bihar board 11 biology notes | खनिज पोषण
bihar board 11 biology notes | खनिज पोषण
(MINERAL NUTRITION)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. जल संवर्धन (Hydroponics) क्या है?
उत्तर-बिना मिट्टी के पोषक विलयन में पौधे उगाने की तकनीक को जल संवर्धन
कहते हैं।
2.मैगनीज और ताँबा किस प्रकार के पोषक तच हैं?
उत्तर-सूक्ष्मपोषक तत्व (Micronutrients)।
3. पौधों में कैल्सियम की मुख्य भूमिका क्या है?
उत्तर-यह कोशिका मध्य पट्टिका (Middle Lamella) में कैल्सियम पेक्टेट के रूप
में उपस्थित होता है।
4. आविषता (Toxicity) क्या है?
उत्तर-किसी खनिज आयन की वह सांद्रता जो ऊतकों के शुष्क भार में 10 प्रतिशत
की कमी करता है, आविषता कहलाता है।
5. कौन-सा जीवाणु नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल देता है।
उत्तर-नाइट्रोबैक्टर।
6. क्लोरोसिस क्या है?
उत्तर-पोषक तत्वों मुख्यतः मैग्नीशियम की कमी के कारण पत्तियों का पीला होते
जाना, ही क्लोरोसिस कहलाता है।
7. नेक्रोसिस क्या है?
उत्तर-ऊतकों और कोशिकाओं के मृत हो जाने से पत्तियों पर छिद्र बन जाने को
नेक्रोसिस कहा जाता है। यह Ca,Mg,Cu और K की कमी से उत्पन्न होता है।
8. वृहत् पोषक तत्वों के नाम बतायें-
उत्तर-C,H,O,N,P,S,K,Ca एवं Mg
9. सूक्ष्म पोषक तत्वों के नाम बतायें।
उत्तर-Fe,Mn, Cu,Mo,Zn,B,CI एवं Ni
10. Premature abscission क्या है?
उत्तर-अपरिपक्व पत्तियों, कलियों व पुष्पों का झड़ना ही Premature abscission
कहलाता है।
11. नाइट्रोजन स्थिरीकरण सहजीवी जीवाणु का नाम बतायें।
उत्तर-राइजोबियम।
12. क्रांतिक सांद्रता (Critical concentration) क्या है?
उत्तर-अनिवार्य तत्वों की वह सान्द्रता जिसके कम होने पर पौधों की वृद्धि रुक जाती
है क्रांतिक सान्द्रता कहलाती है। .
13. जल संवर्धन तकनीक के बारे में किस वैज्ञानिक ने बताया था?
उत्तर-जुलियस सैकस (1860)।
14. रंध्रों के खुलने और बंद होने के लिए कौन-सा पोषक तत्व जिम्मेवार होता है?
उत्तर-पोटैशियम।
15. दलहन पौधों की जड़ों में बननेवाले ग्रंथिकाओं का रंग गुलाबी क्यों होता है?
उत्तर-लेग्हेमोग्लोबीन की उपस्थिति के कारण।
16. पौधे को वायु से कौन-सा पोषक तत्व प्राप्त होता है?
उत्तर-कार्बन।
17. पौधे को जल से कौन-कौन सा पोषक तत्व प्राप्त होता है?
उत्तर-हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन।
18. दलहनी पौधे को कौन-सा उर्वरक देने की आवश्यकता नहीं होती है?
