bihar board 11 biology solutions | पादप वृद्धि एवं परिवर्धन
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(PLANT GROWTH AND DEVELOPMENT)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. अगर आपको ऐसा करने को कहा जाए तो एक पादप वृद्धि नियामक का नाम दें-
[N.C.ER.T. (Q.9)]
(क) किसी टहनी में जड़ पैदा करने हेतु।
उार-साइटोकाईनिंस।
(ख) फल को जल्दी पकाने हेतु।
उत्तर-एथीलीन।
(ग) पत्तियों में जरावस्था को रोकने हेतु।
उत्तर-साइटोकाईनिंस
(घ) कक्षस्थ कलिकाओं में वृद्धि कराने हेतु
उत्तर-ऑक्जिंस।
(ङ) एक रोजेट पौधे में ‘वोल्ट’ हेतु
उत्तर-जिब्बेरेलिस।
(च) पत्तियों के रंध्र को तुरंत बंद करने हेतु
उत्तर-एबसिक एसिड।
2. क्या एक पर्णरहित पादप दीप्तिकालिता के चक्र से अनुक्रिया कर सकता है? यदि
हां या नहीं तो क्यों? [N.C.ER.T. (Q.10)]
उत्तर- नहीं, क्योंकि प्रकाश या अंधकार का अनुभव पत्तियां (पर्ण) ही करती हैं।
3. क्या हो सकता है, अगर- [N.C.ER.T. (Q.11)]]
(क) GA3 को धान के नवोद्भिदों पर डाल दिया जाए।
उत्तर-धान के पौधे की लंबाई बढ़ जाएगी।
(ख) विभाजित कोशिका विभेदन करना बंद कर दें।
उत्तर-पौधे का विकास रुक जाएगा।
(ग) एक सड़ा फल कच्चे फलों के साथ मिला दिया जाए।
उत्तर-सभी फल धीरे-धीरे सड़ने लगेंगे।
(घ) अगर आप संवर्धन माध्यम में साइटोकाईनिस डालना भूल जाएँ।
उत्तर-पोषकों का संचरण नहीं होने से संवर्धन नहीं हो पाएगा।
4. शिखाग्र प्रधान्यता (apical dominance) क्या है?
उत्तर-उच्च पादपों में वृद्धि करती अग्रस्थ कलिका पार्श्व कलियों की वृद्धि को
अवरोधित करते हैं, जिसे शिखाग्र प्रधान्यता कहते हैं।
5. पादप वृद्धि के कितने चरण होते हैं?
उत्तर-तीन चरण-विभज्योतकीय, दीर्धीकरण एवं परिपक्वता।
6. PGR का पूरा फार्म लिखें।
उत्तर-Plant Growth Regulater(पादप वृद्धि नियामक)।
7. वृद्धि मापने के यंत्र को क्या कहा जाता है?
उत्तर-ऑक्जेनोमीटर।
8. किसे तनाव हॉर्मोन कहा जाता है?
उत्तर-एबसेसिक अम्ल (ABA हार्मोन)।
9. वृद्धि वक्र के किस अवस्था में अधिकतम वृद्धि होती है?
उत्तर-Exponential Phase में।
10. किस हॉर्मोन को मानव मूत्र से प्राप्त किया गया?
उत्तर-ऑक्जिंस।
11. L.A.A. का पूरा नाम बतायें।
उत्तर-इंडोल एसीटिक अम्ल।
12. फोटोब्लास्टिक बीज क्या है?
उत्तर-जिसके अंकुरण के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है उसे फोटोब्लास्टिक
बीज कहते हैं।
13. जिब्बेरेलिंस अम्ल की खोज किसने किया था?
उत्तर-जपानी वैज्ञानिक ई. कुरोसोवा।
14. ऐसेसिक अम्ल का खोज किसने किया था?
