Bihar board 9th class Hindi Notes | कहानी का प्लॉट
Bihar board 9th class Hindi Notes | कहानी का प्लॉट
Bihar board 9th class Hindi Notes
वर्ग – 9
विषय – हिंदी
पाठ 1 – कहानी का प्लॉट
कहानी का प्लॉट
लेखक – परिचय
शिवपूजन सहाय का जन्म 9 अगस्त 1893 ई. को ग्राम – उनवास ,जिला बक्सर (बिहार)में हुआ था |1912 ई. मैं आरा के एक हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की| सामाजिक जीवन का शुभारंभ हिंदी शिक्षक के रूप में किया और साहित्य क्षेत्र में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से आए |आरंभिक लेख तथा कहानियां शिक्षा, लक्ष्मी, मनोरंजन तथा पाटलिपुत्र आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित है | 1921-22 ई. में कोलकाता के ‘मतवाला मंडल’ के सदस्य हुए और कुछ समय के लिए आदर्श उपन्यास तरंग तथा समन्वय आदि पत्रों का समन्वय और संपादन का कार्य किया | 1934 ई में लहेरियासराय जाकर मासिक पत्र ‘बालक’ का संपादन किया | स्वतंत्रता के बाद बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् के संचालक तथा बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से प्रकाशित ‘साहित्य’ नामक शोध समीक्षा प्रधान मासिक पत्र के संपादक बने|
इनकी कृतियों में “देहाती दुनिया” (1926 ई.) में प्रयोगात्मक चरित्र-प्रधान औपन्यासिक कृति है|
कहानी का सारांश
‘ कहानी का प्लॉट’ शिवपूजन सहाय द्वारा रचित आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई आंचलिक कहानी है |शिवपूजन सहाय एक सफल कहानीकार हैं परंतु स्वयं को कहानी – लेखन योग्य प्रतिभाहीन बताते हैं | इसका कारण उनका विनोदी स्वभाव और बड़प्पन है |
कहानीकार के गांव के पास एक छोटा सा गांव है उसी गांव में एक मुंशी जी रहते थे| उनकी एक पुत्री थी, उसका नाम था ‘भगजोगनी’| मुंशी जी के बड़े भाई दरोगा थे और दरोगा जी ने खूब रुपया कमाया था | दरोगा जी जो कमाये आए उसे अपनी जिंदगी में ही फुंक- ताप गए | उनके मरने के बाद सिर्फ एक घोड़ी बची थी ,वह भी महज 7 रुपये की थी| इसी घोड़ी को बेच कर मुंशीजी ने दरोगा जी का श्राद्ध -संस्कार किया | जब दरोगा जी जिंदा थे तो मुंशी जी रोज 32 बटेर और 14 चपाती उड़ा जाते थे | हर साल एक नया जलसा करते थे | परंतु दरोगा जी के मरने के बाद तो चुल्लू भर करवा तेल मिलना भी मुहाल हो गया था | “सचमुच अमीरी की कब्र पर पंक्ति गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है|” मुंशी जी की बेटी भागजोगनी गरीबी में पैदा हुई थी और जन्मते ही मां के दूध से वंचित होकर टुअर हो गई थी | वह अभागिन तो थी ही परंतु इसमें शक नहीं कि सुंदरता में अंधेरे घर का दीपक थी | कहानीकार पहले पहल उसे 11 वर्ष की अवस्था में देखे थे | परंतु उसकी दर्दनाक गरीबी को देखकर उसका कलेजा कांप उठता था| जब वह सयानी हो गई तो मुंशी जी को उसकी शादी की चिंता हुई | मगर हिंदू समाज कब बिना दहेज के किसी कन्या का वरण करने वाला था | कहानीकार ने भी अथक प्रयास किये कि उसकी शादी किसी भले मानस घर के लड़के से हो जाए | परंतु यह तो ना हो सका | उसकी शादी 40-42 साल के अधेर से कर दी गई | वह अचानक चल बसा और पुनः भगजोगनी का विवाह उसके सौतेले बेटे से कर दी गई | भारतीय समाज की विद्रूपताओ का पर्दाफाश करती यह कहानी बेमेल विवाह, दहेज प्रथा, गरीबी , बुरे कर्म का बुरा प्रभाव इत्यादि अर्थों को अपने में समेटे हुए समाज की कड़वी सच्चाई उसे रूबरू कराती है|
पाठ के साथ
प्रश्न 1. लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा भी मुझमें नहीं है जबकि यह कहानी सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है?
