुमेरियन या क्रीट निवासी बताते हैं। सिन्धु घाटी के पुरुष धोती पहनते थे ऊपर चादर या शाल ओढ़ते थे। आभूषण स्त्रियाँ व पुरुष दोनों पहनते थे। आभूषणों में अंगूठी, गले का हार, करधनी और कुंडल थे। आभूषण सोने, चाँदी, कीमती पत्थर, हाथी-दाँत, घोंघा, हड्डियों के बने होते थे । हड़प्पा के लोग सौन्दर्य प्रेमी थे । वे लोग कई प्रकार के पाउडर, सुधित
तेल तथा (सुर्खी) का प्रयोग करते थे। हड़प्पा का भोजन बहुत सादा था। वे गेहूँ, जौ, दूध, सब्जी, मांस, मछली का प्रयोग करते थे।
हड़प्पा निवासियों के प्रमुख व्यवसाय कृषि व पशुपालन थे । इसके अतिरिक्त वस्त्र बुनना,
बर्तन व आभूषण बनाना व व्यापार करना वहाँ के लोगों का पेशा था । वे लोग गाय, बैल, बकरी,
भैंस व ऊँट आदि पशु पालते थे। शिकार खेलना, मछली पकड़ना, साँडों की लड़ाई करवाना,
पक्षी-पालन आदि उनके मनोरंजन के साधन थे ।
(श) धर्म (Religion)–हड़प्पा से प्राप्त प्रमाणों से सिद्ध होता है कि वे लोग मूर्तिपूजक
थे । वे लोग लिंग व योनि की भी पूजा करते थे । कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी मिली हैं।
दो सींग वाली एक देव मूर्ति भी मिली है । इसके चारों ओर चार पशु-हाथी, सिंह, बारहसिंगा
और भैंसा हैं। वे लोग पीपल, फाख्ता, चीता, बकरी, मगरमच्छ, गेंडा और सर्प की भी पूजा करते थे।
हड़प्पा निवासियों में शवों को दफनाने और जलाने की दोनों प्रथाएँ थीं । शव के साथ उसके
आभूषण, बर्तन व हथियार भी रखते थे । वे लोग पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे अथवा नहीं, इस
विषय में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता ।
प्रश्न 10. हड़प्पा सभ्यता के विस्तार की विवेचना करें।
Discuss the extent of the Harappan Civilization. [B.Exam.2013(A)]
उत्तर-हड़प्पा संस्कृति के केन्द्र एवं विस्तार (Chief centres and extention of the
Harappan Culture) : अनेक भागों से मिलने वाले अवशेषों से यह ज्ञात होता है कि हड़प्पा
सभ्यता, पंजाब, राजस्थान, काठियाबाड़ ही नहीं बल्कि इससे परे के पूर्वी भागों में फैली हुई थी।
प्रो० गोल्डन चाइल्ड के शब्दों में-“इस सभ्यता का क्षेत्रफल समकालीन मिस्र अथवा सुमेर सभ्यता के क्षेत्रफल से भी कहीं अधिक विस्तृत था।”
इस संस्कृति से सम्बन्धित कोई 550 से भी अधिक स्थानों पर खुदाई हो चुकी है। परन्तु
केवल निम्नलिखित छ: स्थलों को ही नगर माना गया है।
(i) मोहनजोदड़ो (Mohan-Jodaro) : इस सभ्यता का एक मुख्य केन्द्र था मोहनजोदड़ो
नगर जो सिन्धु प्रान्त के लरकाना जिले में स्थित है। मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ है-‘मृतकों
का टीला’। इस नगर का यह नाम इसलिये पड़ा क्योंकि इसकी 7 तहों से ऐसा अनुमान लगाया
जाता है कि यह नगर सात बार बना और सात बार उजड़ा। सन् 1922 में श्री आर० डी० बनर्जी
ने इसकी खोज की। उनका ऐसा अनुमान है कि यह नगर एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र था और एक