उत्तर-एडिकोट, राबिन्सन एवं उनके सहयोगियों ने।
15. पौधों में होने वाले दो अनुर्वतनों के नाम बतायें।
उत्तर-प्रकाशानुर्वतन (Phototropism) एवं गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism)।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पुष्पित पौधों के जीवन में किसी एक प्राचालिक (पैरामीटर) से वृद्धि को वर्णित नहीं
किया जा सकता क्यों? [N.C.E.R.T. (Q.2)]]
उत्तर- कोशिकीय स्तर पर वृद्धि मुख्यतः जीवद्रव्य मात्रा में वृद्धि का परिणाम है।
चूंकि जीवद्रव्य की वृद्धि को सीधे मापना कठिन है, अतः कुछ दूसरी मात्राओं को मापा जाता
है जो कम या ज्यादा इसी के अनुपात में होता है। इसलिए, वृद्धि को विभिन्न मापदंडों द्वारा
मापा जाता है। कुछके मापदंड है-ताजी भार वृद्धि, शुष्क भार, लंबाई, क्षेत्रफल, आयतन
तथा कोशिकाओं की संख्या आदि। इसी कारण पुष्पित पौधों का जीवन किसी एक पारामीटर
के द्वारा वृद्धि को वर्णित नहीं किया जा सकता है।
2. एब्सेसिक एसिड को तनाव हॉर्मोन कहते हैं, क्यों? [N.C.E.R.T. (Q.6)]
उत्तर–एब्सेसिक एसिड (ABA हॉर्मोन) एक सामान्य पादप वृद्धि तथा उपापचय के
निरोधक का कार्य करता है। यह बीजों के अंकुरण का विरोध करता है। यह बाह्य त्वचीय
पट्टिकाओं में रंध्रों के बंद होने को प्रोत्साहन करता है तथा पौधे को विभिन्न प्रकार के तनावों
को सहने हेतु क्षमता प्रदान करता है। अतः इसे तनाव हॉर्मोन भी कहा जाता है।
3. उच्च पादपों में वृद्धि एवं विभेदन खुला होता है, टिप्पणी करें? [N.C.E.R.T. (Q.7)]
उत्तर-पादपों में अनुठे ढंग से वृद्धि होती है, क्योंकि पौधे जीवन भर असीमित वृद्धि
की क्षमता को अर्जित किए रहते हैं। इस क्षमता का कारण उनके शरीर में कुछ खास जगहों
पर विभज्योतक (मेरिस्टेम) ऊतकों की उपस्थिति है। विभज्योत्तक की कोशिकाओं में विभाजन
की निरंतर क्षमता पायी जाती है। हलांकि इसके द्वारा बने हुए पादप अंग की कोशिका विभाजन
की क्षमता शीघ्र ही खो देती है, परंतु विभज्योतक की सक्रियता से पौधे की शरीर में सैदव
नई कोशिकाओं को जोड़ा जाता है। एक विभेदित कोशिका फिर विभेदित हो जाती है या पुनः
विभेदित हो सकती है, इस प्रकार के वृद्धि एवं विभेदन को खुला हुआ कहा जाता है।
4. अल्प प्रदीप्तकाली पौधे और दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधे किसी एक स्थान पर साथ-साथ
फूलते हैं। विस्तृत व्याख्या करें। [N.C.E.R.T. (Q.8)]
उत्तर-पौधों में पुष्पण को प्रेरित करने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है। कुछ
पौधों में क्रांतिक अवधि से ज्यादा प्रकाश की अवधि की आवश्यकता होती है जिसे अल्प
प्रदीप्तकाली पौधा (Short day plants) कहा जाता है जबकि कुछ पौधों में प्रकाश की
अवधि संकट क्रांतिक अवधि से कम चाहिए उन्हें दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधा (LongdayPlants)
कहा जाता है।
पौधों में यह होता है कि तने की शीर्षस्थ कलिका पुष्पन के पहले पुष्पन शीर्षस्थ कलिका
में बदलती है, परंतु वे (तने की शीर्षस्थ कलिका) खुद से प्रकाश काल को नहीं महसूस कर
पाती है। प्रकाश या अंधकार काल का अनुभव पत्तियाँ करती हैं। फ्लोरीजन (फूल खिलने
वाला हॉर्मोन) पत्ती से तना कलिका में पुष्पन प्रेरित करने के लिए तभी जाती है जब पौधे
आवश्यक प्रेरित दीप्तिकाल में अनावृत होते हैं। इसके कारण अल्प प्रदीप्तकाली एवं दीर्घ
प्रदीप्तकाली पौधे किसी एक स्थान पर साथ-साथ फूलते हैं।
5. प्लास्टिसिटी (Plasticity) क्या है?
