11-geography

Bihar board class 11th Geography chapter 5

Bihar board class 11th Geography chapter 5

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खनिज एवं शैल
(MINERALS AND ROCKS)
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उसके आदर्श उत्तर
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :
(i) निम्न में से कौन ग्रेनाइट के दो प्रमुख घटक हैं?
(क) लोहा एवं निकिल
(ख) सिलिका एवं एलूमिनियम
(ग) लोहा एवं चाँदी
(घ) लौह ऑक्साइड एवं पोटैशियम
उत्तर-(ख)
(ii) निम्न में से कौन सा कायांतरित शैलों का प्रमुख लक्षण है?
(क) परिवर्तनीय
(ख) क्रिस्टलीय
(ग) शात
(घ) पल्लवन
उत्तर-(क)
(iii) निम्न में से कौन सा एकमात्र तत्त्व वाला खनिज नहीं है?
(क) स्वर्ण
(ख) माइका
(ग) चाँदी
(घ). ग्रेफाइट
उत्तर– -(ख)
(iv) निम्न में से कौन सा कठोरतम खनिज है?
(क) टोपाज
(ख) क्वार्ट्स
(ग) हीरा
(घ) फेल्डस्पर
उत्तर-(ग)
(v) निम्न में से कौन सी शैल अवसादी नहीं है?
(क) टायलाइट
(ख) ब्रेशिया
(ग) बोरैक्स
(घ) संगमरमर
उत्तर-(क)
(vi) निम्नलिखित में कौन सा अवसादी शैल है?
(क) बलुआ पत्थर
(ख) अम्रक
(ग) ग्रेनाइट
(घ) नीस
उत्तर-(क)
(vii) चट्टानों का टूटकर अपने स्थानों पर ही पड़े रहना कहलाता है ?
(क) अपक्षय
(ख) अपरदन
(ग) अनाच्छादन
(घ) अनावृतिकरण
उत्तर-(क)
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) शैल से आप क्या समझते हैं? शैल के तीन प्रमुख वर्गों के नाम बताएँ।
उत्तर-पृथ्वी की पर्पटी चट्टानों से बनी है। चट्टान का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है। चट्टान कठोर या नरम तथा विभिन्न रंगों की हो सकती है। जैसे ग्रेनाइट कठोर तथा सोपस्टोन नरम है। चट्टानों में सामान्यतः पाए जाने वाले खनिज पदार्थ फेल्डस्पर तथा क्वार्ट्स है।चट्टानों को उनकी निर्माण पद्धति के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया गया है।
(a) आग्नेय चट्टान-मैग्मा तथा लावा से घनीभूत;
(b) अवसादी चट्टान-बहिर्जनित प्रक्रियाओं के द्वारा चट्टानों के अंशों के निक्षेपन का परिणाम, तथा
(c) कायांतरित चट्टान-उपस्थित चट्टानों में पुनः क्रिस्टलीकरण की प्रक्रिया से निर्मित।
(ii) आग्नेय शैल क्या है? आग्नेय शैल के निर्माण पद्धति एवं उनके लक्षण बताएँ।
उत्तर-चूंकि आग्नेय चट्टानों का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा एवं लावा से होता है। अतः जब अपनी ऊपरीगामी गति में मैग्मा ठंडा होकर ठोस बन जाता है, तो यह आग्नेय चट्टान कहलाता है।
इसकी बनावट कणों के आकार एवं व्यवस्था अथवा पदार्थ की भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है। यदि पिघले हुए पदार्थ धीरे-धीरे गहराई तक ठंडे होते हैं, तो खनिज के कण पर्याप्त बड़े हो सकते हैं। सतह पर हुई आकस्मिक शीतलता के कारण छोटे एवं चिकने कण बनते हैं। शीतलता की मध्यम परिस्थितियाँ होने पर आग्नेय चट्टान को बनाने वाले कण मध्यम
आकार के हो सकते हैं। ग्रेनाइट, बैसाल्ट, वोल्कैनिक ब्रेशिया आग्नेय चट्टानों के उदाहरण हैं।
(iii) अवसादी शैल का क्या अर्थ है? अवसादी शैल के निर्माण की पद्धति बताइए।
उत्तर-अवसादी अर्थात् (Sedimentary) का अर्थ है, व्यवस्थित होना। पृथ्वी की सतह की चट्टाने अपच्छादनकारी कारकों के प्रति अनावृत होती हैं, जो विभिन्न आकार के विखण्डों में विभाजित होती है। ऐसे उपखण्डों का विभिन्न बहिर्जनित कारकों के द्वारा संवहन एवं संचय होता है। संघनता के द्वारा ये संचित पदार्थ चट्टानों में परिवर्तित हो जाते हैं। यह प्रक्रिया प्रस्तारीकरण (Lithification) कहलाती है। इसी कारणवश बालुकाश्म, शैल जैसे अवसादी चट्टानों में विविध सान्द्रता वाली अनेक सतहें होती है।
(iv) शैली चक्र के अनुसार प्रमुख प्रकार की शैलों के मध्य क्या संबंध होता है?
उत्तर-चट्टानी चक्र एक सतत् प्रक्रिया होती है, जिसमें पुरानी चट्टानें परिवर्तित होकर नवीन रूप लेती हैं। आग्नेय चट्टानें प्राथमिक चट्टाने हैं, तथा अन्य (अवसादी एवं कायांतरित) चट्टानें इन प्राथमिक चट्टानों से निर्मित होती हैं। आग्नेय चट्टानों को कायांतरित चट्टानों में परिवर्तित किया जा सकता है। आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों से प्राप्त अंशों से अवसादी चट्टानों का निर्माण
होता है। अवसादी चट्टानें अपखण्डों में परिवर्तित हो सकती हैं तथा ये अपखण्ड अवसादी चट्टानों के निर्माण का एक स्रोत हो सकते है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :
(i) ‘खनिज’ शब्द को परिभाषित करें, एवं प्रमुख प्रकार के खनिजों के नाम
लिखें।
उत्तर-खनिज एक ऐसा प्राकृतिक, अकार्बनिक तत्त्व, जिसमें एक क्रमबद्ध परमाण्विक संरचना, निश्चित रसायनिक संघटन तथा भौतिक गुणधर्म होता है। खनिज का निर्माण दो या दो से अधिक तत्त्वों से मिलकर होता है। लेकिन, कभी-कभी सल्फर ताँबा चाँदी, स्वर्ण, ग्रेफाइट जैसे एक तत्त्वीय खनिज भी पाए जाते हैं।
भूपर्पटी पर कम से कम 2,000 प्रकार के खनिजों को पहचाना गया है, और उनको नाम दिया गया है। लेकिन इनमें से सामान्यतः उपलब्ध लगभग सभी खनिज तत्त्व, छह प्रमुख खनिज समूहों से सबंधित होते हैं, जिनको चट्टानों का निर्माण करने वाले प्रमुख खनिज माना गया है।
कुछ प्रमुख खनिजों के नाम-
फेल्डस्पर-सिलिका, ऑक्सीजन, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, अल्युमिनियम आदि तत्त्व इसमें शामिल हैं।
क्वार्ट्स-ये रेत एवं ग्रेनाइट के प्रमुख घटक हैं। इसमें सिलिका होता है। यह एक कठोर खनिज है तथा पानी में सर्वथा अघुलनशील होता है।
पाइरॉक्सीन- -कैल्शियम, एल्यूमिनियम, मैग्नेशियम, आयरन तथा सिलिका इसमें शामिल हैं।
एम्फीबोल–एम्फीबोल के प्रमुख तत्त्व एल्यूमीनियम, कैल्शियम, सिलिका, लौह, मैग्नीशियम हैं।
माइका-इसमें पोटैशियम, एल्यूमिनियम, मैग्नेशियम, लौह, सिलिका आदि निहित होते हैं।
धात्विक खनिज-इनको तीन प्रकार में विभाजित किया जा सकता है
(क) बहुमूल्य धातु-स्वर्ण, चाँदी, प्लैटिनम आदि।
(ख) लौह धातु-लौह एवं स्टील के निर्माण के लिए लोहे में मिलाई जाने वाली अन्य धातुएँ।
(ग) अलौहिक धातु-इनमें कम मात्रा में लौह तत्त्व तथा ताम्र, सीमा, जिंक, टिन, एल्यूमिनियम आदि शामिल होते हैं।
अधात्विक खनिज-गंधक, फॉस्फेट तथा नाइट्रेट अधात्विक खनिज हैं। सीमेन्ट अधात्विक खनिज का मिश्रण है।
(ii) भूपृष्ठीय शैलों में प्रमुख प्रकार की शैलों की प्रकृति एवं उनकी उत्पत्ति की पद्धति का वर्णन करें। आप उनमें अन्तर स्थापित कैसे करेंगे?
