9TH SST

bihar board 9 class geography notes – अपवाह स्वरूप

अपवाह स्वरूप

bihar board 9 class geography notes – अपवाह स्वरूप

class – 9

subject – geography

lesson 3 – अपवाह स्वरूप

अपवाह स्वरूप

महत्त्वपूर्ण तथ्य-
किसी भी क्षेत्र में विविध क्षेत्रों से आनेवाली छोटी-छोटी जल-धाराएँ आपस में मिलकर एक मुख्य नदी का निर्माण कर लेती हैं। इस जल-धाराओं के तंत्र को अपवाह तंत्र कहते हैं। किसी भी अपवाह तंत्र का विकास वहाँ की भू-आकृतियों से निर्धारित होता है। भू-आकृति के आधार पर नदियों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(i) हिमालय की नदियाँ (ii) प्रायद्वीपीय नदियाँ
हिमालय की अधिकांश नदियाँ बारहमासी अथवा स्थायी हैं। इन्हें वर्षा के जल के अतिरिक्त हिम के पिघलने से सालोभर जलापूर्ति होती रहती है। प्रायद्वीपीय नदियाँ इनके विपरीत वर्षा के जलपर निर्भर होती हैं। ग्रीष्म ऋतु एवं शुष्क मौसम में जब वर्षा नहीं होती तो नदियों का जल-स्तर घटकर छोटी-छोटी धाराओं में बदल जाता है। भारत की प्रमुख नदियों में सिंधु नदी, गंगा नदी.
ब्रह्मपुत्र नदी, यमुना नदी, महानदी, गोदावरी नदी, कृष्णा नदी, कावेरी नदी आदि आती हैं। सिंध नदी तिब्बत के मानसरोवर से निकलकर दक्षिण-पश्चिम की ओर बहती हुई भारत में जम्मू-कश्मीर के लद्दाख जिले में प्रवेश करती है। इस नदी का प्रवाह-क्षेत्र लगभग 250 वर्ग कि मी है। गंगा
नदी की उत्पत्ति हिमालय स्थित गंगोत्री हिमानी के गोमुख से हुआ है। हरिद्वार के समीप गंगानदी मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इस नदी की लम्बाई लगभग 2525 कि मी है। ब्रह्मपुत्र नदी की उत्पत्ति तिब्बत स्थित मानसरोवर झील से हुई है। इसकी लम्बाई 2900 कि मी० से भी अधिक है।
लेकिन इसका अधिकांश प्रवाह भारत के बाहर स्थित है। यमुना नदी महान हिमालय के यमुनोत्री से निकलकर 1975 किमी की दूरी तय करते हुए प्रयाग के निकट गंगा में मिल जाती है। घाघरा नदी ट्रांस हिमालयन क्षेत्र के करनाली स्थित नापचा नूंगी हिमनद से निकलती है। यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहकर हिमालय को पार करती है। गंडक नदी महान हिमालय से निकलकर नेपाल होते हुए बिहार के चंपारण में प्रवेश करती है। कोसी नदी भी महान हिमालय के गोसाईनाथ से निकल कर नेपाल होते हुए बिहार के सुपौल जिले में प्रवेश करती है। इस नदी की लंबाई
लगभग 230 कि. मी. है। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश में अमरकंटक के निकट मैकाल की पहाड़ी से निकलने वाली नर्मदा नदी पश्चिम की ओर एक भ्रंश घाटी में बहती है। इस नदी की लम्बाई लगभग 1312 किमी है। तापी नदी मध्यप्रदेश के बैतूल जिला में स्थित सतपुड़ा की पहाड़ी से
निकलती है। यह प्रायद्वीपीय भारत में बंगाल की खाड़ी में प्रवाहित होने वाली तीसरी सबसे लम्बी नदी है। इसकी लम्बाई 890 किमी है। गोदावरी नदी महाराष्ट्र के नासिक के निकट पश्चिमी घाट से निकलती है। इसकी लंबाई लगभग 1450 कि० मी. है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट स्थित
महाबालेश्वर के निकट एक स्रोत से निकलकर लगभग 1290 किमी. क्षेत्र में प्रवाहित होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कावेरी की उत्पत्ति पश्चिमी घाट स्थित ब्रह्मगिरी पहाड़ी से हुई है। इसकी लंबाई लगभग 760 किमी है। उपरोक्त नदियों के अतिरिक्त कई छोटी-छोटी नदियाँ हैं।
नदियों के अतिरिक्त कई प्रकार के जलाशय अर्थात् झीलें भी पानी की आपूर्ति करती हैं। वर्षा के जल के जमाव तथा हिमानियों एवं हिम चादरों के पिघलने से झील का निर्माण होता है। झील मुख्यतः निर्माण की दृष्टि से विभिन प्रकार की होती हैं । जैसे धंसान घाटी झील, गोखर झील, क्रेटर झील, लैगून झील, अवरोधक झील, हिमानी झील आदि।
मानव सभ्यता की जीवन-रेखा के रूप में नदियाँ अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। नदियों को मानव सभ्यता की उत्पत्ति का केन्द्र माना जाता है। बढ़ती आबादी के साथ आज जल का उपयोग घरेलू कार्य से लेकर औद्योगिक कार्यों में भी होने के कारण आज जल प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न हो गई
है जो वैश्विक चिंतन का विषय है। नदी प्रदूषण ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इस प्रदूषण से मुक्त पर्यावरण में जीने के लिए वनस्पति का विकास अत्यंत जरूरी है। शुद्ध वायु के साथ-साथ यह हमें फल, औषधि, कीमती लकड़ियाँ भी प्रदान करती हैं। नदियों में 90% संचय वर्षा के जल तथा हिम के पिघलने से होती है लेकिन इसका असीमित वितरण बाढ़ तथा सुखाड़ की वजह बनती है। इसीलिए भारत सरकार ने 1985 में गंगा कार्य परियोजना का आरम्भ किया था जो 31 मार्च, 2000 को बंद कर दिया गया। इन सबके बाद राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण के अंतर्गत 16 राज्यों के 27 नदियों के किनारे बसे 152 नगरों को शामिल किया गया है। इस कार्य योजना के तहत 57 जिलों में प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
मानव जीवन पर अपवाह तंत्र का बहुत प्रभाव पड़ता है। नदियों के प्रभाव से ही आज भी कृषि योग्य भूमि का 40% भाग जलोढ़ मिट्टी से ढका हुआ है। नदियों के कारण ही भाखड़ा नांगल परियोजना के तहत 1200 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ लगभग 20 लाख हेक्टेयर भूभाग सिंचित करता है।

(वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर)
1.लक्ष्मी सागर झील किस राज्य में स्थित है?
(क) मध्य प्रदेश
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) बिहार
(घ) झारखण्ड
उत्तर-(क)

2.निम्न में कौन लवणीय झील है ?
(क)बूलर
(ख) डल
(ग) सांभर
(घ) गोविन्द सागर
उत्तर-(ग)

3.गंगा नदी पर गांधी सेतु किस राज्य के लिए अवस्थित है ?
(क) भागलपुर
(ख) कटिहार
(ग) पटना
(घ) गया
उत्तर-(ग)

4.कौन-सी नदी अंश घाटी से होकर गुजरती है ?
(क) महानदी
(ख) कृष्णा
(ग) तापी
(घ) तुंगभद्रा
उत्तर-(ग)

5. कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है ?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी
उत्तर-(ख)

6. सिन्धु जल समझौता कब हुआ था ?
(क) 1950
(ख) 1955
(ग) 1960
(घ) 1965
उत्तर-(ग)

7.शांग-पो किस नदी का उपनाम है ?
(क) गंगा
(ख) ब्रह्मपुत्र
(ग) सतलुज
(घ) गोदावरी
उत्तर-(ग)

8. इनमें से गर्म जल का प्रपात कौन-सा है ?
(क) ककोलत
(ख) गरसोपा
(ग) ब्रह्मकुंड
(घ) शिवसमुद्रम
उत्तर-(ग)

9. कोसी नदी का उदगम स्थल है-
(ख) मानसरोवर
(ग) गोसाईंधाम
(घ) सतपुड़ा श्रेणी
उत्तर-(ग)

(लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. जल विभाजक का क्या कार्य है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-जल विभाजक का कार्य है, दो दिशाओं में नदियों के प्रवाह को अलग करना।
उदाहरण-सिन्धु एवं गंगा नदी के मध्य अरावली की उच्च भूमि।