उत्तर- लेखक अपनी सहृदयता का परिचय देते हुए ऐसा कहते हैं कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा भी मुझमें नहीं है | जो बड़ा कहानीकार या रचनाकार होता है वह अपनी रचनाओं का स्वयं मूल्यांकन नहीं करता बल्कि उसकी रचनाओं का मूल्यांकन आलोचक करते हैं| रचनाकार सामाजिक मूल्य और अपने मूल्य दोनों को मिलाकर एक नया आकार देता है जो जीवन की आसपास परिघटनाओं पर आधारित होता है | वह समाज में हो रही घटनाओं की समीक्षा करता है, उसकी समस्याओं को अपनी रचना में जगह देता है और आने वाली पीढ़ी के लिए संदेश देता है | समाज की विद्रूपताओं को उजागर कर फिर दोबारा ऐसी घटना न हो उसके लिए रचनाकार पाठक का ध्यान आकृष्ट करना चाहता है | इसलिए रचनाकार कहता है कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा मुझ में नहीं है जबकि वह कहानी श्रेष्ठ कहानियों में से एक है | यह भारतीय समाज में ही व्याप्त बुराई के प्रति सचेत करने वाली कहानी है|
प्रश्न-2 लेखक ने लड़की का नाम भगजोगनी क्यों रखा?
उत्तर- ‘भगजोगनी’ एक प्रकार का कीट पतंग है जो अपनी प्रकाश उत्पन्न करता है | जब कभी भी अंधेरा होता है तो वह आसपास की परिवेश को अपनी क्षमता के अनुसार प्रकाशित कर देता है | भगजोगनी अभागिन तो थी लेकिन सुंदरता में वह अंधेरे घर का दीपक थी | आज तक लेखक ने वैसे ही सुंदर लड़की नहीं देखी थी | इसी कारण लेखक ने मुंशी जी की लड़की का नाम ‘भागजोगनी’ रखा|
प्रश्न-3. मुंशी जी के बड़े भाई क्या थे ?
उत्तर – मुंशी जी के बड़े भाई पुलिस दरोगा थे | दरोगा होने के नाते उनकी कमाई बड़ी अच्छी थी | लेकिन दरोगा जी बड़े खर्चीली और शौकीन मिजाजी थे | अपने इस खर्च और शौकीन के कारण उन्होंने अपने जीते जी सब कुछ खर्च कर डाला और मरने के बाद अपने छोटे भाई मुंशी जी को गरीबी की हालत में छोड़ गए|
प्रश्न-4. दरोगा जी की तरक्की रुकने की क्या वजह थी ?
उत्तर – दरोगा जी की तरक्की रुकने की मूल वजह उनका घोड़ी प्रेम था | दरोगा जी के पास एक घोड़ी थी| घोड़ी ऐसी कि कान काटती थी तुर्की घोड़े का यू कहे की बारूद की पुड़िया थी | इतनी अच्छी घोड़ी पर कुछ बड़े अंग्रेज अफसरों की दांत गड़ गई थी लेकिन दरोगा जी तो शौकीन मिजाज ठहरे | उन्होंने सबको निबुआ नोन चटा दिया| इस कारण अफसरों ने उनकी तरक्की होने ही नहीं दी |
प्रश्न-5. मुंशी जी अपने बड़े भाई से कैसे उऋण हुए ?
उत्तर- दरोगा जी ने तो अपने जीते जी ही सब कुछ लुटा दिया था अपनी शौकीन मिजाजी के कारण | लेकिन अंत में एक घोड़ी छोड़ गए जो बड़े बड़े अंग्रेज अफसरों की आंखों में थी | उस घोड़ी को एक गोरे अफसर के हाथों बेच कर मुंशी जी ने दरोगा जी का श्राद्ध बड़े धूमधाम से करा दिया | यदि वह घोड़ी ना होती तो मुंशी जी को कर्ज लेकर श्राद्ध करना पड़ता | इस तरह घोड़ी बेचकर मुंशी जी अपने भाई से उऋण हूए |
प्रश्न- 6. थानेदार की कमाई और फुस को तापना दोनों बराबर है लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर- लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि थानेदार ने अपने जीवन में जो भी दो – चार पैसा कमाया वह इमानदारी ,मेहनत का पैसा न था | बल्कि व घपले से कमाया गया पैसा था , जब व्यक्ति इमानदारी से कुछ अर्जुन करता है तो वह इमानदारी से ही खर्च करता है | कहते हैं की मेहनत इंसान को पैसा की कीमत सिखलाती है यहां थानेदार कि यदि मेहनत की कमाई होती तो सोच समझकर खर्च की जाती | इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है की थानेदार की कमाई और फुस का तापना दोनों बराबर है|
प्रश्न -7. मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं -लेखक ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर- लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि एक तरफ कहानी की नायिका भगजोगनी की अनोखी सुंदरआई और दूसरी तरफ उसकी दर्दनाक गरीबी| जिस पर तिलक दहेज का जमाना इस दारुण स्थिति में उसका विवाह होना कठिन दिखाई पड़ता था |उसकी गरीबी के भायावने चित्र लेखक के हृदय को व्यथित कर देता था | इसलिए लेखक कहता है कि मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं की सच्ची घटना को प्रभावशाली बनाने के लिए भड़कीले भाषा का प्रयोग कर सकूं |
प्रश्न-8. भगजोगनी का सौंदर्य क्यों नहीं खिल सका ?
