Bihar Board Class 11 Biology notes | जीव जगत का वर्गीकरण
Bihar Board Class 11 Biology notes | जीव जगत का वर्गीकरण
(BIOLOGICAL CLASSIFICATION)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. निद्रालु (Sleeping Sickness) नामक बीमारी किसके कारण होता है?
उत्तर-ट्रिपैनोसोमा नामक प्रोटोजोआ द्वारा।
2. किस फंगस से प्रतिजैविक (एंटिबायोटिक) का निर्माण होता है?
उत्तर-पेनिसिलियम से।
3. विरोइड का खोज कब और किसने किया था?
उत्तर-सन् 1971 में टी. ओ. डाइनर ने।
4. पाँच जगत वर्गीकरण की पद्धति किसने दी थी?
उत्तर-1969 ई. में आर. एच. ह्विटेकर ने।
5. गोलाकार जीवाणु को क्या कहा जाता है?
उत्तर-कोकस (बहुवचन कोकाई)
6. प्रकाश संश्लेषी स्वपोपी बैक्टीरिया को क्या कहते हैं?
उत्तर-सायनो बैक्टीरिया (नील हरित शैवाल)।
7. दो चल अथवा अचल युग्मकों के प्रोटोप्लाज्मा के संलयन को क्या कहा जाता है?
उत्तर-प्लैज्मोगैमी।
8. ‘पोटैटो स्पिंडल ट्यूबर’ नामक रोग किसके द्वारा होता है?
उत्तर-विरोइड।
9. कौम-सा पौधा प्रदूषित क्षेत्र में नहीं उगता।
उत्तर-लाइकेन।
10. शैवाल पुष्पन (Algal Bloom) के लिए जिम्मेवार जीव का नाम बतायें।
उत्तर-नील हरित शैवाल।
11. रेड डायनोफ्लैजिलेट का एक उदाहरण बतायें।
उत्तर-गोनियालैक्स।
12. स्लाइम माउल्ड्स के बीजाणु का विकिर्णन किस विधि द्वारा होता है?
उत्तर-वायु के द्वारा।
13. पादप स्वपोषी होता है, आप कुछ ऐसे पौधों का नाम बतावें जो परपोषी होता है?
[N.C.E.R.T.(Q.7)]
उत्तर-परपोषी पौधे-कवक, अमरबेल, कसकुटा इत्यादि।
14. शैवालांश तथा कवकांश से आप क्या समझते हैं? [N.C.E.R.T. (Q.8)]
उत्तर-शैवाल के घटक को शैवलांश एवं कवक के घटक को कवकांश कहते हैं।
15. कीटभक्षी पौधों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-ब्लैडर वर्ट (Bladder wart) एवं वीनस फ्लाई ऐप (venus fly trap)
16. सायनो बैक्टीरिया या प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया का तीन उदाहरण दें।
उत्तर-स्पाइरुलिना (Spirulina), कॉलनी धारक नॉस्टाक (Nostac) एवं तंतुमय
ऑसिलेटोरिया (oscillatoria) )
17. किसे समुद्र का उत्पादक (Producers of the oceans) कहा जाता है?
उत्तर-डायएटम।
18. भूरा, लाल एवं नीला रंगों के लिए उत्तरदायी वर्णकों का नाम बतायें।
उत्तर-भूरा-फ्यूकोजैथिन, लाल-फाइकोएराइथ्रिन, नीला-फाइकोसायनिन।
19. हरे शैवालों में प्रकाश संश्लेषी वर्णकों के नाम बतायें।
उत्तर-क्लोरोफिल a एवं b, कैरोटिनॉइड।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जीवाणु का आर्थिक महत्व बतायें।
उत्तर-जीवाणु के आर्थिक महत्त्व इस प्रकार हैं-
जीवाणु से लाभ-(i) इसके द्वारा एंटीबायोटिक दवायें बनाई जाती है। (ii) राइजोबियम
नामक जीवाणु नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में भाग लेता है। (iii) लैक्टोबैसिलस एवं
स्टैफिलोकॉकस नामक जीवाणु दूध से दही बनाने में सहायक होता है। (iv) अपघटक होने
के कारण जीवाणु पोषकों के पुनर्चक्रण में सहायक होता है।
जीवाणु से होने वाली हानियाँ-जीवाणु टी. बी., कुष्ठ, टेटनस, टायफॉयड,
डिप्थीरिया इत्यादि कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न करता है।
2. डायएटम, डायनोफ्लैजिलेट एवं युग्लीना को पादप एवं जन्तुओं दोनों ही जगतों में
क्यों रखा जाता है?
