9TH SST

bihar board 9 class history solutions | शांति के प्रयास

शांति के प्रयास

bihar board 9 class history solutions

class – 9

subject – history

lesson 7 – शांति के प्रयास

SabDekho.in

शांति के प्रयास

प्रथम विश्व युद्ध 1918 ई. में समाप्त हुआ। युद्ध के उपरांत संसार के सभी नेता एक ऐसी प्रभावशाली संस्था का गठन करना चाहते थे जो पारस्परिक वार्तालाप के माध्यम से राष्ट्रों के झगड़ों का समाधान करके युद्ध की संभावना को टाल सके । अतः 1919 ई. में युद्ध की समाप्ति के उपरांत पेरिस में हुए शाति-सम्मेलन में राष्ट्र संघ की स्थापना की नींव पड़ी। इसका मुख्य श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति पुडरो विटसन को जाता है। राष्ट्रसंघ की स्थापना का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शाति की स्थापना करना, युद्ध से उत्पन्न समस्याओं का समाधान करना, अंतरराष्ट्रीयता के प्रति
विश्वास पैदा करना, युद्ध के पूर्व एवं बाद ने की गई संधियों को लागू करवाना आदि।

राष्ट्रसंघ के सदस्य राष्ट्र:
इस संस्था की स्थापना युद्ध के उपरांत हुई थीं। अतः प्रारम्भ में इसमें विजित राष्ट्र अर्थात् कस, फ्रांस, इंग्लैंड तथा तटस्थ रहने वाले देश जिनकी संख्या करीब 31 क्षी, ही इसके सदस्य बने थे। बाद में इसके सदस्यों की संख्या 60 हो गई।

राष्ट्रसंघ के अंग-
(i) व्यवस्थापिक (असेम्बली) (¡¡) परिषद् (काउन्सिल)
(iii) सचिवालय (सेक्रेटेरियट)
इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आदि भी महत्वपूर्ण है।

(i) व्यवस्थापिका-यह राष्ट्रसंघ की प्रतिनिधी सभा क्षी जिसमें सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधी उपस्थित रहते थे। प्रत्येक राष्ट्र को एक वोट करने का अधिकार था। सदन के कार्य करने की भाषा फ्रेंच तथा इंग्लिश थी। इसके कार्यों के अंतर्गत नए राष्ट्रों को सदस्यता प्रदान करना, विधान की समीक्षा करना, संशोधन करना, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों एवं महासचिव को नियुक्ति करना, आदि आते हैं। असेम्बली किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती थी। सभी निर्णय बहुमत को पारित किए जाते थे।

(ii) परिषद्-इनमें दो तरह का सदस्य होते थे-स्थायी तथा अस्थाई, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान तथा इटली इसके स्थायी सदस्य थे। अस्थाई सदस्य के रूप में 9 छोटे-छोटे राज्य थे, इसके कार्यों एवं भूमिका एसेम्बली से अधिक महत्वपूर्ण थी। इसके प्रमुख कार्यों में अल्पसंख्यक क्षेत्रों का प्रशासन कार्य, युद्ध एवं शांति से संबंद्धत मुद्दे, सदस्यों को आदेश देना एवं महासचिव को मनोनीत करना आदि थे।

(¡¡¡) सचिवालय-इसका प्रधान कार्यालय जेनेवा में था। इसके अंतर्गत 12 विभाग थे जो अंतर्राष्ट्रीयस्ता के आर्थिक, राजनैतिक एवं कूटनीतिक मसलों पर कार्य करती थी। यह उन सभी संधिवों का पंजीकरण एवं प्रसविदा तैयार करती थी जिसका संबंध राष्ट्रसंघ के सदस्यों से होता था।

(iv) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय-इसकी स्थापना का उद्देश्य अंतराष्ट्रीय राजनैतिक एवं कूटनीतिक झगड़ों एवं विवादों का निपटनारा करना था। इसका मुख्यालय हॉलैंड के एक शहर हेग में स्थापित किया गया। यह महत्वपूर्ण मसलों पर राय तथा राष्ट्रसंघ के विभीन्न विधानों की व्याख्या की करती थी।

