8th sanskrit

bihar board 8th class sanskrit notes | प्रहेलिकाः (पहेलियाँ)

प्रहेलिकाः (पहेलियाँ)

bihar board 8th class sanskrit notes

वर्ग – 8

विषय – संस्कृत

पाठ 4 – प्रहेलिकाः (पहेलियाँ)

प्रहेलिकाः (पहेलियाँ)

(संधि)
[बालकों के बौद्धिक विकास के लिए …….प्रहेलिकाएँ दी गयी हैं।

1. रेफ आदौ मकरोऽन्ते बाल्मीकिर्यस्य गायकः ।
      सर्वश्रेष्ठं यस्य राज्यं वद कोऽसौ जनप्रियः ।

अर्थ -प्रारम्भ में रकार, मकार अंत में बाल्मीकि जिसका गायन किया है। सर्वश्रेष्ठ जिसका राज्य था वह जनप्रिय कौन था बोलो । (राम)

2. मेघश्यामोऽस्मि नो कृष्णो, महाकायो न पर्वतः ।
बलिष्ठोऽस्मि न भीमोऽस्मि, कोऽस्म्यहं नासिकाकरः ॥ 

अर्थ-मेघ के समान साँवला हूँ मैं। लेकिन कृष्ण नहीं हूँ।  विशाल शरीर वाला हूँ लेकिन पर्वत नहीं हूँ। बलवान हूँ मैं लेकिन भीम नहीं हूँ। नाक रूपी
हाथबाला मैं कौन हूँ। (हाथी)

3. चक्री त्रिशुली न हरो न विष्णुः, महान् बलिष्ठो न च     
   भीमसेनः ।
    स्वच्छन्दगामी न च नारदोऽपि, सीतावियोगी न च  
    रामचन्द्रः ।

अर्थ-चक्रबाला हूँ लेकिन विष्णु नहीं हूँ। त्रिशूल वाला हूँ लेकिन शिव नहीं हूँ। अत्यन्त बलवान हूँ लेकिन भीमसेन नहीं हूँ । स्वतंत्र रूप से भ्रमण करता हूँ। लेकिन नारद भी नहीं हूँ। सीता से अलग रहने वाला हूँ लेकिन रामचन्द्र नहीं हूँ। (साढ़)

4. दन्तैहीनः शिलाभक्षी निर्जीवो बहुभाषकः ।
     गुणस्यूतिसमृद्धोऽपि परपादेन गच्छति ॥

अर्थ—मैं दन्तहीन हूँ। पत्थर खाता हूँ, निर्जीव होकर भी बहुत बोलने वाला हूँ। धागों की सिलाई से युक्त होकर भी दूसरे के पैर से चलता हूँ। (जूता, चप्पल)

5. स्वच्छाच्छवदनं लोकाः द्रष्टुमिच्छन्ति मे यदा ।
     तत्रात्मानं हि पश्यन्ति खिन्नं, भद्रं यथायथम् ।।

अर्थ-जब साफ अच्छा शरीर वाले लोग मुझे देखना चाहते हैं जो वहाँ अपने को देखते हैं, चाहे उदास हो या अच्छा (प्रसन्न) सही-सही दिखता है। (दर्पण)