उत्तर-पौधे पर्यावरण के प्रभाव के कारण या जीवन के विभिन्न चरणों में भिन्न पथों
का अनुसरण करते हैं, ताकि विभिन्न तरह के संरचनाओं का गठन कर सकें। इस क्षमता को
प्लास्टिसिटी कहते हैं। जैसे-कपास, धनिया एवं लार्कस्पर में विभिन्न प्रकार की पत्तियां इन
पौधों में पत्तियों का आकार किशोरावस्था एवं परिपक्व अवस्था में भिन्न होते हैं। दूसरी तरफ
बटरकप में पत्तियों का आकार वायवीय भागों में अलग होता है।
6. अल्पप्रदीप्तकाली, दीर्घप्रदीप्तकाली एवं तटस्थ प्रदीप्तकाली पौधे में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-अल्पप्रदीप्तकाली, दीर्घ प्रदीप्तकाली एवं तटस्थ प्रदीप्तकाली पौधे में अंतर-
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. वृद्धि, विभेदन, परिवर्धन, पुनर्विभेदन,निर्विभेदन, सीमित वृद्धि, मेरिस्टेम तथा वृद्धि
दर की परिभाषा दें। [N.C.E.R.T. (Q.1)]
उत्तर-वृद्धि (Growth)-वह प्रक्रम जिसमें आंतरिक कारकों द्वारा जीव के आकार
में स्थायी और अनुत्क्रमणीय बढ़ोतरी और विभेदन होता है, वृद्धि कहलाता है।
विभेदन (Differentiation)-जीव की कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों में गुणात्मक
विभेद ही विभेदन कहलाता है।
परिवर्धन (Development)-वह परिर्वतन जिसके अन्तर्गत एक जीव के जीवन चक्र
में आने वाले सारे बदलाव शामिल हैं, जो बीजाकुंरण एवं जरावस्था के बीच आते हैं परिवर्धन
कहलाता है।
निर्विभेदन (Dedifferentiation)-जीवित विभेदित कोशिकाएँ कुछ खास
परिस्थितियों में विभाजन की क्षमता पुनः प्राप्त कर सकती हैं, इस क्षमता को निर्विभेदन
कहते हैं। जैसे अंतरापूलिय वाहिकी (Interfascicular) कैम्बियम एवं कार्क कैम्बियम।
पुनर्विभेदन (Redifferentiation)-निर्विभेदि त कोशिकाओं या ऊतकों के द्वारा
उत्पादित कोशिका के द्वारा विभाजन की क्षमता खोकर विशिष्ट कार्यों के संपादन की क्षमता
को पुनः प्राप्त कर लेना ही पुनर्विभेदन कहलाता है।
सीमित वृद्धि (Determinate growth)-पौधों के कोशिकाओं या ऊतकों में एक
निश्चित सीमा तक होने वाली वृद्धि को ही सीमित वृद्धि कहा जाता है, यह कोशिका या
ऊतकों के आंतरिक संरचना पर निर्भर करता है।
मेरिस्टेम (Meristem)-पौधों में पायी जाने वाली वह कोशिका जिसमें लगातार
विभाजन की क्षमता पायी जाती है, मेरिस्टेम कहलाता है।
वृद्धि दर (Growth rate)-समय की प्रति इकाई के दौरान बढ़ी हुई वृद्धि को वृद्धि
दर कहा जाता है।
2. संक्षिप्त वर्णित करें- [N.C.ER.T.(Q.3)]
(a) अंकगणितीय वृद्धि, (b) ज्यामितीय वृद्धि,
(c) सिग्मॉयड वृद्धि वक्र, (d) संपूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर।
उत्तर-(a) अंकगणितीय वृद्धि (Arithmetic growth)-वैसी वृद्धि जिसमें