अन्तर्राष्ट्रीय नगर था। सम्भवतः यह दक्षिणी प्रदेश की राजधानी थी।
(ii) हड़प्पा (Harappa): यह पश्चिमी पंजाब के मिण्टगुमरी (वर्तमान नाम साहीवाल) जिले
में लाहौर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। यह नगर बहुत विशाल था, यह
मोहनजोदड़ो से भी बड़ा था। इसकी खोज भी लगभग उसी समय (जिस समय नोहनजोदड़ो की
हुई थी) श्री आर० बी० दयाराम ने की थी। उनका विचार था कि यह नगर उत्तरी प्रदेश अथवा
भाग (क्षेत्र) की राजधानी थी। हड़प्पा में समानान्तर चतुर्भुज के आकार की एक गढ़ी (छोटा
किला) बनी हुई थी। इस नगर के चारों ओर एक दीवार बनी हुई थी जो शायद शत्रुओं से रक्षा
के लिए जनाई गई थी।
(ii) चान्हूदड़ो (Chendhudaro) : यह नगर भी मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की भाँति अब
पाकिस्तान में है। यह सिन्ध प्रान्त में मोहनजोदड़ो से लगभग 130 किलोमीटर दक्षिण में है।
(iv) कालीबंगा (Kalibangan) : यह स्थान भारत के राजस्थान राज्य में है। यहाँ पर हड़प्पा
संस्कृति के दो अवशेष;- सीधी व चौड़ी सड़क और वैज्ञानिक ढंग से बनाई गई नालियाँ एवं
कच्ची ईंटों के चबूतरे हैं।
(v) बनवाली (Banwali) : यह स्थान हरियाणा प्रांत के हिसार जिले में स्थित है। इसके
अवशेष बहुत कर कालीबंगा के अवशेषों से मिलते हैं। यहाँ भी हड़प्पा-पूर्व और हड़प्पाकालीन
संस्कृतियों के दर्शन होते हैं।
(vi) लोथल (Lothal) : लोथल समुद्र के निकट स्थित है, अत: यह अनुमान लगाया जाता
है कि यह नगर समुद्री व्यापार का एक बड़ा केन्द्र रहा होगा। लोथल में जो वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं
उनसे पता चलता है कि सिन्धु घाटी की सभ्यता काफी दूर-दूर तक फैली हुई थी।
(vii) अन्य स्थल (Other sites) : उपरोक्त स्थलों के अतिरिक्त सिन्धु-घाटी की सभ्यता
के अवशेष राखी गाढ़ी (हरियाणा), शाही टम्प (बिलोचिस्तान) आदि स्थानों से भी प्राप्त हुए थे।
(ख) काल (Date): सर जॉन मार्शल का विचार है कि यह सभ्यता लगभग पाँच हजार
वर्ष पुरानी है। उनका कहना है कि मेसोपोटामिया और मिस्र जैसे देशों में कुछ ऐसे ही मिट्टी के
बर्तन व मोहरें मिली हैं जो मोहनजोदड़ों तथा हड़प्पा के वर्तनों से मिलती-जुलती हैं।
(ग) सुनियोजित नगर (Well-planned) : सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज से पता चलता
है कि इस समय के लोग प्रायः नगरों में रहने वाले थे। नगर में बड़ी-बड़ी सड़कें थीं, जो एक
दूसरी को समकोण पर काटती थीं। ये सड़कें 4 मीटर से लेकर 10 मीटर तक चौड़ी थीं। बाजारों
के दोनों ओर लगभग 25 मीटर तक चौड़ी गलियाँ थीं। डा० मैके के अनुसार सड़कें इस प्रकार
बनी हुई थीं कि चलने वाली वायु एक सिरे से दूसरे सिरे तक गलियों अथवा सड़कों को स्वयं
साफ कर दे।
(घ) सुव्यवस्थित निकास व्यवस्था (Well-planned drannage) : सिन्धु घाटी सभ्यता
