10th sanskrit

sanskrit objective question class 10 2020 – मधुराष्टकम्

मधुराष्टकम्

sanskrit objective question class 10 2020

class – 10

subject – sanskrit

lesson 6 – मधुराष्टकम्

मधुराष्टकम्

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुशधिपतेरखिलं मधुरम् ।।

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलम मधुरम्
।।
वेणुर्मधुरो रेणुमधुरः पाणिमधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुर मधुराधिपतेरखिलम् मधुरम् ।।

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुतं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलम् मधुरम् ।।

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् । वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलम् मधुरम् ।।
गुजा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा धीची मधुरा । सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलम् मधुरम्
।।

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् दुष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलम् मधुरम् ।।

गोपा मधुरा गावों मघरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिमधुरा
दलितं मधुरं फलितं मधुर मधुराधिपतेरखिलम् मधुरम् ।।

उनका होठ मधुर , शरीर मधुर , नयन मधुर , हँसी मधुर , हृदय मधुर , चलगा मधुर मधुरधिपति का सारा चीज़ मधुर है ।
उनकी बोली मधुर , जीवन मधुर , वस्त्र मधुर , केश मधुर , चाल मधुर , घूमना मधुर मधुराधिपति भगवान श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है ।
उनकी बांसुरी मधुर , बरथा थुलि मधुर , हाथ मधुर , दोनों पैर मधुर , नाच मधुर , दोस्ती मधुर मधुराधिपति भगवान श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है ।
उनका गीत मधुर , पीताम्वर मधुर , खाना मधुर , सोना मधुर , रूप मधुर , चन्दन मधुर , मधुराधिपति भगवान श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है ।
उनका कार्य करना मधुर , तरण करना मधुर , हरण करना मथुर , रमण करना मधुर , वमन करना मधुर , शमन करना मधुर , मधुराधिपति श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है ।
उनकी गुञ्जा ( वैजन्ती ) मधुर , माला मधुर , यमुन मधुर , घाट मधुर , जल मधुर , कमल मधुर , मधुराधिपति भगवान श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है ।
उनकी गोपी मधुर , लीला मधुर , मिलन मधुर , बिछुरना मधुर , देखना मधुर , आचार मधुर मधुराधिपति भगवान श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है ।
उनको ग्वालिन मधुर , गाय मधुर , विठुरना मधुर , मिलना मधुर , दलन करना मधुर , फल देना मधुर मधुराधिपति भगवान् श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है ।

अभ्यास

प्रश्न : 1. भगवतः कृष्णस्य किं किं मधुरम् ?
उत्तरम् – भगवतः कृष्णस्य अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुर हसितं मधुरं अखिल मधुरम् ।
प्रश्न : 2. अस्य पाठस्य भावार्थ लिखत ।
उत्तरम् – इस पाठ के भावार्थ ऊपर लिखे गये हैं । ‘ मधुराष्टक को – हर देश में तू , हर वेश में तू , तेरे नाम अनेक , तू एक ही है ।( इस प्रसिद्ध गीत को लय से गायें ) ।

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