उत्तर-चट्टानों को उनकी निर्माण पद्धति के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया गया है-
(a) आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks)-चूंकि आग्नेय चट्टानों का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा एवं लावा से होता है, अतः इनको प्राथमिक चट्टानें भी कहते हैं।
मैग्मा के ठंडे होकर घनीभूत हो जाने पर आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। ठण्डा तथा ठोस बनने की यह प्रक्रिया पृथ्वी की पर्पटी या पृथ्वी की सतह पर हो सकती है। आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण इनकी बनावट के आधार किया गया है। इसकी बनावट इसके कणों के आकार एवं व्यवस्था अथवा पदार्थ के भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है। ग्रेनाइट, ग्रेबो, पेग्मैटाइट, बैसाल्ट, वोल्कैनिक ब्रेशिया तथा टफ आग्नेय चट्टानों के कुछ उदाहरण हैं।
(b) अवसादी चट्टान (Sedimentary Rocks)-पृथ्वी की सतह की चट्टानें (आग्नेय अवसादी एवं कायांतरित) अपच्छादनकारी कारकों के प्रति अनावृत होती हैं, जो विभिन्न आकार के विखण्डों में विभाजित होती हैं। ऐसे उपखण्डों का विभिन्न बहिर्जनित कारकों के द्वारा संवहन एवं संचय होता है। संघनता के द्वारा से संचित पदार्थ चट्टानों में परिवर्तित हो जाते हैं। यह प्रक्रिया प्रस्तरीकरण (Lithification) कहलाती है। इसी कारणवश बालुकाश्म, शैल जैसे अवसादी चट्टानों का वर्गीकरण तीन प्रमुख समूहों में किया गया है-
(क) यांत्रिकी रूप से निर्मित-उदाहरणार्थ- -बालुकाश्म, पिण्डाशला, चूना-प्रस्तर, शैल, विमृदा आदि।
(ख) काबनिक रूप से निर्मित-उदाहरणार्थ- गीजराइट, खड़िया, चूना-पत्थर,
(ग) रसायनिक रूप से निर्मित-उदाहरणार्थ -शृंग प्रस्तर, चूना पत्थर, हेलाइट,
कोयला आदि; तथा पोट्रैश आदि।
(c) कायांतरित चट्टानें (Metamorphic Rocks)-कायांतरित का अर्थ है, ‘स्वरूप में परिवर्तन दाब आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन चट्टानों का निर्माण होता है। जब विवर्तनिक प्रक्रिया के कारण चट्टानें निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं, या जब भूपृष्ठ से उठता, पिघला हुआ मैग्मा भू-पृष्ठीय चट्टानों के संपर्क में आता है, या जब ऊपरी चट्टानों के कारण निचली चट्टानों पर अत्यधिक दाब पड़ता है, तब कायांतरण होता है। कायांतरण वह प्रक्रिया है, जिसमें समेकित चट्टानों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक चट्टानों में पदार्थ पुनः संगठित हो जाते है।

आग्नेय चट्टाने प्राथमिक चट्टाने है, तथा अन्य चट्टानें इन प्राथमिक चट्टानों से निर्मित होती है। आग्नेय चट्टानों को कायातरित चट्टानों में परिवर्तित किया जा सकता है। आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों से प्राप्त अंशों से अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है। अवसादी चट्टाने अपखण्डों में परिवर्तित हो सकती है तथा ये अपखण्ड अवसादी चट्टानों के निर्माण का एक स्रोत हो सकते है। निर्मित भूपृष्ठीय चट्टाने (आग्नेय, कायांतरित एवं अवसादी) प्रत्यावर्तन के द्वारा पृथ्वी के आंतरिक भाग में नीचे की ओर जा सकती है।
(iii) कायांतरित चट्टान क्या है? इनके प्रकार एवं निर्माण की पद्धति का वर्णन करें।
उत्तर-दाब आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप कायांतरित चट्ठानों का निर्माण होता है। जब विवर्तनिक प्रक्रिया के कारण चट्टाने निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं, या जब भूपृष्ठ से उठता, पिपला हुआ मैग्मा भू-पृष्ठीय चट्टानों के संपर्क में आता है, या जब ऊपरी चट्टानों के कारण निचली चट्टानों पर अत्यधिक दाब पड़ता है, तब कायांतरण होता है। कायांतरण यह प्रक्रिया है, जिसमें समेकित चट्टा में पुन
क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक चट्टानों में पदार्थ पुनः संगठित हो जाते हैं। बिना किसी विशेष रसायनिक परिवर्तनों के, टूटने एवं घिसने के कारण वास्तविक चट्टानों में यांत्रिकी व्यवधान एवं उनका पुन संगठित होना गतिशील कायांतरित कहलाता है। ऊष्मीय कायांतरण के कारण चट्टानों के पदार्थों में रसायनिक परिवर्तन एवं पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। ऊष्मीय कायांतरण के दो प्रकार होते है-संपर्क कायातरण एवं स्थानीय कायांतरण। संपर्क रूपांतरण में चट्टानें गर्म, ऊपर आते हुए मैग्मा एवं लावा के संपर्क में आती है, तथा उच्च तापमान में चट्टान के पदार्थों को पुन, क्रिस्टलीकरण होता है। अक्सर चट्टानों में मैग्मा अथवा लावा के योग से नए पदार्थ उत्पन्न होते है। स्थानीय कायातरण में उच्च तापमान अथवा दबाव अथवा इन दोनों के कारण चट्टानों में विवर्तनिक दबाव के कारण विकृत्तियाँ होती है, जिससे चट्टानों में पुन: क्रिस्टलीकरण होता है। कायांतरण की प्रक्रिया में चट्टाना के या खनिज सतहों या रेखाओं के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। कार्यातरित चट्टानों में खनिज अथवा कणों की इस व्यवस्था को पल्लवन या रेखांकन कहते है। कभी-कभी खनिज या विभिन्न समूहों के कण पतली से मोटी सतह में इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं, कि वो हल्के एवं गहरे रंगो में दिखाई देते हैं। कायातरित चट्टानों में ऐसी संरचनाओं को वैडिंग (Banding) कहते हैं, तथा बैंडिग प्रदर्शित करने वाले चट्टानों को बैंडेड (Banded) चट्टानें कहते हैं। कायान्तरित होने वाली वास्तविक चट्टानों पर ही कायांतरित चट्टानों के प्रकार निर्भर करते हैं।
कायांतरित चट्टांने दो प्रमुख भागों में वर्गीकृत की जा सकती हैं-पल्लवित चट्टान, अपल्लवित चट्टान। पट्टिताश्मीय, ग्रेनाइट, सायनाइट, स्लेट, शिल्ट, संगमरमर, क्वार्ट्ज आदि रूपांतरित चट्टानों के कुछ उदाहरण हैं।
           अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उसके आदर्श उत्तर
                         अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. चट्टान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-स्थलमण्डल के ठोस पदार्थ।
2. स्थलमण्डल में पाये जाने वाले दो तत्त्वों का नाम लिखें।
उत्तर-सिलिकॉन तथा एल्यूमीनियम।
3. चट्टान के रंग तथा कठोरता किन तत्त्वों पर निर्भर करते हैं?