के लोग सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक ढंग से नालियों का प्रबंध करना जानते थे। उन्होंने नालियाँ
खड़ियाँ मिट्टी, चूने और एक प्रकार के सीमेंट से बनाई हुई थीं। वे नालियों को खुला छोड़ना
हानिकर समझते थे, अतः वे उन्हें ईंटों से पाटते (ढकते) थे। स्त्रियों को नालियों में राख और
कूड़ा डालने पर पाबन्दी थी। वर्षा के पानी की निकासी का विशेष रूप से प्रबंध था। सारांश
रूप में कहा जा सकता है कि उन लोगों का सफाई की ओर विशेष ध्यान था।
(ङ) निपुण नागरिक प्रबन्ध (Efficient civic administration) : नगरों में हर प्रकार
का प्रबन्ध लोगों की आवश्यकताओं व सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया जाता था। नगर में
अच्छी नालियों के अलावा गलियों में प्रकाश का उचित प्रबन्ध किया जाता था। बर्तन पकाने वाली भट्टी नगर से बाहर होती थी जिससे नगर में प्रदूषण न फैले। यात्रियों के ठहरने के लिए सराय (मुसाफिरखाना) डोती थीं। रात को नागरिक की रक्षा के लिए पहरे का उचित प्रबन्ध था। कोई भी व्यक्ति अपने घर का कूड़ा नाली या गली में नहीं फेंकता था। कूड़ा नगर से बाहर गड्ढों
में डाला जाता था। किसी का मकान निश्चित सीमा से आगे नहीं बनने दिया जाता था।
(च) भवन निर्माण कला (Architecture) : हड़प्पा की खुदाई से पता चलता है कि
एक कमरे के मकान से लेकर बड़े-बड़े भवन तक बनाये जाते थे। ये भवन प्रायः तीन प्रकार के
होते थे-
(i) रहने का घर
(ii) पूजा गृह या पब्लिक हाल (सार्वजनिक महाकक्ष)
(iii) सार्वजनिक स्नानागार।
मकान प्रायः पक्की ईंटों के थे और कई-कई मंजिल के होते थे। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ
होती थीं। मकानों में वायु, धूप आने के लिए रोशनदान व खिड़कियों का प्रबन्ध था। प्रत्येक मकान में रसोईघर व स्नानघर अवश्य होता था। घर में एक कुआँ भी होता था। हड़प्पा के निवासियों के विषय में एक विशेष बात यह थी कि वे रोम के निवासियों की तरह दिन में कई-कई बार स्नान करते थे।
सार्वजनिक भवनों में स्तम्भों वाला हाल और अन्न संग्रहालय विशेषकर उल्लेखनीय हैं।
स्तम्भों वाला हाल 30 वर्ग फूट का और अन्न-संग्रहालय 200 x 50 फूट का, जिसमें 50 x 20
वर्ग फूट के स्टोर (भण्डार) होते थे।
तीसरे प्रकार का भवन स्नानागार होता था जिसका आकार 180 X 180 वर्ग फुट होता था।
इस स्नानागार का आंतरिक आकार 29x23x8 फुट होता था। इसके चारों ओर बरामदे होते थे।
स्नानागार को पानी से भरने के लिए एक कुआँ भी होता था। गन्दे पानी की निकासी के लिए
भी प्रबन्ध था। अनुमान लगाया जाता है कि सार्वजनिक स्नानागार धार्मिक अवसरों पर सामूहिक
रूप से नहाने के लिए होता था।
(ल) अन्य कलाएँ (Other arts) : भवन निर्माण के अतिरिक्त हड़प्पा के लोगों ने
मूर्तिकला, नक्काशी की कला, मिट्टी के बर्तन बनाने की कला, चित्रकला, लेखन कला आदि में
भी विशेष दक्षता प्राप्त कर ली थी।
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