शब्दार्थ-

रेफ= रकार । आदौ = शुरू में । मकारोऽन्ते (मकारः + अन्ते) = मकार अन्त में हो। गायकः = गवैया, गानेवाला । सर्वश्रेष्ठम् = सबसे अच्छा । वद = बोलो । कोऽसौ (कः+असौ) = कौन वह । जनप्रियः = लोकप्रिय । मेघश्यामः = बादल की तरह साँवला । कृष्णः =श्रीकृष्ण । महाकायः=विशाल शरीर वाला । बलिष्ठोऽस्मि (बलिष्ठ: + अस्मि) = बलवान हूँ। भीमोऽस्मि (भीमः + अस्मि) = भीम (पाण्डवों में से एक) हूँ, भयंकर हूँ। कोऽस्म्यहम् (कः + अस्मि + अहम्) =कौन हूँ मैं । नासिकाकरः = नाक रूपी हाथ वाला । चक्री= चक्रधारी, चक्र वाला । त्रिशूली = त्रिशूलधारी । हरो (हरः) = शिव । स्वच्छन्दगामी= रूप से भ्रमण करने वाला । सीतावियोगी= हल से अलग, सीता से अलग । नारदः = ब्रह्मा जी के पुत्र (जो हमेशा घूमते रहते हैं) । दन्तैहीऀनः (दन्तैः + हीनः)
=दाँतों से रहित । शिलाभक्षी = चट्टानों को खाने वाला। निर्जीव=प्राण रहित । बहुभाषकः =बहुत बोलने वाला । गुणस्यूतिसमृद्धः = धागों (गुण) की सिलाई से युक्त । परपादेन = दूसरों के पैर से
स्वच्छाच्छवदनम् (स्वच्छ + अच्छवदनम्) = साफ व अच्छा मुख । द्रष्टुमिच्छन्ति (द्रष्टुम् + इच्छन्ति) देखना चाहते हैं। आत्मानम् = अपने को । खिन्नम् = दुःखी/उदास । भद्रम् अच्छा । यथायथम् = जैसा हो वैसा ।

सन्धिविच्छेद

मकाकरोऽन्ते = मकारः + अन्ते (विसर्ग-सन्धि)। वाल्मीकिर्यस्य= वाल्मीकिः + यस्य (विसर्ग-सन्धि)। कोऽसौ = कः + असौ (विसर्ग-सन्धि) । मेघश्यामोऽस्मि =मेघश्यामः + अस्मि (विसर्ग-सन्धि) । बलिष्ठोऽस्मि = बलिष्ठः + अस्मि (विसर्ग-सन्धि)। भीमोऽस्मि =भीमः + अस्मि (विसर्ग-सन्धि) । कोऽस्म्यहम् = कः + अस्मि = अहम् (विसर्ग-सन्धि, यण सन्धि) । दन्तै नः = दन्तैः + हीनः (विसर्ग-सन्धि) । गुणस्यूतिसमृद्धोऽपि = गुणस्यूतिसमृद्धः + अपि (विसर्ग-सन्धि) । स्वच्छाच्छवदनम् = स्वच्छ + अच्छवदनम् (दीर्घ-सन्धि) । नारदोऽपि नारद: + अपि (विसर्ग-सन्धि)।

प्रकृति-प्रत्यय-विभाग :
वद=√विद् , लोट्लकार, मध्यमपुरुष, एकवचन

रुदन्ति=√रुद् ,लट्लकार, प्रथम पुरुष, बहुवचन

गच्छति=√गम् ,लट्लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन

द्रष्टुम्=√दृश्+ तुमुन्

इच्छन्ति=√इष् लट्लकार, प्रथम पुरुष, बहुवचन

पश्यन्ति=√दृश्  , लट्लकार, प्रथम पुरुष, बहुवचन

अभ्यासः

मौखिक
1. निम्नलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत (निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण करें)
मकारोऽन्ते, कोऽसौ, बलिष्ठोऽस्मि, भीमोऽस्मि, दन्तै_नः, गुणस्यूतिसमृद्धः, स्वच्छाच्छवदनम्, द्रष्टुमिच्छन्ति, स्वच्छन्दगामी, नारदोऽपि ।
2. मातृभाषायाम् एकां प्रहेलिकां वदत-
उत्तरम्-तीन वर्ण का मेरा नाम उल्टा सीधा एक समान (जहाज)।
3. निम्नलिखितानां पदानां द्विवचनं वदत-
प्रश्नोत्तरं
इच्छति = इच्छतः । पश्यति = पश्यतः । वदसि = वदथः । आगच्छामि गच्छति = गच्छतः। भवति
= भवतः।

4. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरम् एकपदेन लिखत
प्रश्नोत्तरं

(क) कः पशुः नासिकया शाखां त्रोटयति ?