उत्तर– खनिजों की रचना।
4. चट्टानों से प्रभावित एक वस्तु का नाम लिखो।
उत्तर– भू-आकार।
5. चट्टानों की तीन मुख्य किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-(i) आग्नेय चट्टानें, (ii) अवसादी या तलछटी चट्टानें, (iii) रूपांतरित चट्टानें।
6. IGNEOUS शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर-यह लैटिन शब्द Ignis से बना है (अर्थ अग्नि है)।
7. आग्नेय चट्टानों के निर्माण के लिये मुख्य साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर-क्रियाशील ज्वालामुखी।
8. आग्नेय चट्टानों का रूप कैसा होता है?
उत्तर-शीशे तथा रवेदार जैसा।
9. लावा पृथ्वी के धरातल पर तेजी से क्यों ठण्डा हो जाता है?
उत्तर-वायुमण्डल के सम्पर्क में होने के कारण।
10. बाह्य आग्नेय चट्टान का एक उदाहरण दें?
उत्तर-बैसाल्ट।
11. स्थिति के आधार पर आग्नेय चट्टानों के दो प्रकार लिखो।
उत्तर-बाह्य तथा भीतरी चट्टानें।
12. उत्पत्ति के आधार पर आग्नेय चट्टानें कौन-कौन सी होती हैं?
उत्तर-ज्वालामुखी चट्टाने तथा पातालीय चट्टानें।
13. पातालीय शब्द कहाँ से बना?
उत्तर-यह शब्द (Pluto) से बना जिसका अर्थ पाताल देवता है।
14. बसॉल्ट में रवे क्यों नहीं होते?
उत्तर-लावा के तेजी से ठण्डा होने के कारण।
15. अधिक गहराई में मैग्मा अन्दर क्यों ठण्डा हो जाता है?
उत्तर-ऊपरी चट्टानों में दबाव होने के कारण।
16. पातालीय चट्टानों का एक उदाहरण दें।
उत्तर-ग्रेनाइट।
17. ग्रेनाइट में बड़े रवे क्यों होते हैं?
उत्तर-मैग्मा के धीरे-धीरे ठण्डा होने के कारण।
18. वैथोलिथ शब्द का क्या अर्थ होता है?
उत्तर-बैथोलिथ भीतरी आग्नेय चट्टान का गुम्बद आकार ग्रेनाइट का भू-खण्ड
होता है।
19.लैकोलिथ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-नीचे से मैग्मा के उभार से बने टीले।
20. पश्चिमी भारत में वैसाल्ट से घिरे हुए विशाल क्षेत्र का नाम लिखें।
उत्तर-दक्कन ट्रैप।
21. ‘Sedimentary’ शब्द किस शब्द से बना है? ।
उत्तर-‘Sadimentum’ शब्द से जिसका अर्थ है नीचे बैठना।
22. अवसादी चट्टानों के लिए निक्षेप करने वाले कार्यकर्ता बताएँ।
उत्तर-नदी, वायु, ग्लेशियर।
23. तलछट को कठोर बनाने में किस तत्त्व का योगदान है?
उत्तर-सिलिका, कैल्साइट आदि संयोजक पदार्थ।
24. वनावट के आधार पर अवसादी चट्टानों की तीन किस्में कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-(i) यांत्रिक क्रिया द्वारा, (ii) रसायनिक क्रिया द्वारा, (iii) जैविक क्रिया द्वारा।
25. यांत्रिक क्रिया द्वारा बनी अवसादी चट्टानों की उदाहरण दें।
उत्तर-रेत का पत्थर, चीनी मिट्टी, ग्रिट।
26. ग्रिट किसे कहते हैं?
उत्तर -खुरदरे रेत के पत्थर को।
27. कांग्लोमरेट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-गोल पत्थरों के आपस में जुड़ने से बनने वाला भू-आकार।
28. कार्बन प्रधान चट्टान की एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर– -कोयला।
29. कोयले की विभिन्न किस्मों के नाम लिखें।
उत्तर-पीट, लिग्नाइट, बिटुमिनस तथा एंथ्रासाइट।
30. चूना प्रधान चट्टानों का दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-चाक तथा चूने का पत्थर।
31. अवसादी चट्टानों में पाये जाने वाले दो फॉसिल ईंधन वताएँ।
उत्तर-कोयला तथा पेट्रोलियम
32. रसायनिक क्रिया द्वारा निर्मित दो चट्टानों के नाम लिखें।
उत्तर-जिप्सम तथा चट्टानी नमक।
33. रसायनिक क्रिया से बनने वाली चट्टानों में मुख्य क्रिया कौन-सी है?
उत्तर-वाष्पीकरण।
34. रूपांतरित शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर-रूप में परिवर्तन।
35. चट्टानें अपना रंग तथा रचना क्यों बदल लेती हैं?
उत्तर-ताप तथा दबाव के कारण।
36. रेत का पत्थर तथा चूने का पत्थर किन चट्टानों में परिवर्तित हो जाता है?