उत्तर-ये सभी प्रोटिस्टन शैवाल (Protistan Algae) है जो स्वपोषी होते हैं, क्योंकि
इनमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है। प्रकाश की अनुपस्थिति में यह प्रोटोजोआ की तरह
परपोषी के समान व्यवहार करता है। इनकी इसी दोहरी आहार विधि (Dual mode of
feeding) के कारण ही इन्हें पौधों एवं जन्तुओं दोनों जगतों में रखा गया है।
3. माइकोप्लाज्मा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-माइकोप्लाज्मा ऐसे जीवधारी हैं, जिनमें कोशिकाभित्ति नहीं पायी जाती है। ये
सबसे छोटी जीवित कोशिकाएँ हैं, जो ऑक्सीजन के बिना भी जीवित रह सकती है। इसका
खोज सर्वप्रथम E. Nacard एवं E.R.Roux (1898) ने किया था। यह प्राणियों एवं पादपों
के लिए रोगजनक होती है। यह कई रूपों में पाया जाता है।
4. वाइरस को सजीवों एवं निर्जीवों के बीच की कड़ी माना जाता है, कारण सहित
स्पष्ट करें।
अथवा, क्या वाइरस सजीव है अथवा निर्जीव? चर्चा करें। [N.C.E.R.T. (Q.12)]
उत्तर-वाइरस में उपस्थित सजीव के समान लक्षण-(i) इसमें वृद्धि एवं जनन
होता है। (ii) श्वसन के साथ ही साथ उपापचयी क्रियाएँ भी होती है। (iii) इसमें उत्परिवर्तन
भी होता है जिससे यह अपने आपको वातावरण के अनुकूलित कर लेता है।
निर्जीव के समान लक्षण-(i) जीवित कोशिका से अलग होने पर सुई की तरह क्रिस्टल
में परिणत हो जाता है। (ii) कोशिका के बाहर श्वसन एवं उपापचयी क्रियाएँ नहीं होती हैं।
(iii) इसका आकार निश्चित होता है।
5. वाइरस से विरोइड कैसे भिन्न होते हैं? [N.C.E.R.T. (Q.5)]]
उत्तर-विरोइड में केवल नग्न आर एन ए. की कुंडली पायी जाती है, प्रोटीन आवरण
का अभाव होता है। विरोइड के आर. एन. ए. का आण्विक भार कम होता है।
6. युग्लीनॉइड के विशिष्ट चारित्रिक लक्षण कौन-कौन से हैं? [N.C.E.R.T. (Q.10)]]
उत्तर-(i) इसमें कोशिकाभित्ति के स्थान पर प्रोटीयुक्त पेलिकिल होती है। (ii) इनमें
दो कशाभ (Flagella) होते हैं, एक छोटा एक बड़ा। (iii) सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में यह
प्रकाश संश्लेषण करता है परंतु सूर्य प्रकाश की अनुपस्थिति में सूक्ष्मजीवों के शिकार द्वारा
परपोषी की तरह व्यवहार करता है।
7. लाइकेन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-लाइकेन शैवाल तथा कवक का पारस्परिक उपयोगी सहवास है। शैवाल घटक
को शैवलांश एवं कवक घटक को कवकांश कहते हैं, जो क्रमशः स्वपोषी एवं परपोषी होते
हैं। शैवाल कवक के लिए भोजन बनाता है और कवक शैवाल को आश्रय खनिज एवं जल
देता है। लाइकेन प्रदूषण के अच्छे संकेतन होते हैं। यह प्रदूषित क्षेत्र में नहीं उगता।
8. निम्नलिखित के बारे में आर्थिक दृष्टि से दो महत्त्वपूर्ण उपयोगों को लिखें
(क) परपोषी बैक्टीरिया, (ख) आद्यबैक्टीरिया। [N.C.E.R.T.AC.2)]