उत्तरम्–  गजः ।
(ख) जनाः कस्मिन् स्वमुखं पश्यन्ति ?
उत्तरम्– दपर्णे।
(ग) जनाः पादयोः किम् धारयन्ति ?
उत्तरम्-उपानहम् ।
(घ) भीमसेनः कीदृशः आसीत् ?
उत्तरम्-बलिष्टः।
(ङ) कः महाकायः अत्र वर्णितः ?
उत्तरम्-गजः
(च) कः जनप्रियः ?
उत्तरम्-रामः।

5. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरम् पूर्ण वाक्येन लिखत-
प्रश्नोत्तरम्

(क) कस्य राज्यं सर्वश्रेष्ठम् ?

उत्तरम् – रामस्य राज्यं सर्वश्रेष्ठम् ।

(ख) श्री रामचन्द्रस्य पत्नी का आसीत् ?

उत्तरम्– श्री रामचन्द्रस्य पत्नी सीता आसीत् ।

(ग) गजात् भिन्नः कः मेघवत् श्यामः अस्ति ?

उत्तरम्– गजात् भिन्नः श्रीकृष्णः मेघवत् श्यामः अस्ति ।

(घ) पादरक्षकः केषां भक्षणं करोति ?

उत्तरम्– पादरक्षकः शिलां भक्षणं करोति ।
(ङ) लोकाः दर्पणे आत्मानं कथं पश्यन्ति ?

उत्तरम्– लोकाः दर्पणे आत्मानं यथायथम् पश्यन्ति ।

(च) वाल्मीकिः कस्य गायकः ?
उत्तरम् – बाल्मीकिः रामस्य (रामायणस्य) गायकः ।

6. अधोलिखितानां पदानां संधिं कुरुत-
प्रश्नोत्तरम्
(क) बाल्मीकिः + यस्य = बाल्मीकिर्यस्य ।
(ख) भीमः + अस्मि भीमोऽस्मि ।
(ग) कः + असौ = कोऽसौ ।
(घ) दन्तैः + हीनः = दन्तैहीनः
(ङ) मकारः + अन्ते=मकारोऽन्ते।
(च) नारदः + अपि=नारदोऽपि ।
7. मंजूषायाः उचितपदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत-
निर्जीवो, सीता वियोगी, पर्वतः, पश्यन्ति, कृष्णो, गायकः विष्णुः
प्रश्नोत्तर-
(क) महाकायो न पर्वतः ।
(ख) दन्तैहीनः शिलाभक्षे निर्जीवो बहुभाषकः ।
(ग) सीतावियोगी न च रामचन्द्रः ।
(घ) मेघश्यामोऽस्मि नो कृष्णः ।
(ङ) तत्रात्मानं हि पश्यन्ति खिन्नम् ।
(च) वाल्मीकिर्यस्य गायकः ।
(छ) चक्री त्रिशूली न हरो न विष्णु ।

8. अधोलिखित पदानां बहुवचनं लिखत
एकवचनम्                        बहुवचनम्
यथा-रुदति                             रुदन्ति
प्रश्नोत्तर
(क) गच्छति                 गच्छन्ति
(ख) पश्यति                 पश्यन्ति
(ग) वदामि                   वदामः
(घ)                            भवथ
(ङ) तिष्ठामि                तिष्ठामः
(च) इच्छति                  इच्छन्ति
(छ) नमामि                  नमामः

9. विपरीतार्थकशब्द योः सुमेलनं कुरुत
अ.                                  आ
(क) खिन्नः                            (1) अन्तः
(ख) निर्जीवः                            (2) हसन्ति
(ग) रुदन्ति                              (3) प्रसन्नः
(घ) आदिः                                (4) सजीवः
(ङ) कृष्णः                               (5) अल्पभाषक:
(च) बहुभाषकः                          (6) धवलः उत्तरम्-(क) (3) । (ख) (4)। (ग) (2) । (घ) (1)। (ङ) (6) । (च) (5)।
10. अधोलिखितानां शब्दानां लोट् लकारे रूपं लिखत
लट् लकार.                            लोट् लकार यथा-पठति                                     पठतु
प्रश्नोत्तरं
(क) पश्यति                                 पश्यतु
(ख) गच्छतः                                गच्छताम्
(ग) वदति                                  वदतु
(घ) भवन्ति                                 भवन्तु
(ङ) तिष्ठति                                  तिष्ठतु
(च) अस्ति                                    सन्तु
(छ) ददाति                                   ददातु
(ज) हससि                                    हस

