12th Physics

Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 in Hindi

Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 in Hindi

BSEB 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 in Hindi

प्रश्न 1. समरूप विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विधुव पर बल आघूर्ण (Torque) के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:

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AB एक विद्युत द्विध्रुव (electric dipole) है। इसके A पर आवेश +Q तथा B पर आवेश -Q है। इसके बीच की दूरी 2l है। E एक समान विद्युत क्षेत्र है। E के साथ विद्युत द्विध्रुव को कोण α है।
E विद्युत क्षेत्र के कारण A औरB पर बल (F) = QEA पर यह बल, E की दिशा में तथा B पर E के विपरीत दिशा में काम करता है। ये दोनों बल मिलकर एक बलयुग्म (couple) बनाते हैं जो द्विध्रुव AB को क्षेत्र E की दिशा में लाना चाहता है।
इस बलयुग्म का आघूर्ण (T)
= बल × लम्बवत दूरी
= QE · AC =QE. 2lsinθ
[∵ ΔABC से sinθ = AC/BC = AC/2l
= ME sinθ
[∵ 2la = M (द्विध्रुव आघूर्ण)]
यदि AB द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र के लम्बवत रखा जाय तो a= 90°
∴ बलयुग्म का आघूर्ण (T) = ME sin 90°
= ME [∵ sin 90° = 1 ]
यह आघूर्ण अधिकतम होता है।
(T max) = ME

प्रश्न 2. क्या कूलम्ब का नियम एक सार्वत्रिक नियम है?
उत्तर:
कूलम्ब का नियम सार्वजनिक नियम नहीं है क्योंकि यह आवेशों के बीच के माध्यम पर निर्भर करता है। यह नियम rest में बिन्दु आवेश के लिए लागू होता है।

प्रश्न 3. आवेशों का संरक्षण क्या है?
उत्तर:
एक isolated (विगलित) system का विद्युत आवेश संरक्षित रहता है। इसमें न उत्पन्न किया जा सकता है और न नष्ट ही । इसे दिखलाने के लिए एक ग्लास छड़ तथा सिल्क कपड़ा लेते हैं। दोनों को आपस में रगड़ा जाता है। इसके.ग्लास छड़ (+ve) आवेश तथा सिल्क पर (-ve) आवेश उत्पन्न होता है। दोनों पर आवेश का मान समान रहता है। अतः system का कुल आवेश शून्य रहता है। यही शून्य आवेश, रगड़ने के पहले भी रहता था। यह आवेश के सरंक्षण को दिखलाता है।

प्रश्न 4. विद्युत क्षेत्र क्या है? किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र -क्षेत्र में स्थिति किसी बिन्दु पर के इकाई धन आवेश पर क्षेत्र के कारण जितना काम लगता है उसे उस बिन्दु पर “विद्युत क्षेत्र” कहते हैं।
व्यंजक (Expression)-
मान लिया कि A एक चालक है। इस पर आवेश +Q है। इसमें r दूरी पर P एक बिन्दु है। P पर इकाई धन आवेश की कल्पना करते हैं।

प्रश्न 5. विद्युत द्विध्रुव क्या है?
उत्तर:
“समान परिमाण के (+ ve) तथा (-ve) आवेश एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर हो तो उसे “विद्युत द्विध्रुव. (Electric dipole) कहते हैं।”

यदि आवेश का परिमाण +Q तथा –Q हो तथा इनके बीच की दूरी 21 हो तो विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment)-
= आवेश x दूरी = 2lQ
इसे साधारणत: M से सूचित करते हैं। .
∴ M = 2lQ

प्रश्न 6. किसी वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विभव एवं तीव्रता में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
किसी विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विभव एवं तीव्रता में निम्नलिखित अंतर है-

वैद्युत तीव्रता बैद्युत विभव
(i) किसी विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पुर तीव्रता उस बिन्दु पर रखे इकाई धन आवेश पर लगने वाला बल है। (i) वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर इकाई धन आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में संपादित कार्य होता है।
(ii) यह एक सदिश राशि। (ii) यह एक अदिश राशि है।
(iii) किसी वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर वैद्युत तीव्रता उस बिन्दु पर ऋणात्मक विभाव प्रवणता (negative potential gradient) के बराबर होता है यानी
E = dv/dx
(iii) किसी बिन्दु पर वैद्युत तीव्रता का रेखा समाकलन (line integral) उस बिन्दु पर विभव के बराबर होता है।
यानी V = Edx
(iv) इसका S.I. मात्रक न्यूटन कुलम्ब (NC-1) होता है। (iv) इसका S.I. मात्रक वोल्ट (Volt) होता है।

प्रश्न 7. किसी आवेशित समतल चालक के समीप विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के लिए एक व्यंजक निकालें। अथवा, स्थिर विद्युत में कूलम्ब प्रमेय को सिद्ध करें।
उत्तर:
मान लिया कि एक समतल चालक है, तल AB पर आवेश का सतही घनत्व (surface density) 0 है। इस तल के बहुत ही निकट कोई बिन्दु p है जहाँ पर इस आवेशित चालक के कारण विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता निकालनी है। मान लिया कि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है। अब हम एक ऐसे बेलनाकार तल pqrs की कल्पना करते हैं जिसके समतल सिरे pr व qs तल AB के समान्तर है तथा वक्रतल चालक के तल AB के लम्बवत् है। बिन्दु P समतल सिरे qs पर स्थित है और बेलन का समतल सिरा qr चालक S के भीतर है। मान लिया कि तल pr व qs के क्षेत्रफल ds है। अब चूँकि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा चालक के तल AB के
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लम्बवत् है, अत: बेलनाकार तल के वक्र सतह से गुजरने वाला विद्युत “फ्लक्स” शून्य होगा। फिर, इस बेलनाकार तल का सिरा qr चालक के भीतर है। अतः इस सतह से गुजरने वाला विद्युत “फ्लक्स” भी शून्य होगा क्योंकि आवेशित चालक के अन्दर तीव्रता शून्य होती है। इसलिए सिरे qs से.गुजरने वाला विद्युत “फ्लक्स = E × ds”, और वही बेलनाकार तल से गुजरने वाला कुल विद्युत फ्लक्स है।