उत्तर-(क) परपोषी बैक्टीरिया के दो उपयोग–(i) प्रतिजैविकों के उत्पादन में।
(ii) दूध से दही बनाने में। (ख) आद्य बैक्टीरिया के दो उपयोग-(i) गोबर से पिथेन (जैव
गैस) के उत्पादन में। (ii) रुमिनेंट पशुओं (गाय एवं भैंस) के आंत में भोजन को पचाने में।
9. डायएटम की कोशिकाभित्ति के क्या लक्षण हैं? [N.C.E.R.T. (Q.3)]
उत्तर-डायएटम की कोशिकाभित्ति साबुनदानी की तरह इसी के अनुरूप दो अतिछादित
कवच बनाती है। इन भित्तियों में सिलिका होती है जिसके कारण नष्ट नहीं होते हैं। फलतः
मृत डायएटम अपने वास स्थान में कोशिकाभित्ति के अवशेष बड़ी संख्या में छोड़ जाते हैं।
10. ‘शैवाल पुष्पण’ (Algal Bloom) तथा ‘लाल तरंगें’ (Red-tides) क्या दर्शाती हैं:
[N.C.E.R.T. (Q.4)]
उत्तर-शैवाल पुष्पन (Algal Bloom)-सायनोबैक्टीरिया जिसे नील हरित शैवाल
भी कहते हैं, इसका उदाहरण-नॉस्ट्रॉक, एनाबिना इत्यादि होता है, इनकी कॉलोनी प्रायः
जेलीनुमा आवरण से ढंँकी रहती है जो प्रदूषित जल में फलने-फूलने लगता है जिसे शैवाल
पुष्पन कहते हैं।
लाल तरंगें (Red tides)-कुछ डायनोफ्लैजिलेट के कोशिका में लाल रंग के रंजक
(Pigment) पाये जाते हैं। इनमें तीव्रता से विभाजन होता है जिससे समुद्र के जल पर एक
लाल रंग का स्तर बन जाता है, इसे ही लाल तरंगे कहा जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. प्रोटोजोआ के चार प्रमुख समूहों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [N.C.E.R.T.(Q.6)]
उत्तर-प्रोटोजोआ को निम्नलिखित चार समूहों में बाँटा जाता है-
(a) अमीवीय प्रोटोजोआ-यह मीठे पानी, समुद्र एवं नम जमीन में पाया जाता है
तथा कूटपादों की सहायता से शिकार पकड़ता है। यह परजीवी एवं स्वतंत्रजीवी दोनों होता
है, उदाहरण-अमीबा, एंटअमीबा।
(ii) कशाभी प्रोटोजोआ-यह भी स्वतंत्रजीवी एवं परजीवी दोनों होता है। इनके शरीर
पर कशाभी (फ्लैजिल.) पाया जाता है, उदाहरण-यूग्लीना, ट्रिपैनोसोमा इत्यादि।
(iii) पक्ष्माभी प्रोटोजोआ-इनके पूरे शरीर में पक्ष्माभी (सीलिया) पाया जाता है। इसी
के कारण इनके शरीर में गति होती है, उदाहरण-पैरामीशियम।
(iv) स्पोरोजोआ-यह सामान्य तौर पर परजीवी होता है। इनके जीवन-चक्र में संक्रमण
करने योग्य बीजाणु जैसी अवस्था पायी जाती है। उदाहरण-प्लाज्मोडियम, मलेरिया
परजीवी, बबेसिया इत्यादि।
2. निम्न बातों के आधार पर कवक जगत के वर्गों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें-
(क) पोपण की विधि, (ख) जनन की विधि। [N.C.E.R.T. (Q.9)]
उत्तर-कवक वर्गों की तुलना-
3. संरचना तथा आनुवांशिक पदार्थ की प्रकृति के संदर्भ में वाइरस का संक्षिप्त विवरण
दें। वाइरस से होने वाले चार रोगों के नाम भी लिखें। [N.C.E.R.T.]