उत्तर-नाइट्रोजनी उर्वरक।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ‘पौधे में उत्तरजीविता के लिए उपस्थित सभी तत्वों की अनिवार्यता नहीं है? टिप्पणी
करें। [N.C.E.R.T. (Q.1)]
उत्तर-पादप अपना अकार्बनिक पोषण वायु, जल और मृदा से प्राप्त करते हैं। पौधे
कई प्रकार के खनिज तत्वों का अवशोषण करते हैं। पौधों को उनके द्वारा अवशोषित सभी
प्रकार के खनिज तत्वों की अनिवार्यता नहीं होती। अब तक खोजे गये 105 से अधिक तत्वों
में से 21 तत्व पादपों की साधारण वृद्धि एवं परिवर्धन के लिए अनिवार्य व लाभदायक होते
हैं। अधिक मात्रा में अनिवार्य तत्व वृहत् पोषक तथा मात्रा में अनिवार्य तत्व सूक्ष्ममात्रिक तत्व
या सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं। ये सभी तत्व पौधों की विविध उपापचयी प्रक्रियाओं में
भाग लेते हैं।
2. पौधों में कम से कम पाँच अपर्याप्त के लक्षण दें। उसे वर्णित करें और खनिजों की
कमी से उसका सहसंबंध बनाएँ। [N.C.E.R.T. (Q.4)]
उत्तर-पौधों द्वारा दर्शाये जाने वाले अपर्याप्तता के लक्षणों के अंतर्गत क्लोरोसिस,
नेक्रोसीस, अवरुद्ध पादप वृद्धि, अपरिपक्व पत्तियों व कलिकाओं का झड़ना और कोशिका
विभाजन का रुकना इत्यादि सम्मिलित होते हैं।
ये लक्षण निम्न खनिजों की कमी से उत्पन्न होता है
(i) क्लोरोसिस–पत्तियों में क्लोरोफिल की कमी से उसका पीला हो जाना यह Mg
की कमी से होता है।
(ii) नेक्रोसिस-ऊतकों या मुख्य रूप से पत्तियों की मृत्यु-यह Ca,Mg, Cu और
K की कमी से होता है।
(iii) कोशिका विभाजन का रुक जाना-यह N,K,S एवं Mo की कमी से होता है।
(iv) अपरिपक्व पत्तियों व कलिकाओं का झड़ना-यह भी Mg की कमी से होता है।
(v) पुष्पण में देरी-यह N,S एवं Mo की सांद्रता में कमी से होता है।
3. कुछ निश्चित पौधों में उपर्याप्तता लक्षण सबसे पहले नवजात भाग में क्यों उत्पन्न
होते हैं, जबकि कुछ अन्य पौधों में परिपक्व अंगों में? [N.C.E.R.T. (Q.6)]
उत्तर-किसी तत्व की अपर्याप्तता से कई लक्षण प्रकट होते हैं और यह लक्षण एक
या विभिन्न तत्वों की अपर्याप्तता से हो सकते हैं। समान तत्व की कमी होने से भिन्न-भिन्न
पौधों में भिन्न-भिन्न लक्षण उत्पन्न होते हैं।
सल्फर, नाइट्रोजन, पोटैशियम, मॉलिब्डेनम क्लोरीन इत्यादि कोशिका का संरचनात्मक
तत्व है, यह कोशिका विभाजन में सहायता करता है। लोहा नयी पत्तियों के लिए आवश्यक
होता है, बोरॉन पराग अंकुरण, कोशिका दीर्धीकरण व विभेदन में सहायक होता है। इस कारण
यदि इन सभी पोषक तत्वों की कमी होती है इसके अपर्याप्तता के लक्षण पहले नवजात
भागों में दिखाई देता है जबकि अन्य पोषक तत्वों की कमी पौधे के वयस्क भागों में उत्पन्न
होते हैं। इस कारण इसके लक्षण परिपक्व अंगों में ही उत्पन्न होते हैं।
4. पौधों के द्वारा खनिजों का अवशोषण कैसे होता है? IN.C.E.R.T. (Q.7)]
उत्तर-पौधों द्वारा खनिजों के अवशोषण की प्रक्रिया को दो अवस्थाओं में सीमांकित
किया जाता है। प्रथम अवस्था में कोशिकाओं के मुक्त अथवा बाह्य स्थान (एपोप्लास्ट) में
तीव्र गति से आयन का अंतर्ग्रहण होना निष्क्रिय अवशोषण है। दूसरी अवस्था में कोशिकाओं
की आंतरिक स्थान (सिम्प्लास्ट) में आयन धीमी गति से अन्तर्ग्रहण किये जाते हैं। एपोप्लास्ट
में आयनों की निष्क्रिय गति साधारणतया आयन चैनलों के द्वारा होती है जो की ट्रांस झिल्ली