(v) अंतर्राष्ट्री क्रम संगठन-युद्ध के बाद 1917 को रूसी क्रांति को देखते हुए यूरोपीय देशों में मजदूरों को दयनीय दशा को सुधारने के लिए राष्ट्रसंघ के तत्वाधान में मजदूरों के हितों की देखरेख तथा उनकी दशा को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन इसका मुख्यालय जेनेवा में था।
राष्ट्रसंघ के द्वारा शांति के प्रयास-युद्ध जनित समस्याओं को समाप्त करने में राष्ट्रसंघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निशर्द्ध है। राष्ट्रसंघ का प्रथम कार्य युद्ध की परिस्थिति को रोकना था, अत: प्रारम्भिक छोटे-मोटे झगड़ों को सुलझाने में वह सफल रहा। अपने 10-15 वर्षों की अवधि में इसने लगभग 40 छोटे बड़े राजनीतिक झगड़ों की जाँच कर अपना निर्णय दिया। इस कार्य के लिए राष्ट्रसंघ समझौता मध्यस्थता तथा अनुरोध की नीति का अनुसरण करता था।

अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में भूमिका

राष्ट्रसंघ के प्रयासों से कई झगड़े सुलझे जैसे-
(i) 1920 में स्वीडेन तथा फिनलैंड के मध्य उठे आँकैडे द्वीप विवाद, जर्मनी एवं पौलेंड के मध्य उठे साइलेशिया विवाद तथा लिथुआनिया की राजधानी चिलना को लेकर विवाद ।
(ii) 1995 ई० में यूनान और बुल्गारिया के मध्य शुरू हुए युद्ध में यूनान पर दवाब बनाकर राष्ट्रसंघ ने युद्ध के विस्तार को रोका ।
(iii) पेरू द्वारा पड़ोसी राज्य कोलम्बिया पर अधिकार को राष्ट्रसंघ ने अनुचित बताया तथा पुनः यह क्षेत्र वापस कोलम्बिया के पास आ गया ।

राष्ट्रसंघ की असफलता
कई क्षेत्रों में राष्ट्रसंघ को सफलता हासिल नहीं हुई, जैसे-
(i) 1931 में जापान की साम्राज्यवादी नीति का शिकार चीन हुआ लेकिन राष्ट्रसंघ के हस्तक्षेप के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली।
(ii) अवीसीनिया में मुसोलिनी की विजय से प्रोत्साहित होकर हिटलर ने वर्साय की संधि की अवहेलना शुरू कर दी । अन्य क्षेत्रों में राष्ट्रसंघ की सफलता राष्ट्रसंघ ने जनकल्याण से संबंद्धित क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किए । इनमें युद्धबंदियों की समस्या, उन्हें यातनागृहों से मुक्त कराना युद्ध के उपरांत विस्थापितों एवं शरणार्थियों के पुर्नवास, महामारियों एवं संक्रामक रोगों को रोकना, युद्ध से ग्रसित राष्ट्रों की आर्थिक दशा सुधारना, सामाजिक समस्याओं का निराकर्ण प्रमुख हैं।

राष्ट्रसंघ की असफलता के कारण
राष्ट्रसंघ की असफलता के कई कारण थे-
(i) राष्ट्रसंघ प्रारंभ से ही बड़े एवं शक्तिशाली राष्ट्रों के सहयोग से वंचित रहा।
(ii) शक्तिशाली राष्ट्रों की निरंकुश एवं आक्रामक नीतियाँ
(iii) संघ के सदस्यों के मध्य परस्पर असहयोग की भावना
(iv) राष्ट्रसंघ की अपनी सेना ना होना
(v) दोषपूर्ण संविधान
इन्हीं दोषों को दूर करने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध की विनाशकारी लीला को देखते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई। अमेरिका के सेनफ्रास्सिको शहर ने 25 अप्रैल, 1945 में शुरू हुए सम्मेलन में इसके नए चार्टर को स्वीकार कर लिया गया। 26 जून, 1945 को भारत सहित पचास देशों के प्रतिनिधियों ने इसपर हस्ताचर किए । 24 अक्टूबर, 1945 को राष्ट्रसंघ अस्तित्व में आ गया।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के लक्ष्य एवं उद्देश्य :
(i) शांति स्थापित करना, आक्रमण को रोकना, अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा ।
(ii) आत्मनिर्णय और समानता के सिद्धांत के आधार पर राष्ट्रों के बीच मैंत्री पूर्ण संबंधों को सुदृढ़ करना।
(iii) विभीन्न राष्ट्रों की आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक समस्याओं का समाधान करना ।
(iv) एक ऐसा केन्द्र बनाना जहाँ सभी उद्देश्यों में तालमेल तथा सामंजस्य हो ।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के सिद्धांत-
(i) राष्ट्रों की समानता का सिद्धांत
(ii) प्रत्येक सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र का स्वागत करेगा तथा उसका उल्लंघन नहीं करेगा।
(iii) सभी सदस्य राष्ट्र अपने झगड़ों का निवाटारा शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे।
(iv) सदस्या राष्ट्र किसी भी अन्य राष्ट्र की स्वतंत्रता तथा प्रादेशिक अखंडता को नष्ट नहीं करेंगे।
(v) किसी भी सदस्य राष्ट्र द्वारा घोषणा पत्र के नियमों की अवहेलना करने पर उसकी सहायता नहीं की जाएगी।
(vi) सदस्य राष्ट्र के अलावा किसी अन्य राष्ट्र के द्वारा शांति को भंग करने पर संस्था उसके विरुद्ध कार्रवाई करेगी।
(vii) संयुक्त राष्ट्रसंघ किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी। 192 सदस्य है। इतनी बड़ी संख्या में राष्ट्रों द्वारा इसकी सदस्यता ग्रहण करना इस बात का है कि इसके सिद्धांतों एवं उद्देश्यों में सभी देशों को आज भी उतना ही विश्वास है जितना की इसकी स्थापना के समय था।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के अंग-
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 अंग है जिसका कार्य सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं अन्य क्षेत्रों में बंआ हुआ है। इसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूर्याक शहर में स्थित है। ये और निम्नलिखित हैं-