समसूत्री विभाजन के बाद केवल एक पुत्री कोशिका लगातार विभाजित होती रहती है जबकि
दूसरी विभेदित एवं परिपक्व होती रहती है। अंकगणितीय वृद्धि एक सरलतम अभिव्यक्ति है
जिसे हम निश्चित दर पर दीर्घाकृत होते मूल में देख सकते हैं।
इस वृद्धि को हम गणितीय रूप में इस प्रकार लिखते हैं-
L1 = L०+rt
यहाँ L1 = टाईम टी की समय लंबाई, Lo = टाइम शून्य की समय लंबाई की,
rt = वृद्धि दर दीर्धीकरण प्रति इकाई समय।
नियत रेखीय वृद्धि, लंबाई और समय के विरुद्ध आलेख।
(b) ज्यामितीय वृद्धि (Geometrical Growth)-जब प्रारंभिक वृद्धि धीमी एवं
इसके बाद तीव्र गति से चरघातंकी की दर से वृद्धि होती है तो इसे ज्यामितीय वृद्धि कहते
हैं। इस वृद्धि में दोनों संतति कोशिकाएं एक समसूत्री कोशिका के विभाजन का अनुकरण
करती हैं तथा लगातार विभाजन की क्षमता बनाये रखती है।
चार घातांकीय वृद्धि को इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है-
यहाँ r = एक सापेक्ष वृद्धि दर है, तथा साथ ही पौधे द्वारा नई पादप सामग्री को पैदा
करने की क्षमता को मापने के लिए है। जिसे एक दक्षता सूचकांक के रूप में संदर्भित किया
जाता है। अतः w1 का अंतिम आकार, wo के प्रारंभिक आकार पर निर्भर करता है।
(c) सिग्मॉयड वृद्धि वक्र-यदि हम किसी भी पौधे या जंतु की वृद्धि-दर का आरंभ
से अंत तक भिन्न-भिन्न समयों के अंतराल में, उसके आकार अर्थात् लम्बाई के माप के
ग्राफ पर अंकित कर, विभिन्न बिन्दुओं को रेखांकित करें तो ‘S’ के आकार की आकृति का
वक्र प्राप्त होता है। इसी को सिग्मॉयड वक्र या वृद्धि वक्र कहा जाता है।
एक आदर्श सिग्मॉयड वृद्धि वक्र, संदर्भित कोशिकाओं एवं उच्च पादपों
और पादप अंगों के लिए प्रारुपिक
(d) संपूर्ण एवं सापेक्ष दर (Absoluteand relativegrowthrates)-जीवित प्रणाली
की वृद्धि के बीच मात्रात्मक तुलना दो तरीकों से किया जाता है-(i) मापन और प्रतियूनिट
टाइम की कुल वृद्धि की तुलना को संपूर्ण वृद्धि दर कहते हैं। (ii) दी गयी प्रणाली की प्रति
यूनिट समय पर वृद्धि को सामान्य आधार पर प्रकट करना, जैसे-प्रति यूनिट प्रारंभिक मापदंड
को सापेक्षिक वृद्धि दर कहते हैं।
निरपेक्ष और सापेक्ष वृद्धि दर (अ और ब पंक्तियों को देखें)
दिये गये चित्र में एक दिये गये समय में उनके संपूर्ण क्षेत्रफल में वृद्धि समान है, फिर
भी उनमें से एक की सापेक्षिक वृद्धि दर ज्यादा है।
3. प्राकृतिक पाद वृद्धि नियामकों के पाँच मुख्य समूहों के बारे में लिखें। इनके
आविष्कार, कार्यिकी प्रभाव तथा कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग के बारे में लिखें।
[N.C.ERT.(Q.4)]
उत्तर- प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों के पांच मुख्य समूह निम्न है-
(A) ऑक्जिंस, (B) जिब्बेरेलिंस, (C) साइटोकाईनिंस, (D) एथीलिन, (E) एब्सेसिक
