10th sanskrit

class 10 sanskrit question paper with answers – वृक्षैः समं भवतु में जीवनम्

वृक्षैः समं भवतु में जीवनम्

class 10 sanskrit question paper with answers

class – 10

subject – sanskrit

lesson 8 – वृक्षैः समं भवतु में जीवनम्

वृक्षैः समं भवतु में जीवनम्

वसन्तकाले सौरभयुक्तेः
सन्ततिकाले दर्पविमुक्तः
शीतापयोः धैर्येण स्थितैः
वृक्षैः समं भवतु मे जीवनम्  ।

वर्षाकाले आहलादयुक्तः
शिशिर निर्भीकचित्तैः
हेमन्तकाले समाधिसस्थितैः
वृक्षैः समं भवतु मे जीवनम् ।

क्षुधातेभ्यः फलसन्ततेः दानम्
शरणागतेभ्यः आश्रयदानम्
आतपातेभ्यः छायादानम्
वृक्षाणां व्रतं , तद्वत् स्यान्मे जीवनम् ।

कृतं यैः सीतायाः सतीत्वरक्षणं
बुद्धस्य आत्मज्ञानस्य साक्ष्यम्
पाण्डवशस्त्राणां गोपनम्
वृक्षः समं भवतु में जीवनम् ।

शुष्कतायां सम्प्राप्तायाम् अपि
यैः अयंते जीवन परेषां कृते
आत्मा दहाते चुल्लिकार्या यैः मुदा
वृक्षैः समं भवतु में जीवनम् ।

आ जन्मनः समर्पणम् आमरणं
लोकस्य हितायैव येषां जीवनम्
जीवन मृत्तिश्चापि येषां सार्थक
वृक्षैः समं भवतु मे जीवनम् ।

अर्थ

वसन्त काल में सुगन्धों से युक्त
फल काल में घमण्ड से दूर
शीत – गर्मी में धैर्य से स्थिर रहने वाले
वृक्षों के समान हो मेरा जीवन ।

वर्षा काले आह्लादयुक्तेः
शिशिरे निर्भीक चित्तैः
हेमन्तकाले समाधिस्थितैः
वृक्षः समं भवतु मे जीवनम् ।

अर्थ –
वर्षा काल में अह्लाद से युक्त
शिशिर में निर्भीक चित
हेमन्त काल में समाधि रूप में
स्थिर रहनेवाले वृक्षों के समान हो मेरा जीवन ।

भूख से व्याकुलों के लिए फलरूपी संतान का दान , शरण में आए लोगों के लिए आश्रय दान , गर्मी से व्याकुल लोगों के लिए छाया दान आदि वृक्षों के व्रत सादृश हो मेरा जीवन ।
किया गया जिसके द्वारा सीता के सतीत्व का रक्षण , जिसने बना युद्ध के आत्मज्ञान का साक्षी और जिसने पाण्डवों के शस्त्रों को गुप्त रूप में रखा , उस वृक्षों के समान हो मेरा जोवन ।
शुष्कता प्राप्त कर ( सुख कर ) भी जिसके द्वारा अर्पित है जीवन दूसरों के कार्य के लिए , जिसके द्वारा मरकर भी चुल्हा में अपने – आपको जलाया जाता है । उस वृक्षों के समान हो मेरा जीवन ।
जन्मकाल से ही समर्पण का भाव मरण तक लोक को हित के लिए जिसका हो जीवन , जिसका जीवन मर कर भो सार्थक हो उस वृक्षों के समान हो मेरा जीवन ।

अभ्यास

प्रश्न : 1 , अस्य पाठस्य भावार्थ लिखत ।
उत्तरम् – सम्पूर्ण पाठ का अर्थ लिखें ।
प्रश्न : 2. लोकस्य हिताय वृक्षाः किं किं कुर्वन्ति ?

उत्तरम् – लोकस्य हिताय वृक्षाः वसंतकाले सौरभं ददति , फलानि ददति , शांततापयो : रक्षन्ति धाया दानं चापि कुर्वन्ति ।

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