उत्तर-वाइरस का निर्माण प्रोटीन एवं न्यूक्लिक अम्ल के द्वारा होता है। प्राय: सभी
(अ) टोबेको मोजैक वाइरस (टीएमबी) (ब) जीवाणु भोजी
पादप वाइरस में एक लड़ी वाला आर एन ए. (RNA) और सभी जंतु वाइरस में एक अथवा
दोहरी लड़ी वाला RNA अथवा DNA होता है। जीवाणुभोगी वाइरस में प्राय: दोहरी लड़ी
वाला DNA रहता है।
प्रोटीन के आवरण को कैप्सिड (Capsid) कहते हैं जो छोटी-छोटी उप-इकाइयों जिन्हें
कैप्सोमीयर (Capsomere) कहते हैं से मिलकर बनता है। यह न्यूक्लिक एसिड RNA एवं
DNA को संरक्षित रखता है। कैप्सोमियर कुंडलिनी अथवा बहुफलक ज्यामिति रूप में लगे
रहते हैं। वाइरस से होने वाले चार रोग-एड्स (AIDS), चेचक, मम्पस, रेबीज,
इन्फ्लूएन्जा, हिपेटाइटिस इत्यादि हैं।
4. वर्गीकरण की पद्धतियों में समय के साथ आए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
[N.C.E.R.T. (Q.1)]
उत्तर-सभ्यता के प्रारंभ से ही मानव ने सजीव प्राणियों के वर्गीकरण के अनेक प्रयास
किये हैं। वर्गीकरण के ये प्रयास वैज्ञानिक मापदंडों की जगह सहज बुद्धि पर आधारित हमारे
भोजन, वस्त्र एवं आवास जैसी सामान्य उपयोगिता के वस्तुओं के उपयोग की आवश्यकताओं
पर आधारित थे। वर्गीकरण का सबसे पहला प्रयास अरस्तु ने किया था। परंतु समय के साथ
जीवों का वर्गीकरण भी परिवर्तित होता गया क्योंकि नित्य नई नई जानकारियाँ प्राप्त होती
गयी, कई छुपे हुए रहस्यों का उद्घाटन हुआ, नए-नए लक्षणों का पहचान हुआ। इन सब के
कारण वर्गीकरण को सरल एवं आसान बनाने हेतु लीनियस ने वर्गीकरण के लिए द्विजगत
पद्धति विकसित की, जिसमें उन्हें क्रमश: प्लांटी एवं एनिमेलिया में वर्गीकृत किया गया।
बाद में 1969 में आर. एच. ह्विटेकर द्वारा एक पाँच जगत वर्गीकरण की पद्धति प्रस्तावित
किया गया, जिसे मॉनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी एवं एनिमेलिया कहते हैं।
5. अवपंक कवक (Slime mould) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-(i) यह एक ससीम केन्द्रकी मृतपोष, प्रोटिस्टा है। जो कोशिकीय (Cellular)
एवं अकोशिकीय (Acellular) दोनों रूपों में आर्द्रस्थल पर पाये जाते हैं। (ii) इनकी कोशिकाएँ
बहुकेन्द्रकी होती हैं। (iii) शरीर जीवद्रव्य के अवपंक पिंड के रूप में होता है। शैलाभ शरीर
की तरह होता है और प्लाजमोडियम कहलाता है। (iv) प्रचलन एवं भोजन ग्रहण कूटपाद
द्वारा होता है। (v) विपरीत परिस्थितियों में इसका शरीर फल सदृश आकृति में बदल जाता
है और विखंडन गुणन में सहायता करता है। (vi) बीजाणुधानियों में बनने वाले अलैगिक
बीजाणु से जनन होता है जो बीजाणु संतत युग्मकों (Compatible gametes) के रूप में
भी कार्य करता है। यह फ्यूज होकर युग्मनज (Zygote) का निर्माण करता है।
(vii) प्लाजमोडियम या शैलाभ अवस्था द्विगुणित (Diploid) अवस्था होती है।
6. पाँच किंगडम वर्गीकरण पद्धति का वर्णन करें।
उत्तर-सर्वप्रथम लीनियस के काल में सभी पादपों और प्राणियों के वर्गीकरण के लिए
एक द्विजगत पद्धति विकसित की गयी थी, जिसे प्लांटी एवं एनिमैलिया कहा जाता था। परंतु
कुछ वर्षों बाद वर्गीकरण की एक नई एवं सर्वमान्य पद्धति विकसित की गयी जिसे पाँच