एसिड।
(A) आक्जिंस (Auxins)-इसका खोज सर्वप्रथम F.w.went के द्वारा जई के अंकुर
के प्रांकुर चोल शिखर से किया गया था।
कार्यिकी प्रभाव-(i) कोशिका दीर्घन द्वारा स्तंभ या तने की वृद्धि में सहायक होता है।
(ii) प्रकाशानुवर्तन एवं गुरुत्वानुवर्तन में सहायक होता है। (iii) यह मुख्य तनाओं की वृद्धि
को बढ़ाती है परन्तु पार्श्व शाखाओं की वृद्धि को रोकता है। (iv) बीजहीन फल उत्पादन में
सहायक होता है। (v) खर-पतवार के नियंत्रण में सहायक होता है।
कृषि में उपयोग-(i) कुछ पौधों में, स्तम्भ या तने के निचले पर्वो (Intermode) में
लंबे तथा नरम होने के कारण, पौधा सीधा खड़ा नहीं रह पाता, इसे ऑक्जिन के प्रयोग से
रोका जाता है। (ii) सेब के पौधों में इसका प्रयोग करने से पार्श्व शाखाएं छोटी रह जाती हैं
जिससे उसमें फल अधिक लगता है। (iii) गेहूं तथा मक्का के खेतों में इसका प्रयोग कर
खरपतवार को नियंत्रित किया जाता है।
(B) जिब्बेरेलिंस (Gibberellins) -इसका खोज सर्वप्रथम जापानी वैज्ञानिक ई.
कुरोसोवा ने धान के नवोद्भिद में किया था।
कार्यिकी प्रभाव-(i) यह कोशिका दीर्घण तथा कोशिका-विभाजन द्वारा तने की लंबाई
को बढ़ाता है। (ii) बीजों के अंकुरण के समय एंजाइम को सक्रिय करता है। (iii) काष्ठीय
पौधों में कैम्बियम की सक्रियता को बढ़ाता है।
कृषि में उपयोग-इसके प्रयोग से बड़े आकार के पौधों एवं फलों का उत्पादन किया जाता है।
(C) साइटोकाईनिस (Cytokinins)- इसका खोज सर्वप्रथम एफ स्क्रूग तथा उनके
सहकर्मियों ने किया था
कार्यिकी प्रभाव-(i) कोशिकाद्रव्य विभाजन में सहायक होता है। (ii) RNA एवं
प्रोटीन बनने में सहायक होता है। (iii) कोशिका दीर्घण में सहायक होता है। (iv) बीज अंकुरण
को प्रेरित करता है। (v) पार्श्व कलिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है।
कृषि में उपयोग-(i) पोषकों के संचारण को बढ़ावा देते हैं जिससे पत्तियों की जरावस्था
देर से आती है, फलतः पौधे अधिक स्वस्थ रहते हैं। (ii) नई पत्तियों में हरितलवक पार्श्व
प्ररोह वृद्धि तथा अपस्थानिक प्ररोह संरचना में मदद करता है।
(D) एथीलीन (Ethylene)-इसका खोज सर्वप्रथम कोसइंस ने किया था।
कार्यिक प्रभाव-(i) जरावस्था एवं विलगन को मुख्यतः पतियों एवं फूलों में बढ़ाती
है। (ii) फलों को पकाने में सहायता करती है। (iii) पौधों की अनुप्रस्थ वृद्धि, अक्षों में फूलाव
एवं द्विबीजी नवोद्भिदों में अंकुर संरचना को प्रभावित करता है।
कृषि में उपयोग-(i) मूंगफली के बीज में अंकुरण को शुरु करती है तथा आलू के
कंदों को अंकुरित करती है। (ii) गहरे पानी के धान के पौधों में पर्णवन्त को तीव्र दीर्धीकरण
के लिए प्रोत्साहित करता है। (iii) मूल वृद्धि तथा मूल रोमों को प्रोत्साहित करती है, अतः