(i) आमसभा-यह संयुक्त राष्ट्रसंघ का सबसे प्रमुख अंग है। इसमें सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। सभी को मत देने तथा वाद-विवाद में शामिल होने का अधिकार रहता है। इसको बैठक वर्ष में एक बार होती है । इसके मुद्दों में राष्ट्रों को सदस्यता प्रदान करना, उनका निष्कासन, महासचिव का निर्वाचन एवं अन्य आर्थिक मुद्दे प्रमुख होते हैं।
(ii) सुरक्षा परिषद्-यह ईकाई अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं शांति के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार
तथा कार्यशील है। राजनैतिक विषयों में भी सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र का कार्यपालक अंग है। इसके 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी सदस्य है।
(iii) आर्थिक और सामाजिक परिषद्-यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक एवं स्वास्थ्य से संबंधित मामलों पर अध्ययन करती है और सुरक्षा परिषद् के अनुरोध पर उसे प्रदान करता है। विश्व के विभीन्न क्षेत्रों के लिए इसके विभीन्न समूह कार्यरत है जैसे युनिसेफ, यूनेस्को, मानवाधिकार आयोग आदि ।
(iv) न्यास परिषद्-यह अंग उन प्रदेशों के लिए कार्य करता है जहाँ अब तक पूर्ण स्वायत्त शासन नहीं है। उनके हितों की रक्षा की जिम्मेवारी इसी संगठन की होती है। जैसे-प्रशांत महासागर में स्थित माइक्रोनेशिया के 4 द्वीप समूह इसी संगठन के दिशानुसार संयुक्त राज्य अमेरिका के
शासन में हैं।

इस संगठन के मुख्यत: 4 उद्देश्य हैं-
(क) अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देना।
(ख) लोगों के स्वशासन तथा स्वतंत्रता के क्रमिक विकास में सहायता करना।
(ग) मानवीय अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आस्था को बढ़ाना।
(घ) सामाजिक, आर्थिक और वाणिज्य संबंधी मामलों में समानता का व्यवहार करना।

(V) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय-यह संयुक्त राष्ट्रसंघ को एक कानूनी संस्था है। राष्ट्रसंघ के तत्वाधान के अनुसार यह अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निर्णय करती थी लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना में इसे न्याय के लिए सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का रूप दिया गया है। इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में हैं।

(Vi) सचिवालय-यह संयुक्त राष्ट्रसंघ का वह मुख्यालय है जहाँ सदस्य राष्ट्रों के कर्मचारी को प्रतिनिधियों के रूप में मिलाया जाता है। इसका मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी महासचिव है। संयुक्त राष्ट्रसंघ में 6 भाषाएँ मान्यता प्राप्त हैं-अंग्रेजी, चीनी, फ्रेंच, रूसी, अरबी तथा स्पेनिश ।
संयुक्त राष्ट्रसंघ की उपलब्धियाँ राष्ट्रसंघ की तुलना में महान रही हैं। इसने विवादों को उग्रता को कम करने एवं पारस्परिक वार्ता का मंच तैयार करने में सफल भूमिका निभाई है। इसके कार्यों ने तृतीय विश्व को संभावना को टाला है। इसके विभिन्न संस्थाओं ने विश्व के अविकसित
पिछड़े एवं विकासशील राष्ट्रों में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को
करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