11. उपरि केषाञ्चित् वस्तूनां नामानि सन्ति । पार्वे तेषां स्वामिनः अपि निर्दिष्टाः।
उदाहरणानुसारं किं कस्य इति निर्दिशत ।
यथा1. एतत्           कर्तरि                रघुवीरस्य प्रश्नोत्तरम् –
2. इदम्                पुस्तकं               लतायाः
3. इयम्                 लेखनी               रूणायाः
4इदम्                   गृहम्                  शुभाङ्गयाः 5. इयम                 घटीय                 बबीतायाः
6. इदम्                 वस्त्रम्                रणधीरस्य 7.इदम्                   उपनेत्रम्             मुकेशस्य
8. तानि                 आम्राणि           आफताबस्य 9. इदम्                अंगुलीयकम्         ललितायाः 10. अयम्               घटः                 मनोजस्य

                   योग्यता-विस्तारः
प्रत्याहार–व्याकरण शास्त्र में अक्षरों या प्रत्ययों की सूची को समेटने वाले शब्दों को ‘प्रत्याहार’ कहते हैं । संक्षेपण की यह प्रक्रिया अत्यन्त प्राचीन है । आचार्य पाणिनि के चौदह सूत्रों के आधार पर प्रत्याहार की रचना की जाती है जिसमें दो वर्ण होते हैं । प्रथम वर्ण पूरा वर्ण होता है । जबकि दूसरा वर्ण उन चौदह सूत्रों में से किसी के अन्तिम वर्ण के रूप में अर्थात् ‘हल्’ होता है। प्रत्याहारों को समझने के लिए पहले पाणिनि के चौदह सूत्रों को स्मरण रखना आवश्यक है। इन्हें ‘प्रत्याहार सूत्र” भी कहते हैं
1. अइउण् 2.ॠलृक्
3. एओङ् 4. ऐऔच्
5. हयवरट् 6.लण्  7. जमङणनम् 8. झभञ्
9. घढधष् 10. जबगडदश्
11. खफछठथचटतव्  12.कपय् 13. शषसर्
14. हल्

इनसे अक्, अच्, इक्, यण् इत्यादि प्रत्याहार बनते हैं। अक् से निम्नलिखित वर्णों का ग्रहण होता है—अ, इ, उ, ऋ, ल । इसी प्रकार अच् कहने से अ से लेकर औ तक सभी स्वरवर्ण आ जाते हैं । ध्यान रहे कि हल् वर्णों को प्रत्याहार के भीतर नहीं लिया जाता । कुछ अन्य उदाहरण इक् = इ उ ऋ लु।
यण = य व र ल ।
जश्: = ज ब ग ड द।

प्रत्याहारों को बहुत वैज्ञानिक ढंग से सजाया गया है। इन्हें हम आगे चलकर समझेंगे। स्मरणीय है कि ‘अच्’ कहने से केवल स्वरवर्णों का और ‘हल्’ कहने से सभी व्यञ्जनों का बोध हो जाता है। पाणिनि ने अपने व्याकरण में इन सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों का प्रयोग किया है

प्रत्ययों से भी प्रत्याहार बनते हैं जैसे सुप् = प्रातिपदिक से लगने वाले सभी प्रत्यय (सु से लेकर प तक) । तिङ् = धातु से लगने वाले वे प्रत्यय जो ति से लेकर ङ् तक (कुल 18) हैं। सुट् आदि प्रत्याहार भी हैं।

 

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