चूँकि बेलनाकार तल के भीतर चालक का क्षेत्रफल ds स्थित है, इसलिए इस पर आवेश का कुल परिणाम ods होगा। अतः गॉस के प्रमेय से बेलनाकार तल का कुल विद्युत “फ्लक्स

प्रश्न 8. एक अच्छे विभक्यापी में श्रेणीक्रम में 10 तार की प्रत्येक लम्बाई Imजुड़े होते हैं, क्यों?
उत्तर:
अगर विभवमापी के तार के प्रति इकाई लम्बाई का प्रतिरोध p हो और इसमें 1 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो तो प्रति इकाई लम्बाई तार पर विभव पतन PI होगा।
यदि किसी सेल का वि० वा० बल E हो और तार की लम्बाई पर संतुलन प्राप्त हो, तो
E = pIl
dE = P I dl
या, dl/dϵ=1/PI
dl/dEविभवमापी की सुग्राहिता बतलाता है। अतः यदि 1 का मान बढ़ाया जाय तो I का मान घटेगा और विभवमापी की सुग्राहिता बढ़ेगी। अतः अच्छे विभवमापी में एक तार की अपेक्षा एक-एक मीटर के दस तार श्रेणीक्रम में लगाये जाते हैं।

प्रश्न 9. विद्युत धारा क्या है ?
उत्तर:
किसी चालक में आवेश प्रवाह के दर को “विद्युतधारा” कहते हैं। मान लिया कि t sec. में चालक के किसी भाग से Q आवेश प्रवाहित होता है।
∴ विद्युत धारा (i) = Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 4 = Q/t
विद्युत धारा एक अदिश राशि (Scalar quantity) है। इसका S.I. Unit “ऐम्पियर (Ampere)” है।
अतः 1 Amp. = Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 5

प्रश्न 10. विद्युत चालकता तथा विशिष्ट चालकता क्या है?
उत्तर:
विद्यत चालकता-किसी पदार्थ से विद्युत का प्रवाह कितनी आसानी से हो सकता है इसकी माप चालकता से होती है। यह चालकता, प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
अतः विद्युत चालकता पदार्थ का वह गुण है जो यह बतलाता है कि उससे होकर कितनी आसानी से विद्युत प्रवाहित हो सकती है। इसे G से सूचित करते हैं।
इसकी माप प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती (Inversely proportional) द्वारा की जाती है।

अर्थात् चालकता = Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 6 या, G = 1/R
इसका मात्रक “ओम-1 ( Ω-1) या मो (mho)” है।

विशिष्ट चालकता (Specific conductivity)-किसी पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को “विशिष्ट चालकता” कहते हैं। इसे प्रायः σ (सिग्मा) से दिखलाते हैं।
अर्थात् σ = Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 7
1/ρ
इसका मात्रक ओम-1 मीटर या-1 (मो-मीटर-1) होता है।

प्रश्न 11. भंवर धारा क्या है ?
उत्तर:
भंवर धारा (Eddy.current)-यदि किसी धातु के टुकड़ों को किसी परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाय या उन टुकड़ों को किसी स्थानीय चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णित किया जाय तो उसमें प्रेरित धारा उत्पन्न होती है। प्रेरित धारा चक्करदार होती है। अतः वह “भंवर धारा” कही जाती है। इसे फूको धारा भी कहा जाता है क्योंकि इसका पता फूको ने लगाया था।
‘इस धारा का उपयोग चलकुण्डल गैल्वेनोमीटर में कुण्डली की गति को अवदित करने में किया जाता है।

प्रश्न 12. अधिकतम शक्ति प्रमेय (Maximum Power Theorem) क्या है ? इसे प्रमाणित करें?
उत्तर:

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Maximum Power Theorem :
यह प्रमेय यह बतलाता है कि, “किसी बाह्य परिपथ को दी गयी शक्ति का मान महत्तम तब होता है जब स्रोत की आन्तरिक प्रतिरोध का मान बाह्य परिपथ के प्रतिरोध के बराबर होता है।”
प्रमाण : मान लिया E वि० वा० बल एवं आन्तरिक प्रतिरोध का एक विद्युत स्रोत को बाह्य प्रतिरोध R से जोड़ा गया है।
धारा भेजता है तो लोड द्वारा उपमुक्त (Consumed) शक्ति
p = i2=(E/R+r)2 .R
स्पष्टः शक्ति का मान लोड के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। अतः शक्ति को अधिकतम होने के लिए dP/dR = 0 होना चाहिए,
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(R+r)2 = 2R (R+r)
R=r यही महत्तम शक्ति ह्रास का शर्त है।

प्रश्न 13. Ampere के परिपथीय नियम को लिखें एवं समझायें।
उत्तर:
एम्पीयर के परिपथीय नियम-

