8TH SST

bihar board 8th class Geography notes | संसाधन

bihar board 8th class Geography notes | संसाधन

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संसाधन
पाठ का सारांश-मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने वाले सभी जीव-जंतु, वस्तुएँ एवं पदार्थ संसाधन कहलाते हैं। संसाधन मानव जीवन के लिए अनिवार्य है क्योंकि इसके विविध उपयोग हैं। उपयोग के अनुसार इसकी मांग एवं मूल्य में भी अंतर आ जाता है। जैसे—जंगल से काटकर लाई गई लकड़ियों के रूप में परिवर्तन लाकर विभिन्न उपयोगी वस्तुएँ खटिया, पलंग, कुर्सी, मेज, खिड़की, दरवाजे इत्यादि बनाई जाती हैं। इससे लकड़ी के उपयोग एवं मूल्य दोनों में परिवर्तन आ जाता है। इस प्रकार सभी संसाधन उपयोगी एवं मूल्यवान होते हैं तथा सभी उपलब्ध वस्तुएँ संसाधन हैं । अर्थात् कोई भी वस्तु संसाधन तभी बनता है जब उसका कोई उपयोग अथवा मूल्य होता है। संसाधनों के बिना विकास संभव नहीं है। संसाधन किसी क्षेत्र के विकास के लिए आधार का काम करते हैं। हम किसी भी चीज को अपनी आवश्यकतानुसार संसाधन का रूप देते हैं, जैसे—नदी या मरुस्थल में पड़े बालू का वहाँ कोई उपयोग नहीं होता । परन्तु जब वहाँ से उठाकर बालू को निर्माण कार्य हेतु गाँव या शहर में लाया जाता है तब इसका उपयोग और मूल्य दोनों बदल जाते हैं। कहा जा सकता है कि संसाधन होते नहीं, बनाये जाते हैं।

संसाधन मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-
(1) प्राकृतिक संसाधन–प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव-जन्तु, वस्तुएँ एवं पदार्थ प्राकृतिक संसाधन हैं।
(2) मानव संसाधन-मानव एक ऐसा संसाधन है जो संसाधनों का निर्माण एवं उपयोग दोनों करता है। मानव के संसाधनों में निर्माण एवं उपयोग की यह क्षमता उसके दिमागी एवं शारीरिक क्षमता तथा कौशल से विकसित होती है।
(3) मानवकृत संसाधन-मानव अपने श्रम से कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण प्राकृतिक वस्तुओं के स्वरूप एवं गुण में परिवर्तन लाकर करता है । मकान, कार्यालय भवन, पंचायत भवन, विद्यालय भवन, हवाई अड्डा, रेल-सड़क इत्यादि मानवकृत संसाधन के रूप में आते हैं।

प्राकृतिक संसाधन को भी दो भागों में बांटा जा सकता है-
(i) वास्तविक संसाधन:–वास्तविक संसाधन उन संसाधनों को कहा जाता है जिनकी कुल मात्रा ज्ञात होती है तथा इन संसाधनों का उपलब्ध तकनीकी की सहायता से वर्तमान समय में उपयोग किया जा रहा होता है।
(ii) संभाव्य संसाधन:-संभाव्य संसाधन का संसाधनों को कहा जाता है जिनकी कुल मात्रा ज्ञात नहीं होती है तथा वर्तमान समय में इनका उपयोग भी नहीं किया जा रहा होता है। इन संसाधनों का उपयोग भविष्य में घटने की संभावना होती है। जैसे—केरल में मिलने वाला थोरियम तथा लद्दाख में पाया जाने वाला यूरेनियम ।

उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) जैव संसाधन, (ii) अजैव संसाधन ।
जैव संसाधन के अंतर्गत सभी सजीव शामिल हैं । जैसे—पेड़, पौधे, वन, जीव-जंतु जबकि सभी निर्जीव वस्तुएँ अजैव संसाधन हैं । जैसे—खनिज, चट्टान, मिट्टी, भूमि, खेत, तालाब, नदी, झील ।
उपलब्धता के आधार पर भी कुछ प्राकृतिक संसाधनों को नवीकरणीय संसाधन तथा कुछ प्राकृतिक संसाधनों को अनवीकरणीय संसाधनों में वर्गीकृत किया जा सकता है । नवीकरणीय संसाधन वैसे प्राकृतिक संसाधनों को कहा जाता है, जिनकी पुनः पूर्ति प्राकृतिक रूप से होती रहती है। जैसे—सूर्य की किरणें एवं पवन । अनवीकरणीय संसाधन वैसे संसाधन हैं जिनके भंडार सीमित हैं तथा एक बार उपयोग में आने के बाद उनके पुनः पूर्ति में हजारों, लाखों वर्ष लग जाते हैं। जैसे—लोहा, कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक ।
कुछ ऐसे भी संसाधन हैं जो निश्चित स्थानों पर ही पाये जाते हैं। इन्हें स्थानीय संसाधन कहा जाता है। जैसे—कोडरमा में पाया जानेवाला अभ्रक, जादूगोड़ा में मिलने वाला यूरेनियम, छोटानागपुर क्षेत्र में पाया जाने वाला कोयला ।
स्वामित्व के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों को निजी, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संसाधनों में बाँटा जाता है। भूमि, मिट्टी, जल, जीव-जंतु, वन, खनिज पदार्थ, सूर्य प्रकाश, नदी, सागर, पवन इत्यादि सभी प्राकृतिक संसाधनों का वितरण इस पृथ्वी पर है। परन्तु यह वितरण काफी असमान है जिसका प्रमुख कारण स्थलरूप में मिलना पाया जाना है।
प्राकृतिक संसाधनों के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। परन्तु इन संसाधनों के उपयोग की तकनीक एवं उन संसाधनों की आवश्यकता का होना आवश्यक है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया है। हमने कई प्राकृतिक संसाधनों का इतना अधिक खनन एवं उपयोग किया है कि इनके भंडार धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। भविष्य में इनके भंडार खत्म होने की पूरी आशंका है। मानव के लिए इनका होना भविष्य में भी उतना ही जरूरी है जितना आज । मानव जीवन सतत् चलता रहे इसके लिए यह जरूरी है कि हम इन अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित कर इसे भविष्य के लिए संरक्षित करें ।
अभ्यास के प्रश्न
I. बहुवैकल्पिक प्रश्न-
सही विकल्प को चुनें-
1. इनमें से कौन एक प्राकृतिक संसाधन है ?
(क) पंचायत भवन
(ख) विद्यालय
(ग) भूमि
(घ) हवाई अड्डा
2. इनमें कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है ?
(क) सूर्य
(ख) मिट्टी
(ग) जल
(घ) हवाई जहाज
3. केरल में पाया जाने वाला थोरियम किस प्रकार के संसाधन का उदाहरण है ?
(क) निजी
(ख) नवीकरणीय
(ग) संभाव्य
(घ) अनवीकरणीय
4. संसाधन निर्माण के लिए क्या आवश्यक है ?
(क) तकनीक
(ख) आवश्यकता
(ग) ज्ञान
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर-1. (ग) भूमि, 2. (घ), 3. (ग) संभाव्य, 4. (ग) ज्ञान ।

II. खाली स्थानों को उपयुक्त शब्दों से पूरा करें।
1. संसाधन के लिए मूल्य की अभिव्यक्ति……… प्रकार से की जाती है।
2  ………संसाधन क्षेत्र के विकास के लिए आधार का काम करते हैं।
3. राजस्थान में पाया जाने वाला ताँबा………संसाधन का उदाहरण है।
4  ………..एवं शारीरिक क्षमता मानव को संसाधन बनाने के लिए   आवश्यक है।
उत्तर-1. विविध, 2. मानव, 3. वास्तविक, 4. दिमागी।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें (अधिकतम 50 शब्दों में)-
1. संसाधन की परिभाषा दें।
उत्तर-मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने वाले सभी जीव-जंतु, वस्तुएँ एवं पदार्थ संसाधन कहलाते हैं।
2. संसाधन का वर्गीकरण करें।
उत्तर-