विश्वशांति की दिशा में उसके प्रयास उल्लेखनीय हैं-
(क) 1946 में संयुक्त राष्ट्र ने ईरान में अवैध रूप से रह रहे रूसी सैनिकों हटने के लिए दूर दबाव डाला।
(ख) उत्तर एवं दक्षिण कोरिया को मध्य चल रहे युद्ध को 1953 में रोकने में संयुक्त राष्ट्रसंघ सफल रहा।
(1) 1956 में स्वेज नहर के मामले में अंतर्राष्ट्रीय सेना तैनात का शांति स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(घ) 1959 में लेबनान की सहायता के लिए अपना दल भेजा।
(ङ) मध्य एशिया में फिलीस्तीन-इजराइल संकट को काफी हद तक कम किया।
(च) 1988 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रयासों से ईरान-इराक के बीच वर्षों से चल रहा युद्ध धमा।
(छ) 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध बंद करवाने में सक्रिय भूमिका निभाई।
(ज) 1971 ई. में बांग्लादेश की आजादी में सक्रिय भूमिका निभाई।
(झ) 1990 में ईराक द्वारा कुवैत पर अधिकार को अवैध ठहराया तथा 1991 में कुवैत को इसको सेना से मुक्त करवाया। लेकिन इतनी सफलताओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र अरब-इजरायल युद्ध, नामिबिया की समस्या, दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति, ईराक समस्या, कश्मीर समस्या आदि को दूर करने में असफल रहा है।

असफलता के कारण-
(i) आर्थिक आत्मनिर्भरता का अभाव होने के कारण संयुक्त राष्ट्र को अपने आर्थिक क्रियाकलापों के लिए सदस्य राष्ट्रों के अंशदान पर निर्भर रहना पड़ता है। जिस राष्ट्र का आर्थिक अंशदान ज्यादा होता है उसी का प्रभाव ज्यादा रहता है। अमेरिकी हस्तक्षेप जगजाहिर है।
(ii) अन्य विभिन्न गुटों के प्रभाव के कारण संयुक्त राष्ट्रसंघ का महत्त्व घट रहा है। विकसित राष्ट्रों के गुट जी 8 सामरिक दृष्टि से शक्तिशाली राष्ट्र, जैसे नाटो, सीटो, वारसा के राजनैतिक हस्तक्षेपों ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की असफलता को बढ़ाया है।
(iii) सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में देश यूरोप से आते हैं। लेकिन ज्यादा समस्याएँ अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका तथा एशियाई देशों की है जिन्हें सुरक्षा परिषद के स्थायी
सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व भी प्राप्त नहीं है। स्थायी सदस्यों को निषेधाधिकार प्राप्त है जो किसी भी मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की शक्ति देता है जिसका शक्तिशाली राष्ट्र अपने हितों की पूर्ति के लिए दुरूपयोग करते हैं।
(iv) सुरक्षा परिषद् द्वारा किसी भी देश को आक्रमणकारी घोषित करने पर सदस्य राष्ट्रों द्वारा अपनी सेना भेजने पर ही वह आक्रमणकारी को रोक सकता है। लेकिन कई बार संयुक्त राष्ट्र अपनी फौज देने से हिचकिचाते हैं।
(v) अब कोई भी राष्ट्र सीधे आक्रमण नहीं करता बल्कि आर्थिक दबावों के आधार पर अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति करता है। इसी कारण विश्व विकसित एवं विकासशील देशों में बँट रहा है। उदाहरण के लिए तेल से संबंधित राजनीति, व्यापार संगठन का विवाद अभी भी जारी है। अत: कहा जा सकता है कि विश्व शांति की दिशा में राष्ट्रसंघ के प्रयास निरर्थक नहीं रहे हैं। कुछ मुद्दों में यह असफल रहा है लेकिन उसकी वजह संयुक्त राष्ट्रसंघ की कार्य प्रणाली नहीं
बल्कि सदस्य राष्ट्रों का असहयोग एवं इच्छा-शक्ति का अभाव रहा है।

(वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर)
1. राष्ट्रसंघ के सचिवालय का प्रधान कार्यालय-
(क) न्यूयार्क में था
(ख) पेरिस में था
(ग) जेनेवा में था
(घ) बर्लिन में था
उत्तर-(ग)
2. इसमें कौन राष्ट्रसंघ का सदस्य नहीं था ?
(क) इंग्लैंड
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका
(ग) फ्रांस
(घ) जर्मनी
उत्तर-(ख)
3.राष्ट्रसंघ की स्थापना का मूल उद्देश्य था-
(क) द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार करना
(ख) भविष्य में युद्ध रोकना
(ग) राष्ट्रों के बीच मतभेद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर(ख)
4. राष्ट्रसंघ की स्थापना किस वर्ष हुई ?
(क) 1945
(ख) 1925
(ग) 1920
(घ) 1895
उत्तर-(ग)
5. निम्नलिखित में से कौन संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है ?
(क) आर्थिक और सामाजिक परिषद्
(ख) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
(ग) संरक्षण परिषद्
(घ) अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संघ
उत्तर-(ग)
6. संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्यालय कहाँ अवस्थित है?
(क) जेनेवा
(ख) वाशिंगटन डी. सी-
(ग) न्यूयार्क
(घ) लंदन
उत्तर-(ग)
7. संयुक्त राष्ट्रसंघ की किस सम्मेलन का सफल परिणाम था ?
(क) डाम्बस्टन ओक्स
(ख) सैन फ्रांसिस्को
(ग) जेनेवा
(घ)पेरिस
उत्तर-(ख)
8. वर्तमान में संयुक्त राष्ट्रसंघ के कितने सदस्य हैं?
(क) 111
(ख) 192
(ग) 100
(घ) 290
उत्तर-(ख)
(अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. सुरक्षा परिषद् में कितने स्थायी और अस्थायी सदस्य हैं ?
उत्तर-सुरक्षा परिषद् में स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं।

प्रश्न 2 राष्ट्रसंघ का सबसे प्रमुख अंग कौन है?
उत्तर-राष्ट्रसंघ का सबसे प्रमुख अंग है।

प्रश्न 3. संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना किस तिथि को हुई?
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई।

प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्तमान महासचिव कौन हैं?
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्तमान महासचिव दक्षिण कोरिया के बानकी मून हैं।

प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में कितनी धाराएँ है?
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में 111 धाराएँ है।

प्रश्न 6. सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों की संख्या कितनी है?
उत्तर-सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों को संख्या 10 है।

प्रश्न 7. संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रधान अधिकारी कौन कहलाता है ?
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रधान अधिकारी

(लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. राष्ट्रसंघ की स्थापना किस प्रकार हुई?
उत्तर-प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद विश्व के सभी नेताओं को इच्छा यही थी, विश्व में शांति की स्थापना हो। इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों ने इस बात पर बल दिया कि विश्व में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक ऐसे अंतर्राष्ट्रीय संस्था का गठन हो, जो पारस्परिक वार्तालाप के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रों के झगड़ों का समाधान करके युद्ध को टालने का पूरा प्रयास करे। अतएव 1919 ई. में प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस में हुए शाति-सम्मेलन में राष्ट्र-संघ की स्थापना की नींव पड़ी। इसका मुख्य श्रेय अमेरिका के तत्कालीन
राष्ट्रपति ‘पुड़ी विल्सन’ को जाता है, जिन्होंने अपने ’14 सूत्री’ कार्यक्रम में किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना पर बल दिया। और इस प्रकार विभिन्न योजनाओं को मिलाकर 10 जून, 1920 को राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई।

प्रश्न 2 राष्ट्रसंघ निःशस्त्रीकरण के प्रश्न को सुलझाने में क्यों असफल रहा ?
उत्तर-1932 ई. में हुर निःशस्वीकरण सम्मेलन की असफलता में जर्मनी तथा फ्रांस की आपसी सैनिक प्रतिस्पद्धां मुख्य रूप से जिम्मेवार थी लेकिन राष्ट्रसंघ ने भी अपनी ओर से इस समस्या को सुलझाने को कोई सइद कोशिश नहीं की। इसी कारण राष्ट्रसंघ निःशस्जीकरण के
मसले को सुलझाने में असफल रहा।

प्रश्न 3. राष्ट्रसंघ किन कारणों से असफल रहा ? किन्हीं चार का उल्लेख करें।
उत्तर-राष्ट्रसंघ की असफलता के कारण-
(i) राष्ट्रसंघ को प्रारम्भ से ही बड़े एवं शक्तिशाली राष्ट्रों का सहयोग नहीं मिला जो उस समय की समस्याओं को सुलझाने के लिए आवश्यक था।
(ii) इस संस्था से उस समय के शक्तिशाली राष्ट्र संबंधित न थे।
(iii) उस समय राष्ट्रसंघ की क्रियाशीलता ब्रिटेन तथा फ्रांस के सहयोग पर निर्भर करती थी लेकिन उनकी इच्छा राष्ट्रसंघ की नीतियों एवं उद्देश्यों को सफल बनाना कम तथा अपनी साम्राज्यवादी हितों की पूर्ति करना प्रमुख थी।
(iv) 1929-30 की आर्थिक मंदी के कारण उत्पन्न आर्थिक राष्ट्रवाद ने राष्ट्रसंघ के सिद्धांतों
को व्यर्थहीन बना दिया था। इसके अतिरिक्त राष्ट्रसंघ को अपनी सेना का न होना, उसका दोषपूर्ण
संविधान आदि भी उसकी सफलता के प्रमुख कारण थे।