जगत वर्गीकरण कहा जाता है। इस पद्धति में संरचना, शरीर रचना तथा पोषण की विधियों
को आधार बनाया गया है।
वर्गीकरण निम्नलिखित हैं-
(i) मॉनेरा (Monera) -इसमें सभी प्रोकैरियोटिक एक कोशीय जीवों को रखा गया
है जिसमें केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) का अभाव पाया जाता है। इसके अन्तर्गत
सभी प्रकार के बैक्टीरिया को रखा गया है।
(ii) प्रोटिस्टा (Proiistan) -इसमें केन्द्रकयुक्त (nuclented) एफकोशीय यूकैरियोटिक
जीवें को रखा जाता है, जैसे-एककोशीय Algae, Fungi, Protozon इत्यादि।
(iii) कवक (Fungi)-इसमें सभी बहुकोशीय, परपोषी, फफूंँदी को रखा गया है,
जिसमें क्लोरोफिल नहीं पाया जाता है।
(iv) पादप (Plantae)-इसमें सभी बहुकोशीय, स्वपोषी हरे पौधे को रखा गया है।
(v) एनिमेलिया (Animalia)-इसमें सभी बहुकोशीय तथा परपोषी जन्तुओं को रखा
गया है, इसे मेटाजोआ (Metazoa) भी कहा जाता है।
7. जीवों के वर्गीकरण के दो जगत पद्धति का संक्षेप में वर्णन करें तथा इसके दोषों
का वर्णन करें।
उत्तर-1753 ई. में कैरोलस लीनियस नाम के वैज्ञानिक ने सम्पूर्ण जीव जगत को दो
भागों में विभाजित किया, जिसे ‘दो जगत पद्धति’ के नाम से जाना जाता है। इसका वर्णन
इन्होंने अपनी पुस्तक ‘Genera Plantarum’ में किया है। इस पद्धति के अनुसार जीवों के
दो जगत निम्न है
(i) प्लांटी-इसमें सभी पौधों को रखा गया।
(ii) एनिमेलिया-इसमें सभी जन्तुओं को रखा गया।
इस पद्धति के दोष-
(i) इसमें एककोशीय एवं बहुकोशीय दोनों जीवों को एक साथ रखा गया।
(ii) इसमें स्वपोषी एवं परपोषी जीवों को भी एक साथ रखा गया।
(iii) इसमें कोशिकीय संरचना का कोई ध्यान नहीं रखा गया।
(iv) इस वर्गीकरण में विषाणु को कोई स्थान नहीं दिया गया।
8. मॉनेरा जगत का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर-मॉनेरा जगत के अन्तर्गत सभी जीवाणुओं (Bacteria) को रखा गया है। जीवाणु
सभी सूक्ष्मजीवों की तुलना में अधिक संख्या में एवं सभी जगहों पर पाया जाता है। यह नर्म
जल के झरनों, मरुस्थल, बर्फ एवं गहरे समुद्र जैसे विषम एवं प्रतिकूल स्थानों में भी पाया
जाता है। यह स्वतंत्रजीवी एवं परजीवी दोनों होता है।
यद्यपि जीवाणुओं की संरचना अत्यंत ही सरल होती है, परन्तु इनका व्यवहार अत्यंत
ही जटिल होता है। उपापचय की दृष्टि से भी इनमें बहुत अधिक विविधता पायी जाती है।
जैसे-ये प्रकाश संश्लेषी, स्वपोषी अथवा रसायन संश्लेषी स्वपोषी होते हैं, अर्थात् वे अपना
भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं करते हैं, अपितु भोजन के लिए अन्य जीवधारियों अथवा मृत
कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं।’
आकार के आधार पर जीवाणुओं को निम्नलिखित समूहों में बाँटा जाता है।
जैसे-कोकस-गोलाकार, बैसिलस-छड़ाका। भिब्रियों-कौमा के आकार के,
स्पाइरिलम-सर्पिलाकार इत्यादि।
9. निम्न पर टिप्पणी लिखें- (a) Archaebacteria (आर्किबैक्टीरिया),
(b) Cyanobacteria या Blue Green Algae (प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया)।
उत्तर-(a) आर्किबैक्टीरिया (Archaebacteria)-संभवत: आर्किबैक्टीरिया जीवित