प्रश्न 14. एक विभवमापी द्वारा विभवांतर एवं धारा दोनों को मापा जा सकता है। समझाएँ कैसे?
उत्तर:
विभवमापी एक आदर्श वोल्टमीटर (अनन्त प्रतिरोध वाले वोल्टमीटर) जैसा व्यवहार करता है। वह विभवांतर का सटिक मान मापता है। विभवमापी में काफी लम्बा तार लकड़ी के तख्ते पर फैला रहता है जिसके दोनों सिरों के बीच ज्ञात विभवांतर स्थापित किया जाता है। जिस विभवान्तर को मापना होता है उसे तार की कुल लम्बाई के बीच विपरीत दिशा में आरोपित किया जाता है। तार की लंबाई इस तरह से समजित की जाती है कि जिससे दूसरे विद्युत परिपथ में शून्य धारा प्रवाहित हो। विभवमापी से अज्ञात धारा का मान जानने के लिए एक प्रामाणिक प्रतिरोध का व्यवहार किया जाता है।

इस प्रामाणिक प्रतिरोध का मान ज्ञात रहता है। अज्ञात धारा को इस प्रतिरोध से प्रवाहित करने पर जो विभवांतर उत्पन्न होता है उसे ज्ञात कर लिया जाता है। इस विभवान्तर को प्रामाणिक प्रतिरोध से भाग देने पर प्राप्त फल अज्ञात धारा का मान देता है। इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि विभवमापी द्वारा विभवांतर एवं धारा दोनों ही मापे जा सकते हैं।

प्रश्न 15. आमीटर को हमेशा श्रेणीक्रम में तथा वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में जोड़ जाता है, क्यों ?
उत्तर:
आमीटर किसी विद्युत परिपथ में प्रवाहित होने वाली धारा का मान देता है। किसी परिपथ में यह श्रेणीक्रम (Series) में जोड़ा जाता है, ताकि मापी जाने वाली कुल धारा इससे होकर गुजरे और उसके संगत विक्षेप उत्पन्न करे। आमीटर का प्रतिरोध आवश्यक रूप से बहुत ही कम होता है जिससे कि मापी जाने वाली धारा में इसके संयोजन के कारण नगण्य कमी हो।

इसके विपरीत वोल्टमीटर किसी विद्युत परिपथ के किसी भाग पर उत्पन्न विभवान्तर की माप प्रदान करता है। परिपथ के जिस भाग पर उत्पन्न विभवान्तर की माप ज्ञात करनी रहती है, वोल्टमीटर. को उस भाग को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।

अतः वोल्टमीटर के उस तार (विशेष प्रतिरोध) के समान्तर क्रम में जोड़ना पड़ता है, जिसके बीच का विभवांतर मापना है। वोल्टमीटर का प्रतिरोध आवश्यक रूप से बहुत अधिक रहता है, जिससे कि इस यंत्र से होकर नगण्य धारा प्रवाहित हो।

प्रश्न 16. A.C. तथा D.C. में तुलना करें।
उत्तर:

A.C. के लाभ-

  • A.C. के वि० वा० बल तथा धारा की दिशा बदलती रहती है परन्तु D.C. में दिशा एक ही रहती है।
  • A.C. के विद्युत वाहक बल को ट्रान्सफॉर्मर के द्वारा विद्युत ऊर्जा को नष्ट किये बिना घटाया-बढ़ाया जा सकता है। परन्तु सीधी धारा (D.C.) में प्रतिरोध लगाकर यह काम लिया जा सकता है जिसमें कि विद्युत ऊर्जा की बहुत हानि होती है।
  • A.C. के वि० वा० बल को काफी अधिक बढ़ाकर हर स्थानों में भेजा जाता है। . फिर वहाँ ट्रान्सफॉर्मर की मदद से वि० वा० बलं को कम कर दैनिक कार्य किया जा सकता है, परन्तु D.C. में इस तरह की बात नहीं है।

A.C. के हानि-

  • A.C. से विद्युत विच्छेदन (Electrolysis) की क्रिया नहीं हो पाती है। अतः इसके द्वारा कलई नहीं की जा सकती है। D.C. से यह कार्य किया जा सकता है।
  • A.C. को संचायक (Accumulators) में जमा नहीं किया जा सकता है। परन्तु D.C. को सेल में जमा किया जा सकता है।
  • A.C. किसी चीज को आकर्षित करता है। इस कारण से यह खतरनाक है। परन्तु D.C. किसी चीज को विकर्षित अर्थात् धक्का देता है। :

प्रश्न 17. तप्त तार आमीटर से प्रत्यावर्ती धारा को किस प्रकार मापा जाता है ?
उत्तर:
जब किसी तार से धारा प्रवाहित की जाती है तब वह तार गर्म हो जाता है। धारा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग तप्त तार आमीटर बनाये जाते हैं। धारा के प्रवाह के कारण उत्पन्न ऊष्मा धारा के वर्ग के अर्थात् I2 के समानुपाती होती है। जब अज्ञात धारा तप्त तार आमीटर में लगे तार से प्रवाहित की जाती है, तब तार गर्म होकर कुछ ढीला पड़ जाता है। इससे जुड़ा स्प्रिंग इसे खींचता है और तार में लगा एक संकेतक एक पैमाने पर विक्षेपित होता है। तार की लंबाई में वृद्धि तार व कारण उत्पन्न ऊष्मा के समानुपाती होती, परन्तु संकेतक का विक्षेप धारा के वर्ग (I2) के मानुपाती होता है।

चूंकि, विक्षेप धारा के वर्ग के समानुपाती होता है। इसलिए विक्षेप धारा दिशा पर निर्भर नहीं ता है। प्रत्यावर्ती धारा की दिशा समयों के आधार पर बदलती रहती है, परन्तु आमीटर के तार उत्पन्न ऊष्मा धारा के मान पर न कि उसकी दिशा पर निर्भर करती है।