उत्तर- भगजोगनी सुंदरता में अंधेरे घर का दीपक थी |लेखक आज तक वैसी सुंदर लड़की नहीं देखी थी |लेकिन दरिद्रता- दानवी के सामने सुंदरता सुकुमारी कब तक जिंदा रह सकती है| भगजोगनी की अथाह गरीबी भला सौंदर्य को कैसे खिलने देती | वह दाना- दाना के लिए मोहताज थी | कपड़े के नाम पर एक टुकड़ा जो बड़ी मुश्किल से लज्जा तक पता था | बाल तो तेल के बिना जुगो का घर और घोसले हो गए थे | बिन मां की गरीब बेटी का सौंदर्य भला कैसे खिले जब अन्न ही ना नसीब हो |
प्रश्न-9. भागजोगनी गांव के लड़कों की बाट क्यों जोहती रहती थी ?
उत्तर- जब भूख की आग सताती है, तो वह विवश कर देती है | उसकी खोज के लिए गांव के लड़के अपने-अपने घर भरपेट खाकर जो झोलीयौ में चबेना लेकर खाते हुए घर से निकलते थे | तो भगजोगनी उनकी बाट जोहती रहती थी, ताकि उसमें से थोड़ा सा उसे भी मिल जाए | तब भी मुश्किल से एक दो मुट्ठी चबेना जुटा पाती थी, कुछ नहीं से कुछ ही सही | इसी आस में अपनी जठराग्नि शांत करने के लिए वह गांव के लड़के की बाट जोहती रहती थी |
प्रश्न-10. मुंशी जी गलफांसी लगाकर क्यों मरना चाहते थे ?
उत्तर- मानव का स्वभाव ऐसा होता है कि वह अपने शरीर पर कष्ट झेल सकता है , परंतु अपनी संतान को कष्ट में नहीं देख सकता | यदि वह विवश हो जाता है अपनी संतान की जरूरत को पूरी करने में , तो जीना गवारा नहीं लगता है| किसी दिन भगजोगनी दिनभर गांव घूमने के बाद भी कुछ खाने को नहीं जुटा पाती है और अपने पिता मुंशी जी से धीमी आवाज में कहती है कि बाबूजी भूख लगी है कुछ हो तो खाने को दो | उस वक्त मुंशीजी का जी चाहता है कि गलफांसी लगाकर मर जाएं|
प्रश्न-11. भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक पति उसका ही सौतेला बेटा है , यह घटना समाज के किस बुराई की ओर संकेत करती है और क्यों ?
उत्तर- इस तरह की घटना भारतीय समाज में व्याप्त दहेज प्रथा के कारण बेमेल विवाह जैसे कुरीति की ओर संकेत करती है | बेमेल विवाह से उत्पन्न स्थिति में इस तरह का दंश नारी को झेलना पड़ता है यह सब गरीबी या फिजूलखर्ची से उत्पन्न समस्या है|
प्रश्न-12. आशय स्पष्ट करें|
(क). जो जीभ एक दिन बटेरों का सौरबा सुरकती थी, अब वह सराह -सराह कर मटर का सत्तू सरपोटने लगी |चुपड़ी चपाती चबाने वाले दांत अब चंद चने चबाकर दीन गुजारने लगे |
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियां हमारे पाठ्य पुस्तक गोधूलि के शिवपूजन सहाय रचित कहानी ‘कहानी का प्लॉट ‘ से उद्धृत है |लेखक कहते हैं कि दरोगा जी के जमाने में मुंशी जी खूब ऐस -मौज किया करते थे| मुंशी जी ने खूब घी के दिए जलाए थे | गांजा में बढ़िया से बढ़िया इत्र मलकर पीते थे | चिलम कभी ठंडी नहीं होने पाती थी| एक शाम 32 बटेर और 14 चपाती उड़ा जाते थे | नथुनी उतारने में तो दरोगा जी के भी बड़े भैया थे | हर साल एक नया जलसा हुआ करता था | किंतु जब वहिया बह गई तब चारों ओर उजार नजर आने लगा | दरोगा जी के मरते ही सारी अमीरी घुस गई जिलों के साथ-साथ चूल्हा भी बंद हो गया|
(ख). सचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है|