3. प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण क्यों जरूरी है ?
उत्तर–प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण जरूरी है। क्योंकि आवश्यकता एवं माँग के अनुसार इन संसाधनों को मानव अपने तकनीक एवं कौशल से उपयोग में लाता है।
4. नवीकरणीय संसाधन किसे कहा जाता है ? उदाहरण के साथ लिखें।
उत्तर-नवीकरणीय संसाधन वैसे प्राकृतिक संसाधनों को कहा जाता है जिनकी पुनः पूर्ति प्राकृतिक रूप से होती रहती है। जैसे—सूर्य की किरणे एवं पवन ।
5. प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में असमानता के कारणों को लिखें।
उत्तर-जल एवं वन जैसे संसाधन जिनके भंडार या पुनः पूर्ति में मानवीय हस्तक्षेप के कारण रूकावटें आती हैं। यदि इन संसाधनों के प्रति मानव हस्तक्षेप कम हो जाए तो वे स्वयं ही पुनः पूर्ति में लग जाएँगे।
6. प्राकृतिक संसाधन का वर्गीकरण उपयुक्त उदाहरण के साथ प्रस्तुत करें ।
उत्तर-विकास एवं उपयोग की दृषि से प्राकृतिक संसाधन को दो भागों में बाँटा गया है।
(i) वास्तविक संसाधन-पश्चिम एशिया का पेट्रोलियम आस्ट्रेलिया का सोना, झारखंड का अभ्रक, मध्य प्रदेश का मैंगनीज एवं राजस्थान का ताँबा ।
(ii) संभाव्य संसाधन:-  केरल में मिलने वाला थोरियम, लद्दाख में पाया जाने वाला यूरेनियम ।
उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक संसाधन को दो भागों में बाँटा गया है-
(i) जैव संसाधन–पेड़-पौधे, वन, जीव-जंतु ।
(ii) अजैव संसाधन खनिज, चट्वान, मिट्टी, भूमि, खेत, तालाब, नदी, झील
उपलब्धता के आधार पर प्राकृतिक संसाधन को दो भागों में बाँटा गया है-
(i) नवीकरणीय संसाधन–सूर्य की किरणें एवं पवन ।
(ii) अनवीकरणीय संसाधन-लोहा, कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक ।
वितरण के आधार पर प्राकृतिक संसाधन को चार भागों में बाँटा गया है-
(i) सर्वत्र उपलब्ध संसाधन-मिट्टी, पवन ।
(ii) स्थानिक संसाधन-कोडरमा में पाया जाने वाला अभ्रक, जादूगोड़ा में मिलने वाला यूरेनियम, छोटानागपुर क्षेत्र में पाया जाने वाला कोयला ।
स्वामित्व के आधार पर प्राकृतिक संसाधन को तीन भागों में बाँटा गया है-
(i) निजी संसाधन-भूमि, तालाब ।
(ii) राष्ट्रीय संसाधन–समुद्र तट से दूर 19.2 किलोमीटर क्षेत्र के अन्दर पाये जाने वाले संसाधन ।
(iii) अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन- खुला महासागर का क्षेत्र ।
7. “संसाधन बनाये जाते हैं।” उपर्युक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट करें।
उत्तर-“संसाधन बनाये जाते हैं।” जैसे- नदी या मरुस्थल में पड़े बालू का वहाँ कोई उपयोग नहीं होता । परन्तु जब वहाँ से उठाकर बालू को निर्माण-कार्य हेतु गाँव या शहर में लाया जाता है तब इसका उपयोग और मूल्य दोनों
बदल जाते हैं। अत: यह कह सकते हैं कि संसाधन होते नहीं, बनाये जाते हैं।
8. संसाधन संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालें।
उत्तर–प्राकृतिक संसाधनों के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
परन्तु इन संसाधनों के उपयोग की तकनीक एवं उन संसाधनों की आवश्यकता का होना आवश्यक है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया है। हमने इसका इस्तेमाल तो किया ही है इसे इस प्रकार प्रदूषित भी कर दिया है कि वे आज सीधे उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं। यही नहीं, हमने कई प्राकृतिक संसाधनों का इतना अधिक खनन एवं उपयोग किया है कि इनके भंडार धीरे-धीरे समाप्ति की और है। भविष्य में इनके भंडार खत्म होने की पूरी आशंका है। मानव के लिए इनका होना भविष्य में भी उतना ही जरूरी
है जितना आज । मानव जीवन सतत् चलता रहे, इसके लिए यह जरूरी है कि हम इन अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित कर इसे भविष्य के लिए संरक्षित करें।

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