bihar board 11 biology notes | शरीर क्रियात्मक
bihar board 11 biology notes | शरीर क्रियात्मक
शरीर क्रियात्मक
(UNIT 4 : PLANT PHYSIOLOGY)
(TRANSPORTATION IN PLANTS)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. विसरण की दर को कौन से कारक प्रभावित करते हैं? [N.C.E.R.T. (Q.10]
उत्तर-विसरण की दर को निम्न कारक प्रभावित करते हैं-(i) सांद्रता की प्रवणता,
(ii) उन्हें अलग करने वाली झिल्ली की पारगम्यता, (iii) ताप, (iv) दाब।
2. जाइलम में जल संवहन के लिए मुख्य भाग कौन-कौन होते हैं?
उत्तर-जाइलम वाहिनियाँ (Xylem vessels) एवं जाइलम वाहिकाएँ (Xylem
Tracheids)।
3. पत्ती में निर्मित भोजन पौधे के अन्य भागों में फ्लोएम के किस भाग द्वारा
पहुँचता है?
उत्तर-चालनी नलिका (Seive tube)।
4. वाष्पोत्सर्जन के दो लाभों को लिखें।
उत्तर-(i) रसारोहण में सहायता करना। (ii) यह पानी के अवशोषण दर को नियंत्रित
करता है।
5. पौधों में कौन से दो कारक रसारोहण में सहायक होते हैं?
उत्तर-(i) संसजन बल, (ii) वाष्पोत्सर्जन खिंचाव।
6. मिट्टी से लवण का अवशोषण मूलरोम से होने के लिए आवश्यक अकार्बनिक पदार्थ
का नाम लिखें।
उत्तर-जल।
7. पदार्थ के अणुओं (जल के अणुओं) के पारस्परिक आकर्षण को क्या कहते हैं?
उत्तर-संसजन (Cohesion) बल।
8. एककोशीय एवं सरल बहुकोशीय जीवों में किस क्रिया द्वारा परिवहन होता है?
उत्तर-विसरण।
9. उन पदार्थों का नाम बतायें जिनका परिवहन पौधों में होता है?
उत्तर-जल, खनिज, लवण, भोजन एवं ऑक्सीजन।
10. किस यंत्र की सहायता से वाष्पोत्सर्जन की दर का पता लगाया जाता है?
उत्तर-पोटोमीटर।
11. जल विभव, विलेय विभव एवं दाब विभव में किस प्रकार का संबंध होता है?
उत्तर-जल विभव (s) = विलेय विभव (s) + दाब विभव (P)।
12. फ्लेसिड (Flacid) क्या है?
उत्तर-कोशिकाओं में जब जल अंदर और बाहर समान रूप से प्रवाहित होता है तो
कोशिकाएँ साम्यावस्था में कही जाती हैं तब कोशिका को फ्लेसिड कहा जाता है।
13. एक प्रारूपिक पादप कोशिका (लगभग 50micronm) के आर-पार अणु को गति करने
में कितना समय लगता है?
उत्तर-लगभग 2.5Second।
14. वह प्रयोग जिसके द्वारा भोजन के परिवहन में होनेवाले ऊतक को पहचानने में किया
जाता है? उत्तर-गिर्डलिंग।
15. विलटिंग (wilting) कव होता है?
उत्तर-जब वाष्प के उत्सर्जन की दर जड़ द्वारा जल ग्रहण किये जाने की दर से अधिक
हो जाता है।
16. दो वाष्पोत्सर्जन विरोधी (Anti transpirants) का नाम बतायें।
उत्तर-Abscisic Acid (ABA) एवं PhenyIMercuric Acetate (PMA)
17. D.P.D का पूरा नाम बतायें।
उत्तर-Diffusion Pressuredeficit.
18. एंटीपोर्ट (Antiport) क्या है?