पौधों को अधिक अवशोषण क्षेत्र प्रदान करने में सहायता मिलती है। (iv) आम को पुष्पित
होने में प्रेरित करता है। (v) अनानास को फूलने तथा फल समकालिता में सहायता करता
है। (vi) टमाटर एवं सेब के फलों के पकाने की गति को बढ़ाता है।
(E) एव्सेसिक एसिड (Abscisic Acid) या ABA हॉर्मोन-इसका खोज सर्वप्रथम
1960 के मध्य ऐडिकोट, रॉबिन्सन एवं उनके सहयोगियों ने किया था-
कार्यिकी प्रभाव-(i) तने की वृद्धि को मदद करता है। (ii) रंधों के आयतन को
नियंत्रित कर वाष्पोत्सर्जन की क्रिया को रोकता है। (iii) किसी भी पौधे में पत्ती के झड़ने की
क्रिया की दर में वृद्धि करता है।
कृषि में उपयोग-(i) जल शुष्कन तथा वृद्धि के लिए प्रतिकूल परिस्थिति से फसलों
की रक्षा करता है। (ii) पौधों को विभिन्न प्रकार के तनावों को सहने हेतु क्षमता प्रदान करता है।
4. दीप्तिकालिता एवं वसंतीकरण क्या है? इनके महत्व का वर्णन करें।
[N.C.E.R.T. (Q.5)]
उत्तर-दीप्तिकालिता (Photoperiodism)-कुछ पौधों में पुष्पन सिर्फ प्रकाश और
अंधकार की अवधि पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि उसकी सापेक्षिक अवधि पर निर्भर करता
है। इस घटना को दीप्तिकालिता कहते हैं। अर्थात् पौधों में फूल बनने की क्रिया प्रकाश की
उपलब्धता पर निर्भर करती है, जिसे तीन वर्गों में बांटा जाता है।
(i) अल्प प्रदीप्तकाली पौधे-जिन पौधों में क्रांतिक अवधि से ज्यादा प्रकाश की अवधि
की आवश्यकता होती है, अल्प प्रदीप्तकाली पौधे कहते हैं।
(ii) दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधे-जिन पौधों को प्रकाश की अवधि संकट क्रांतिक अवधि
से कम चाहिए उसे दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधे कहलाते हैं।
(ii) तटस्थ प्रदीप्तकाली-ऐसे पौधे जिसमें प्रकाश की अवधि एवं पुष्पन प्रेरित करने
में कोई सबंध नहीं होता है, तटस्थ प्रदीप्तकाली कहलाते हैं।
महत्व-दीप्तिकालिता पौधों में पुष्पन के लिए आवश्यक होता है।
वसंतीकरण (Vernalisation)-कुछ पौधों में पुष्पन गुणात्मक या मात्रात्मक तौर पर
कम तापक्रम में अनावृत होने पर निर्भर करता है। इसे ही वंसतीकरण कहा जाता है।
वसंतीकरण के कुछ उदाहरण द्विवर्षी पौधे एक संकृप्फली पौधे होते हैं जो साधारणतया
दूसरे मौसम में फूलते एवं मरते हैं। जैसे–चुकंदर, पत्तागोभी, गाजर इत्यादि।
दीप्तिकालिता-दीर्घ प्रदीप्तकाली, अल्प प्रदीप्तकाली एवं दिवस निरपेक्ष पादप।
महत्व-(i) यह अकालिक प्रजनन परिवर्धन को वृद्धि के मौसम में तब तक रोकता है
जब तक पौधे परिपक्व न हो जाएँ। (ii) वसंतीकरण कम तापकाल में पुष्पन को प्रोत्साहन
प्रदान करती है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. किस वैज्ञानिक ने पौधों में वृद्धि-हॉर्मोन का पता लगाया?