उत्तर-रेत का पत्थर क्वार्ट्साइट तथा चूने का पत्थर संगमरमर में बदल जाता है।
37. ग्रेनाइट तथा बैसाल्ट किन चट्टानों में बदल जाती है?
उत्तर– -ग्रेनाइट नीस में तथा बैसाल्ट शिल्ट में बदल जाता है।
38. शैल तथा कोयला किन चट्टानों में बदल जाते हैं?
उत्तर-शैल स्लेट में तथा कोयला ग्रेफाइट में बदल जाता है।
39. किन खनिजों का निर्माण एक तत्वों से बना है?
उत्तर-सल्फर, ताँबा, चाँदी, स्वर्ण, ग्रेफाइट।
40. शैलों का ज्ञान क्यों आवश्यक है?
उत्तर-शैलों एवं स्थलाकृतियों तथा शैलों एवं मृदा में निकट सम्बन्ध होने के कारण भूगोलशास्त्री को शैलों का मौलिक ज्ञान होना आवश्यक होता है।
41, निर्माण पद्धति के अनुसार शैलों के प्रकार बताएँ।
उत्तर-शैलों के विभिन्न प्रकार हैं। जिनको उनकी निर्माण पद्धति के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया जाता है-(i) आग्नेय शैल-मैग्मा तथा लावा से घनीभूत, (ii) अवसादी शैल-बहिर्जनित प्रक्रियाओं के द्वारा शैलों के अंशों के निक्षेपन का परिणाम तथा (iii) कायांतरित शैल-उपस्थित शैलों में पुनक्रिस्टलीकरण प्रक्रिया से निर्मित।
42. पेट्रोलॉजी का शुद्ध अर्थ क्या है?
उत्तर-पेट्रोलॉजी शैलों का विज्ञान है। एक पेट्रो-शास्त्री शैलों के विभिन्न स्वरूपों को अध्ययन करता है। जैसे-खनिज की संरचना, बनावट, गठन, स्रोत, प्राप्ति स्थान, परिवर्तन एवं दूसरी शैलों के साथ सम्बन्ध।
43. प्रस्तीकरण (Lithification) से.क्या अभिप्राय है?
उत्तर-अपरदान के कार्यकर्ता शैलों के छोटे-छोटे खण्डों में विभाजित करते हैं। सघनता के कारण ये पदार्थ शैलों में बदल जाते हैं। इसे प्रस्तीकरण कहते हैं।
44. निर्माण पद्धति के आधार पर अवसादी शैलों का वर्गीकरण करो।
उत्तर-निर्माण पद्धति के आधार पर अवसादी शैलों का वर्गीकरण तीन प्रमुख समूहों में किया गया है-(i) यांत्रिकी रूप में निर्मित-उदाहरणार्थ, बालुकाश्म, पिंडशिल, चूना प्रस्तर, शैल, विमृदा आदि; (ii) कार्बनिक रूप से निर्मित-उदाहरणार्थ, गीजराइट, खड़िया,
चूना पत्थर, कोयला आदि तथा (i) रसायनिक रूप से निर्मित-उदाहरणार्थ, शृंग, प्रस्तर, चूना पत्थर, लेलाइट, पोटैश आदि।
45. PVT क्रिया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-यह कायांतरित क्रिया का संक्षेप रूप है, यह क्रिया P = Pressure, V =Volume, T= Temperature द्वारा होती है।
46. कायांतरित क्रिया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-कायांतरित वह प्रक्रिया है जिसमें समेकित शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक शैलों में पदार्थ पुन संगठित हो जाते हैं।
47. पल्लवन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-कायांतरण की प्रक्रिया में शैलों के कुछ कण या खनिज सतहों या रेखाओं के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। इस व्यवस्था को पल्लवन का रेखांकन कहते हैं।
48. शैली चक्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-शैली चक्र एक सतत् प्रक्रिया है जिसमें पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन रूप लेती हैं।
                                              लघु उत्तरीय प्रश्न
1. स्थलमण्डल किसे कहते हैं? स्थलमण्डल की कितनी गहराई तक चट्टाने पाई जाती हैं?
उत्तर– स्थल मण्डल (Lithosphere) का अर्थ है चट्टानों का परिमण्डल। पृथ्वी की बाहरी ठोस पर्त को भूपर्पटी (Crust) कहते हैं। यह क्षेत्र चट्टानों का बना हुआ है। धरातल से लगभग 16 कि.मी. की गहराई तक स्थलमण्डल में चट्टानें पाई जाती हैं।
2. शैल (Rock) की परिभाषा दो।
उत्तर-भू-पृष्ठ (Crust) का निर्माण करने वाले सम्पूर्ण ठोस जैव एवं अजैव पदार्थों को शैल (चट्टान) कहते हैं (“Any natural, solid organic or inorganic material out of which the crust is formed is called a Rock”)। शैल ग्रेनाइट की भाँति कठोर या पक की भाँति नरम भी हो सकती है। भू-पृष्ठ शैलों का बना हुआ है। शैल की रचना कई
खनिज पदार्थों के मिलने से होती है। कुछ शैल ऐसे भी है जिनमें एक ही प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। खनिज पदार्थों की विभिन्न मात्रा के कारण ही हर शैल की कोमलता या कठोरता, रंग-रूप, गुण व शक्ति अलग-अलग होती है।
3. खनिज की परिभाषा दें।
उत्तर-शैलों की रचना पदार्थों के इकट्ठा होने से होती है। खनिज प्राकृतिक रूप में पाया जाने वाला एक अजैव तत्त्व (Inorganicelement) या यौगिक (Compountd) है।
इसकी एक निश्चित रसायनिक रचना होती है। इसके संघटन में आण्विक संरचना पाई जाती है। इसके भौतिक गुण भी निश्चित होते हैं। अतः खनिज प्रकृति में पाये जाने वाले रसायनिक पदार्थ हैं। ये पदार्थ तत्त्व भी हो सकते हैं और यौगिक भी।
4. शैल निर्माणकारी खनिज किसे कहते हैं?
उत्तर-पृथ्वी पर लगभग 2000 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। परन्तु इनमें से केवल 12 खनिज ही मुख्य रूप से भू-पृष्ठ की शैलों का निर्माण करते हैं। इन खनिजों को शैल निर्माणकारी खनिज (Rockforming Minerals) कहते हैं इन खिनिजों में सिलिकेट सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रधान होता है। इन शैलों में सबसे सामान्य खनिज क्वार्ट्ज (Quartz) पाया जाता है।
5. खनिज कितने तत्त्वों से बनते हैं? मुख्य तत्त्व कौन-से हैं? सिलिका तथा चूने के कानिट में कौन-से तत्त्व हैं?