प्रोटीन होते हैं और चयनात्मक छिद्रों का कार्य करते हैं। दूसरी तरफ सिमप्लास्ट में आयनों
के प्रवेश और निष्कासन में उपापचयी उर्जा की अनिवार्यता होती है। यह एक सक्रिय प्रक्रिया
है। आयनों की गति को प्राय: अभिवाह (Flux) कहते हैं। कोशिका के अन्दर की गति को
अंतर्वाह (Influx) और बाहर की गति को बहिर्वाह (Eflux) कहते हैं। पादपों में खनिज
लवणों का अंतर्ग्रहण तथा स्थानांतरण विशेष प्रक्रिया द्वारा होता है जिसमें संवहन ऊतक
जाइलम, मूलदाब, परासरण, रसारोहण, वाष्पोत्सर्जन इत्यादि भाग लेते हैं।
5. राइजोबियम के द्वारा वातावरणीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिए क्या शर्ते हैं
तथा N2-स्थिरीकरण में इनकी क्या भूमिका है? [N.C.E.R.T. (Q.8)]
उत्तर-राइजोबियम द्वारा वातावरणीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिए मुख्य शर्त है
सहजीवी संबंध का निर्माण करना। राइजोबियम जीवाणु लेग्यूम एल्फाल्फा, स्वीट क्लोवर,
मीठा मटर, मसूर, उद्यान मटर, बाकला एवं क्लोवर, सेम आदि की जड़ों में इस तरह का
के संबंध बनाते हैं। सबसे सामान्य सहजीवन जड़ों की गांठों के रूप में होता है।
N2-स्थिरीकरण में इसकी भूमिका-राइजोबियम बहुगुणित होकर जड़ों के चारों ओर
एकत्र हो जाते हैं तथा उपत्वचीय और मूलरोम कोशिकाओं से जुड़कर एक संक्रमित सूत्र
उत्पन्न करते हैं जो जीवाणु को जड़ों के कॉर्टक्स तक ले जाते हैं जहाँ वे ग्रंथिका निर्माण
प्रारंभ करते हैं। ग्रंथिका निर्माण के बाद जड़ों से पोषक तत्व के आदान-प्रदान के लिए एक
संवहनी संबंध बन जाता है।
6. निम्नांकित कथनों में कौन सही है? अगर गलत है तो इन्हें सही करें। [N.C.ER.T. (Q.10)]
(a) बोरॉन की अपर्याप्तता से स्थूलकाय अक्ष बनता है।
उत्तर-गलत है। सही जबाब है-बोरॉन की अपर्याप्तता से अधिक उपापचयी क्रियाओं
वाले क्षेत्रों जैसे-जड़ एवं तना के शीर्ष भाग मृत हो जाते हैं, तना और जड़ की वृद्धि रुक
जाती है, क्लोरोसिस और नेक्रोसिस हो जाता है। फूल और फल कम बनने लगते हैं।
(b) कोशिका में उपस्थित प्रत्येक खनिज तत्व उसके लिए अनिवार्य हैं।
उत्तर-सही।
(c) नाइट्रोजन पोषक तत्व के रूप में पौधे में अत्यधिक अचल है।
उत्तर-सही।
(d) सूक्ष्मपोषकों की अनिवार्यता निश्चित करना अत्यन्त ही आसान है, क्योंकि ये
बहुत ही सूक्ष्ममात्रा में लिये जाते हैं।
उत्तर-सही।
7. मृदा को पौधों का उत्कृष्ट पोषक भंडार माना जाता है, क्यों?
उत्तर-पौधों के पोषण तथा वृद्धि के लिए मिट्टी ही एकमात्र प्राकृतिक माध्यम है। मिट्टी
के भीतर लगातार भौतिक, रासायनिक एवं जैविक क्रियाएँ होती रहती हैं, जो उसकी जल-धारण
करने की क्षमता को भी बढ़ाती हैं। पौधों की उचित वृद्धि के लिए 17 पोषक तत्वों की
आवश्यकता होती है। इनमें कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन को छोड़कर शेष पोषक तत्व
पौधों को मिट्टी से ही प्राप्त होती है। इसी कारण मिट्टी को उत्कृष्ट पादप पोषक भंडार माना
जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. जलसंवर्धन (Hydroponics) में खनिज पोषण हेतु अध्ययन में जल और पोषक
लवणों की शुद्धता क्यों जरूरी है? [N.C.E.R.T.(Q.2)]
उत्तर-जूलियस सैकस (1860) एक प्रमुख जर्मन पादपविद् ने सर्वप्रथम यह प्रदर्शित