प्रश्न 18. विद्युतीय कार्य, ऊर्जा और शक्ति से आप क्या समझते हैं ?
अथवा, (दिखलायें = वोल्ट × आम्पीयर)
उत्तर:
विद्यु तिया कार्य, ऊर्जा और सक्ति (Electrical work, energy and power).. मान लिया AB चालक के सिरों के बीच विभवान्तर ν है-
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∴ इकाई धन आवेश को B से A तक लाने में किया गया कार्य =V
∴ Q इकाई धन आवेश को B से A तक लाने में किया गया कार्य = QV
या, कार्य = QV
या, कार्य = vct [ ∵ धारा = Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 13 c= Q/t ]
कार्य करने की क्षमता को “ऊर्जा (Energy)” कहते हैं।
अर्थात ऊर्जा = νct
कार्य करने की दर को विद्युत शक्ति कहते हैं।
अर्थात् विद्युत शक्ति = Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 14 = vct/t
= νc जूल/से० … (i)
परन्तु 1 जूल/से० = 1 वाट
समी० (i) में सबों का मात्रक देने पर,
वाट = वोल्ट × आम्पीयर

प्रश्न 19. अन्योन्य प्रेरण तथा अन्योन्य प्रेरण गुणांक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मान लिया कि A और B दो कुण्डली है। A कुण्डली को सेल तथा कुंजी से श्रेणीक्रम में जोड़ देते हैं। परन्तु B कुण्डली से एक galν. जुड़ा रहता है।

अब A कुण्डली में धारा प्रवाहित करते हैं तथा बन्द करते हैं। साथ ही साथ धारा के मान में परिवर्तन करते हैं। इन स्थितियों में B कुण्डली में एक प्रेरित वि० वा० बल उत्पन्न होता है। इस घटना को “अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction)” कहते हैं।
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Aकुण्डली को प्राथमिक कुण्डली (Primary coil) तथा B कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली (Secondary coil) कहते हैं।
अतः “किसी एक कुण्डली में धारा के मान में परिवर्तन करने से उसके पास रखी दूसरी कुण्डली में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना को अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction) कहते हैं।”

मान लिया कि प्राथमिक कुण्डली में ip धारा प्रवाहित करने से द्वितीयक कुण्डली में होकर गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या Ns है।
∴ Ns ∝ ip
= M . ip
जहाँ M एक स्थिर राशि है। इसे कुण्डली का “अन्योन्य प्रेरण गुणांक (Coeff. of mutual induction)” या “अन्योन्य प्रेरकत्व (Mutual inductance)” कहते हैं।
यदि ip = 1 हो तो Ns = M

अतः “प्राथमिक कुण्डली में इकाई धारा प्रवाहित करने के कारण दूसरी कुण्डली होकर जितनी चुम्बकीय बल रेखाएँ जाती हैं, उसे “अन्योन्य प्रेरण गुणांक कहते हैं।” इसकी इकाई “हेनरी (Henry)” है।

प्रश्न 20. चालकों के दो समानान्तर धाराओं के बीच बल के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:
मान लिया कि MN तथा PQ दो समानान्तर चालक है। इसके बीच की दूरी r है। इसमें क्रमशः I1तथा I2 धारा बहती है।
MN के धारा के कारण PQ पर चुम्बकीय क्षेत्र (B)
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इसकी दिशा PQ तार पर बायीं ओर यानी MN की ओर होगी। इसी प्रकार I2 धारा द्वारा MN पर बल दायीं ओर लगेगा। अतः तार में एक दिशा में धारा बहने पर उनके बीच आकर्षण का बल काम करने लगता है। ठीक इसके विपरीत जब धारा विपरीत दिशा में रहती हो तो उनके बीच विकर्षण का बल लगता है।

प्रश्न 21. आम्पीयर की परिभाषा का वर्णन करें।
उत्तर:

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धारा के मात्रक “आम्पीयर” है।
दो तार एक-दूसरे को समानान्तर हैं। इसमें प्रवाहित धारा I1 तथा I2 हैं। इसकी लम्बाई l है। इसके बीच की दूरी d है।
धारा के कारण दोनों के बीच लगनेवाला बल


अतः “1 आम्पीयर धारा वह धारा है जो इकाई लम्बाई तथा इकाई दूरी पर स्थित चाल के बीच प्रवाहित होकर 2 × 10-7
न्यूटन का आकर्षण या विकर्षण का बल लगाता है।”

प्रश्न 22. वि० वा० बल तथा विभवान्तर के बीच क्या अन्तर है ?
उत्तर:

वि० वा० बल विभवान्तर
(i) यह सेल का परिपथ खुला रहने पर विभव के अन्तर को बतलाता है। (i) यह सेल का परिपथ बन्द रहने पर विभव के अन्तर को बतलाता है।
(ii) यह प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता है। (ii) यह प्रतिरोध के समानुपाती होता है।
(iii) यह परिपथ के बन्द नहीं रहने पर exist करता है। (iii) यह परिपथ के बन्द रखने पर exist करता है।
(iv) यह विभवान्तर से बड़ा होता है। (iv) यह वि० वा० बल से छोटा होता है।
(v) इसे वोल्ट में मापा जाता है। (v) इसे भी वोल्ट (Volt) में मापा जाता है।