प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों को लिखें।
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य एवं सिद्धांत-
उद्देश्य-संयुक्त राष्ट्रसंघ के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
(¡)विश्व में शांति स्थापित करना, आक्रमण को रोकना और शांतिपूर्ण ढंग से अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा करना।
(ii) संसार के विभिन्न राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध को सुदृढ़ करने के लिए आत्मनिर्णय और समानता के सिद्धांतों को अपनाना।
(iii) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना जिससे विभिन्न राष्ट्रों की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं का समाधान हो तथा मानवीय अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति राष्ट्रों में सम्मान और प्रतिष्ठा की भावना उत्पन्न करना।
(iv) संयुक्त राष्ट्रसंघ को एक ऐसा केन्द्र बनाना जहाँ सभी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए की जानेवाली कार्यवाही में तालमेल और सामंजस्य स्थापित किया जा सके।

सिद्धांत-संयुक्त राष्ट्रसंघ के सिद्धांत इस प्रकार हैं-
(¡) यह संस्था राष्ट्रों की समानता के सिद्धांत पर आधारित रहेगी।
(ii) इस संस्था के प्रत्येक सदस्य राष्ट्रों को, इसके घोषणा पत्र का स्वागत करना होगा तथा कोई भी उसका उल्लंघन नहीं करेगा।
(iii) सभी सदस्य राष्ट्र अपने झगड़ों का निपटारा शांतिपूर्ण ढंग से करेंगे।
(iv) संस्था के सदस्य राष्ट्र अन्य राष्ट्रों की स्वतंत्रता तथा प्रादेशिक अखंडता को नष्ट नहींकरेंगे।
(v) अगर कोई सदस्य राष्ट्र घोषणा पत्र के नियमों की अवहेलना करता है, तो अन्य सदस्य राष्ट्रों द्वारा उसकी सहायता नहीं की जाएगी।
(vi) सदस्य राष्ट्रों के अलावा अगर कोई और राष्ट्र के द्वारा शांति भंग करने का प्रयास किया जाएगा तो संस्था उसके विरुद्ध कार्रवाई करेगी।
(vii) किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ हस्तक्षेप नहीं करेगी।

प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्रसंघ के गैर राजनीतिक कार्य कौन-कौन है ?
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के गैर राजनीतिक कार्य निम्नलिखित हैं-
संयुक्त राष्ट्रसंघ के विभिन्न संस्थाओं के द्वारा विश्व के अविकसित पिछड़े एवं विकासशील राष्ट्रों को आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने में उनको अपना योगदान देना। विश्व में जो प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं, और उनसे जो आपदाएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे संक्रामक बीमारियों का फैलना इत्यादि को रोकने और उनसे होनेवाली आर्थिक क्षति को पूर्ति करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका देना।

प्रश्न 6. संयुक्त राष्ट्रसंप की किन्हीं चार राजनैतिक सफलताओं का उल्लेख करें।
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ की राजनैतिक सफलता-
(i) 1953 ई. में उत्तर एवं दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे युद्ध को रोकने में संयुक्त राष्ट्रसंघ सफल रहा।
(ii) ईरान और इराक के बीच 8 वर्षों से चल रहे युद्ध की समाप्ति 1988 ई० में संयुक्त राष्ट्र महासचिव पैरेज द क्रइयार के प्रयत्नों से हुई और युद्ध की समाप्ति के बाद वहाँ शांति स्थापित हुई।
(iii) 1965 ई० के भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले युद्ध को बंद कराने के लिए ठोस कदम उठाये थे।
(iv) संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 1900 ई० में ईराक द्वारा कुवैत पर अधिकार को अवैध बताया और 1991 ई. में इराकी सेना से कुवैत को मुक्त कराया।
(दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. राष्ट्रसंघ की स्थापना की परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर-प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद विश्व के सभी नेता चाहते थे कि विश्व में शांति स्थापित हो। इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों ने इस बात की आवश्यकता पर जोर दिया कि विश्व में एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था का गठन हो, जो पारस्परिक वार्तालाप के द्वारा विभिन्न राष्ट्रों के झगड़ों का समाधान कर युद्ध को टालने का प्रयास करें। अतः 1919 ई. में युद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस में हुए शांति-सम्मेलन में राष्ट्रसंघ की स्थापना की नींव पड़ी। इसका मुख्य श्रेय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘वुडरो विल्सन’ को जाता है, क्योंकि उन्होंने ही अपने ’14 सूत्री’ कार्यक्रम में किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना पर बल दिया था। इस प्रकार विभिन्न योजनाओं को मिलाकर 10 जून, 1920 ई. को राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई।