प्रश्न 2. भारत में सबसे विशाल नदी कौन-सी है?
उत्तर-भारत में सबसे विशाल नदी दोणी गंगा है।

प्रश्न 3. सिन्धु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
उत्तर-सिन्धु नदी तिब्बत के समीप मानसरोवर झील से निकलती है और गंगा नदी देवप्रयाग से।

प्रश्न 4. गंगा की दो प्रारंभिक धाराओं के नाम लिखिए। ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है ?
उत्तर-गंगा की दो प्रारंभिक धाराओं के नाम हैं-
(i) भागीरथी (ii) अलकनंदा
ये दोनों उत्तराखण्ड स्थित देवप्रयाग में एक-दूसरे से मिल जाती हैं तथा गंगा नदी का निर्माण करती हैं।

प्रश्न 5. लम्बी पारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद क्यों है?
उत्तर-तिब्बत एक शीत एवं शुष्क प्रदेश है जहाँ नदी के जल में सिल्ट की मात्रा नगण्य होती है। अतः इस क्षेत्र में नदी में कम गाद होती है।

प्रश्न 6. कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ बसान घाटी से होकर बहती हैं ? समुद्र में प्रवेश करने से पहले वे किस प्रकार की आकृति का निर्माण करती हैं ?
उत्तर-नर्मदा तथा तावी नदियाँ धसान घाटी से होकर बहती हैं तथा समुद्र में प्रवेश करने से पहले वे जल-प्रपात का निर्माण करती हैं।



(दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. हिमालय तथा प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-भारत की नदियों को मुख्यतः दो वर्गों में रखा जाता है-
(i) हिमालय की नदियाँ
(ii) प्रायद्वीपीय भारत या पठार की नदियाँ
(i) हिमालय की नदियाँ-हिमालय प्रदेश से निकलने वाली नदियों को जल वर्षा के अतिरिक्त पर्वत की चोटियों पर जमें हिम के पिघलने से प्राप्त होती हैं। हिमालय की नदियों को हम प्रवाह की दिशा को ध्यान में रखते हुए तीन भागों में बाँट सकते हैं।
(क) सिंधु व्यवस्था की नदियाँ-इनमें सतलज, व्यास, रावी, चेनाव तथा झेलम प्रमुख हैं । ये दक्षिण-पश्चिम से बहती हैं और सिंधु से मिलकर अरब सागर में गिर जाती हैं। सिंधु का उद्गम स्थल मानसरोवर झील है।
(ख) गंगा व्यवस्था की नदियाँ-इनमें यमुना, रामगंगा, गोमती, शारदा, सरयू, गंडक, बूढ़ी गंडक, कोशी और महानंदा उत्तर के पर्वतीय भाग से तथा चंबल, बेतवा, केन, सोन और पुनपुन दक्षिणी पठार से निकलने वाली नदियाँ हैं। भारत के पूरे क्षेत्रफल का 1/3 भाग गंगा-व्यवस्था के
अंतर्गत आता है। भारत की सभी नदियों में जितना जल बहता है उसका 30% गंगा और उसकी सहायक नदियों में बहता है।
(ग) ब्रह्मपुत्र व्यवस्था की नदियाँ-यह मानसरोवर झील के समीप से निकलकर उत्तर-पूर्व से भारत में प्रवेश करती हैं। इसकी सहायक नदियों में तिस्ता, सुवनसिरी और लुहित
प्रमुख हैं। इसकी नदियाँ गंगा से मिलकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं।
(ii) प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ-प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ हिमालय की नदियों से सर्वथा भिन्न हैं। ये जल के लिए पूर्णत: मानसून पर आश्रित हैं। बहाव की दिशा को देखते हुए इन्हें तीन भागों में बाँटा जाता है-(i) नर्मदा और ताप्ती जो पश्चिम की ओर बहती हैं, (ii) महानदी,
गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और बैगाई जो पूर्व की ओर बहती है, (iii) चंबल, बेतवा, सोन इत्यादि नदियाँ जो उत्तर की ओर बहती हैं। दक्षिण की नदियों में सबसे बड़ी गोदावरी है जिसकी लंबाई 1465 कि. मी. है। महानदी गोदावरी से उत्तर है। कृष्णा गोदावरी से दक्षिण है। कावेरी नदी
पश्चिमी घाट पर्वत ब्रह्मगिरी से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। डेल्टाई भागों को छोड़कर इन नदियों के जल का उपयोग नहीं होता, मार्ग पथरीला तथा उबड़-खाबड़ होने के कारण इनका उपयोग यातागत के लिए नहीं होता।