उत्तर-जब दो अणु एक-दूसरे के विपरीत दिशा में गमन करते हैं तो उसे एंटीपोर्ट
कहते हैं।
19: वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले कारकों का नाम बतायें।
उत्तर-ताप, प्रकाश, आर्द्रता, वायु की गति, रंध्रों की संख्या, खुले रंध्रों का प्रतिशत,
पौधों में पानी की उपस्थिति इत्यादि।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पोरीन्स क्या है? विसरण में ये क्या भूमिका निभाते हैं? [N.C.E.R.T. (Q.2)]
उत्तर-पोरीन्स एक प्रकार का प्रोटीन है जो प्लास्टिड, माइटोकॉड्रिया तथा बैक्टीरिया
की बाह्य झिल्ली में बड़े आकार के छिद्रों का निर्माण करती है ताकि झिल्ली से होकर प्रोटीन
के छोटे साइज के अणु भी उसमें से गुजर सकें।
बाह्य कोशिकीय अणु परिवहन प्रोटीन पर बंधित रहते हैं और यही परिवहन प्रोटीन बाद
में घूर्णीत होकर कोशिका के भीतर अणु को मुक्त कर देती है। उदाहरण के तौर पर जलमार्ग
जो आठ तरह के विभिन्न एक्वापोरिन से बना होता है।
2. पादपों में सक्रिय परिवहन के दौरान प्रोटीन पंप के द्वारा क्या भूमिका निभाई जाती
है, व्याख्या करें? [N.C.E.R.Z.Q.3)]]
उत्तर-सक्रिय परिवहन सान्द्रता प्रवणता के विरुद्ध अणुओं को पंप भरने में ऊर्जा का
उपयोग करता है। सक्रिय परिवहन झिल्लिका प्रोटीन द्वारा पूर्ण किया जाता है। अत: झिल्लिका
के विभिन्न प्रोटीन सक्रिय तथा निष्क्रिय दोनों परिवहन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। पंप एक
तरह का प्रोटीन है जो पदार्थों को झिल्लिका के पार कराने में ऊर्जा का प्रयोग करती है। ये
पंप प्रोटीन पदार्थो का कम सांद्रता से अधिक सान्द्रता तक परिवहन करा सकते हैं। परिवहन
की गति अधिकतम तब होती है जब परिवहन करने वाले सभी प्रोटीन का प्रयोग हो रहा हो
या वह संतृप्त ही क्यों न हो। एंजाइमों की भाँति वाहक प्रोटीन झिल्लिका के पार करने वाले पदार्थों के प्रति बहुत अधिक विशिष्ट होती है। ये प्रोटीन निरोधक के प्रति भी संवेदनशील होती है जो पार्श्व श्रृंखला से प्रतिक्रिया करते हैं।
3. शुद्ध जल का सबसे अधिक जल विभव क्यों होता है, वर्णन करें? [N.C.E.R.T. (Q.4)]
उत्तर-जल के अणुओं में गतिज ऊर्जा पायी जाती है। द्रव तथा गैस की अवस्था में
वे अनियमित गति करते हुए पाए जाते हैं, यह गति तीव्र तथा स्थिर दोनों तरह की ही हो
सकती है। किसी तंत्र में यदि अधिक मात्रा में जल हो तो उसमें अधिक गतिज ऊर्जा तथा
जल विभव होगा। इसी कारण शुद्ध जल में सबसे ज्यादा जल विभव होगा। परंपरा के अनुसार
शुद्ध जल के जल विभव को एक मानक ताप पर जो किसी दाब में नहीं है, पर शून्य माना
गया है।
4. निम्न में अंतर स्पष्ट करें- [N.C.ER.T. (Q.5)]
(क) विसरण एवं परासरण,
(ख) वाष्पोत्सर्जन एवं वाष्पीकरण,
(ग) परासरी दाब तथा परासरी विभव,
(घ) विसरण एवं अंतःशोषण।
उत्तर-(क) विसरण एवं परासरण-
(ख) वाष्पोत्सर्जन एवं वाष्पीकरण-
(ग) परासरी दा तथा परासरी विभव-
(घ) विसरण एवं अंत:शोषण-
(ङ) पादपों में पानी के अवशोषण का एपोप्लास्ट एवं सिमप्लास्ट पथ-
(च) बिंदुस्राव एवं परिवहन (अभिगमन)-
5. तब क्या होता है जब शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरण के दाव की अपेक्षा अधिक
दाब लागू किया जाता है। [N.C.E.R.T. (Q.7]
उत्तर-जब शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरणीय दाब से अधिक दबाव लगाया जाता
है तो उसका जल विभव बढ़ जाता है। यह एक जगह से दूसरी जगह पानी पंप करने के
बराबर होता है।
6. क्या होता है जब कोशिका को सम-परासरी घोल में रखा जाता है?