(क) चार्ल्स डार्विन
(ख) फंक
(ग) फ्रांसिसडार्विन
(घ) एफ. डब्लू. वेण्ट उत्तर-(घ)
2. वृद्धि से तात्पर्य है-
(क) कोशिका-विभाजन
(ख) कोशिका दीर्घण
(ग) कोशिका विभेदन
(घ) इनमें तीनो उत्तर-(घ)
3. जिबरेंलिस का सर्वप्रथम अविष्कार हुआ था?
(क) शैवाल से
(ख) कवकों से
(ग) जीवाणुओं से
(घ) आवृतबीजियों से उत्तर-(ख)
4. आक्जिन से अधिक निर्माण होता है-
(क) प्ररोह में
(ख) जड़ में
(ग) प्ररोह के विभज्योतकी क्षेत्र में
(घ) जड़ के विभज्योतकी क्षेत्र में उत्तर-(ग)
5. निम्न में कौन हॉर्मोन पुष्पण को प्रेरित करता है-
(क) ABA
(ख) ऐथिलीन
(ग) जिबरेलिंस
(घ) आक्जिस उत्तर-(ख)
6. उपचय अपचय से अधिक होने पर होता है-
(क) प्रजनन
(ख) पोषण
(ग) श्वसन
(घ) वृद्धि उत्तर-(घ)
7. कौन दीर्घ प्रदिप्तिकाली पौधा है-
(क) जेथियम
(ख) गेहूँ
(ग) सोयाबिन
(घ) तंबाकू उत्तर-(ख)
8. कौन अल्पदीप्तिकाली पौधा है-
(क) Glycine max
(ख) Triticum aestivum
(ग) Raphanus aestivum
(घ) Daucus carota उत्तर-(क)
9. निम्न में से कौन वृद्धि हॉर्मोन हैं-
(क) आक्जिस, जिबरेलिंस एवं एथिलीन
(ख) आक्जिस, जिबरेंलिंस एवं साइटोकाइनिंस
(ग) एथिलीन, एबसिसिक अम्ल एवं साइटोकाइनिंस
(घ) जिबरेलिंस, साइटोकाइनिंस एवं ABA उत्तर (ख)
10. निम्न में कौन गैसीय पी जी आर है-
(क) एथिलीन
(ख) आक्सिंज
(ग) ABA
(घ) सभी उत्तर-(क)
11. साइटोकाइनिंस की प्रकृति होती है-
(क) अम्लीय
(ख) क्षारीय
(ग) उदासीन
(4) इनमें सभी उत्तर-(ख)
12. इनमें से कौन वृद्धि निरोधी (growth inhibitors) होता है-
(क) एथिलीन एवं एब्सेसिक अम्ल
(ख) एथिलीन एवं आक्जिंस
(ग) जिबरेलिंस एवं एब्सेसिसिक अम्ल
(घ) साइटोकाईनिस एवं एथिलीन उत्तर-(क)
13. बीज जिसके अंकुरण के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है, कहलाता है-
(क) Neoblastic
(ख) Holoblastic
(ग) Photoblastic
(घ) इनमें सभी उत्तर-(ग)
14. दीप्तिकालिता के बारे में किस वैज्ञानिक ने बताया था।
(क) गार्नर एवं एलार्ड
(ख) रॉबिन्सन
(ग) एडिकोट
(घ) इनमें से काई नहीं उत्तर-( )
15. मटर एवं सूर्यमुखी किस प्रकार का पौधा है?
(क) अल्प प्रदीप्तकाली
(ख) दीर्घ प्रदीप्तकाली
(ग) तटस्थ प्रदीप्तकाल
(घ) इनमें सभी उत्तर-(ग)
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