प्रश्न 23. गैल्वेनोमीटर की आमीटर में कैसे बदला जा सकता है?
उत्तर:
गैल्वेनोमीटर के समानान्तर क्रम में कम मान के प्रतिरोध को लगाकर आमीटर में बदला जा सकता है। स्केल को ‘आम्पीयर’ में अंकित कर देते हैं।
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मान लिया कि galν. का प्रतिरोध = g
कम मान का प्रातराव = S
galν. से धारा = Ig
तथा शंट से धारा = Is
A और B के बीच विभवान्तर
= Ig . g
= Is . S
∴ Ig . g = Is . S
= (I- Ig) • S .
[∵ I = Ig + Is या, Is + I – Ig]

प्रश्न 24. गैल्वेनोमीटर को वोल्टमीटर में कैसे बदला जा सकता है.?
उत्तर:
गैल्वेनोमीटर (Galvenometer) के श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध जोड़ देने से गैल्वेनोमीटर वोल्टमीटर में बदल जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 19
मान लिया कि गैलवेनोमीटर का प्रतिरोध = G
उच्च प्रतिरोध = R
प्रवाहित धारा = I
A और B के बीच विभवान्तर = धारा × प्रतिरोध
V=I (G+R)
जहाँ v → A और B के बीच विभवान्तर
या, G + R = V/I
या, R= V/I – G
अतः गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध अर्थात् = V/I – G लगा देने से गैल्वेनोमीटर वोल्टमीटर के जैसा काम करता है।

प्रश्न 25. वाटहीन धारा क्या है ?
उत्तर:
L या C एक A.C circuit की कल्पना करते हैं। इसका ohmic प्रतिरोध शून्य है धारा तथा वोल्टेज के बीच Phase diff. 90° है। इस समय औसत शक्ति की हानि
= VrmsIrms . cos 90° जहाँ Vrms तथा Irms RMS वोल्टेज तथा धारा है।
=Vrms Irms 0 = 0
ऊपर से यह स्पष्ट होता है कि circuit से धारा का प्रवाह हो रहा है परन्तु उसकी औसत शक्ति शून्य है, इस धारा को “वाटहीन धारा (Wattless current)” कहते हैं।

प्रश्न 26. प्रयोग से किस प्रकार जाँच की जा सकती है कि दिया गया द्रव अनुचुम्बकीय प्रति चुम्बकीय है?
उत्तर:
अनुचुम्बकीय पदार्थ को चुम्बकन क्षेत्र में रखने पर यह बल रेखाओं के समानान्तर तथा शक्तिशाली क्षेत्र की ओर भागता है, जबकि प्रति चुम्बकीय पदार्थ, बल रेखाओं के लम्बवत् तथा कमजोर क्षेत्र में. भागता है।
एक watch glass में इस द्रव को लेकर एक चुम्बकन क्षेत्र के बीच रखते हैं। यदि द्रव glass के बीच में ऊपर उठ जाता है तथा किनारे में धंस जाता है तथा द्रव अनुचुम्बकीय होता है। इसके विपरीत यदि द्रव बीच में धंस जाता है तथा किनारे में ऊपर उठ जाता है तब पदार्थ, प्रति चुम्बकीय होता है।

प्रश्न 27. लेन्स की क्षमता क्या है ?
उत्तर:
प्रकाश की किरणें लेन्स पर आपतित होती है। अपवर्तन के बाद अपने मार्ग से मुड़ जाती है। उत्तल लेन्स (convex lens) में लेन्स की ओर तथा अवतल लेन्स (concave lens) में लेन्स से दूर मुड़ती है। प्रकाश को अधिक मोड़ने वाले लेन्स की क्षमता अधिक होती है।
अतः “पतले लेन्स की क्षमता इसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रम (reciprocal) होती है।” यदि फोकस दूरी मीटर में हो तो
क्षमता (P) = 1/f
इसका unit डायोप्टर (Diopter) होती है।

प्रश्न 28. आवर्द्धन क्षमता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी यंत्र की आवर्द्धन क्षमता उसके द्वारा वस्तु का बनाया गया magnified प्रतिबिम्ब होता है।
किसी यंत्र की आवर्द्धन क्षमता (magnifying power) उसके द्वारा बनाये गये अन्तिम प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर बनाये गये दर्शन कोण तथा उसी स्थान पर रखी वस्तु द्वारा नेत्र पर बनाये गये दर्शन कोण का अनुपात होता है। इसे “कोणीय आवर्द्धन” (Angular magnification) भी कहते हैं।

प्रश्न 29. व्योम तरंग (Sky Wave) एवं अतरिक्ष तरंग (Space Wave) की व्याख्या करें।
उत्तर:
व्योम तरंगः वे तरंग जो ट्रांसमीटर के ऐंटेना से निकलकर पृथ्वी के वायुमण्डल के उपरी परत (आयन मंडल) से टकराकर कर लौटती है और रिसीवर ऐंटेना तक पहुंचती है, व्योम तरंग या आकाश तरंग या आयनोस्फेरिक तरंग कहलाती है। यह 2MHg से 30 MHg आवृत्ति परास की होती है। आयन मंडल से परावर्तित होने वाले तरंग की यह क्रम आवृत्ति-
Vc = 9 (Nmax)1/2 होता है जिसे क्रांतिक आवृत्ति कहा जाता है।
जहाँ  Nmax = आयन मंडल में इलेक्ट्रॉन घनत्व है।

आतंरिक तरंग : वे तरंगें जो ट्रांसमीटर ऐंटीना से रिसीवर ऐंटिना तक या तो सीधे या पृथ्वी के ट्रॉपोस्फेयर क्षेत्र से परावर्तित होकर पहुँचती है, अंतरिक्ष तरंग या ट्रॉपोस्फेरिक तरंग कहलाता है। ये अति ऊच्च आवृत्ति (30 MHg से 300 MHg) या (ज्यादा) की रेडियो तरंग होती है। टेलीविजन सिगनल का प्रसारण अंतरिक्ष तरंग के रूप में होता है।