उत्तर-जब कोशिका या ऊतकों को समपरासरी (Isotonic) घोल में रखा जाता है तो
जल का कुल प्रभाव अंदर या बाहर की ओर नहीं होता है। यदि बाह्य घोल जीवद्रव्य के
परासरी दाब को संतुलित रखता है तो इसे समपरासरी कहते हैं। कोशिकाओं में जब जल
अंदर और बाहर समान रूप से प्रवाहित होता है तो कोशिकाएँ साम्यावस्था में कही जाती हैं
और कोशिका को ढीला (फ्लोसिड) कहा जाता है।
7. पादप में जल एवं खनिज के अवशोषण में माइक्रोराइजलीय-जलीय (कवकमूल
सहजीवन) संबंध कितना सहायक है? [N.C.E.R.T. (Q.9)]
उत्तर-कुछ पौधों में अतिरिक्त संरचनाएँ जुड़ी होती हैं जो उन्हें जल एवं खनिजों के
अवशोषण में मदद करती है। माइक्रोराइजलीय जड़ के साथ फफूंदी का सहजीवी संगठन होता
है। फफूंँदी तंतु नई जड़ों के आस-पास नेटवर्क बनाते हैं या वे मूल कोशिका में प्रवेश कर
जाते हैं। कवक तंतु का एक बड़ा व्यापक तल क्षेत्र होता है जो भूमि से खनिज एवं जल को
जड़ से अधिक मात्रा में अवशोषित कर लेता है। ये कवक जड़ को जल एवं खनिज उपलब्ध
कराते हैं और बदले में जड़ें भी माइक्रोराइजलीय को शर्करा तथा नाइट्रोजन समाहित यौगिक
प्रदान करते हैं। कुछ पौधों का माइकोराइजी के साथ का अविकल्पी संबंध होते हैं। उदाहरण
के लिए माइकोराइजी की उपस्थिति के बिना चीड़ का बीज न तो अंकुरित हो सकता है और
न ही स्थापित हो सकता है।
8. पादपों में खनिजों के अवशोषण के दौरान अंत: त्वचा की आवश्यक भूमिका क्या
होती है? [N.C.ER.T.(Q.13)]
उत्तर-अन्य कोशिकाओं के ही समान अंत: त्वचा में भी कोशिका की झिल्ली में कई
परिवहन प्रोटीन पाये जाते हैं। वे कुछ विलेय को ही झिल्ली के आर-पार जाने देते है। अंत:
त्वचा की कोशिकाओं के परिवहन प्रोटीन नियंत्रण बिन्दु होते हैं, जहाँ पौधे विलेय की मात्रा
व प्रकार को जाइलम में पहुंँचाते हैं तथा समायोजित करते हैं। मूल अंत: त्वचा में सुबेरित
की पट्टी होने के कारण एक ही दिशा में सक्रिय परिवहन की क्षमता होती है।
9. जाइलम परिवहन एकदिशीय तथा फ्लोएम परिवहन द्विदिशीय होता है? व्याख्या
करें।
उत्तर-जाइलम द्वारा जल तथा खनिज-लवण का परिवहन होता है जिसकी दिशा जड़
से पत्तियों की ओर अर्थात् एकदिशीय होती है क्योंकि जल का परिवहन वाष्पोत्सर्जन के कारण
होता है जिसका प्रवाह एकतरफा ही होता है। इसके विपरीत फ्लोएम द्वारा भोजन पदार्थों का
परिवहन ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर दोनों दिशाओं में होता है क्योंकि फ्लोएम रस में
मुख्यत: जल और शर्करा होती है, जिसकी आवश्यकता पौधे के सभी भागों को होती है।
10. वाष्पोत्सर्जन एवं विन्दुस्राव में अंतर लिखें। [N.C.E.R.T.(Q.14)]
उत्तर-वाष्पोत्सर्जन एवं बिन्दुस्राव में अंतर-
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. जल विभव का संक्षिप्त वर्णन करें। कौन से कारक इसे प्रभावित करते हैं। जल,
विभव, विलेय विभव तथा दाब विभव के आपसी संबंधों की व्याख्या करें।
[N.C.E.R.T.(Q.6)]
उत्तर-जल विभव-जल के अणुओं में गतिज ऊर्जा पायी जाती है। द्रव तथा गैस
की अवस्था में वे अनियमित गति करते हुए पाये जाते हैं, यह गति तीव्र तथा स्थिर दोनों
तरह की हो सकती है। किसी तंत्र में यदि अधिक मात्रा में जल है तो उसमें जल विभव तथा
गतिज ऊर्जा भी अधिक होगी। इसी कारण शुद्ध जल का जल विभव अधिक होता है। यदि