उत्तर-सामान्य खनिज 8 मुख्य तत्त्वों (Elements) से बनते हैं। इनमें से सिलिकेट, कनिट, ऑक्साइड तत्त्वों की मात्रा अधिक है। भू-पटल के खनिजों में 87% खनिज सिलिकेट है। सिलिका में 2 तत्त्व हैं–सिलिकॉन तथा ऑक्सीजन। चूने के कार्बनिट में 3 तत्त्व हैं- कैल्शियम, कार्बन, ऑक्सीजन।
6. ‘चट्टानें पृथ्वी के इतिहास के पृष्ठ हैं।’ व्याख्या करें।
उत्तर-चट्टानें पृथ्वी के भू-वैज्ञानिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं। इसमें पाये जाने वाले खनिज तथा इससे बनी मिट्टी प्राकृतिक वातावरण का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं। चट्टानों की तहों में जीव-जन्तु और वनस्पतियों के अवशेष सुरक्षित रहते है। ये जीवावशेष इन चट्टानों की उत्पत्ति व समय के बारे में जानकारी देते हैं। इसलिए कहा जाता है, “चट्टानें पृथ्वी के इतिहास के पृष्ठ हैं तथा जीवावशेष उसके क्षर है” (‘Rocks are the pages
of Earth History and Fossils are the writing on it”)
7. पृथ्वी की पर्पटी में कौन से प्रमुख तत्त्व है?
उत्तर-पृथ्वी विभिन्न तत्त्वों से बनी हुई है। इनकी बाहरी परत पर ये तत्त्व ठोस रूप में और आंतरिक परत में ये गर्म एवं पिघली हुई अवस्था में पाये जाते है। पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्पटी का लगभग 98 प्रतिशत भाग आठ तत्त्वों, जैसे-ऑक्सीजन, सिलिकन, एलुमिनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम पोटाशियम तथा मैग्नीशियम से बना है तथा शेष भाग टायटेनियम, हाइड्रोजन, फॉस्फोरस, मैगनीज, सल्फर, कार्बन, निकिल एवं अन्य पदार्थों
से बना है।
सारणी :पृथ्वी के पर्पटी के प्रमुख तत्त्व
पदार्थ                                  पदार्थ वजन के अनुसार (%)
(i) ऑक्सीजन                                         46.60
(ii) सिलिकॉन                                          27.72
(iii) एलुमिनियम                                       8.13
(iv) लौह                                                  5.00
(v) कैल्सियम                                           3.63
(vi) सोडियम                                            2.83
(vii) पोटैशियम                                         2.59
(viii) मैग्नीशियम                                       2.09
(ix) अन्य                                                 1.41
8. धात्विक तथा अधात्विक खनिजों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-धात्विक खनिज-इनमें धातु तत्त्व होते हैं तथा इनको तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। (क) बहुमूल्य धातु-स्वर्ण, चाँदी, प्लैटिनम आदि।
(ख) लौह धातु-लौह एवं स्टील के निर्माण के लिए लोहे में मिलाई जाने वाली अन्य धातुएँ।
(ग) अलौहिक धातु-इनमें ताम्र, सीशा, जिंक, टिन, एलूमिनियम आदि धातु शामिल होते हैं।
अधात्विक खनिज-इनमें धातु के अंश उपस्थित नहीं होते हैं। गंधक, फॉस्फेट तथा नाइट्रेट अधात्विक खनिज है। सीमेंट अधात्विक खनिजों का मिश्रण है।
9. रवों (Crystals) का निर्माण किस तत्त्व पर निर्भर करता है?
उत्तर-पिघले हुए लावा के ठण्डा होने से रवों का निर्माण होता है। रवों का आकार छोटा या बड़ा हो सकता है। वों का आकार मैग्मा के शीतलन (rateofcoolingof magma) की क्रिया पर निर्भर करता है। धरातल पर शीघ्र ही ठण्डा होने के कारण धरातल पर बनने वाले रवों का आकार छोटा होता है। इनका गठन कांच जैसा होता है, जैसे-बैसाल्ट। मैग्मा के शीतलन की क्रमिक क्रिया से बड़े-बड़े रखों का निर्माण होता है। मैग्मा के धीरे-धीरे ठण्डा होने से पातालीय चट्टानों में बड़े आकार के रवों या मोटे दोनों वाले गठन का निर्माण होता है, जैसे-ग्रेनाइट।
10. दक्कन ट्रैप (Deccan Trap) से क्या अभिप्राय है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-भारतीय प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में बैसाल्ट चट्टानों से ढंके हुए विशाल क्षेत्र को दक्कना ट्रैप कहते है। इस क्षेत्र का विस्तार लगभग 5,00,000 वर्ग किमी है। इन चट्टानों के अपक्षरण से उपजाऊ काली मिट्टी का निर्माण हुआ है जिसे ‘रेगर’ (Regur) मिट्टी कहते हैं। यह मिट्टी कपास की कृषि के लिए उत्तम है।
11. ग्रेनाइट, चट्टानों के किस वर्ग से सम्बन्धित है? इसका क्या उपयोग है? भारत के किन भागों में ग्रेनाइट चट्टानें मिलती हैं?
उत्तर-ग्रेनाइट पातालीय आग्नेय चट्टान है। यह एक कठोर चट्टान है जो विभिन्न रंगों जैसे-भूरे, लाल तथा सफेदं में पाई जाती है। इसका उपयोग इमारतें, किले, मन्दिर, मूर्तियाँ तथा सड़क बनाने में किया जाता है। दक्षिण भारत के दक्कन पठार, मध्य प्रदेश, छोटा नागपुर पठार तथा राजस्थान में ग्रेनाइट पत्थर मिलता है।
12. संगमरमर मूल रूप से कौन-सी चट्टान है? इसकी रचना कैसे होती है? इसका उपयोग बताओ।
उत्तर-संगमरमर एक परिवर्तित चट्टान है। चूने का पत्थर संगमरमर की मूल चट्टान है। गर्म मैग के संस्पर्श से चूने का पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है। संगमरमर इमारती पत्थर के मूल्य में बहुमूल्य है। आगरे का ताजमहल संगमरमर का बना हुआ है। भारत में यह अलवर, अजमेर, जयपुर तथा जोधपुर के समीप पाया जाता है।
13. कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम तथा उनमें कार्बन की मात्रा लिखो उत्तर-कोयले में कार्बन की मात्रा के अनुसार निम्नलिखित प्रकार पाये जाते हैं-
(i) पीट (Peat)-इसमें कार्बन की मात्रा 40% से कम होती है।
(ii) लिग्नाइट (Lignite)-इसमें कार्बन की मात्रा 40 से 50% तक होती है।
(iii) बिटुमिनस (Bituminus)-इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 70% तक होती है।
(iv) एन्थ्रासाइट (Anthracite)-इसमें कार्बन की मात्रा 70% से अधिक होती है।
14. स्लेट चट्टानों के किस वर्ग से सम्बन्धित है? इसका क्या उपयोग है? भारत के किन भागों में स्लेट चट्टानें मिलती हैं?