किया कि पादपों को मृदा की अनुपस्थिति में, पोषक विलयन के घोल में वयस्क अवस्था
तक उगाया जा सकता है, इस तकनीक को जल संवर्धन (Hydroponics) के नाम से जाना
जाता है। इस विधि में शुद्धिकृत जल एवं पोषक खनिज की आवश्यकता होती है।
शृंखलाबद्ध प्रयोगों के पश्चात् जिसके अंतर्गत पादपों की जड़ों को पोषक विलयन में
डुबाया गया और उसमें एक तत्व को डाला और हटाया गया तथा विभिन्न सांद्रताओं में दिया
गया तो एक खनिज विलयन प्राप्त हुआ जो पादप वृद्धि के लिए उपयुक्त था।
जल संवर्धन की तकनीक को सब्जियों जैसे कि टमाटर, बीजविहीन, खीरा और सलाद
(Lettuce) के व्यापारिक उत्पादन हेतु सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
यदि जल संवर्धन में लिये गये पोषक विलयन के घोल में उपयोग किया जानेवाला जल
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और पोषक लवण यदि शुद्ध नहीं होगा तो पादप उसे अवशोषित नहीं कर पायेंगे, जिससे
उनकी वृद्धि और विकास उचित तरीके से नहीं हो पाएगी।
2. उदाहरण के साथ व्याख्या करें-वृहत् पोषक, सूक्ष्मपोषक, हितकारी पोपक, आविष
तत्व और अनिवार्य तत्व। [N.C.ER.T. (Q.3)]
उत्तर-पौधों की वृद्धि एवं उपापचय के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को दो श्रेणियों
में बाँटा गया है-(i) वृहत पोषक तत्व-इनकी आवश्यकता पौधे को अधिक होती है।
लगभग 1 से 10 मि. ग्राम/लीटर की सान्द्रता से इसके अंतर्गत C,H,N,O,P,S,K,Ca
और Mg सम्मिलित होते हैं। (ii) सूक्ष्म पोषक तत्व-इनकी आवश्यकता पौधे को अत्यंत
सूक्ष्ममात्रा में होती है, लगभग 0.1 मि. ग्राम/लीटर शुष्क भार के बराबर या उससे कम/इसके
अंतर्गत Fe, Mn, Cu, Mo, Zn,B,CI और Ni सम्मिलित होते हैं।
हितकारी पोषक तत्व-उपर्युक्त पोषक तत्वों के अलावे Na, Si, Co और Se उच्च
श्रेणी के पौधों लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, इसे ही हितकारी पोषक तत्व कहा जाता है।
आविष तत्व-किसी खनिज आयन की वह सांद्रता जो ऊतकों के शुष्क भार में 10
प्रतिशत की कमी करे, उसे आविष माना जाता है। अलग-अलग पादपों के तत्वों की आविषता
स्तर भिन्न होती है। कई बार एक तत्व की अधिकता दूसरे तत्व के अधिग्रहण को अवरुद्ध
करती है। उदाहरण के लिए मैगनीज की आविषता के मुख्य लक्षण हैं-भूरे धब्बों का आविर्भाव
जो कि क्लोरेटिक शिराओं द्वारा घिरी रहती है।
अनिवार्य तत्व-अनिवार्य तत्वों को उनके विविध कार्यों के आधार पर सामान्यतः
चार श्रेणियों में बाँटा जाता है- (i) यह कोशिका का रचनात्मक तत्व है, जैसे-C,H,O
और N।(ii) यह ऊर्जा से संबंधित रासायनिक यौगिकों के घटक होते हैं, जैसे-पर्णहरित
में Mg और ATP में P। (iii) एंजाइमों को सक्रिय या बाधित करते हैं, जैसे–Mg2+
राइबुलोज बिफॉस्फेट कार्बोक्सिलेज-ऑक्सीजिनेज और फॉस्फोइनॉल पाइरूवेट कार्बोक्सिलेज
दोनों को सक्रिय करता है। Mo नाइट्रोजन उपापचय के दौरान नाइट्रोजिनेज को क्रियाशील
करता है। (iv) कुछ अनिवार्य तत्व कोशिका के परासरणी विभव को बदलते हैं, जैसे-K,
रंध्रों के खुलने और बंद होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3. अगर एक पौधे में एक से ज्यादा पोषक तत्वों की कमी के लक्षण प्रकट हो रहे हैं
तो प्रायोगिक तौर पर आप कैसे पता करेंगे कि अपर्याप्त खनिज तत्व कौन से हैं?