प्रश्न 2. राष्ट्रसंघ किन कारणों से असफल रहा ? वर्णन करें।
उत्तर-राष्ट्रसंघ की असफलता के अनेक कारण थे। उस समय की अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में व्यावहारिक तौर पर सफलता के लिए बड़े एवं शक्तिशाली राष्ट्रों का सहयोग आवश्यक था। राष्ट्रसंघ की स्थापना मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के
प्रयासों के फलस्वरूप हुई थी। लेकिन कुछ समय बाद खुद अमेरिका इसका सदस्य नहीं रहा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई शक्तिशाली राष्ट्र, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत रूस आदि इससे अलग थे। अतः अपनी क्रियाशीला के लिए राष्ट्रसंघ मुख्यतः ब्रिटेन तथा फ्रांस पर निर्भर थे। लेकिन उनकी इच्छा राष्ट्रसंघ की नीतियों एवं उद्देश्यों को सफल बनाना कम बल्कि साम्राज्यवादी एवं पूँजीवादी हितों को पूरा करना था। शक्तिशाली राष्ट्रों की निरंकुश तथा आक्रामक नीति ने राष्ट्रसंघ को कमजोर बना दिया। मुसोलिनी तथा इटली की साम्राज्यवादी नीतियों के बावजू
राष्ट्रसंघ कुछ न कर सका। 1929-30 की विश्व आर्थिक मंदी ने आर्थिक राष्ट्रवाद को जन्म दिया जिसने राष्ट्रसंघ के सिद्धांतों को अर्थहीन बना दिया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रसंघ के पास अपनी सेना का ना होना, राष्ट्रसंघ का दोषपूर्ण संविधान आदि भी उसकी असफलता के कारण थे।

प्रश्न 3. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों की प्रासंगिकता बतावें।
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के लक्ष्य एवं उद्देश्य-
(i) शांति स्थापना, आक्रमण को रोकना तथा विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा करना।
(ii) संसार के राष्ट्रों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित तथा सुदृढ़ बनाना।
(iii) समस्याओं के समाधान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना तथा मानवीय अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान तथा जागरूकता पैदा करना।
(iv) संयुक्त राष्ट्रसंघ में इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्यवाही में तालमेल और सामंजस्य स्थापित करना।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के सिद्धांत-
.(i) यह संस्था सभी राष्ट्रों को समान नजरों से देखेगी।
(ii) सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र का उल्लंघन नहीं करेगा।
(iii) सदस्य राष्ट्र अपने झगड़ों का निपटारा शांतिपूर्ण ढंग से करेंगे।
(iv) सदस्य राष्ट्र किसी अन्य राष्ट्र की सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करेंगे।
(v) किसी भी सदस्य राष्ट्र द्वारा ऐसे राष्ट्र की सहायता नहीं की जाएगी जिसमें संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र की अवहेलना की हो।
(vi) किसी गैर सदस्य राष्ट्र द्वारा शाति भंग करने पर उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
(vi) संयुक्त राष्ट्रसंघ किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी। अत: संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य एवं सिद्धांत विश्वशाति, सुरक्षा एवं सहअस्तित्व पर आधारित है तथा विश्वबंधुत्व एवं समानता कायम करने में सहायक होते हैं। वर्तमान में इसके 192 सदस्य हैं। विश्व के अधिकांश राष्ट्रों द्वारा इसकी सदस्यता ग्रहण करना इस बात को सिद्ध करता है कि इसके सिद्धांतों में आज भी सबों को उतना ही विश्वास है जितना को इसके स्थापना के समय था।