उत्तर-स्लेट एक रूपांतरित चट्टान है। यह शैल चट्टान पर अधिक दबाव से बनती है। यह भवन निर्माण में छत डालने (Roofing) के काम आती है। इसे बच्चों के लिखने में प्रयोग किया जाता है। इसे बिलियर्डस की मेज बनाने में प्रयोग करते है। भारत में यह रेवाड़ी (हरियाणा), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) तथा बिहार में पाई जाती है।
15. भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-भौतिक एव रासायनिक अपक्षय में निम्नलिखित अंतर हैं-(i) भौतिक अपक्षय चट्टानों का विघटन भौतिक बलों द्वारा होता है, जिससे चट्टानों में कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं होता। जबकि रासायनिक अपक्षय में चट्टानों अपघटन रासायनिक क्रिया द्वारा होता है, जिससे चट्टानों में रासायनिक परिवर्तन आ जाता है। (ii) भौतिक अपक्षय के मुख्य कारक ताप, पाला तथा दाब है, जबकि रासायनिक अपक्षय के मुख्य कारक ऑक्सीकरण,
कार्बोनीकरण, जलयोजन तथा बिलयन है। (iii) भौतिक अपक्षय के उदाहरण शुष्क तथा शीत प्रदेश में पाये जाते हैं जबकि रासायनिक अपक्षय के उदाहरण उष्ण तथा आई प्रदेशों में मिलते हैं।
16. निम्नलिखित शैलों को आग्नेय, अवसादी व कायांतरित शैलों में वर्गीकृत कीजिए-
(i) ग्रेनाइट, (ii) स्टेल, (iii) चूना पत्थर, (iv) संगमरमर, (v) मृतिका, (vi) देसाल्ट, (vii) बलुआ पत्थर, (viii) कोयला, (ix) खडिया, (x) जिप्सम, (xi) नीस तथा (xii) शिल्ट
उत्तर:-
आग्नये चट्टानें
(i) ग्रेनाइट
(ii) बैसाल्ट
अवसादी चट्टाने
(i) चूना पत्थर
(ii) बलुआ पत्थर
(iii) कोयला
(iv) खड़िया
(v) जिप्सम
कायांतरिक चट्टानें
(i) संगमरमर
(ii) नीस
(ii) शिल्ट
(iv) मृतिका
(v) स्लेट
17. अम्लीय तथा क्षारीय चट्टानों में क्या अंतर है?
उत्तर– -अम्लीय तथा क्षारीय चट्टानों में अंतर-
अम्लीय चट्टानें (Acids rocks)
(i) अम्लीय चट्टानों में 60% से अधिक मात्रा में सिलिका होता है।
(ii) यह चट्टानें हल्के रंग की होती हैं।
(iii) ये चट्टानें हल्की होती हैं तथा इनका घनत्व 2.75 होता है।
(iv) ग्रेनाइट इसका उदाहरण है।
क्षारीय चट्टानें ( (Basic rocks)
(i) क्षारीय चट्टानों में 40% से कम मात्रा में सिलिका होता है।
(ii) यह चट्टानें गहरे रंग की होती हैं।
(iii) यह चट्टानें भारी होती हैं तथा इनका घनत्व 3 होता है।
(iv) बैसाल्ट इसका उदाहरण है।
18. शैल तथा खनिज में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-शैल तथा खनिज में अंतर-
शैल (Rocks)
(i) शैल की रचना कई खनिज पदार्थों के मिलने से होती है।
(ii) इसकी रासायनिक रचना निश्चित नहीं होती है।
(iii) शैल तीन प्रकार के होते हैं।
(iv) शैलों के भौतिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं
खनिज (Mineral)
(i) खनिज एक प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाला अजैव तत्व है।
(ii) इसकी रासायनिक रचना निश्चित होती है।
(iii) खनिज लगभग 2000 प्रकार के हैं।
(iv) प्रत्येक खनिज के भौतिक गुण निश्चित होते हैं।
19. चूना पत्थर तथा कोयला के बनने की प्रक्रियाओं में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर -चूना पत्थर तथा कोयला के बनने की प्रक्रियाओं में अंतर-
चूना पत्थर (Lime stone)
(i) चूना पत्थर एक चूना प्रधान तलछटी चट्टान है।
(ii) इसका निर्माण महासागरों में जीव-जन्तुओं के अस्थि-पंजरों से प्राप्त चूनों से होता है।
(iii) ऊपरी परतों के दबाव तथा चूने के संयोजन से यह ठोस रूप धारण कर
लेता है।
कोयला(Coal)
(i) कोयला एक कार्बन प्रधान तलछटी चट्टान है।
(ii) इसके निर्माण वनस्पति के भूतल के नीचे दब जाने से होता है।
(iii) ऊपरी परतों के दबाव तथा अधिक गर्मी के कारण वनस्पति कार्बन में|
बदल कर कोयले का रूप धारण कर लेती है।
20. मैग्मा एवं लावा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-मैग्मा तथा लावा में अंतर-
मैग्मा (Magma)
(i) पृथ्वी के भीतरी भाग में पिघले हुए गर्म घोल को मैग्मा कहते हैं।
(ii) इसमें जल व अन्य गैसें भी मिली होती हैं।
(iii) यह पृथ्वी के भीतरी भागों में ऊपरी मैन्टल में उत्पन्न होता है।
लावा (Lava) )
(i) जब उद्भेदन के कारण मैग्मा धरातल के बाहर आकर ठंडा तथा ठोस रूप
धारण कर लेता है तो उसे लावा कहते हैं।
(ii) इसमें जल व गैसों के अंश नहीं होते।
(iii) यह पृथ्वी के धरातल पर वायुमंडल के संपर्क से ठंडा व ठोस होता है।
                                           दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 तीन प्रकार की चट्टानों में संबंध की व्याख्या चट्टानी चक्र की सहायता से कीजिए।
उत्तर– -एक वर्ग की चट्टानों को दूसरे वर्ग की चट्टानों में बदलने की क्रिया को चट्टानी चक्र (Rock Cycle) कहते हैं। इस चक्र में दो प्रकार की शक्तियाँ कार्य करती है-
(i) पृथ्वी के भू-गर्भ की गर्मी, (ii) बाह्य शक्तियों से अपरदन।
पृथ्वी पर सबसे पहले आग्नेय चट्टानों का निर्माण हुआ। विभिन्न कारकों जैसे पवन, जल, हिम द्वारा अपरदन से तलछट प्राप्त कर तथा जमाव से तलछटी चट्टानें बनती है। ये चट्टानें ताप, दाब तथा रसायनिक क्रिया से रूपांतरित चट्टानें बनाती है। रूपांतरित फिर पिघलकर आग्नेय चट्टानें बन जाती है। अपक्षय तथा अपरदन से ये तलछटी चट्टानें बन जाती हैं। इस प्रकार एक वर्ग की चट्टाने दूसरे वर्ग की चट्टानों में परिवर्तित हो जाती है। इस क्रिया को चट्टान चक्र (Rock Cycle) कहते हैं।