प्राणियों का पहला रूप है इस कारण इसे ‘oldest living fossil’ भी कहा जाता है। इसे
प्राचीन बैक्टीरिया भी कहा जाता है। ये अत्यंत कठिन वास स्थानों में भी बिना ऑक्सीजन
के, बिना जल के, अत्यधिक लवण वाले स्थानों में, अम्लीय माध्यम में अत्यधिक लवण
वाले स्थानों में अम्लीय माध्यम में, अत्यधिक तापक्रम (80°) पर भी जीवित रहने में सक्षम
होते हैं। इसकी कोशिकाभित्ति पॉलीसैकेराइड एवं प्रोटीन से बनी होती है। इसकी कोशिका
झिल्ली लिपिड की बनी होती है। यह रुमिनेंट पशुओं के आंत में पाये जाते हैं तथा इनके
गोबर से मिथेन गैस का उत्पादन करते हैं।
उदाहरण-Methanogens, Malophiles, Thermoacidophiles इत्यादि।
(b) प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया (Cyancbacteria या Bluegreen Algae)-पुराने
वर्गीकरण की पद्धति के अनुसार इसे शैवाल माना जाता था इसी कारण इसे नील हरित शैवाल
भी कहा जाता है। इसमें Phycocyanin नामक वर्णक पाया जाता है। यह प्रकाशसंश्लेषी
तथा स्वपोषी होता है परंतु इसमें क्लारोप्लास्ट नहीं पाया जाता। इसके स्थान पर इसमें
थाइलॉक्वायड या Lamella लथा क्रोमैटोफोर्स पाया जाता है। इसमें सिर्फ प्रकाश संश्लेषण
(Light Reaction) प्रकाश अभिक्रिया ही होती है, इस कारण इसमें ग्लूकोज के स्थान पर
ग्लाइकोजेन बनता है। ये ग्राम निगेटिव होते हैं तथा नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में भी सक्षम
होते हैं।
उदाहरण-Oscillatoria,Nostoc इत्यादि।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. विरोइड (Viroid) का खोज किसने किया था?
(क) हिटेकर
(ख) डाइनर
(ग) लिसेन
(घ) हेकल उत्तर-(ख)
2. Superparasite किसे कहा जाता है?
(क) माइकोप्लाज्मा
(ख) जंतु परजीवी
(ग) विषाणु
(घ) एक परजीवी जो दूसरे परजीवी पर रहता है।
उत्तर-(घ)
3. बिना Cell-wall वाला जंतु जो ऑक्सीजन के बिना जीवित रहता है।
(क) राइजोपस
(ख) सैकरोमायसिज
(ग) माइकोप्लाज्मा
(घ) गोनियालैक्स उत्तर-(ग)
4. निम्न में से कौन कीटभक्षी पौधा है?
(क) अमरबेल
(ख) ब्लैडरवर्ट
(ग) एस्पर्जिलस
(घ) कोई नहीं उत्तर-(ख)
5. निम्न में से कौन पौधे एवं जन्तु के वीच की योजक कड़ी (Connecting link)
कहलाता है?
(क) पैरामीशियम
(ख) एंटअमीबा
(ग) यूग्लीना
(घ) मोनोसिस्टिक्स उत्तर-(ग)
6. आद्य बैक्टीरिया (Archaebacteria) जो रुमिनेंट जंतुओं के आंत में पाया जाता है-
(क) नॉस्टॉक
(ख) एनाबिना
(ग) मेथानोजेन्स
(घ) सभी उत्तर-(ग)
7. वैज्ञानिक जिसने एककोशीय जंतुओं और पौधों के लिए प्रोटिस्टा जगत नाम दिया
था।
(क) हेकल
(ख) पाश्चर
(ग) कोच
(घ) हस्टर उत्तर-(क)
8. केन्द्रक (Nucleus) के आधार पर विषाणु को किसके अन्तर्गत रखा गया है-
(क) प्रोकैरियोट्स
(ख) यूकैरियोट्स
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं उत्तर-(घ)
9. शैवाल तथा कवक के सहजीवी सहवास को कहते हैं-
(क) विरोइड
(ख) कसकूटा
(ग) लाइकेन
(घ) एगैरिकस उत्तर-(ग)
10. विषाणु का खोज किया था-
(क) इवानोवस्की ने
(ख) पाश्चर ने
(ग) डाइनर ने
(घ) नॉल एवं रस्का ने उत्तर-(क)
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