प्रश्न 30. फ्रॉनहाफॅर रेखाएँ क्या हैं?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश से लगातार वर्णपट प्राप्त होता है। इसमें सात रंग दिखलाई पड़ते हैं। “फ्रॉनहाफॅर (Fraunhofer)” नाम के एक वैज्ञानिक ने एक अच्छे यंत्र से देखकर यह पता लगाया कि इस वर्णपट में सात रंग के अलावे बहुत सी काली-काली रेखाएँ हैं। इसकी संख्या लगभग 700 है। इसमें से कुछ काली रेखाएँ स्पष्ट तथा कुछ अस्पष्ट होते हैं। Fraunhofer ने स्पष्ट रेखाओं का नाम A, B,C, D, E, F,G, H तथा K रखा। इसे “Fraunhofer lines” कहते हैं।

मध्य A रेखा लाल रंग के आखिरी छोर में, B तथा C रेखा लाल रंग के मध्य में, D रेखा पीला तथा नारंगी के मध्य में, E हरा रंग के नजदीक, F आसमानी के नजदीक, G नीला भाग में तथा H और K रेखा बैंगनी रंग के किनारों पर रहता है।
इन रेखाओं की उपस्थिति का कारण किरचाफॅ (Kirchoff) ने बतलाया।

प्रश्न 31. क्या x-किरण एवं y-किरण की उत्पत्ति एक ही तरह से नहीं होती है?
उत्तर:
x-किरण एवं y-किरण की उत्पत्ति एक ही तरह से नहीं होती है-

  1. सतत् x-किरण (Continuous x-rays)
  2. अभिलाक्षणिक-किरण (Characteristic-x-rays)

(1) सतत् किरण की उत्पत्ति की व्याख्या इस प्रकार दी जाती है – जब कभी आविष्ट कण त्वरित होता है तो विद्युत चुम्बकीय तरंग (Electro magnetic wave) उत्पन्न करती है। इलेक्ट्रॉन भी एक आविष्ट कण है। जब वह लक्ष्य (target) से टकराता है तो उसका अवमंदन होता है और वह x-ray उत्पन्न करता है।

(2) अभिलाक्षणिक x-ray की उत्पत्ति की व्याख्या इस प्रकार दी जाती है – जब कैथोड किरण लक्ष्य पर आपतित होती है और लक्ष्य के परमाणु के काफी अन्दर जाती है तो k अथवा m कक्षा के रिक्त स्थान को भरने के लिए ऊर्जा स्तर वाले कक्षा में इलेक्ट्रॉन कूद कर आता है। दोनों कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में जो अन्तर है वह अभिलाक्षणिक x-ray के रूप में प्रकट होता है।

y-किरण की उत्पत्ति – स्थायी न्यूक्लियस को न्यूनतम ऊर्जा होती है और वह भू-दशा (ground state) में होता है। इसे अधिक ऊर्जा वाले कण का फोटॉन द्वारा बमबारित कर उत्तेजित किया जा सकता है। जब कोई उत्तेजित न्यूक्लियस भू-दशा में आता है तो y-किरण की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 32. प्रकाश विद्युत प्रभाव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्रकाश के प्रभाव से कुछ धातुओं से electron उत्सर्जित होता है। इससे विद्युत की उत्पत्ति होती है। इस घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photo electric effect) कहते हैं।
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इसका आविष्कार सबसे पहले एक टेलीग्राफ ऑपरेटर W. Smith ने 1873 ई० में किया। फिर कुछ वर्षों बाद 1887 में हर्ट्स (Hertz) ने भी इसकी पुष्टि की। उसने कहा कि कैथोड पर पराबैंगनी प्रकाश (ultraviolet light) डालने से इस नलिका से विद्युत विसर्जन सुगमता से हो जाता है। फिर एक वर्ष बाद हालवेश (Hallwachs) ने हर्ट्स के प्रयोग को और आगे बढ़ाया।

हालवेश ने इसके लिए एक बल्ब लिया। इसके अन्दर की हवा को उसने निकाल दिया। बल्ब के अन्दर जस्ते का दो प्लेट A और C रखा। इसमें एक प्लेट (+ve) तथा दूसरे प्लेट (-ve) से जुड़ा रहता है। इन्हें एक galv. के द्वारा विद्युत बैट्री से जोड़ा जाता है।

(-ve) प्लेट पर पराबैंगनी प्रकाश डालने से galv. में विक्षेप होता है। पराबैंगनी प्रकाश डालना बन्द कर देने पर विक्षेप शून्य हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि केवल (-ve) प्लेट पर ही पराबैंगनी प्रकाश डालने से धारा प्रवाहित होता है। हालवेश इस घटना का कोई कारण बतला नहीं सके।

फिर 1900 में J. J. Thomson तथा P. Leonard ने अपने प्रयोगों में दिखलाया कि धातुओं पर प्रकाश डालने से उससे Negative charged कण निकलते हैं। यह कण Electron के समान है। अतः इसे “Photo electron” ( प्रकाश इलेक्ट्रॉन) कहते हैं। यह धन प्लेट की ओर आकर्षित होते हैं। इसके चलने से परिपथ में धारा बहने लगती है। इस धारा को “प्रकाश विद्युत प्रभाव” (Photo electric effect) कहते हैं। A पर प्रकाश के आपतित होने पर यह बात नहीं होती है।