प्रश्न 2. प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व तथा पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर-प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व तथा पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदियाँ-
पूर्व- प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व बहने वाली नदियां जल के लिए मानसून पर निर्भर होती है। यह जलप्रपात नहीं बनाती इनका मार्ग उबर खबर नहीं होता। अतः इनका उपयोग आवागमन के लिए होता है। इनका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए नहीं होता यह डेल्टा बनाती है यह मध्य गति से बढ़ती है तथा मृदा का निक्षेप करती है।
पश्चिम- प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिम बहने वाली नदियां जल के लिए मानसून पर निर्भर करती है । यह जलप्रपात बनाती है। मार्ग उबर खाबर होने के कारण इनका उपयोग आवागमन के लिए होता है। इनका उपयोग बिजली के उत्पादन के लिए होता है । यह डेल्टा बनाती है । यह तीव्र गति से बढ़ती है।

प्रश्न 3. भारत की अर्थव्यवस्था में नदियों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-भारत की अर्थव्यवस्था में नदियों का महत्त्व-
(i) ये सिंचाई का महत्त्वपूर्ण साधन है। भारत की आधी सिंचित भूमि नदियों से सींची जाती हैं।
(ii) ये बाढ़ के समय नई मिट्टी बिछाकर मिट्टी की उर्वरा-शक्ति को बढ़ाती हैं।
(iii) ये यातायात के साधन हैं।
(iv) ये जल विद्युत उत्पादन के साधन हैं तथा जल-शक्ति का भंडार है।
(v) ये मछली उत्पादन के साधन हैं।

प्रश्न 4. भारत में झीलों के प्रकार का वर्णन उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर-भारत में झीलों के प्रकारों का वर्णन-
1. धंसान घाटी झील-धंसान घाटी में जब झील का जमाव होता है तो इस प्रकार की झील का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए अफ्रीका की विक्टोरिया, न्यासा आदि।
2. गोखुर झील-नदियों में जब अवसाद की मात्रा बढ़ जाती है या भूमि की ढाल कम हो जाती है तो उसके मार्ग में विसर्पण पैदा होने लगता है। और अंत में विसर्पित भाग कटकर मुख्य-धारा से अलग हो जाता है जिसका आकार गाय के खुर के समान होता है। इसे ‘गोखुरझील’ कहते हैं। बेगुसराय का काँवर झील इसका उदाहरण है।
3. क्रेटर झील-जब ज्वालामुखी के क्रेटर से राख और लावा का निकलना बंद हो जाता है तो क्रेटर में पानी जमा होकर झील में परिवर्तित हो जाता है जिसे क्रेटर झील कहते हैं। उदाहरण के लिए लोनार झील।
4. लैगून झील-स्पिट तथा रोधिका के द्वारा समुद्र तटीय प्रदेशों में जब जल समुद्र से अलग कर लिए जाते हैं तब ऐसे झील लैगून कहलाते हैं। जैसे भारत की चिटका झील।
5. अवरोधक झील-कभी-कभी पर्वतीय प्रदेशों में भूस्खलन से चट्टानें गिरकर मार्ग को अवरुद्ध कर देती हैं। इस प्रकार की झीलों को अवरोधक झील कहते हैं।
6. हिमानी झील-हिमालय क्षेत्र में हिमानी द्वारा निर्मित झीलों को हिमानी झील कहते हैं। जैसे भीमताल, सात ताल आदि।
7. भूगर्भीय क्रिया द्वारा निर्मित झील-जब जल विद्युत पैदा करने के लिए बाँध का निर्माण करते हैं तब ऐसी झील का निर्माण होता है । जैसे-भाखड़ा नांगर परियोजना के विकास के लिए सागर झील का निर्माण।

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