कोई दो अंतर्विष्ट जल तंत्र सम्पर्क में हो तो पानी के अणु के अनियमित गति के कारण जल
के वास्तविक गति की त्वरित गति ज्यादा ऊर्जावाले भाग से कम ऊर्जा वाले भाग में होगी।
इस कारण जल उच्च जल विभव वाले अंतर्विष्ट जल तंत्र से कम जल विभव वाले तंत्र की
ओर जाता है।
जल विभव को ग्रीक चिन्ह (psi) से सूचित किया जाता है और इसे पासकल्स जैसी
दाब इकाई में व्यक्त किया जाता है। परंपरा के अनुसार शुद्ध जल के जल विभव को एक
मानक ताप पर जो किसी दाब में नहीं है, पर शून्य माना जाता है।
जल विभव को प्रभावित करने वाले कारक-(i) विलेय विभव या विलेय अंत:
शक्ति, (ii) दाब विभव या दाब अंत: शक्ति।
जल विभव, विलेय विभव तथा दाब विभव के बीच का संबंध-यदि कुछ विलेय
शुद्ध जल में घोले जाते हैं, तो घोल में मुक्त पानी कम हो जाता है। जल की सांद्रता घट
जाती है और जल विभव भी कम हो जाता है। इसीलिए सभी विलयनों में शुद्ध जल की
अपेक्षा जल विभव निम्न होता है। इस निम्नता का परिमाण एक विलेय के द्रवीकरण के कारण
जिसे विलेय विभव कहा जाता है, इसे psi s से सूचित किया जाता है जो सदैव नकारात्मक
होता है। जब विलेय के अणु अण्विक होते हैं तो psi S अधिक नकारात्मक होता है। वायुमंडलीय दबाव पर विलेय या घोल का जल विभव-
psi s= विलेय विभव psi s होता है।
यदि घोल या शुद्ध जल पर वायुमंडलीय दबाव से अधिक दबाब लगाया जाए तो
उसका जल विभव बढ़ जाता है। यह एक जगह से दूसरी जगह पानी पंप करने के बराबर
होता है। जल विभन के कारण पौधे की कोशिका में जल प्रवेश करता है और वह कोशिकाभित्ति
की ओर बढ़ा देता है और कोशिका को स्फित बना देता है। यह दाब विभव को बढ़ा देता है।
दाब विभव ज्यादातर सकारात्मक होता है।
दाब विभव को psi p से सूचित किया जाता है। कोशिका का जल विभव, विलेय एवं दाब विभव दोनों से ही प्रभावित होता है। इनके बीच का संबंध निम्न होता है-
2. (क) रेखांकित चित्र की सहायता से पौधों में जीवद्रव्य कुंचन की विधि का वर्णन
उदाहरण देकर करें।
(ख) यदि पौधे की कोशिका को उच्च जल विभव वाले विलयन में रखा जाए तो
क्या होगा? [N.C.E.R.T.(Q.8)]
उत्तर-(क) पादप कोशिकाओं (या ऊतकों) में जल की गति के प्रति व्यवहार करना
उसके आस-पास के घोल पर निर्भर करता है। कोशिकाएँ अल्पपरासरी (Hypertonic) घोल
में सिकुड़ती हैं।
जीवद्रव्य कुंचन (Plasmolysis) तब होता है जब कोशिका से पानी बाहर गति करता
है तथा पादप कोशिका की झिल्ली सिकुड़कर भित्ति से अलग हो जाती है। यह क्रिया तब
होती है जब कोशिका को अतिपरासरी घोल में डाला जाता है। जब कोशिका से विसरण द्वारा
जल निकलकर बाह्यकोशिका द्रव में जाता है, तब जीवद्रव्य कुंचन कहा जाता है। जल का
परिवहन झिल्ली के आर-पार उच्चतर जल विभव क्षेत्र (अर्थात् कोशिका) से निम्नतर जल
विभव क्षेत्र में कोशिका के बाहर जाता है।
(ख) जब कोशिकाओं को अल्पपरासरी घोल अथवा उच्च जल विभव वाले विलयन में
रखा जाता है तो कोशिका में जल विसरित होता है और जीवद्रव्य को भित्ति के विरुद्ध दबाब
बनाने का कारण बनता है जिसे स्फीति दाब (Turgor Pressure) कहा जाता है। जल घुसने
के कारण जीवद्रव्य द्वारा प्रकट किए गए कठोर भित्ति के विपरीत दाब को दाब विभव या Yp
कहते हैं। कोशिका भित्ति की दृढ़ता के कारण कोशिका भित्ति नहीं फटती है। यह स्फीति दाब