उदाहरण के लिए, चूने का पत्थर सगमरमर की मूल चट्टान है। गर्म मैग्मा के संस्पर्श से चूने का पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है। स्लेट एक रूपांतरित चट्टान है। यह शैल चट्टान पर अधिक दबाव से बनती है। चूने का पत्थर क्षेत्रीय रूपांतरण के कारण क्वार्ट्साइट में बदल जाता है।
रूपातरित चट्टाने तथा आग्नेय लगभग समान परिस्थितियों में बनती है।
इस प्रकार, पवन, जल, हिम, ताप तथा दाब के प्रभावों से चट्टानें; एक वर्ग से दूसरे वर्ग की चट्टानों में परिवर्तित होती रहती हैं।

2. अवसादी चट्टानें क्या होती हैं? ये किस प्रकार बनती हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-अवसादी चट्टानों का निर्माण अपरदन द्वारा प्राप्त अवसाद के जमाव से होता है। तलछट में छोटे व बड़े आकार के कण होते हैं इन कणों के एकत्र होकर नीचे बैठ जाने से अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है।
पृथ्वी के धरातल पर अपरदन से प्राप्त पदार्थ को जल, वायु, हिमनदी जमा करते रहते हैं। ये तलछट समुद्रों, झीलों, नदियों, डेल्टाओं या मरुस्थलों के धरातल आदि क्षेत्रों में जमा होते हैं।
इन चट्टानों की रचना कई पदों (Stages) में पूरी होती है। तलछट की परतों के संवहन तथा संयोजन से अवसादी शैलों का निर्माण होता है।
(i) तलछट का निक्षेप-यह पदार्थ एक निश्चित क्रम के अनुसार जमा होते रहते हैं। पहले बड़े कण तथा उसके बाद छोटे कण।
(ii) परतों का निर्माण-लगातार जमाव के कारण परतों का निर्माण होता है। पदार्थ एक परत के ऊपर, दूसरी परत के रूप में जमा होते रहते हैं।
(iii) ठोस होना-ऊपरी परतों के भार के कारण परतें संगठित होने लगती हैं। सिलिका, कैलसाइट, चिकनी मिट्टी आदि संयोजक चट्टानों को ठोस रूप दे देते हैं। इस प्रकार इन दोनों क्रियाओं के सम्मिलत रूप को शिलाभवन कहते हैं। तलछटी चट्टान तीन कार से बनती हैं-(i) यांत्रिक क्रिया द्वारा, (ii) जैविक पदार्थों द्वारा तथा (iii) रसायनिक तत्त्वों द्वारा।
(i) यांत्रिक क्रिया द्वारा-इन चट्टानों का निर्माण अपरदन व परिवहन करने वाली शक्तियों द्वारा होता है, जैसे- नदी, पवन, हिम आदि। बालुकामय तथा मृणमय चट्टानें इस प्रकार के उदाहरण है।

(ii) जैविक पदार्थों द्वारा-इन चट्टानों का निर्माण जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति के अवशेषों के दब जाने से होता है। ये चट्टानें मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-
(क) काबर्न प्रधान चट्टानें-कोयला इस प्रकार की चट्टान है।
(ख) चूना प्रधान चट्टानें-उदाहरण-चूने का पत्थर, खड़िया, डोलोमाईट आदि।
(iii) रासायनिक तत्त्वों द्वारा-उदाहरण-नमक, जिप्सम। अवसादी चट्टानों की विशेषताएँ-(i) इन चट्टानों में विभिन्न परतें पाई जाती हैं, इसलिए इन्हें परतदार चट्टानें कहते हैं। दो परतों को अलग करने वाले तल को संस्तरण तल कहते हैं। (ii) इनका निर्माण छोटे-छोटे कणों से होता है। (iii) इनमें जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति के अवशेष पाए जाते है। (iv) जल में निर्माण के कारण इनमें लहरों, धाराओं और कीचड़ के चिह्न मिलते है। (v) ये चट्टानें मुलायम तथा प्रवेशीय होती हैं। इनका अपरदन शीघ्र होता है। अधिकत्तर क्षैतिज स्थिति में पाई जाती है। (vi) ये पृथ्वी के धरातल पर 75 प्रतिशत
भाग में फैली हुई हैं। परन्तु पृथ्वी की गहराई में 5 प्रतिशत हैं।
3. निम्नलिखित में अंतर स्पट करें-
(i) रासायनिक अवक्षेप तथा जैव पदार्थों से प्राप्त अवसाद;
(ii) अपदलनी शैल और पुनर्क्रिस्टलीकृत शैल;
(iii) शल्कण संरेखण।
उत्तर   (i) रासायनिक अवक्षेप तथा जैव पदार्थों से प्राप्त अवसाद-
रासायनिक अवक्षेप अथवा यांत्रिक तलछटी चट्टानें
(i) इन चट्टानों का निर्माण अपरदन तथा परिवहन करने वाले कारकों द्वारा होता है।
(ii) इसमें स्थलज तलछट का जमाव होता है।
(iii) इसके दो मुख्य वर्ग बालुकामय तथा मृणम्य चट्टानें हैं।
(iv) रेत का पत्थर तथा शैल प्रमुख उदाहरण हैं।
जैविक पदार्थों से प्राप्त अवसाद अथवा जैविक तलछटी चट्टानें
(i) इन चट्टानों का निर्माण वनस्पति तथा जीव-जन्तुओं के अवशेषों से होता है।
(ii) इसमें जैविक तलछट का जमाव होता
(iii) इसके दो मुख्य वर्ग कार्बन प्रधान तथा चूना प्रधान चट्टानें हैं।
(iv) कोयला तथा चूने पत्थर प्रमुख उदाहरण हैं।

(ii) अपदलनी शैल और पुनर्क्रिस्टलीकृत शैल-
अपदलनी शैल
(i) इन शैलों का निर्माण यांत्रिक विघटन से हुआ
(ii) इस प्रक्रिया को गतिक कायांतरण कहते हैं।
पुनर्क्रिस्टलीकृत शैल
(i) इन शैलों का निर्माण मूल खनिजों के नए सिरे से पुनः क्रिस्टलीकृत होने से हुआ है।
(ii) इन्हें स्पर्श कायांतरिक तथा प्रादेशिक कायांतरित शैल कहते हैं।
(iii) शल्कन और संरेखण-
शल्कन
(i) कायांतरण से खनिज एक प्लेट का आकार ग्रहण कर लेते हैं।
(ii) ये खनिज शैल में सामांतर रेखा में एकत्र होते हैं।
(iii) सुविकसित शल्कन को शिल्ट कहते हैं।
संरेखन
(i) कायांतरण से खनिजों के कण एक लम्बी पतली पेंसिल जैसी वस्तु का
आकार ग्रहण कर लेते हैं।
(ii) खनिज कण एक-दूसरे के समांतर होते
(iii) सुविकसित संरेखण को पट्टन कहते हैं।
4. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें-