[N.C.E.R.T. (Q.5)]
उत्तर-पोषक तत्वों की कमी को पहचानने के लिए पौधे के विभिन्न भागों में प्रकट
होने वाले लक्षणों का अध्ययन किया जाता है और उपलब्ध तथा मान्य तालिका से इसकी
तुलना कर इसमें अपर्याप्त खनिज तत्वों का पता लगाते हैं।
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5. मूल ग्रंथिका के निर्माण हेतु कौन-कौन से चरण भागीदार हैं? [N.CER.T. (Q.9)]
उत्तर-ग्रंथिका निर्माण मेजबान पौधों की जड़ एवं राइजोबियम में पारस्परिक प्रक्रिया
के कारण होता है। ग्रंथिका निर्माण के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं-
राइजोबियम बहुगुणित होकर जड़ों के चारों ओर एकत्र हो जाते हैं तथा उपत्वचीय और
मूलरोम कोशिकाओं से जुड़ जाते हैं। मूलरोम मुड़ जाते हैं तथा जीवाणु मूलरोम पर आक्रमण
करते हैं। जिससे एक संक्रमित सूत्र पैदा होते हैं जो जीवाणु को जड़ों के कार्टेक्स तक ले
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जाता है, जहाँ वे ग्रंथि का निर्माण प्रारंभ करते हैं। तब जीवाणु सूत्र से मुक्त होकर कोशिकाओं
में चले जाते हैं जो विशिष्ट नाइट्रोजन स्थिरीकरण कोशिकाओं के विभेदीकरण का कार्य करते
हैं। इस प्रकार ग्रंथिका का निर्माण होता है और मेजबान से पोषक तत्व के आदान-प्रदान के
लिए संवहनी संबंध बन जाता है।
इन ग्रंथिकाओं में नाइट्रोजिनेज एंजाइम एवं लेहेमोग्लोबीन जैसे सभी जैव रासायनिक
संघटन विद्यमान होते हैं। नाइट्रोजिनेज एंजाइम Mo-Fe प्रोटीन है जो वातावरणीय नाइट्रोजन
को अमोनिया में परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित करता है।
यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण का प्रथम स्थायी उत्पाद है।
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नाइट्रोजिनेज एंजाइम आण्विक ऑक्सीजन के प्रति अत्यंत संवेदी होता है। इसे अनॉक्सी
वातावरण की अनिवार्यता होती है। ग्रंथियों में यह अनुकूलता होती है कि उसके एंजाइम को
ऑक्सीजन से बचाया जा सके। इन एंजाइम्स की सुरक्षा के लिए ग्रंथिकाओं में एक ऑक्सीजन
अपमार्जक होता है जिसे लेग्हमोग्लोबिन (Lb) कहते हैं। यह एक रोचक तथ्य है कि स्वतंत्र
जीवी अवस्थाओं में ये सूक्ष्मजीव ऑक्सी होते हैं, जहाँ नाइट्रोजिनेज क्रियाशील नहीं होता
है, लेकिन नाइट्रोजन स्थिरीकरण के दौरान ये अनॉक्सी हो जाते हैं और नाइट्रोजिनेज एंजाइम
की सुरक्षा करते हैं।
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6. नाइट्रोजन चक्र का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-नाइट्रोजन जीवों के ऊतकों का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। जीव-शरीर में यह
प्रोटीन, अमीनोअम्ल, एन्जाइम्स, न्यूक्लिक अम्ल, जीवद्रव्य इत्यादि का बहुत ही महत्त्वपूर्ण
घटक है। यह कार्बन चक्र की अपेक्षा ज्यादा जटिल होता है, क्योंकि कुछ सूक्ष्मजीवों को
छोड़कर किसी भी जीव में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सीधे ग्रहण करने की क्षमता नहीं होती
है। वायुमंडल में N2 की मात्रा 78% होती है, जो निम्नलिखित दो प्रकार से वायुमंडल से
जीवों में एवं जीवों से वायुमंडल में चक्रण करते हैं-
(A) नाइट्रोजन चक्र जीवाणुओं द्वारा-निम्नलिखित जीवाणु नाइट्रोजन चक्र में भाग
लेते हैं-