अंतत: कोशिकाओं के विस्तार एवं फैलाव के लिए उतरदायी होता है।
3. पादप में जल परिवहन हेतु मूलदाब क्या भूमिका निभाता है ? (N.C.E.R.T. (Q.10)]
उत्तर-मूलदाब वह दाब है जिसके द्वारा मूलरोमों द्वारा अवशोषित जल परिरम्भ की
स्फीति कोशिकाओं से जाइलम वाहिकाओं में विसरित होता है तथा कुछ दूरी तक ऊपर चढ़ता
है। वास्तव में मूलदाब एक प्रकार से द्रवस्थैतिक दाब (Hydrostatic Pressure) है जो
जाइलम वाहिकाओं के कोशिकारस में उत्पन्न होता है। कुछ लोग इसे परासरण दाब भी कहते है। मूलदाब का प्रभाव रात तथा सुबह के समय भी देखा जा सकता है, जब वाष्पीकरण की प्रक्रिया कम होती है और अतिरिक्त पानी घास के तिनकों की नोंक पर विशेष छिद्रों से सावित जल बूंँदों के रूप में लटकने लगता है। इस प्रकार द्रव के रूप में पानी का क्षय बिंदुसाव (गटेशन) कहलाता है।
जल परिवहन की कुल क्रिया में मूलदाब केवल एक साधारण दाब ही प्रदान कर पाता
है। उच्च वृक्षों में जल के चलन में इसकी कोई बड़ी भूमिका नहीं होती है। मूलदाब का व्यापक
योगदान जाइलम में पानी के अणुओं का निरंतर कड़ी के रूप में स्थापित रखने में हो सकती
है जो कि अक्सर वाष्पोत्सर्जन के द्वारा पैदा किये गये वृहत तनावों के कारण टूटती रहती है।
अधिकांश जल को परिवहन करने में मूलदाब का कोई अर्थ नहीं है। अधिकतर पौधों की
आवश्यकता वाष्पोत्सर्जनित खिंचाव से पूरी हो जाती है।
4. पादपों में जल परिवहन हेतु वाष्पोत्सर्जन खिंचावमंडल की व्याख्या करें। वाष्पोत्सर्जन
क्रिया को कौन-सा कारक प्रभावित करता है, पादपों के लिए कौन उपयोगी है?
[N.C.ER.T.(Q.11)]
उत्तर-भूमि से जल जाइलम द्वारा जड़ तथा तने से होता हुआ पत्ती तक पहुँचता है।
पत्ती के जाइलम से जल पर्णमध्योतक कोशिकाओं में तरल पदार्थ के रूप में संचालित होता
है और अन्त में अन्तराकोशिकी अवकाशों से होकर वाष्प रूप में अघोरंध्री गुहिका
(Substomatal cavity) से होता हुआ रंध्र द्वारा बाहर निकल जाता है। तेज हवा के बहाव
तथा सूर्य प्रकाश में अधिक वाष्पोत्सर्जन होता है। लगातार वाष्पोत्सर्जन होने पर्णमध्योतक
कोशिकाओं का जल विसरण से अन्तराकोशिकी अवकाशों में जाता रहता है, जिससे
कोशिकाओं का दाब गाढ़ा हो जाता है और परासरण दाब बढ़ने से वे संलग्न कोशिकाओं से
पानी सोखती है। इस प्रकार, प्रत्येक कोशिका से जल जाते रहने के कारण चूषण-दाब
(Suction Pressure) एवं तनाव (Tension) बढ़ता रहता है। धीरे-धीरे यह प्रभाव जाइलम
वाहिकाओं तक पहुँच जाता है और वहाँ से पानी का लगातार सोखना प्रारंभ होता है। ये
वाहिकाएँ जड़ के कॉर्टेक्स की कोशिकाओं से तथा कोशिकाएँ मूलरोम से और मूलरोम मिट्टी
से लगातार जल सोखते रहते है। इस प्रकार, मूलरोम से लगातार पत्ती तक जल बिना किसी
रुकावट के विसरण द्वारा जाता रहता है। इसे जल का वाष्पोत्सर्जन-प्रवाह (Transpiration
stream) या वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (Transpiration Pull) कहते हैं।
डिक्सन और जॉली ने यह कहा कि वाष्पोत्सर्जन खिंचाव से जल मिट्टी से लगातार
ऊपर चढ़ता रहता है और जल की धारा नहीं टूटने का कारण जल के अणुओं में आपसी
खिंचाव या संसजनशक्ति (cohesive force) इतनी अधिक होती है कि दो कण किसी भी
हालत में एक दूसरे से अलग नहीं किये जा सकते।
वाष्पोत्सर्जन क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक-(i) ताप, (ii) प्रकाश,