(i) अवसादी शैल, (ii) कायांतरण के प्रकार, (iii) खनिजों का आर्थिक महत्त्व।
उत्तर-(i) अवसादी शैल-इन शैलों का निर्माण शैलों के अपक्षय तथा अपरदन से प्राप्त अवसादों से होता है। पवन, जल तथा हिम शैलों को अपरदित करते हैं, और अवसाद को निम्न क्षेत्रों में परिवहित करते हैं। जब इनका निक्षेप समुद्र में होता है, वे संपीड़ित और कठोर होकर शैल परतों की रचना करते हैं। अवसाद खंडित खनिज तथा जैविक पदार्थ हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, पूर्व स्थित शैलों तथा जीवन-प्रक्रियाओं से प्राप्त होते हैं और वायु, जल अथवा हिम द्वारा परिवहित और निक्षेपित किए जाते हैं बलुआ पत्थर बालू के कणों से बनता है। खड़िया करोड़ों सूक्ष्म जीवों के छोटे-छोटे कैल्शियम कार्बनिटी (चूना) अवशेषों से बनती है। कठोर परतों के निर्माण की प्रक्रिया की शिलीभवन कहते हैं कभी-कभी अवसादों में निक्षेप के बाद रासायनिक परिवर्तन भी होते हैं। भौतिक तथा रसायनिक परिवर्तनों की सभी प्रक्रियाएँ जो अवसादों को उनके ठोस शैल में परिवर्तित होने के दौरान प्रभावित करती हैं, प्रसंघनन कहलाती हैं। अवसादी शैलों को खंडज तथा अखंडज-दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। शैलों का नामकरण, शैलों में उपस्थित खनिज कणों के आकार पर निर्भर करता है। खनिज कणों के आकार के अनुसार कोटि-निर्धारण करने के लिए ‘वेटवर्थ मापक’ मापन का प्रयोग किया जाता है। अखंडज अवसादी शैल दो प्रकार से बनती है-रासायनिक अवक्षेप तथा जैव पदार्थों से प्राप्त अवसाद। जैव पदार्थों से प्राप्त अवसादो में कोयला, चूना पत्थर इसके उदाहरण हैं। रासायनिक अवसादों के उदाहरण . कैल्शियम सल्फेट, एनहाइड्राइट, जिप्सम (कैल्सियम सल्फेट हाइड्रस)।
(ii) कायांतरण के प्रकार-ताप तथा दाब के कारण नई खनिज शैलों का निर्माण होता है। मृतिका ताप तथा दाब से प्रभावित होकर स्टेल में कायांतरित हो जाती है। इसी प्रकार चूना पत्थर संगमरमर में कायांतरित हो जाता है। कायांतरित शैलों को दो बड़े भागों में बाँटा जा सकता है-अपदलनी तथा पुनर्क्रिस्टलीकृत शैल। अपदलनी शैलों का निर्माण पूर्व-स्थित खनिजों का पर्याप्त रासायनिक परिवर्तन के बिना यौगिक विघटन से हुआ है। इस प्रक्रिया को गतिक कायांतरण कहते है।
पुनर्क्रिस्टलीकृत शैल मूल खनिजो के पुन क्रिस्टलीकरण होने से बनती है।
पुनर्किस्टलीकृत शैल को दो उपभागों में बांटा गया है-संस्पर्श कायोतरित तथा प्रादेशिक कायांतरित शैल। कार्यांतरण की प्रक्रिया जारी रहने पर खनिजों का एक बड़ा प्रतिशत प्लेट जैसी शक्ति ग्रहण कर लेता है। ये खनिज शैल एक सामांतर रेखा में एकत्र हो जाते है। इस संरचना को शल्कन कहते है। सुविकसित शल्कन को शिल्ट कहते है। शिल्ट की आकृति में वृद्धि हो जाती है जिन्हें पँफिरोब्लास्ट कहते हैं। कायातरित चट्टान का एक अन्य रूप है। संरेखण, इसमें खनिजों के कण एक लबी, पतली पेसिल जैसी वस्तु के रूप में एकत्र हो जाते हैं।
(ii) खनिजों का आर्थिक महत्त्व–उपयोगिता की दृष्टि से खनिजों को चार प्रमुख वर्गो में बांटा जा सकता है-
(A)आवश्यक संसाधन, ऊर्जा संसाधन, धातु संसाधन तथा औद्योगिक संसाधन। इनमें से सर्वाधिक आधारभूत वर्ग आवश्यक संसाधन है, जिनमें मृदा तथा जल शामिल है।
(B)ऊर्जा संसाधन को जीवाश्मी इंधन तथा परमाणु ईंधन में विभक्त किया जा सकता है। धात्विक संसाधनों में सरचनात्मक धातुओं, जैसे-लोहा, एल्यूमिनियम एवं टिटेनियम से लेकर अलंकारी एवं औद्योगिक धातुएं जैसे-सोना,प्लेटिनम तथा गैलियम शामिल है।
(C)औद्योगिक खनिजों में 30 से अधिक वस्तुएं शामिल है। जैसे-नमक, एस्बेस्टस तथा बालु।
(D)खनिज निक्षेपों को उनके उपभोग की दर के बराबर पैदा करने की हमारी योग्यता तथा क्षमता होने की कोई संभावना नहीं है। द्वितीय खनिज निक्षेपो की महत्ता स्थानबद्ध है।
5. आग्नेय शैलों के निर्माण का वर्णन, उनके विभिन्न प्रकारों को उपयुक्त उदाहरण देते हुए वर्णन कीजिए।
उत्तर-आग्नेय शैलों का निर्माण ज्वालामुखी से निकले हुए लावा से अथवा उष्ण मैग्मा मैग्मा के धीरे-धीरे ठण्डा होने से बनी है।
के भूपर्पटी के नीचे ठण्डा होने से हुआ है। ग्रेनाइट मोटे दाने वाली आग्नेय शैल है। यह मैग्मा के धीरे-धीरे ठंडा होने से बनी है।
बैसाल्ट महीन दानों वाली काली आग्नेय शैल है जो लावा के शीघ्र ठण्डा होने से बनी है। मैग्मा के रासायनिक विभेदन के आधार पर आग्नेय शैले दो प्रकार की होती है-मैफिक और फेल्सिक। आग्नेय शैल मे खनिज क्रिस्टलों का आकार मैग्मा के ठण्डा होने की दर पर निर्भर है। सामान्य तौर पर मैग्मा के शीघ्र ठण्डा होने पर छोटे क्रिस्टल तथा धीरे-धीरे ठण्डा होने पर बड़े क्रिस्टल बनते हैं। अतिशीघ्र ठण्डा होने से प्राकृतिक कांच या ग्लास की उत्पत्ति
निष्कासन में बाधा डालती है।
बड़े क्रिस्टल, जो आँखों से देखे जा सकते है, दृश्यक्रिस्टल कहलाते है। जो क्रिस्टल केवल माइक्रोस्कोप की सहायता से देखे जाते है, ऐफान क्रिस्टल कहलाते है। जब शैल में सभी क्रिस्टल एक ही आकार के हो. उस शैल गठन को समणिक कहते है। जब बड़े क्रिस्टल
छोटे क्रिस्टलों के आव्यूह में अंतः स्थापित होते है, उन्हें दीर्घ क्रिस्टल अंतर्वेशी या पँर्फिराइटिक कहते हैं।

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