प्रश्न 33. n-प्रकार और P-प्रकार के अर्द्ध-चालक क्या हैं ?
उत्तर:
अर्द्धचालक पदार्थ चालक एवं विद्युतरोधी पदार्थ के बीच में होते हैं। जरमेनियम तथा सिलिकन अर्द्धचालक पदार्थ हैं। शुद्ध अर्द्ध-चालकों की चालकता कमरे की ताप पर बहुत कम होती है। कुछ अपद्रव्य (impurity) मिलाकर उसकी चालकता बढ़ायी जा सकती है। अपद्रव्य मिलाने पर परिणामी क्रिस्टल को चालकता मिलाये गये अपद्रव्य के द्रव्यमान एवं प्रकार पर निर्भर करती है। मिलाया गया अपद्रव्य दाता (donar) अथवा ग्राही (acceptor) किसी भी प्रकार का हो सकता है। यदि शुद्ध जरमेनियम में (एक अर्द्धचालक) जो चतुसंयोगी तत्त्व है, परिमाण में पंचसंयोगी तत्त्व जैसे आर्सेनिक मिलाया जाता है, तो इससे जो पदार्थ बनता है उसमें इलेक्ट्रॉनों का आधिक्य रहता है। इस प्रकार बने क्रिस्टल को n-प्रकार का अर्द्धचालक अथवा दाता प्रकार का अर्द्धचालक कहा जाता है।

जरमेनियम में ही कम परिमाण में विसंयोगी तत्त्व जैसे मिला देने पर जो पदार्थ बनता है उसमें छिद्रों (holes) का आधिक्य रहता है। अपद्रव्यों के परमाणुओं को जो छिद्र करने में मदद करते हैं। ग्राही कहा जाता है। क्योंकि ये जरमेनियम परमाणु से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं। इस प्रकार के अर्द्धचालक को P-प्रकार का अर्द्धचालक कहा जाता है।

प्रश्न 34. आइसोटोप क्या है ?
उत्तर:
एक ही तत्त्व के ऐसे परमाणु जिसके Atomic number समान परन्तु Atomic weight असमान हो तो उसे उस तत्त्व का Isotopes कहते हैं। अतः इसे किसी भी रासायनिक क्रिया द्वारा अलग करना संभव नहीं है। इन्हें विसरण द्वारा अलग किया जा सकता है।

हाइड्रोजन के तीन Isotopes हैं। परमाणु भार 1-2 तथा 3 हैं। इनमें से एक परमाणु-भार वाले को हाइड्रोजन, 2 परमाणु.भार वाले को deuterium या भारी हाइड्रोजन (Heavy hydrogen) D तथा 3 परमाणु भार वाले को ट्रिटियम (Tritium)T कहते हैं। इन्हें क्रमशः H1, H2,H3 से दिखलाते हैं। ऑक्सीजन के तीन Isotopes हैं जिनके परमाणु भार क्रमशः 16,17 तथा 18 हैं। क्लोरीन के दो Isotopes हैं जिनके परमाणु भार 35 और 37 है।

प्रश्न 35. नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलग्न से क्या समझते हैं?
उत्तर:
नाभिकीय विखंडन – 1939 ई० में दो जर्मन वैज्ञानिक ओटोहान (Ottohaun) और स्ट्रासमैन (Starssman) ने एक नवीन खोज की। उन्होंने देखा कि जब यूरेनियम पर तीव्रगामी न्यूट्रॉन की बमबारी की जाती है तब यह दो खण्डों में टूट जाते हैं। ये खण्ड क्रमशः बेरियम (Br) तथा क्रिप्टन (Kr) है। इसके अलावा इसमें अन्य न्यूट्रॉन तथा बहुत अधिक ऊर्जा भी उत्पन्न होती है। इस घटना को “नाभिकीय विखण्डन” कहते हैं। इस घटना से उत्पन्न ऊर्जा को “नाभिकीय ऊर्जा” कहते हैं।
इसे निम्न समीकरण से दिखलाया जाता है।
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इस क्रिया में 3 न्यूट्रॉन प्राप्त होते हैं। ये तीनों फिर तीन यूरेनियम को विखंडित करते हैं जिसमें 9 न्यूट्रॉन, यूरेनियम के 9 परमाणु को विखंडित करते हैं। इस प्रकार एक Chain reaction प्राप्त होता है।

नाभिकीय संलग्न (Nuclear fusion)-जब हल्के तत्त्वों के दो नाभिक बहुत तेजी से एक-दूसरे से मिलते हैं तो इससे भारी नाभिक का निर्माण होता है। इसकी मात्र, हल्के तत्त्वों के नाभिकों से कुछ कम होता है। यह मात्र ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है। यह Eeinstein के समीकरण E = mc2के अनुसार होता है। इस क्रिया को “नाभिकीय संलग्न” या ऊष्मा “नाभिकीय प्रतिक्रिया” कहते हैं।

बेथे (Bethe) के अनुसार यह क्रिया सूर्य पर बराबर दो तरह से होते रहते हैं।

  1. प्रोटॉन-2 चक्र द्वारा
  2. कार्बन-नाइट्रोजन चक्र द्वारा इस प्रकार Semi conductor, rectifier की तरह काम करता है।

प्रश्न 36. बूलियन बीजगणित क्या है ?
उत्तर:
अंग्रेज गणितज्ञ “जार्ज बूलि” (Jarge Booli) ने सबसे पहले इस बीजगणित का व्यवहार किया। यह गणित की एक पद्धति है जो मौलिक नियमों (Fundamental laws) पर आधारित हैं। इससे अनेकों तरह के व्यंजक प्राप्त किये जा सकते हैं। इस बीजगणित के सिद्धान्त पर Computer के electronic circuit पर आधारित है। इसमें बूलियन ने सामान्य कहा तथा Logical statement में सभी प्रश्नों के उत्तर “हाँ” या “ना” अर्थात् “सत्य (Truth)” या गलत (False) में होते हैं। ऐसे उत्तर को “1” या “0” से निरूपित करते हैं।