(iii) आर्द्रता, (iv) वायु की गति, (v) रंधों की संख्या एवं वितरण, (vi) रंधों का प्रतिशत,
(vii) पौधों में पानी की उपस्थिति तथा (viii) वितान रचना आदि है।
इनमें सभी पादपों के लिए उपयोगी हैं।
5. पादपों में जाइलम रसारोहण के लिए जिम्मेदार कारकों की व्याख्या करें।
[N.C.E.R.T. (Q.12)]
उत्तर-जाइलम रसारोहण के लिए निम्नलिखित कारक जिम्मेवार होते हैं-
(i) संसजन (Cohension)-जल के अणुओं के बीच आपसी आकर्षण।
(ii) आसंजन (Adhesion)-जल अणुओं का ध्रुवीय सतह की ओर आकर्षण।
(iii) पृष्ठ तनाव (Surface Tension)-जल के अणु का द्रव अवस्था में गैसीय
अवस्था की अपेक्षा एक-दूसरे से अधिक आकर्षित होना।
जल की ये विशिष्टताएँ उसे उच्च तन्य सामर्थ्य प्रदान करती है, जैसे एक केशिकत्व
खिंचाव शक्ति से प्रतिरोध की क्षमता तथा उच्च केशिकत्व (Capillarity) अर्थात किसी
पतली नलिका में चढ़ने की क्षमता। पौधों में केशिकत्व को लघु व्यास वाले वाहिकीय तत्व
जैसे ट्रैकीड एवं वाहिका तत्व से भी सहायता मिलती है।
प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के लिए जल की आवश्यकता होती हैं। जाइलम वाहिकाएँ जल
को जरूरत के अनुसार जड़ से पत्ती की शिराओं तक पहुँचाती है। वाष्योसर्जन के कारण जल
की पतली परत कोशिकाओं के ऊपर हमेशा रहती है, अत: यह जाइलम से पत्ती तक जल
के अणुओं को खींचने में प्रतिफलित होता है। वाष्पोत्सर्जन द्वारा उत्पन्न बल जल को जाइलम
के आकार के स्तंभ में 130 मीटर की ऊँचाई तक खींचने के लिए प्रर्याप्त होता है।
6. पादप- शर्करा के स्थानांतरण के दाब प्रवाह परिकल्पना की व्याख्या करें।
[N.C.E.R.T. (Q.15)
उत्तर-स्रोत से कुंड की ओर शर्करा के स्थानांतरण के लिए दाब प्रवाह परिकल्पना
(Pressure flow Pressure) ही मुख्य स्वीकृत क्रिया विधि है। जैसे ही प्रकाश संश्लेषण
द्वारा ग्लूकोज का संश्लेषण होता है उसे शर्करा में बदल दिया जाता है। इसके बाद यह शर्करा
सूखी कोशिकाओं में तथा बाद में सक्रिय परिवहन द्वारा जीवंत फ्लोएम चालनी नलिका
कोशिका में संचरित होता है जिससे फ्लोएम में अतिपरासरी अवस्था उत्पन्न हो जाता है।
निकटवर्ती जाइलम जल परासरण के द्वारा पलोम में चला जाता है, जब परासरणी दाब
फ्लोएम में बनता है तो फ्लोएम रस निम्न दाब में चला जाता है। एक बार फिर फ्लोएम रस
से शर्करा को बाहर करने तथा उस कोशिका तक जहाँ शर्करा ऊर्जा, स्टार्च या सेलुलोज में
बदलती है। जैसे ही शर्कराएँ हटती हैं, परासरणी दाब घटता है और जल फ्लोएम से बाहर
चला जाता है।
फ्लोएम ऊतक चलनी नलिका कोशिक से बना होता है जो लम्बी स्तंभ की रचना करता
है, जिसके अंतिम भित्ति में छिद्र होता है, जिन्हें चालनी पट्टिका कहते हैं। कोशिका द्रव्यी तंतु
चालनी पट्टिका के छिद्र में प्रवेशित होती है तथा सतत् तंतु बनाती है। जैसे ही प्रवस्थैतिक
दबाब फ्लोएम के चालनी नलिका में बढ़ता है दाब प्रवाई शुरू हो जाता है तथा द्रव फ्लोएम
से चलन करता है। इस बीच कुंड पर आने वाले रार्करा को फ्लोएम से सक्रिय रूप से तथा
शर्करा के रूप में बाहर किया जाता है। फ्लोएम में विलेय की क्षति से एक उच्च जल बिमल
पैदा होता है और पानी अंत में जाइलम के पास आ जाता है।
7. वाष्पोत्सर्जन के दौरान रक्षकद्वार कोशिका खुलने एवं बंद होने के क्या कारण हैं?