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियां हमारे पाठ्यपुस्तक गोधूलि के शिवपूजन सहाय रचित कहानी ‘कहानी का प्लॉट’ से ली गई है | इन पंक्तियों के माध्यम से कहानीकार समाज में व्याप्त कुरीतियों की तरफ ध्यान आकृष्ट करना चाहता है | हमारे समाज में व्यक्ति जब ऊंचे ओहदे पर होता है, उसकी कमाई अच्छी होती है ,खूब मौज मस्ती करता है और भविष्य के लिए कुछ नहीं सोचता है | परंतु जब किसी आपदा के कारण उसकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है, तो बाकी जीवन नरक या जहय के समान हो जाता है | कहानी में दरोगा जी के जमाने में उनके भाई मुंशी जी ने खूब घी के दिए जलाए थे| गांजे में बढ़िया से बढ़िया इत्र मलकर पीते थे चिलम कभी ठंडी नहीं हो पाती थी| एक दिन में 32 बटेर और 14 चपाती उड़ा जाते थे | हर साल एक नया जलसा हुआ ही करता था | किंतु जब बहिया बह गई तब चारों ओर उजाला नजर आने लगा दरोगा जी के मरते ही सारी अमीरी घुस गई | चिलम के साथ-साथ चूल्हा भी ठंड हो गई| जो जीभ एक दिन बटेरो का शोरबा सुड़कती थी, अब वह सराह सराहकर मटर का सत्तू सरपोने लगी| चपाती चबाने वाले दांत अब चंद चने चबाकर दिन गुजारने लगे | कहने का आशय यह है कि जब आर्थिक स्थिति अच्छी थी , तो खूब मौज मस्ती किया और आगे भविष्य के प्रति सचेत नहीं रहे परंतु अब वही अमीरी सालती है| इसलिए लेखक कहता है कि सचमुच अमीरी के कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है|
भाषा की बात
1 निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य प्रयोग द्वारा अर्थ स्पष्ट करें:
(क) बारूद की पुड़िया होना (बहुत तेज होना)- उनकी घोड़ी थी महज ₹7 की मगर कान काटती थी तुर्की घोड़े का ,कमबख्त बारूद की पुड़िया थी|
(ख) निबुआ नोन चटाना (ठेंगा दिखाना )- बड़े- बड़े अंग्रेज अफसर उस पर दांत गड़ए रह गए मगर दरोगा जी ने सबको निबुआ नॉन चटा दिया|
(ग) घी के दिए जलाना (खुशी मनाना)- मनमोहन अपने पुत्र के संघ लोक सेवा आयोग में चयनित हो जाने पर घी के दिए जला रहा है |
(घ) सुबह का चिराग होना ( मर जाना )- मुंशी जी के चार पांच लड़के हुए सब के सब सुबह का चिराग हो गए|
(ड़) पांचों उंगलियां घी में होना (समय अच्छा होना)- जब पांचों उंगलियां घी में हो तब खाने वाला कोई ना था
(च) कोढ़ में खाज होना – जब उनकी स्थिति खराब थी तो कोढ़ में खाज की तरह लड़की पैदा हो गई|
(छ) कलेजा कांपना ( डर जाना)- उसकी दर्दनाक गरीबी देखकर कलेजा कांप उठा|
(ज) बाट जोहना (रास्ता देखना )-मोहन को बांट जोहने से कोई लाभ नहीं क्योंकि वह तो कब का दिल्ली चला गया है |(झ) दांत दिखाना ( समर्पण करना)- प्रमोद ने दीपक के सामने दांत दिखाया |
(अ)छाती पर पत्थर रखना- छोटे भाई ने बड़े भाई की छाती पर पत्थर रखकर संपत्ति का बंटवारा कर लिया|
2. बुढ़ापे की लाठी और जितने मुंह उतनी बातें हैं कहावतों का वाक्य प्रयोग द्वारा अर्थ स्पष्ट करें|
बुढ़ापे की लाठी हर पुत्र अपने पिता के बुढ़ापे की लाठी होता है |
जितने मुंह उतनी बातें – उनकी शादी ना होते देखकर जितने मुंह उतनी बातें कही जाने लगी|
3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम रूप लिखें|
साधारण – असाधारण
अमीरी -गरीबी
कृत्रिम- प्राकृतिक
सुंदर -असुंदर
ककश- मधुर
संतोष- असंतोष
4. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें :
घोड़ा- बाजी, तुरंग
चिड़िया- खग, पक्षी, खेचर ,नभचर
घर -गृह , गेह
फूल- पुष्प, कुसुम
तीर- बाण
5.भाषा और इमारत शब्दों के वचन बदलो:
भाषा -भाषा
इमारत- इमारतें
Bhut hard
Thank but i have problem
Nice answer
Very good explanation boy
Great…
Keep it upppppp