(i) राइजोवियम-यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सीधे ग्रहण कर दलहन पौधों
की जड़ों में लाकर स्थिर करता है। इस क्रिया को नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहते हैं। इस क्रिया
में एजोटोबैक्टर एवं नील-हरित शैवाल भी भाग लेते हैं।
(ii) नाइट्रोसोमोनास-यह जीवाणु नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित करने में
सहायक होता है।
(iii) नाइट्रोबैक्टर-यह अमोनिया को नाइट्रेट एवं नाइट्राइट में परिवर्तित कर मिट्टी में
मिला देता है।
(iv) स्यूडोमोनास-इस जीवाणु को विनाइट्रीकारक जीवाणु कहा जाता है, जो जीवों
के मरने या उसके उत्सर्जी पदार्थों को अपघटित कर उसे पुनः नाइट्रोजन में तोड़कर वायुमंडल
में मुक्त कर देता है।
(B) नाइट्रोजन-चक्र प्रकृति द्वारा-जब आकाश में बिजली चमकती है, तब उसके
साथ वायुमंडलीय नाइट्रोजन अलग होकर ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर नाइट्रोजन मोनो
या डाइऑक्साइड का निर्माण करता है।
N2+O2→2NO; N2 + 2O2→ 2NO2
यह ऑक्साइड वर्षा जल के साथ प्रतिक्रिया कर नाइट्रिक अम्ल का निर्माण करता है।
NO2+H2O→H2NO3
यह नाइट्रिक अम्ल पृथ्वी की सतह पर पहुँचकर उसमें उपस्थित खनिज-लवणों के साथ
मिलकर नाइट्रेट एवं नाइट्राइट का निर्माण करता है।
यह नाइट्रेट एवं नाइट्राइट मिट्टी से पौधे द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं, उससे
अमोनिया, एमिनो अम्ल एवं अन्त में प्रोटीन का निर्माण होता है, जो पौधे के सम्पूर्ण शरीर
में जीवद्रव्य के रूप में वर्तमान रहता है। जब जन्तु पौधे को ग्रहण करते हैं, तब यह उनके
शरीर में चला जाता है।
इसके पश्चात् पौधे या जन्तु मरते हैं या जन्तु उत्सर्जी पदार्थ का त्याग करते हैं तो
विनाइट्रीकारक जीवाणु उनके मृत शरीर या उत्सर्जी पदार्थों को पुन: अपघटित कर नाइट्रोजन
को वायुमंडल में मुक्त कर देते हैं?
7. अमोनिया की नियति का वर्णन करें।
उत्तर-अमोनिया कार्यकीय PH पर प्रोटीनीकरण के बाद अमोनियम आयन का निर्माण
करती है। जबकि अधिकांश पादप नाइट्रेट की तरह अमोनियम का भी स्वांगीकरण कर सकते
हैं, लेकिन अमोनियम आयन पादपों के लिए विषाक्त होते हैं जिसके कारण उनमें एकत्र नहीं
हो पाते हैं। इस तरह संश्लेषित अमोनियम आयन (NH4+) का पादपों में अमीनों अम्लों के
संश्लेषण हेतु उपयोग होता है। इसके लिए दो मुख्य क्रियाएँ हैं-
(i) अपचयित एमीनीकरण-इस प्रक्रिया में अमोनिया कीटोग्लूटेरिक अम्ल के साथ
क्रिया करके ग्लूटेमिक अम्ल बनाते हैं।
(ii) पार एमीनन या विपक्ष एमीनन-इसमें अमीनों अम्ल से अमीनो समूह का कीटो
अम्ल के कीटों समूह में स्थानांतरण होता है। ग्लूटेनिक अम्ल मुख्य अमीनो अम्ल है जिससे
अमीनो (NH2) स्थानांतरित होता है और दूसरे अमीनो अम्ल का निर्माण विपक्ष एमीनन द्वारा
होता है। ट्रांसएमिनेज एंजाइम इस तरह की सारी क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं।
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पौधों में एस्पेरेजिन एवं ग्लुटेमिन दो अति मुख्य एमाइड पाये जाते हैं जो प्रोटीन के
रचनात्मक भाग हैं। ये दो अमीनो अम्ल क्रमश: एस्पिरेटिक अम्ल और ग्लूटेमिक अम्ल से
प्रत्येक के साथ अमीनो समूह के जोड़ने से बनते हैं। इस प्रक्रिया में अम्ल का हाइड्रॉक्सिल
भाग NH2 मूलक से विस्थापित हो जाता है। एमाइड्स में, चूंँकि अमीनोअम्ल से ज्यादा