प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयार्क में स्थित है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के 6 प्रमुख अंग हैं जिनका कार्य सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं अन्य क्षेत्रों में बंटा है।
ये प्रमुख अंग हैं-
(i) आमसभा-यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे प्रमुख अंग हैं। इसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि सदस्य भाग लेते हैं तथा प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को मत देने एवं वाद-विवाद में भाग लेने का अधिकार है। इसको बैठक वर्ष में एक बार होती है। इसके कार्यों में राष्ट्रों को सदस्यता प्रदान करना तथा उनका निष्कासन, महासचिव का निर्वाचन एवं अन्य आर्थिक मुद्दों पर निर्णय लिए जाते हैं।
(ii) सुरक्षा परिषद-यह इकाई शांति एवं सुरक्षा के लिए उत्तरदायी है। इसके 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। राजनैतिक विषयों में यह संयुक्त राष्ट्र का कार्यपालक अंग है।
(¡¡¡) आर्थिक एवं सामाजिक परिषद-यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में अध्ययन करता था तथा सुरक्षा परिषद् के अनुरोध पर उसे देता था। विश्व में इसके विभिन्न केन्द्र कार्यरत हैं, जैसे यूनीसेफ, यूनेस्को आदि।
(iv) न्यास परिषद्-यह परिषद् उन प्रदेशों में शासन व्यवस्था संभालता है जहाँ स्वशासन नहीं है। उनके निवासियों के हितों की रक्षा के लिए न्यास परिषद् कार्य करती है।
जैसे-प्रशांत महासागर में स्थित माइक्रोनेशिया के 4 द्वीप समूह इसी संगठन के निदेश पर संयुक्त राज्य अमेरिका के शासन में हैं।

इन संगठन के 4 उद्देश्य हैं-
(क) शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देना
(ख) लोगों के स्वशासन तथा स्वतंत्रता के विकास में सहायता करना
(ग) मानवीय अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आस्था बढ़ाना
(घ) सामाजिक, आर्थिक और वाणिज्य संबंधी मामलों में सबों को समान दृष्टि से देखना।
(v) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय-इसकी स्थापना राष्ट्रसंघ के तत्वावधान में हुई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना के साथ ही इसे न्याय के लिए सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का रूपप्रदान किया गया।
इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है।
(vi) सचिवालय-सचिवालय का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी महासचिव है। इस मुख्यालय में
सदस्य राष्ट्रों के कर्मचारी के रूप में प्रतिनिधियों को बुलाया जाता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ में 6 भाषाएँ मान्यता प्राप्त हैं-अंग्रेजी, चीनी, फ्रेंच, अरबी, स्पेनिश एवं रूसी।

प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता पर प्रकाश डालें।
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ की राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक क्षेत्रों में सफलता एवं असफलता से इसकी महत्ता का आभास होता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अनेक युद्ध की परिस्थितियों को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर विश्व को तृतीय विश्व युद्ध से बचा रखा है। इसने विवादों की
उनता को कम करने एवं दो राष्ट्रों के बीच पारस्परिक वार्ता का मंच तैयार करने में सफल भूमिका निभाई है। इसके विभिन्न संस्थाओं ने विश्व के अविकसित, पिछले एवं विकासशील राष्ट्रों में आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न समस्याओं, जैसे पुनर्वास कार्य, संक्रामक बीमारियों को रोकने एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति में इसके कार्य उल्लेखनीय हैं।
इसकी महत्ता इसकी सफलताओं से पता चलती हैं जो निम्नलिखित हैं-
(i) 1946 में संयुका राष्ट्र ने ईरान में अवैध रूप से रह रहे मसी सनिकों को हटने के लिए दबाव डाला।
(ii) उत्तर एवं दक्षिण कोरिया के मध्य चल रहे युट को 1953 11 रोकने में राष्ट्रसंघ सफल रहा।
(iii) 1956 में स्वेज नहर के मामले में यहाँ अंतराष्ट्रीय सेना को तैनात कर शांति स्थापना करने में सफलता पाई।
(iv) 1959 में संकटग्रस्त सेबनान की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र में अपनी सेना भेजी।
(v) 1988 ई. में संयुक्त राष्ट्र महासचिव पेरेज र फुयार के प्रयत्नों से ईराक-ईरान को बीच 8 वर्षों से चल रहा पुर समाप्त हो गया।
(vi) 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध बंद कराने हेतु संयुक्त राष्ट्र ने कड़े कदम उठाए।
(vii) 1971 ई. में बांग्लादेश की आजादी की दिशा में सफल प्रयास किया।
(viii) अफ्रीका महादेश में यूरोपीय औपनिवेशिक नीति के कारण गृह युद्ध छिड़ गया जिसे हल करने में संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
(ix) 1990 में ईराक द्वारा कुवैत पर अधिकार को संयुक्त राष्ट्र ने अवैध ठहराया तथा 1991 में कुवैत को इराकी सेना से मुक्त करवाया। इन सफलताओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अरब-इजरायल युद्ध, नामिबीया समस्या,
दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति, ईराक समस्या, कश्मीर समस्या आदि में असफल रहा है। लेकिन इन असफलताओं की वजह से हम उसकी सफलताओं को दरकिनार कर उसकी महत्ता पर प्रश्न चिह्न नहीं लगा सकते।

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