[N.C.ER.T. (Q.16)
उत्तर-प्रत्येक रंध्र दो द्वारकोशिकाओं (Guard cells) से घिरा रहता है जिनके बीच में
रंध्र छिद्र होता है। प्रत्येक द्वार कोशिका के रंध्र-छिद्र के पास वाली भिति स्थुलित (thickened)
और दूर वाली पतली होती है। इन कोशिकाओं में हरितलवक उपस्थित रहते हैं।
रंध्र छिद्र का खुलना-दिन में या जब प्रकाश हो तब प्रकाश संश्लेषण की क्रिया
होती है। द्वार कोशिकाओं में जल और कार्बन डाइऑक्साइड से शर्करा बनती है तथा
साथ-ही-साथ फॉसफोरिलेज एंजाइम अंधकार में संचित स्टार्च को भी शर्करा में बदल देता
है। यह क्रिया क्षारीय माध्यम में होती है क्योंकि दिन में कार्बन डाइऑक्साइड के अधिकतर
भाग का शर्करा बनाने में उपयोग होता है। शर्करा बनने से द्वार कोशिकाओं का कोशिका रस
गाढ़ा हो जाता है जिससे ये कोशिकाएँ संलग्न कोशिकाओं से परासरण द्वारा जल अवशोषित
करती हैं तथा अन्त में स्फीत (Turgid) हो जाती है। इससे भित्तियों पर स्फीति दाब पड़ने
लगता है। जिससे रंध छिद्र की दूर वाली पतली भित्तियाँ बाहर की ओर खिंचने लगती हैं और
इससे स्थूलित भित्तियाँ भी कुछ झुककर वक्र हो जाती है और इस प्रकार रन्ध्र-छिद्र खुल जाता
है तथा जल एवं गैसों का आदान-प्रदान होने लगता है।
स्टोमाटा के खुलने तथा बन्द होने की क्रियाविधि का आरेखी चित्र
रंध्र-छिन्द्र का बन्द होना-रात में अँधेरे में या जब प्रकाश-संश्लेषण नहीं होता है तब
शर्करा नहीं बनती है, परन्तु श्वसन के कारण द्वार-कोशिकाओं में कार्बन डाइऑक्साइड गैस
बनती है जिससे कोशिका रस और पानी से मिलकर कार्बोनिक अम्ल (H2CO3) बन जाता
है तथा शर्करा स्टार्च में बदल जाती है और माध्यम अम्लीय हो जाता है। इसके साथ-साथ
उपस्थित शर्करा फॉस्फोरिलेज द्वारा स्टार्च में बदल दी जाती है जिससे कोशिका रस की सान्द्रता
या गाढ़ापन कम हो जाता है और द्वार कोशिकाओं की सान्द्रता या गाढ़ापन भी कम हो जाती
है। द्वार कोशिकाओं की भित्तियाँ सिकुड़कर अपनी पूर्वावस्था में आ जाती हैं जिससे रन्ध्र छिद्र
बंद हो जाता है। पौधों में रन्ध्र-छिद्र खुलना और बंद होना लगातार चलता रहता है इसे वाष्पोत्सर्जन होता रहता है।
8. वाष्पोत्सर्जन एवं प्रकाश-संश्लेषण: एक समझौता, इसे स्पष्ट करें।
उत्तर वाष्पोत्सर्जन में एक से अधिक उद्देश्य निहित होते हैं जो कि निम्नलिखित
हैं-(i) पौधों में अवशोषण एवं परिवहन के लिए वाष्पोत्सर्जन खिंचाव पैदा करना।
(ii) प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के लिए पानी का संभरण। (iii) मृदा से प्राप्त खनिजों का पौधों
के सभी अंगों तक परिवहन करना। (iv) पत्ती के सतह को वाष्पीकरण द्वारा 10 से 15 डिग्री
तक ठंढा रखना।
एक सक्रिय प्रकाश संश्लेषण में रत पौधे को जल की अत्यंत ही आवश्यकता रहती है।
प्रकाश संश्लेषण में उपलब्ध जल सीमाकारी हो सकता है, जिसे वाष्पोत्सर्जन और प्रभावित
होता है। वर्षा में आर्द्रता इसी जल-चक्र के कारण वातावरण में तथा पुन: मृदा में देखी
गयी है।C4 प्रकाश-संश्लेषण तंत्र का क्रम विकास संभवत: CO2 की उपलब्धता को बढ़ाने
तथा पानी को क्षति को कम करने की रणनीति के तहत हुआ है।C4 पौधे C3 की तुलना में
कार्बन (शर्करा बनाने में) को सुस्थिर बनाने में दोगुना सक्षम होते है। C4 पौधे C3 पौधे से
समान मात्रा के कार्बन डाइऑक्साइड के यौगिकीकरण हेतु आधी मात्रा में जल को कम
करता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. स्टोमाटा (रंध्र) मुख्यतः संबंधित होता है-
(क) वाष्पोत्सर्जन
(ख) गैसीय आदान-प्रदान
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) कोई नहीं उत्तर-(ग)
2 Plasmolysis, किसके कारण होता है-
(क) परासरण
(ख) अंत:परासरण
(ग) बाह्यपरासरण
(घ) अवशोषण उत्तर-(ग)
3. रंध्र खुलता है जब रक्षी कोशिका (Guard cells) में होता है-
(क) कम K
(ख) अधिक K
(ग) अधिक एबसेसिक अम्ल
(घ) सभी उत्तर-(ख)
4. जल का मिट्टी से जाइलम में प्रवेश किसके द्वारा होता है?