बूलियन बीजगणित के तीन आधार हैं, जिसे “बूलियन ऑपरेटर (Boolean Operator)” कहते हैं।

  1. OR
  2. AND
  3. NOT

प्रश्न 37. ट्रांजिस्टर क्या है?
उत्तर:
Transistor एक प्रकार का अर्द्धचालक साधन (Semi conductor device) है। इसका उपयोग एक amplifier तथा oscillator की तरह किया जा सकता है। यह आकार में छोटा, सस्ता तथा अधिक आयु (life) वाला होता है। यह Triode valve के स्थान पर प्रयोग किया जाता है।

प्रारम्भ में इसका आविष्कार John Bardeen और Walter ने किया था। फिर इसमें William Bradford ने सुधार किया। इसे Radio तथा टेलीविजन के receivers के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 38. विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुण का वर्णन करें!
उत्तर:

(i) विद्युत चुम्बकीय तरंगें त्वरित आवेश से उत्पन्न होता है।

(ii) इसका संचारण विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के परिवर्तित रूप में होता है। इसका क्षेत्र एक-दूसरे के लम्बवत् तथा तरंगों की दिशा में भी होता है। इस कारण से यह अनुप्रस्थ तरंग के रूप में चलता है।

(iii) विद्युत चुम्बकीय तरंगों को आगे पढ़ने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं पड़ती है।

(iv) विद्युत चुम्बकीय तरंगों तथा प्रकाश का वेग free space में समान होता है।

(v) Free space में विद्युत चुम्बकीय तरंगों का चाल होता है।

(vi) तरंगों के अध्यारोपण (Super position of waves) के सिद्धान्त पर विद्युत चुम्बकीय तरंग काम करता है।

प्रश्न 39. TV signal के संचारण में क्यों sky wave का उपयोग नहीं किया जाता है ?
उत्तर:
40. Hz आवृत्ति के ऊपर के signal को ionosphere पृथ्वी पर परावर्तित करने में असमर्थ होता है। TV signal की आवृत्ति 100 से 200 MHz होती है। अत: Sky wave से इस आवृत्ति के signal का संचारण संभव नहीं हो पाता है।

प्रश्न 40. विद्युत चुम्बकीय विकिरण के वर्णपट का वर्णन करें।
उत्तर:
तरंग लम्बाई या आवृत्ति के आधार पर विद्युत चुम्बकीय विकिरण के वितरण को “विद्युत चुम्बकीय वर्णपट” कहते हैं।

इसे निम्न श्रेणियों में बाँटा जाता है-
(i) Radio waves – इन तरंगों की तरंग लम्बाई कुछ किलोमीटर में 3.3 m तक होता है। इसकी आवृत्ति कुछ Hz से 109 Hz के बीच होता है। इन तरंगों का TV तथा रेडियो के प्रसारण में किया जाता है।

(ii) Micro waves – इन तरंगों की तरंग लम्बाई 0.3m से 10-3 m तक होता है। इसकी आवृत्ति 109 Hz से 3 × 1011 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग Radar तथा Communication प्रणाली में किया जाता है।

(iii) Infrared spectrum – इसकी तरंग लम्बाई 10-3 m आवृत्ति 3 × 1011 Hz से 4 × 104 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग उद्योग, दवा इत्यादि में किया जाता है।

(iv) Optical spectrum – इसकी तरंग लम्बाई 7.8 × 10-7 m से 3.8 × 10-7m तक होता है। इसकी आवृत्ति 4 × 104 Hz से 8 × 1014 Hz के बीच होता है। प्रकाश में इसका बहुत उपयोग किया जाता है।

(v) Ultra violet rays – इसकी तरंग लम्बाई 3.8 × 10-7 m से 6 × 10-10 m के बीच होती है। इसकी आवृत्ति 8 × 1014 Hz से 5 × 1019 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग दवा तथा Sterilisation processes में किया जाता है।

(vi) x-rays – इसकी तरंग लम्बाई 10-9m से 6 × 1012 m के बीच होती है। इसकी आवृत्ति 3 × 1017Hz से 5 × 1019 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग शरीर के अन्दर टूटी हड्डी, कोई रोग का पता लगाने में किया जाता है। Cancer में दवा के रूप तथा tissue को नष्ट करने के काम में आता है।

(vii) Gamma rays – इसकी तरंग लम्बाई 10-10 m से 1014 m तक होता है। इसकी आवृत्ति 3 × 1018 Hz से 3 × 1022 Hz के बीच होता है।

प्रश्न 41. दशमलव (Decimal) संख्या को द्विआधारी (Binary) संख्या में बदलें।
(a) (25)10 को बदलना- 25 = 12 × 2 + 1
12 = 6 × 2 +0
6 = 3 × 2 +0
3 = 1 × 2 + 1
1= 0 × 2 + 1
∴ (25)10 = (11001)2

(b) भिन्न (fraction) अर्थात् (0.8125)10 को बदलना-
0.8125 × 2 = 1.6250.
0.6250 × 2 = 1.2500
0.2500 × 2 = 0.5000
0.5000 × 2 = 1.0000 ∴ (0.8125)10 = (0.1101)2
(a) तथा (b) को एक साथ मिलाने पर,
(25.8125)10 = (11001.1101)2

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