नाइट्रोजन पाया जाता है अतः ये दारु वाहिकाओं द्वारा पौधे के अन्य भागों में स्थानांतरित
कर दिये जाते हैं। इसके साथ ही कुछ पौधे (जैसे-सोयाबीन) की ग्रंथिकाएँ वाष्पोत्सर्जन
प्रवाह के साथ स्थिर नाइट्रोजन को यूरिड्स (Ureides) के रूप में भेज देती है। इन यौगिकों
में भी कार्बन की अपेक्षा नाइट्रोजन का अनुपात अधिक होता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. पौधों के लिए नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत है-
(क) वायुमंडल
(ख) मिट्टी
(ग) नाइट्रीफाइंग जीवाणु
(घ) जल में घुलनशील नाइट्रेट एवं नाइट्राइट्स
उत्तर-(क)
2. पौधे को मिट्टी से प्राप्त होनेवाले तत्व कहलाते हैं-
(क) खनिज तत्व
(ख) अखनिज तत्व
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं उत्तर-(क)
3. वह वैज्ञानिक जिसने बताया था कि पौधे वृद्धि और विकास के लिए मिट्टी से खनिज
प्राप्त करते हैं-
(क) Woodward
(ख) De-Saussure
(ग) Arman
(घ) Stout उत्तर-(क)
4. वह वैज्ञानिक जिसने बताया कि बिना मिट्टी के भी पोषक विलयन के घोल में पौधे
को उगाया जा सकता है।
(क) Julius saccus
(ख) De-saussure
(ग) Woodward
(घ) Stout उत्तर-(क)
5. जंतु और दूसरे परपोषी जीव नाइट्रोजन कहाँ से प्राप्त करते हैं-
(क) वायुमंडल
(ख) पौधा
(ग) नाइट्रिफाइंग जीवाणु
(घ) ये सभी उत्तर-(ख)
6. पौधों के पर्णहरित (Chlorophyll) में कौन-सा पोषक तत्व उपस्थित होता है-
(क) Fe
(ख) Cu
(ग) Mg
(घ) N2 उत्तर-(ग)
7. पत्ती ऊतकों का Localised death क्या कहलाता है?
(क) Chlorosis
(ख) Necrosis
(ग) Mottling
(घ) Dieback उत्तर-(ख)
8. निम्न में कौन Plantash के साथ संबंधित नहीं है?
(क) Trace element
(ख) Essential elements
(ग) Nitrogen
(घ) Mimeral elements उत्तर-(ग)
9. क्लोरोफिल की कमी के कारण पूरी पत्ती का पीला हो जाना कहलाता है-
(क) Chlorosis
(ख) Necrosis
(ग) Abscission
(घ) Motting उत्तर-(क)
(ख) पौधा
10. सामान्य नाइट्रोजन स्थिरीकरण सहजीवी जैविक (Common Symbioticnitrogen
fixing organism) है-
(क) Azotobacter
(ख) Closteridium
(ग) Rhizobium leguminais
(घ) Chlorobium उत्तर-(ग)
11. राइबोसोम के आकार को बनाये रखने में कौन तत्व सहायक होते हैं-
(क) पोटाशियम
(ख) मैग्नीशियम
(ग) फॉस्फोरस
(घ) नाइट्रोजन उत्तर-(ख)
12. अलेग्यूमिनोस (Non leguminous) पादपों की जड़ों में N,-स्थितिकारक (N2-
Fixing) सूक्ष्म होते हैं-
(क) राइजोबियम
(ख) फ्रांकिया
(ग) एजोटोबैक्टर
(घ) क्लासटेरियम उत्तर-(ख)
13. अखनिज (Non-Mineral) तत्व जो पौधे के लिए आवश्यक होते हैं-
(क) कार्बन, हाइड्रोजन एवं गंधक
(ख) कार्बन, ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन
(ग) गंधक, क्लोरीन एवं नाइट्रोजन
(घ) कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन उत्तर-(घ)
14. एक तत्व जो सभी एंजाइमों के लिए आवश्यक है अर्थात् पौधों में होनेवाले सभी
जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए जरूरी होता है-
(क) गंधक
(ग) नाइट्रोजन
(ख) कार्बन
(घ) फॉस्फोरस उत्तर-(ग)
15. पौधों द्वारा खनिज ग्रहण होता है-
(क) Against concentration gradient
(ख) Along concentration gradient
(ग) Both (क) और (ख)
(घ) None of these उत्तर-(क)
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