(क) Gradientoflon Concentration
(ख) Gradient of Suction Pressure
(ग) Gradient of Imbition
(घ) Gradient of Turgor Pressure उत्तर-(ख)
5. अंगूर को समपरासरी विलयन (Isotonic solution) में रखने से कौन-सी क्रिया
होगी?
(क) प्लाज्मोलिसिस
(ख) एक्सऑस्मोसिस
(ग) एण्डऑस्मोसिस
(घ) ऑस्मोसिस नहीं होगी। उत्तर-(क)
6. रंध्र खुलते हैं-
(क) दिन में
(ख) रात में
(ग) हर वक्त खुलते रहते हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-(क)
7. वाष्पोत्सर्जन में पानी की हानि सबसे अधिक होती है-
(क) जड़ से
(ख) पत्ती से
(ग) फूल से
(घ) इनमें से सभी उत्तर-(ख)
8. रसारोहण में सहायक होता है-
(क) श्वसन
(ख) प्रकाश संश्लेषण
(ग) वाष्पोत्सर्जन
(घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-(ग)
9. अणु का सान्द्र क्षेत्र से तनु क्षेत्र की ओर गति करना कहलाता है-
(क) परासरण
(ख) विसरण
(ग) द्रव्यकुंचन
(घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर (ख)
10. किशमिश को पानी में डालने पर वह किस क्रिया के कारण फूल जाता है-
(क) अंत:परासरण
(ख) बाहा परासरण
(ग) विसरण
(घ) रसारोहण उत्तर-(क)
11. निम्न में से कौन-सी क्रिया रंध्र छिद्रों के बंद होने में सहायक है?
(क) स्टार्च का शर्करा में बदलना तथा माध्यम का क्षारीय होना।
(ख) शर्करा का स्टार्च में बदलना तथा माध्यम का क्षारीय होना।
(ग) शर्करा का स्टार्च में बदलना तथा माध्यम का अम्लीय होना।
(घ) स्टार्च का शर्करा में बदलना तथा माध्यम का क्षारीय होना। उत्तर-(ग)
12. वाष्पोत्सर्जन की दर निर्भर करता है-
(क) वायुमंडलीय ताप के घटने और बढ़ने पर
(ख) प्रकाश की तीव्रता का एक निश्चित सीमा तक वृद्धि होने पर
(ग) मीजोफील ऊतक एवं वायुमंडलीय वायु के अंतरकोशिकीय स्थान में वाष्प
दाब बढ़ने पर
(घ) इन सभी पर उत्तर-(घ)
13. एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक जल की गति की दिशा एवं दर किस पर
निर्भर करता है।
(क) भित्ति दाब (Wall Pressure)
(ख) स्फित दाब (Turgor Pressure)
(ग) इन्सिपिएन्ट प्लाज्मोलिसिस (Incipient Plasmolysis)
(घ) विसरण दाब कमी (Diffusion Pressure deficit)
उत्तर-(घ)
14. अंतःशोषण (Imbition) एक प्रकार का है-
(क) कैपिलरी
(ख) विसरण
(ग) परासरण
(घ) कोई नहीं उत्तर-(ख)
15. वह संवहन ऊतक जो रसारोहण के लिए रास्ते का कार्य करता है-
(क) जाइलम
(ख) फ्लोएम
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं उत्तर-(क)
16. एक पूर्णतः स्फोत कोशिका में स्फीत दाब (T.P) बराबर होता है, किसके-
(क) परासरण दाब (osmotic Pressure)
(ख) विसरण दाब (Diffusion Pressure)
(ग) भित्ति दाब (wall Pressure)
(घ) कोई नहीं उत्तर-(क)
17. बिदुस्राव (Guttation) किसके द्वारा नियंत्रित होता है-
(क) आर्द्रता
(ख) मिट्टी मे जल की उपलब्धता
(ग) बाह्यजल
(घ) ये सभी उत्तर-(क)
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